ई-मेल संपर्क / E-Mail Contact

इन संदेशों को ई-मेल से प्राप्त करने के लिए अपना ई-मेल पता इस ई-मेल पर भेजें / To Receive these messages by e-mail, please send your e-mail id to: rozkiroti@gmail.com

बुधवार, 16 अगस्त 2017

धन्यवाद और अराधना


   पेंसिलिन के अविष्कार से स्वास्थ्य सेवाओं में क्रांतिकारी परिवर्तन आया। 1940 के दशक से पहले, कीटाणुओं से होने वाला संक्रमण अकसर घातक सिद्ध होता था। परन्तु पेंसिलिन के आने के बाद से हानिकारक जीवाअणुओं के नाश द्वारा अनगिनित जानें बचाई गई हैं। जिन व्यक्तियों ने पेंसिलिन की इस संभावना को पहचाना और उसे व्यापक उपयोग के लिए विकसित करके उपलब्ध करवाया, उन्हें इस कार्य के लिए 1945 में नोबल पुरुस्कार से सम्मानित किया गया। हम मनुष्य आज भी उनकी इन सेवाओं और कार्य के लिए धन्यवादी और कृतज्ञ है।

   पेंसिलिन के अविष्कार से बहुत पहले भी हानिकारक जीवाणुओं का नाश करने के लिए कुछ अदृश्य और अनजाने मूक कार्यकर्ता कार्यरत थे। ये मूक कार्यकर्ता हैं हमारे रक्त में पाई जानी वाली श्वेत रक्त कोशिकाएं। ये परिश्रमी कोशिकाएं हमें बीमारियों से बचाए रखने के लिए परमेश्वर द्वारा दिया गया उपाय हैं। कोई नहीं जानता कि उन्होंने कितने आक्रमणों को विफल किया है, कितनी जानों को बचाया है। उनके द्वारा लगातार की जा रही भलाई के लिए उन्हें बहुत कम ही श्रेय मिल पाता है।

   प्रभु परमेश्वर के साथ भी यही स्थिति है। यदि कुछ गलत हो जाता है तो प्रभु को ही दोष दिया जाता है, परन्तु जब सब कुछ सुचारू रुप से चल रहा होता है तो उस स्थिति के लिए उसे कम ही श्रेय दिया जाता है। प्रतिदिन लोग सो कर उठते हैं, तैयार होते हैं, अपने कार्यों के लिए विभिन्न साधनों के द्वारा जाते हैं, और फिर सुरक्षित लौट कर अपने परिवारों के पास आ जाते हैं। कोई नहीं जानता है कि कितनी बार प्रभु ने उन्हें किसी खतरे से, से किसी हानि से, कैसे-कैसे बचाया है; बहुत ही कम लोगों को इस प्रभु द्वारा दी गई इस देखभाल और सुरक्षा का एहसास होता है; बहुत ही कम लोग प्रभु के प्रति इन दैनिक आशीषों के लिए धन्यवादी होते हैं। परन्तु यदि कोई त्रासदी हो जाए, तो सभी एकदम पुकारने लगते हैं कि ऐसे में "परमेश्वर कहाँ था?"

   जब मैं उन अद्भुत बातों के बारे में विचार करती हूँ जो परमेश्वर हमारे जीवनों में, हमारे लिए करता रहता है (यशायाह 25:1), तो मैं पाती हूँ कि प्रभु परमेश्वर के प्रति मेरे धन्यवाद और अराधना के विषयों की सूची, उससे माँगने के लिए मेरी प्रार्थनाओं और निवेदनों की सूची से कहीं अधिक बड़ी हो जाती है। - जूली ऐकैरमैन लिंक


परमेश्वर हमें उसकी स्तुति और प्रशंसा करते रहने के कारण प्रदान करता रहता है।

हे मेरे परमेश्वर यहोवा, तू ने बहुत से काम किए हैं! जो आश्चर्यकर्म और कल्पनाएं तू हमारे लिये करता है वह बहुत सी हैं; तेरे तुल्य कोई नहीं! मैं तो चाहता हूं की खोल कर उनकी चर्चा करूं, परन्तु उनकी गिनती नहीं हो सकती। - भजन 40:5

बाइबल पाठ: यशायाह 25:1-9
Isaiah 25:1 हे यहोवा, तू मेरा परमेश्वर है; मैं तुझे सराहूंगा, मैं तेरे नाम का धन्यवाद करूंगा; क्योंकि तू ने आश्चर्यकर्म किए हैं, तू ने प्राचीनकाल से पूरी सच्चाई के साथ युक्तियां की हैं। 
Isaiah 25:2 तू ने नगर को डीह, और उस गढ़ वाले नगर को खण्डहर कर डाला है; तू ने परदेशियों की राजपुरी को ऐसा उजाड़ा कि वह नगर नहीं रहा; वह फिर कभी बसाया न जाएगा। 
Isaiah 25:3 इस कारण बलवन्त राज्य के लोग तेरी महिमा करेंगे; भयंकर अन्यजातियों के नगरों में तेरा भय माना जाएगा। 
Isaiah 25:4 क्योंकि तू संकट में दीनों के लिये गढ़, और जब भयानक लोगों का झोंका भीत पर बौछार के समान होता था, तब तू दरिद्रों के लिये उनकी शरण, और तपन में छाया का स्थान हुआ। 
Isaiah 25:5 जैसे निर्जल देश में बादल की छाया से तपन ठण्डी होती है वैसे ही तू परदेशियों का कोलाहल और क्रूर लोगों को जयजयकार बन्द करता है।
Isaiah 25:6 सेनाओं का यहोवा इसी पर्वत पर सब देशों के लोगों के लिये ऐसी जेवनार करेगा जिस में भांति भांति का चिकना भोजन और निथरा हुआ दाखमधु होगा; उत्तम से उत्तम चिकना भोजन और बहुत ही निथरा हुआ दाखमधु होगा। 
Isaiah 25:7 और जो पर्दा सब देशों के लोगों पर पड़ा है, जो घूंघट सब अन्यजातियों पर लटका हुआ है, उसे वह इसी पर्वत पर नाश करेगा। 
Isaiah 25:8 वह मृत्यु को सदा के लिये नाश करेगा, और प्रभु यहोवा सभों के मुख पर से आंसू पोंछ डालेगा, और अपनी प्रजा की नामधराई सारी पृथ्वी पर से दूर करेगा; क्योंकि यहोवा ने ऐसा कहा है।
Isaiah 25:9 और उस समय यह कहा जाएगा, देखो, हमारा परमेश्वर यही है; हम इसी की बाट जोहते आए हैं, कि वह हमारा उद्धार करे। यहोवा यही है; हम उसकी बाट जोहते आए हैं। हम उस से उद्धार पाकर मगन और आनन्दित होंगे।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 94-96
  • रोमियों 15:14-33