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सोमवार, 6 फ़रवरी 2017

आशीष


   मेरे पति के हृदयाघात से बच जाने के कई सप्ताह बाद तक उनके प्राणों को सुरक्षित रखने के लिए हम परमेश्वर का धन्यवाद करते रहे। अगले कुछ महीनों में बारंबार मुझसे अनेकों लोगों ने पूछा कि मैं कैसा अनुभव कर रही हूँ; और उन सब को मेरा उत्तर होता था, "आशीषित; मैं बहुत आशीषित अनुभव करती हूँ।"

   लेकिन आशीषें अनेकों स्वरूप और प्रकार में आती हैं; और कई बार हम उन्हें पहचान भी नहीं पाते हैं। जो परमेश्वर हम से चाहता है उसे करते हुए भी हम पर सताव और दुःख आ सकते हैं। कई बार हम अचंभित होते हैं कि परमेश्वर हमारी प्रार्थनाओं का उत्तर वैसा क्यों नहीं दे रहा है जैसा हम चाहते हैं, या जितनी शीघ्रता से हम उसे पाना चाहते हैं।

   परमेश्वर के वचन बाइबल में पुराने नियम के एक पात्र यूसुफ के जीवन से हम ऐसा होते हुए देखते हैं। यूसुफ के लड़कपन और जवानी का जीवन बहुत अकारण दुःखों और कठिनाईयों से भरा हुआ था, जिन्हें वह एक दशक से अधिक समय तक झेलता रहा; मानवीय दृष्टिकोण से प्रतीत होता था कि परमेश्वर उसे भूल गया है, परमेश्वर ने उसे बिसरा दिया है। उसके अपने भाईयों ने डाह से भर कर पहले उसे गढ्ढे में फेंक दिया, फिर उसे उठा कर परदेश में दासत्व में बेच दिया, जहाँ झूठे आरोपों के कारण उसे बन्दीगृह में डाल दिया गया। लेकिन उसकी प्रत्येक परिस्थिति और कठिनाई में परमेश्वर उसके साथ बना रहा, उसे संभालता और आशीषित करता रहा। अन्ततः उसके प्रति प्रमेश्वर की विश्वासयोग्यता सब पर प्रगट हो गई, जब परमेश्वर ने उसे उठाकर मिस्त्र में राजा के बाद का सर्वोच्च शासक बना दिया और भयानक अकाल के समय में उसके द्वारा अनेकों लोगों के प्राण बचाए गए (उत्पत्ति 37-46)।

   सुप्रसिद्ध मसीही लेखक तथा विश्वासी, सी. एस. लूईस ने लिखा: "जब हम एक आशीष खो देते हैं, तो अकसर उसके स्थान पर अनेपेक्षित रूप से परमेश्वर से कोई दूसरी प्राप्त हो जाती है।" जैसे यूसुफ पर परमेश्वर की आशीष सदा बनी रही और उचित समय पर परमेश्वर ने यूसुफ को उठाया और बढ़ाया, वैसे ही आज भी वह अपने सभी विश्वासियों के साथ भी बना रहता है, और जो उसपर भरोसा बनाए रहते हैं उन्हें उठाता तथा बढ़ाता है। - सिंडी हैस कैस्पर


सच्ची खुशी यह जानना और मानना है कि परमेश्वर सदा, हर बात में भला है।

इसलिये परमेश्वर के बलवन्‍त हाथ के नीचे दीनता से रहो, जिस से वह तुम्हें उचित समय पर बढ़ाए। और अपनी सारी चिन्‍ता उसी पर डाल दो, क्योंकि उसको तुम्हारा ध्यान है। - 1 पतरस 5:6-7

बाइबल पाठ: उत्पत्ति 45:4-8
Genesis 45:4 फिर यूसुफ ने अपने भाइयों से कहा, मेरे निकट आओ। यह सुनकर वे निकट गए। फिर उसने कहा, मैं तुम्हारा भाई यूसुफ हूं, जिस को तुम ने मिस्र आनेहारों के हाथ बेच डाला था। 
Genesis 45:5 अब तुम लोग मत पछताओ, और तुम ने जो मुझे यहां बेच डाला, इस से उदास मत हो; क्योंकि परमेश्वर ने तुम्हारे प्राणों को बचाने के लिये मुझे आगे से भेज दिया है। 
Genesis 45:6 क्योंकि अब दो वर्ष से इस देश में अकाल है; और अब पांच वर्ष और ऐसे ही होंगे, कि उन में न तो हल चलेगा और न अन्न काटा जाएगा। 
Genesis 45:7 सो परमेश्वर ने मुझे तुम्हारे आगे इसी लिये भेजा, कि तुम पृथ्वी पर जीवित रहो, और तुम्हारे प्राणों के बचने से तुम्हारा वंश बढ़े। 
Genesis 45:8 इस रीति अब मुझ को यहां पर भेजने वाले तुम नहीं, परमेश्वर ही ठहरा: और उसी ने मुझे फिरौन का पिता सा, और उसके सारे घर का स्वामी, और सारे मिस्र देश का प्रभु ठहरा दिया है।

एक साल में बाइबल: 
  • निर्गमन 39-40
  • मत्ती 23:23-39