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बुधवार, 22 फ़रवरी 2017

लेखक


   पिछले वर्षों में मैं पुस्तकों को पढ़ने और उन पर चर्चा करने वाले कई समूहों में सम्मिलित रही हूँ। इन समूहों में कुछ मित्र मिलकर एक पुस्तक का चुनाव करते हैं और उसे पढ़ते हैं, और फिर हम सब एक साथ जमा होकर उसके बारे में चर्चा करते हैं, उन विचारों को समझने का प्रयास करते हैं जो लेखक ने उस पुस्तक में रखे हैं। इन चर्चाओं में एक बात भी अवश्य होती है - कोई ना कोई व्यक्ति एक ऐसा प्रशन भी उठा देता है जिसका उत्तर हम में से किसी के पास नहीं होता है; और फिर कोई अन्य कह उठता है, "काश कि हम लेखक से पूछ पाते!" न्यू यॉर्क शहर में प्रचलित हो रही एक प्रवृत्ति इसे संभव कर रही है। कुछ लेखक, एक मोटी रकम लेकर, ऐसे पुस्तक समूहों के लिए अपने आप को उपलब्ध कराते हैं, और उनके साथ चर्चा करते हैं, लोगों के प्रश्नों का निवारण करते हैं।

   लेकिन हम जब परमेश्वर के वचन बाइबल का अध्ययन करने के लिए एकत्रित होते हैं तो कितना भिन्न होता है। जब भी हम जमा होते हैं, अपने वायदे के अनुसार, प्रभु यीशु हमारे मध्य में विद्यमान होता है; इसके लिए वह हमसे कोई फीस नहीं लेता है; उसके हमारे साथ मिलने का समय निर्धारण करने में भी कोई समस्या नहीं होती - हमें अपना समय तय करना होता है, वह तो सदैव साथ होता है। साथ ही उसका पवित्र-आत्मा हम मसीही विश्वासियों के अन्दर निवास करता है, और परमेश्वर का वचन समझने में हमारी सहायता करता है, जैसा प्रभु यीशु ने क्रूस पर चढ़ाए जाने के लिए पकड़वाए जाने से कुछ समय पहले अपने चेलों से वायदा किया था (यूहन्ना 14:26)।

   बाइबल का लेखक समय और स्थान की सीमाओं से बंधा हुआ नहीं है; वह हम से कभी भी और कहीं भी मिल सकता है। इसलिए जब भी हमारे पास कोई प्रश्न हो तो हम बिना किसी शंका के उस से पूछ सकते हैं, और वह हमें उत्तर देता है - लेकिन आवश्यक नहीं कि उसका यह उत्तर हमारी इच्छा, धारणा, विचारधारा के अनुसार हो, या फिर हमारी किसी समय-सारणी के अनुसार आए।

   बाइबल का लेखक परमेश्वर चाहता है कि हम में उस का मन हो (1 कुरिन्थियों 2:16) जिससे कि पवित्र-आत्मा से शिक्षा प्राप्त कर के हम उसके द्वारा हमें सेंत-मेंत दी गई भेंट की महानता और कीमत को, परमेश्वर की बातों को समझ सकें (पद 12)। - जूली ऐकैरमैन लिंक


जब भी आप अपनी बाइबल को खोलें, तो उसके लेखक से प्रार्थना करें
 कि वह आपके मन और मस्तिष्क को उसे समझने के लिए खोले।

परन्तु सहायक अर्थात पवित्र आत्मा जिसे पिता मेरे नाम से भेजेगा, वह तुम्हें सब बातें सिखाएगा, और जो कुछ मैं ने तुम से कहा है, वह सब तुम्हें स्मरण कराएगा। - यूहन्ना 14:26

बाइबल पाठ: 1 कुरिन्थियों 2:1-16
1 Corinthians 2:1 और हे भाइयों, जब मैं परमेश्वर का भेद सुनाता हुआ तुम्हारे पास आया, तो वचन या ज्ञान की उत्तमता के साथ नहीं आया। 
1 Corinthians 2:2 क्योंकि मैं ने यह ठान लिया था, कि तुम्हारे बीच यीशु मसीह, वरन क्रूस पर चढ़ाए हुए मसीह को छोड़ और किसी बात को न जानूं। 
1 Corinthians 2:3 और मैं निर्बलता और भय के साथ, और बहुत थरथराता हुआ तुम्हारे साथ रहा। 
1 Corinthians 2:4 और मेरे वचन, और मेरे प्रचार में ज्ञान की लुभाने वाली बातें नहीं; परन्तु आत्मा और सामर्थ का प्रमाण था। 
1 Corinthians 2:5 इसलिये कि तुम्हारा विश्वास मनुष्यों के ज्ञान पर नहीं, परन्तु परमेश्वर की सामर्थ पर निर्भर हो।
1 Corinthians 2:6 फिर भी सिद्ध लोगों में हम ज्ञान सुनाते हैं: परन्तु इस संसार का और इस संसार के नाश होने वाले हाकिमों का ज्ञान नहीं। 
1 Corinthians 2:7 परन्तु हम परमेश्वर का वह गुप्‍त ज्ञान, भेद की रीति पर बताते हैं, जिसे परमेश्वर ने सनातन से हमारी महिमा के लिये ठहराया। 
1 Corinthians 2:8 जिसे इस संसार के हाकिमों में से किसी ने नहीं जाना, क्योंकि यदि जानते, तो तेजोमय प्रभु को क्रूस पर न चढ़ाते। 
1 Corinthians 2:9 परन्तु जैसा लिखा है, कि जो आंख ने नहीं देखी, और कान ने नहीं सुना, और जो बातें मनुष्य के चित्त में नहीं चढ़ीं वे ही हैं, जो परमेश्वर ने अपने प्रेम रखने वालों के लिये तैयार की हैं। 
1 Corinthians 2:10 परन्तु परमेश्वर ने उन को अपने आत्मा के द्वारा हम पर प्रगट किया; क्योंकि आत्मा सब बातें, वरन परमेश्वर की गूढ़ बातें भी जांचता है। 
1 Corinthians 2:11 मनुष्यों में से कौन किसी मनुष्य की बातें जानता है, केवल मनुष्य की आत्मा जो उस में है? वैसे ही परमेश्वर की बातें भी कोई नहीं जानता, केवल परमेश्वर का आत्मा। 
1 Corinthians 2:12 परन्तु हम ने संसार की आत्मा नहीं, परन्तु वह आत्मा पाया है, जो परमेश्वर की ओर से है, कि हम उन बातों को जानें, जो परमेश्वर ने हमें दी हैं। 
1 Corinthians 2:13 जिन को हम मनुष्यों के ज्ञान की सिखाई हुई बातों में नहीं, परन्तु आत्मा की सिखाई हुई बातों में, आत्मिक बातें आत्मिक बातों से मिला मिला कर सुनाते हैं। 
1 Corinthians 2:14 परन्तु शारीरिक मनुष्य परमेश्वर के आत्मा की बातें ग्रहण नहीं करता, क्योंकि वे उस की दृष्टि में मूर्खता की बातें हैं, और न वह उन्हें जान सकता है क्योंकि उन की जांच आत्मिक रीति से होती है। 
1 Corinthians 2:15 आत्मिक जन सब कुछ जांचता है, परन्तु वह आप किसी से जांचा नहीं जाता। 
1 Corinthians 2:16 क्योंकि प्रभु का मन किस ने जाना है, कि उसे सिखलाए? परन्तु हम में मसीह का मन है।

एक साल में बाइबल: 
  • गिनती 4-6
  • मरकुस 4:1-20


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