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शुक्रवार, 17 फ़रवरी 2017

पुल


   लेखक जेम्स मिचनर का उपन्यास Centennial अमेरिका के पश्चिमी इलाके के बसाए जाने के इतिहास पर आधारित एक काल्पनिक कहानी है, जिसका नायक फ्रेन्च-कैनेडियन मूल का पास्किनेल नामक व्यक्ति है, जिसमें होकर मिचनर उस इलाके के एरापाहो जाति के मूल निवासियों और यूरोप से आकर बसने वाले लोगों की कहानी को एक बनाते हैं। जैसे जैसे यह नायक शहर के बढ़ते हुए कोलाहल और भीड़ तथा बाहर के खुले मैदानों के मध्य विचरण करता है, वह उन दोनों अत्यन्त भिन्न लोगों के मध्य संपर्क का एक माध्यम, एक पुल बन जाता है।

   मसीह यीशु के अनुयायियों के पास भी यह सुअवसर है कि वे दो बिल्कुल भिन्न प्रकार के लोगों के मध्य संपर्क का माध्यम, एक पुल बन सकें - जो प्रभु यीशु मसीह और उसमें मिलने वाले उद्धार तथा पापों की क्षमा के विषय में नहीं जानते और प्रभु यीशु के बीच। मसीही विश्वासियों की आरंभिक मण्डलियों के समय में, थिस्सलुनीके के मसीही विश्वासी अपनी मूर्ति-पूजक संस्कृति के लोगों के लिए इसी प्रकार का पुल बने; और उनके लिए प्रेरित पुलुस ने परमेश्वर के वचन बाइबल में लिखा, "क्योंकि तुम्हारे यहां से न केवल मकिदुनिया और अखया में प्रभु का वचन सुनाया गया, पर तुम्हारे विश्वास की जो परमेश्वर पर है, हर जगह ऐसी चर्चा फैल गई है" (1 थिस्सलुनीकियों 1:8)। जिस पुल को उन्होंने बनाया उसके दो घटक थे, "प्रभु यीशु का सन्देश" और उन लोगों के अपने मसीही विश्वास के जीवन का उदाहरण। उन्हें देखकर सब लोगों को स्पष्ट था कि "...तुम कैसे मूरतों से परमेश्वर की ओर फिरे ताकि जीवते और सच्चे परमेश्वर की सेवा करो" (पद 9)।

   जब हम अपने मसीही विश्वास के जीवन के उदाहरण तथा परमेश्वर के वचन बाइबल के सन्देश के द्वारा प्रभु परमेश्वर के बारे में लोगों को बताते हैं, तो जो प्रभु यीशु को अभी तक नहीं जानते हैं, उनके और प्रभु यीशु के मध्य में हम संपर्क बनाने वाले पुल का कार्य करते हैं। - बिल क्राउडर


प्रभु यीशु के सुसमाचार को अपने जीवन में जी कर दिखाईये
 और लोग आपसे प्रभु के सन्देश को भी सुनने लगेंगे।

क्योंकि जो कोई प्रभु का नाम लेगा, वह उद्धार पाएगा। फिर जिस पर उन्होंने विश्वास नहीं किया, वे उसका नाम क्योंकर लें? और जिस की नहीं सुनी उस पर क्योंकर विश्वास करें? और प्रचारक बिना क्योंकर सुनें? और यदि भेजे न जाएं, तो क्योंकर प्रचार करें? जैसा लिखा है, कि उन के पांव क्या ही सुहावने हैं, जो अच्छी बातों का सुसमाचार सुनाते हैं। - रोमियों 10:13-15

बाइबल पाठ: 1 थिस्सलुनीकियों 1:1-10
1 Thessalonians 1:1 पौलुस और सिलवानुस और तीमुथियुस की ओर से थिस्‍सलुनिकियों की कलीसिया के नाम जो परमेश्वर पिता और प्रभु यीशु मसीह में है। अनुग्रह और शान्‍ति तुम्हें मिलती रहे। 
1 Thessalonians 1:2 हम अपनी प्रार्थनाओं में तुम्हें स्मरण करते और सदा तुम सब के विषय में परमेश्वर का धन्यवाद करते हैं। 
1 Thessalonians 1:3 और अपने परमेश्वर और पिता के साम्हने तुम्हारे विश्वास के काम, और प्रेम का परिश्रम, और हमारे प्रभु यीशु मसीह में आशा की धीरता को लगातार स्मरण करते हैं। 
1 Thessalonians 1:4 और हे भाइयो, परमेश्वर के प्रिय लोगों हम जानतें हैं, कि तुम चुने हुए हो। 
1 Thessalonians 1:5 क्योंकि हमारा सुसमाचार तुम्हारे पास न केवल वचन मात्र ही में वरन सामर्थ और पवित्र आत्मा, और बड़े निश्‍चय के साथ पहुंचा है; जैसा तुम जानते हो, कि हम तुम्हारे लिये तुम में कैसे बन गए थे। 
1 Thessalonians 1:6 और तुम बड़े क्‍लेश में पवित्र आत्मा के आनन्द के साथ वचन को मान कर हमारी और प्रभु की सी चाल चलने लगे। 
1 Thessalonians 1:7 यहां तक कि मकिदुनिया और अखया के सब विश्वासियों के लिये तुम आदर्श बने। 
1 Thessalonians 1:8 क्योंकि तुम्हारे यहां से न केवल मकिदुनिया और अखया में प्रभु का वचन सुनाया गया, पर तुम्हारे विश्वास की जो परमेश्वर पर है, हर जगह ऐसी चर्चा फैल गई है, कि हमें कहने की आवश्यकता ही नहीं। 
1 Thessalonians 1:9 क्योंकि वे आप ही हमारे विषय में बताते हैं कि तुम्हारे पास हमारा आना कैसा हुआ; और तुम कैसे मूरतों से परमेश्वर की ओर फिरे ताकि जीवते और सच्चे परमेश्वर की सेवा करो। 
1 Thessalonians 1:10 और उसके पुत्र के स्वर्ग पर से आने की बाट जोहते रहो जिसे उसने मरे हुओं में से जिलाया, अर्थात यीशु की, जो हमें आने वाले प्रकोप से बचाता है।

एक साल में बाइबल: 
  • लैव्यवस्था 21-22
  • मत्ती 28