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गुरुवार, 6 अप्रैल 2017

अडिग विश्वास


   मेरी पत्नी तथा मेरे परिवारों में हमारी दादी-नानी रहीं है जो 100 वर्ष की आयु से भी अधिक तक जीवित रहीं। मैंने संसार के लगभग सभी स्थानों में वृद्ध लोगों में एक प्रवृति देखी है; वे बीते समय की कठिन एवं कष्टदायक परिस्थितियों का स्मरण बहुत गहरी भावना के साथ करते हैं। वृद्ध लोग दूसरे विश्व-युद्ध की तथा सारे विश्व को प्रभावित करने वाली आर्थिक महामन्दी के समय की कहानियों और घटनाओं का आदान-प्रदान करते हैं; वे बर्फीले तूफानों, बचपन में खेलने के स्थानों, कॉलेज में कठिन आर्थिक परिस्थितियों में बिताए गए दिन जब लगातार तीन सप्ताह तक डिब्बा बन्द सूप और बासी डबल रोटी के साथ जीना पड़ता था आदि कठिनाईयों के विषय में बड़ी लगन के साथ बातचीत करते हैं।

   यह एक प्रकार का विरोधाभास ही है कि ये कठिन एवं कष्टदायक परिस्थितियाँ अकसर परस्पर संबंधों को और प्रगाढ़ तथा परमेश्वर पर विश्वास के बंधनों को और दृढ़ बना देती हैं। क्योंकि मैंने इस सिद्धांत को अपने निकट संबंधियों के जीवनों में सजीव अनुभव किया है इसलिए मैं परमेश्वर से संबंधित एक रहस्य को और बेहतर समझने पाया हूँ - परमेश्वर पर विश्वास का तात्पर्य अन्ततः उस पर हर बात के लिए रखा गया भरोसा है। यदि मैं परमेश्वर के वचन बाइबल के अनुसार परमेश्वर पर विश्वास के चट्टान रूपी भरोसे पर खड़ा हूँ (भजन 18:2) तो सबसे बदतर परिस्थिति भी उस भरोसे के संबंध को तोड़ नहीं सकती है।

   ठोस-चट्टान जैसा अडिग विश्वास मुझे भरोसा दिलाता है कि वर्तमान की अव्यवस्था के बावजूद, परमेश्वर शासन कर रहा है, हर बात को जानता है और हर परिस्थिति को नियंत्रित करता है। चाहे मैं अपनी नज़रों में कितना भी महत्वहीन क्यों ना होऊँ, मुझसे प्रेम करने वाले मेरे प्रभु परमेश्वर के लिए मैं बहुत महत्वपूर्ण हूँ। कोई भी पीड़ा सदा बनी नहीं रहती है, और हर बुराई अन्ततः पराजित होती है।

   ठोस-चट्टान जैसा अडिग विश्वास मुझे दिखाता है कि मानव इतिहास का सबसे काला कृत्य, परमेश्वर के पुत्र प्रभु यीशु मसीह का क्रूस पर मारा जाना, सारे मानव इतिहास के सबसे ज्योतिर्मय पल अर्थात उसके पुनरुत्थान और मृत्यु पर उसकी विजय के लिए आवश्यक पूर्व घटना थी। इस बलिदान, मृत्यु, पुनरुत्थान और विजय ने ही समस्त मानव जाति के लिए साधारण विश्वास के द्वारा सेंत-मेंत पाप क्षमा, उद्धार और परमेश्वर से मेल-मिलाप का मार्ग तैयार कर के दिया है। - फिलिप यैन्सी


चट्टान मसीह यीशु हमारी दृढ़ आशा का आधार है।

कौन हम को मसीह के प्रेम से अलग करेगा? क्या क्लेश, या संकट, या उपद्रव, या अकाल, या नंगाई, या जोखिम, या तलवार? जैसा लिखा है, कि तेरे लिये हम दिन भर घात किए जाते हैं; हम वध होने वाली भेंडों की नाईं गिने गए हैं। परन्तु इन सब बातों में हम उसके द्वारा जिसने हम से प्रेम किया है, जयवन्त से भी बढ़कर हैं। - रोमियों 8:35-37

बाइबल पाठ: भजन 18:1-3; 16-28
Psalms 18:1 हे परमेश्वर, हे मेरे बल, मैं तुझ से प्रेम करता हूं। 
Psalms 18:2 यहोवा मेरी चट्टान, और मेरा गढ़ और मेरा छुड़ाने वाला है; मेरा ईश्वर, मेरी चट्टान है, जिसका मैं शरणागत हूं, वह मेरी ढ़ाल और मेरी मुक्ति का सींग, और मेरा ऊँचा गढ़ है। 
Psalms 18:3 मैं यहोवा को जो स्तुति के योग्य है पुकारूंगा; इस प्रकार मैं अपने शत्रुओं से बचाया जाऊंगा।
Psalms 18:16 उसने ऊपर से हाथ बढ़ाकर मुझे थाम लिया, और गहिरे जल में से खींच लिया। 
Psalms 18:17 उसने मेरे बलवन्त शत्रु से, और उन से जो मुझ से घृणा करते थे मुझे छुड़ाया; क्योंकि वे अधिक सामर्थी थे। 
Psalms 18:18 मेरी विपत्ति के दिन वे मुझ पर आ पड़े। परन्तु यहोवा मेरा आश्रय था। 
Psalms 18:19 और उसने मुझे निकाल कर चौड़े स्थान में पहुंचाया, उसने मुझ को छुड़ाया, क्योंकि वह मुझ से प्रसन्न था। 
Psalms 18:20 यहोवा ने मुझ से मेरे धर्म के अनुसार व्यवहार किया; और मेरे हाथों की शुद्धता के अनुसार उसने मुझे बदला दिया। 
Psalms 18:21 क्योंकि मैं यहोवा के मार्गों पर चलता रहा, और दुष्टता के कारण अपने परमेश्वर से दूर न हुआ। 
Psalms 18:22 क्योंकि उसके सारे निर्णय मेरे सम्मुख बने रहे और मैं ने उसकी विधियों को न त्यागा। 
Psalms 18:23 और मैं उसके सम्मुख सिद्ध बना रहा, और अधर्म से अपने को बचाए रहा। 
Psalms 18:24 यहोवा ने मुझे मेरे धर्म के अनुसार बदला दिया, और मेरे हाथों की उस शुद्धता के अनुसार जिसे वह देखता था।
Psalms 18:25 दयावन्त के साथ तू अपने को दयावन्त दिखाता; और खरे पुरूष के साथ तू अपने को खरा दिखाता है। 
Psalms 18:26 शुद्ध के साथ तू अपने को शुद्ध दिखाता, और टेढ़े के साथ तू तिर्छा बनता है। 
Psalms 18:27 क्योंकि तू दीन लोगों को तो बचाता है; परन्तु घमण्ड भरी आंखों को नीची करता है। 
Psalms 18:28 हां, तू ही मेरे दीपक को जलाता है; मेरा परमेश्वर यहोवा मेरे अन्धियारे को उजियाला कर देता है। 

एक साल में बाइबल: 
  • 1 शमूएल 4-6
  • लूका 9:1-17


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