ई-मेल संपर्क / E-Mail Contact

इन संदेशों को ई-मेल से प्राप्त करने के लिए अपना ई-मेल पता इस ई-मेल पर भेजें / To Receive these messages by e-mail, please send your e-mail id to: rozkiroti@gmail.com

सोमवार, 5 जून 2017

कार्य तथा दायित्व


   जब पुलिटज़र पुरुस्कार विजेता तथा फिल्म समीक्षक रॉजर एबर्ट का देहांत हुआ तो उनके एक साथी पत्रकार ने उनके विषय में लिखा: "अपनी समस्त बदनामी, सम्मान, और कीर्ति, फिल्मों की महान हस्तियों के साथ उनके विशिष्ट साक्षात्कारों और मुलाकातों के बावजूद एबर्ट यह कभी नहीं भूले कि उनके कार्य का उद्देश्य क्या है - फिल्मों की समीक्षा करना। और वे यह समीक्षा सदा ही बड़े उत्साह तथा बारीकी से करते रहे।"

   परमेश्वर के वचन बाइबल में हम पाते हैं कि प्रेरित पौलुस ने भी सदा उस बात को अपना ध्येय बनाए रखा जो परमेश्वर उस से चाहता था, जैसा परमेश्वर उसे बनाना चाहता था। मसीह के साथ पौलुस के संबंधों का आधार प्रभु यीशु की सेवकाई के प्रति उसका केंद्रित होना तथा उत्साहित रहना था। चाहे वह एथेने में दार्शनिकों के साथ चर्चा कर रहा हो, या भूमध्यसागर में जहाज़ के टूटने के कारण संकट में हो, या बन्दीगृह में रोमी सैनिक के साथ बेड़ियों से बंधा हो, उसका ध्यान सदा ही मसीह यीशु तथा उसके पुनरुत्थान की सामर्थ के बारे में सीखने और सिखाने पर केंद्रित रहता था (फिलिप्पियों 3:10)।

   बन्दीगृह से पौलुस ने लिखा, "हे भाइयों, मेरी भावना यह नहीं कि मैं पकड़ चुका हूं: परन्तु केवल यह एक काम करता हूं, कि जो बातें पीछे रह गई हैं उन को भूल कर, आगे की बातों की ओर बढ़ता हुआ। निशाने की ओर दौड़ा चला जाता हूं, ताकि वह इनाम पाऊं, जिस के लिये परमेश्वर ने मुझे मसीह यीशु में ऊपर बुलाया है" (फिलिप्पियों 3:13-14)। उसकी परिस्थितियाँ चाहे जो भी रही हों, पौलुस मसीह यीशु का अनुयायी होने के दायित्व निभाने और उसमें आगे बढ़ते जाने के प्रयासों में लगा ही रहता था।

   हम सभी मसीही विश्वासियों को सदा स्मरण रखना चाहिए कि हमें किस कार्य के लिए बुलाया गया है; मसीह यीशु के अनुयायी होने के नाते हमारा कार्य तथा दायित्व क्या है। - डेविड मैक्कैसलैंड


पौलुस केवल एक बात के लिए कटिबध्द था, 
और वह थी यीशु मसीह के साथ उसका संबंध। - ऑस्वॉल्ड चैंबर्स

एक वर मैं ने यहोवा से मांगा है, उसी के यत्न में लगा रहूंगा; कि मैं जीवन भर यहोवा के भवन में रहने पाऊं, जिस से यहोवा की मनोहरता पर दृष्टि लगाए रहूं, और उसके मन्दिर में ध्यान किया करूं। - भजन 27:4

बाइबल पाठ: फिलिप्पियों 3:7-17
Philippians 3:7 परन्तु जो जो बातें मेरे लाभ की थीं, उन्‍हीं को मैं ने मसीह के कारण हानि समझ लिया है। 
Philippians 3:8 वरन मैं अपने प्रभु मसीह यीशु की पहिचान की उत्तमता के कारण सब बातों को हानि समझता हूं: जिस के कारण मैं ने सब वस्‍तुओं की हानि उठाई, और उन्हें कूड़ा समझता हूं, जिस से मैं मसीह को प्राप्त करूं। 
Philippians 3:9 और उस में पाया जाऊं; न कि अपनी उस धामिर्कता के साथ, जो व्यवस्था से है, वरन उस धामिर्कता के साथ जो मसीह पर विश्वास करने के कारण है, और परमेश्वर की ओर से विश्वास करने पर मिलती है। 
Philippians 3:10 और मैं उसको और उसके मृत्युंजय की सामर्थ को, और उसके साथ दुखों में सहभागी हाने के मर्म को जानूँ, और उस की मृत्यु की समानता को प्राप्त करूं। 
Philippians 3:11 ताकि मैं किसी भी रीति से मरे हुओं में से जी उठने के पद तक पहुंचूं। 
Philippians 3:12 यह मतलब नहीं, कि मैं पा चुका हूं, या सिध्द हो चुका हूं: पर उस पदार्थ को पकड़ने के लिये दौड़ा चला जाता हूं, जिस के लिये मसीह यीशु ने मुझे पकड़ा था। 
Philippians 3:13 हे भाइयों, मेरी भावना यह नहीं कि मैं पकड़ चुका हूं: परन्तु केवल यह एक काम करता हूं, कि जो बातें पीछे रह गई हैं उन को भूल कर, आगे की बातों की ओर बढ़ता हुआ। 
Philippians 3:14 निशाने की ओर दौड़ा चला जाता हूं, ताकि वह इनाम पाऊं, जिस के लिये परमेश्वर ने मुझे मसीह यीशु में ऊपर बुलाया है। 
Philippians 3:15 सो हम में से जितने सिद्ध हैं, यही विचार रखें, और यदि किसी बात में तुम्हारा और ही विचार हो तो परमेश्वर उसे भी तुम पर प्रगट कर देगा। 
Philippians 3:16 सो जहां तक हम पहुंचे हैं, उसी के अनुसार चलें।
Philippians 3:17 हे भाइयो, तुम सब मिलकर मेरी सी चाल चलो, और उन्हें पहिचान रखो, जो इस रीति पर चलते हैं जिस का उदाहरण तुम हम में पाते हो।

एक साल में बाइबल: 
  • 2 इतिहास 23-24
  • यूहन्ना 15