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गुरुवार, 28 सितंबर 2017

सहायता


   सहायता करने वाले अनेकों धर्मार्थ संस्थान अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए लोगों द्वारा दिए गए आर्थिक दान या उन लोगों के लिए अब अनुपयोगी हो गए कपड़ों या घर के काम की चीज़ों के दान किए जाने पर निर्भर रहते हैं। यह अच्छा है कि हम अनुपयोगी वस्तुओं को उनके लिए दे दें जिनके वे काम आ सकती हैं। परन्तु किसी मूल्यवान या उपयोग में आ रही वस्तु को दान करने में हमें हिचकिचाहट होती है, हम उसे देना नहीं चाहते हैं।

   परमेश्वर के वचन बाइबल में हम देखते हैं कि जब प्रेरित पौलुस अपने मसीही विश्वास के लिए बन्दीगृह में था, तो उसे निरंतर विश्वासयोग्य साथियों की संगति और उनसे उत्साहवर्धन की आवश्यकता थी। परन्तु फिर भी उसने अपने दो सबसे निकट के और उपयोगी साथियों को फिलिप्पी के मसीही विश्वासियों की सहायता के लिए भेजा (फिलिप्पियों 2:19-30)। फिलिप्पी के मसीही विश्वासियों को लिखी अपनी पत्री में पौलुस ने लिखा, "मुझे प्रभु यीशु में आशा है, कि मैं तीमुथियुस को तुम्हारे पास तुरन्त भेजूंगा, ताकि तुम्हारी दशा सुनकर मुझे शान्‍ति मिले। क्योंकि मेरे पास ऐसे स्‍वाभाव का कोई नहीं, जो शुद्ध मन से तुम्हारी चिन्‍ता करे" (पद 19-20)। और, "पर मैं ने इपफ्रदीतुस को जो मेरा भाई, और सहकर्मी और संगी योद्धा और तुम्हारा दूत, और आवश्यक बातों में मेरी सेवा टहल करने वाला है, तुम्हारे पास भेजना अवश्य समझा" (पद 25)। पौलुस को जिस की सबसे अधिक आवश्यकता थी, उसने उसे ही उनमुक्त भाव से दूसरों की सहायता के लिए दे दिया।

   जिस भी चीज़ को हम अपने जीवनों में "अति आवश्यक" या "बहुमूल्य" समझते हैं, वही हमारे किसी जानकार के लिए भी बहुत लाभकारी या उपयोगी हो सकती है। यह हमारा समय, हमारी मित्रता, हमारा प्रोत्साहन, उनकी बात सुनने के लिए दिया गया समय और ध्यान, या किसी भी अन्य प्रकार की सहायता के लिए बढ़ाया गया हाथ, इत्यादि कुछ भी हो सकता है। जब जो प्रभु ने हमें दिया है, हम उसे दूसरों की सहायता के लिए दे देते हैं, तो हमारे प्रभु परमेश्वर का आदर और महिमा होती है, और हम परमेश्वर से आशीष के पात्र बन जाते हैं। - डेविड मैक्कैसलैंड


खुले दिल से देने से परमेश्वर का आदर, दूसरों की सहायता और हमारी भलाई होती है।

क्योंकि परमेश्वर ने जगत से ऐसा प्रेम रखा कि उसने अपना एकलौता पुत्र दे दिया, ताकि जो कोई उस पर विश्वास करे, वह नाश न हो, परन्तु अनन्त जीवन पाए। - युहन्ना 3:16

बाइबल पाठ: फिलिप्पियों 2:19-30
Philippians 2:19 मुझे प्रभु यीशु में आशा है, कि मैं तीमुथियुस को तुम्हारे पास तुरन्त भेजूंगा, ताकि तुम्हारी दशा सुनकर मुझे शान्‍ति मिले। 
Philippians 2:20 क्योंकि मेरे पास ऐसे स्‍वाभाव का कोई नहीं, जो शुद्ध मन से तुम्हारी चिन्‍ता करे। 
Philippians 2:21 क्योंकि सब अपने स्‍वार्थ की खोज में रहते हैं, न कि यीशु मसीह की। 
Philippians 2:22 पर उसको तो तुम ने परखा और जान भी लिया है, कि जैसा पुत्र पिता के साथ करता है, वैसा ही उसने सुसमाचार के फैलाने में मेरे साथ परिश्रम किया। 
Philippians 2:23 सो मुझे आशा है, कि ज्योंही मुझे जान पड़ेगा कि मेरी क्या दशा होगी, त्योंही मैं उसे तुरन्त भेज दूंगा। 
Philippians 2:24 और मुझे प्रभु में भरोसा है, कि मैं आप भी शीघ्र आऊंगा। 
Philippians 2:25 पर मैं ने इपफ्रदीतुस को जो मेरा भाई, और सहकर्मी और संगी योद्धा और तुम्हारा दूत, और आवश्यक बातों में मेरी सेवा टहल करने वाला है, तुम्हारे पास भेजना अवश्य समझा। 
Philippians 2:26 क्योंकि उसका मन तुम सब में लगा हुआ था, इस कारण वह व्याकुल रहता था क्योंकि तुम ने उस की बीमारी का हाल सुना था। 
Philippians 2:27 और निश्‍चय वह बीमार तो हो गया था, यहां तक कि मरने पर था, परन्तु परमेश्वर ने उस पर दया की; और केवल उस ही पर नहीं, पर मुझ पर भी, कि मुझे शोक पर शोक न हो। 
Philippians 2:28 इसलिये मैं ने उसे भेजने का और भी यत्‍न किया कि तुम उस से फिर भेंट कर के आनन्‍दित हो जाओ और मेरा भी शोक घट जाए। 
Philippians 2:29 इसलिये तुम प्रभु में उस से बहुत आनन्द के साथ भेंट करना, और ऐसों का आदर किया करना। 
Philippians 2:30 क्योंकि वही मसीह के काम के लिये अपने प्राणों पर जोखिम उठा कर मरने के निकट हो गया था, ताकि जो घटी तुम्हारी ओर से मेरी सेवा में हुई, उसे पूरा करे।

एक साल में बाइबल: 
  • यशायाह 5-6
  • इफिसियों 1