ई-मेल संपर्क / E-Mail Contact

इन संदेशों को ई-मेल से प्राप्त करने के लिए अपना ई-मेल पता इस ई-मेल पर भेजें / To Receive these messages by e-mail, please send your e-mail id to: rozkiroti@gmail.com

रविवार, 28 मई 2017

पहेली


   उस पहेली ने मुझे चकरा दिया; किसी ने पूछा, ऐसा क्या है जो परमेश्वर से महान और शैतान से भी अधिक दुष्ट है? वह गरीबों के पास होता है, अमीरों को उसकी आवश्यकता है, और यदि आप उसका सेवन करोगे तो मर जाओगे? क्योंकि मेरा मस्तिष्क प्रगट से भटक गया था, इसलिए मैं उत्तर देने से चूक गया। उस पहेली का उत्तर था "कुछ नहीं"।

   यह पहेली मुझे परमेश्वर के वचन बाइबल में दी गई एक अन्य पहेली का स्मरण करवाती है, जिसे, जब वह पूछी गई थी, बूझना और भी अधिक कठिन रहा होगा। प्राचीन काल के एक बुध्दिमान व्यक्ति अगूर ने पूछा था, "कौन स्वर्ग में चढ़ कर फिर उतर आया? किस ने वायु को अपनी मुट्ठी में बटोर रखा है? किस ने महासागर को अपने वस्त्र में बान्ध लिया है? किस ने पृथ्वी के सिवानों को ठहराया है? उसका नाम क्या है? और उसके पुत्र का नाम क्या है? यदि तू जानता हो तो बता!" (नीतिवचन 30:4)।

   आज हम इन प्रश्नों के उत्तर जानते तो हैं; परन्तु कभी कभी जब हम जीवन के प्रश्नों, चिंताओं और आवश्यकताओं से घिरे हुए होते हैं तो प्रगट उत्तर को नज़रन्दाज़ कर देते हैं। जीवन की परेशान करने वाली बातें, जीवन के स्त्रोत, और हमारे सृजनहार, पालनहार तथा तारणहार पर से हमारी नज़रें भटका सकती हैं। इसलिए हमें एक अन्य अति महत्वपूर्ण पहेली को सदा ध्यान में रखना चाहिए: वह कौन हो जो परमेश्वर के साथ एक है, शैतान से कहीं अधिक सामर्थी है, उसकी आवश्यकता संसार के प्रत्येक व्यक्ति को है, धनी और निर्धन सभी उसे जब भी वे चाहे सेंत-मेंत प्राप्त कर सकते हैं, और यदि उसकी मेज़ से खाएंगे-पीएंगे तो कभी नाश नहीं होंगे? उत्तर है प्रभु यीशु मसीह। - मार्ट डीहॉन


जब हम अपनी आँखें प्रभु परमेश्वर पर केंद्रित करते हैं
 तो हमें विचलित करने वाली हमारी परिस्थितियाँ 
हमारा ध्यान अपनी ओर नहीं खींच पाती हैं।

जो यहोवा की बाट जोहते और उसके पास जाते हैं, उनके लिये यहोवा भला है। यहोवा से उद्धार पाने की आशा रख कर चुपचाप रहना भला है। - विलापगीत 3:25-26

बाइबल पाठ: नीतिवचन 30:1-9
Proverbs 30:1 याके के पुत्र आगूर के प्रभावशाली वचन। उस पुरूष ने ईतीएल और उक्काल से यह कहा, 
Proverbs 30:2 निश्चय मैं पशु सरीखा हूं, वरन मनुष्य कहलाने के योग्य भी नहीं; और मनुष्य की समझ मुझ में नहीं है। 
Proverbs 30:3 न मैं ने बुध्दि प्राप्त की है, और न परमपवित्र का ज्ञान मुझे मिला है। 
Proverbs 30:4 कौन स्वर्ग में चढ़ कर फिर उतर आया? किस ने वायु को अपनी मुट्ठी में बटोर रखा है? किस ने महासागर को अपने वस्त्र में बान्ध लिया है? किस ने पृथ्वी के सिवानों को ठहराया है? उसका नाम क्या है? और उसके पुत्र का नाम क्या है? यदि तू जानता हो तो बता! 
Proverbs 30:5 ईश्वर का एक एक वचन ताया हुआ है; वह अपने शरणागतों की ढाल ठहरा है। 
Proverbs 30:6 उसके वचनों में कुछ मत बढ़ा, ऐसा न हो कि वह तुझे डांटे और तू झूठा ठहरे।
Proverbs 30:7 मैं ने तुझ से दो वर मांगे हैं, इसलिये मेरे मरने से पहिले उन्हें मुझे देने से मुंह न मोड़: 
Proverbs 30:8 अर्थात व्यर्थ और झूठी बात मुझ से दूर रख; मुझे न तो निर्धन कर और न धनी बना; प्रतिदिन की रोटी मुझे खिलाया कर। 
Proverbs 30:9 ऐसा न हो, कि जब मेरा पेट भर जाए, तब मैं इन्कार कर के कहूं कि यहोवा कौन है? वा अपना भाग खो कर चोरी करूं, और अपने परमेश्वर का नाम अनुचित रीति से लूं।

एक साल में बाइबल: 
  • 2 इतिहास 4-6
  • यूहन्ना 10:24-42