ई-मेल संपर्क / E-Mail Contact

इन संदेशों को ई-मेल से प्राप्त करने के लिए अपना ई-मेल पता इस ई-मेल पर भेजें / To Receive these messages by e-mail, please send your e-mail id to: rozkiroti@gmail.com

बुधवार, 6 सितंबर 2017

क्रमशः


    मेरी युवावस्था में, 1950 के दशक में, मैं अकसर शनिवार की दोपहर को स्थानीय सिनेमा हॉल में फिल्म देखने जाया करता था। वहाँ कार्टून और मुख्य फिल्म के अतिरिक्त एक रोमाँचक सीरियल भी दिखाया जाता था। इस रोमाँचक सीरियल के प्रदर्शन का अन्त सदा ही एक ऐसे बिन्दु पर आकर होता था जिसमें नायक या नायिका किसी असंभव स्थिति में फंसे होते थे और उनके बच निकलने का कोई उपाय समझ में नहीं आ रहा होता था। परन्तु फिर भी प्रत्येक वृतांत का अन्त होता था "क्रमशः" शब्द से, अर्थात कहानी अभी आगे बढ़ेगी।

   परमेश्वर के वचन बाइबल के नए नियम खण्ड का एक नायक पौलुस खतरों और जान-जोखिम में डालने वाली परिस्थितियों से अनजान नही था। प्रभु यीशु मसीह के जगत का उद्धाकर्ता होने के सुसमाचार के प्रचार और प्रसार के लिए वह जेल गया, पीटा और पत्थरवाह किया गया, और समुद्री यात्राओं में जहाज़ के टूटने और जान का खतरा होने को भी अनुभव किया। वह यह निश्चित जानता था कि एक दिन उसकी मृत्यु होनी ही है, परन्तु उसने इसे कभी अपनी जीवन-गाथा का अन्त नहीं माना। पौलुस ने कुरिन्थुस के मसीही विश्वासियों को लिखा, "और जब यह नाशमान अविनाश को पहिन लेगा, और यह मरनहार अमरता को पहिन लेगा, तक वह वचन जो लिखा है, पूरा हो जाएगा, कि जय ने मृत्यु को निगल लिया" (1 कुरिन्थियों 15:54)। पौलुस को अपने जीवन भर धुन लगी रही थी कि वह सारे संसार के सभी लोगों के उद्धार के लिए प्रभु यीशु मसीह द्वारा क्रूस पर अपने प्राणों का बलिदान देने की बात सब को बताए, जिससे प्रभु यीशु पर लाए गए विश्वास और उसे किए गए समर्पण के द्वारा लोग अपने पापों की क्षमा और उद्धार पा सकें, परमेश्वर के साथ अनन्त जीवन जीने का निश्चय पा सकें।

   हम उन सिरियलों के नायक-नायिका के समान नहीं हैं जो सदा निश्चित मृत्यु से बच निकलते थे। हमारे जीवनों में निश्चित ही वह दिन आएगा जब हमारे पार्थिव जीवन का अन्त होगा - चाहे मृत्यु के द्वारा, चाहे प्रभु यीशु के दूसरे आगमन के द्वारा। परन्तु जितनों ने प्रभु यीशु पर विश्वास कर के उससे अपने पापों की क्षमा माँग ली है, अपना जीवन उन्हें समर्पित कर दिया है, उन सब के लिए पार्थिव जीवन का अन्त जीवन-गाथा की समाप्ति नहीं है, वरन "क्रमशः" है, क्योंकि उनका जीवन अनन्तकाल तक परमेश्वर के साथ चलता रहेगा; उनके स्वर्गीय जीवन और अनन्त आनन्द का कभी अन्त नहीं होगा। - डेविड मैक्कैसलैंड


जीवन और मृत्यु, दोनों में प्रभु यीशु मसीह 
हमारे जीवन की आशा और आश्वासन है।

वह मृत्यु को सदा के लिये नाश करेगा, और प्रभु यहोवा सभों के मुख पर से आंसू पोंछ डालेगा, और अपनी प्रजा की नामधराई सारी पृथ्वी पर से दूर करेगा; क्योंकि यहोवा ने ऐसा कहा है। - यशायह 25:8 

बाइबल पाठ: 1 कुरिन्थियों 15:50-58
1 Corinthians 15:50 हे भाइयों, मैं यह कहता हूं कि मांस और लोहू परमेश्वर के राज्य के अधिकारी नहीं हो सकते, और न विनाश अविनाशी का अधिकारी हो सकता है। 
1 Corinthians 15:51 देखो, मैं तुम से भेद की बात कहता हूं: कि हम सब तो नहीं सोएंगे, परन्तु सब बदल जाएंगे। 
1 Corinthians 15:52 और यह क्षण भर में, पलक मारते ही पिछली तुरही फूंकते ही होगा: क्योंकि तुरही फूंकी जाएगी और मुर्दे अविनाशी दशा में उठाए जांएगे, और हम बदल जाएंगे। 
1 Corinthians 15:53 क्योंकि अवश्य है, कि यह नाशमान देह अविनाश को पहिन ले, और यह मरनहार देह अमरता को पहिन ले। 
1 Corinthians 15:54 और जब यह नाशमान अविनाश को पहिन लेगा, और यह मरनहार अमरता को पहिन लेगा, तब वह वचन जो लिखा है, पूरा हो जाएगा, कि जय ने मृत्यु को निगल लिया। 
1 Corinthians 15:55 हे मृत्यु तेरी जय कहां रही? 
1 Corinthians 15:56 हे मृत्यु तेरा डंक कहां रहा? मृत्यु का डंक पाप है; और पाप का बल व्यवस्था है। 
1 Corinthians 15:57 परन्तु परमेश्वर का धन्यवाद हो, जो हमारे प्रभु यीशु मसीह के द्वारा हमें जयवन्‍त करता है। 
1 Corinthians 15:58 सो हे मेरे प्रिय भाइयो, दृढ़ और अटल रहो, और प्रभु के काम में सर्वदा बढ़ते जाओ, क्योंकि यह जानते हो, कि तुम्हारा परिश्रम प्रभु में व्यर्थ नहीं है।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 148-150
  • 1 कुरिन्थियों 15:29-58