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सोमवार, 5 दिसंबर 2016

प्रेम


   शतरंज एक प्राचीन खेल है जिसमें खिलाड़ी परस्पर अपने कौशल और नीति के दाँव आज़माते हैं। प्रत्येक खिलाड़ी के पास 16 मोहरे होते हैं जिन्हें वह बिसात पर लगा और चला कर प्रतिद्वंदी खिलाड़ी के राजा को फंसाने और पराजित करने का प्रयास करता है। समय के साथ इस खेल ने कई रूप लिए हैं। एक रूप है मानव शतरंज जिसे लगभग 735 ईसवीं में ऑस्ट्रेशिया के ड्यूक, चार्ल्स मारटेल ने आरंभ किया था। मारटेल इस खेल को विशाल बिसात पर खेलता था और मोहरों के स्थान पर उन मोहरों की पहचान करवाने वाले कपड़े पहने हुए मनुष्य खड़े किए जाते थे, जिन्हें खिलाड़ियों की इच्छानुसार इधर से उधर चलाया और उपयोग किया जाता था।

   क्या ऐसे ही शतरंज के समान मनुष्यों को अपनी इच्छानुसार इधर-उधर चलाने, उपयोग करने का खेल कहीं हम भी तो नहीं खेलते हैं? संभव है कि हम अपने उद्देश्यों की पूर्ति से वशिभूत हो कर लोगों को अपने लिए एक मोहरा बना लें जिन्हें हम केवल अपने स्वार्थ-सिद्धि के लिए प्रयोग करने लग जाएं। लेकिन परमेश्वर का वचन पवित्रशास्त्र बाइबल हमें अपने आस-पास के लोगों के प्रति एक भिन्न ही दृष्टिकोण रखने के लिए कहती है: हमें लोगों को परमेश्वर के द्वारा परमेश्वर के ही स्वरूप में सृजे गए देखना है (उत्पत्ति 1:26); वे परमेश्वर के प्रेम के पात्र हैं (यूहन्ना 3:16) और हमारे प्रेम तथा परवाह पाने के योग्य भी हैं।

   प्रेरित यूहन्ना ने लिखा, "हे प्रियों, हम आपस में प्रेम रखें; क्योंकि प्रेम परमेश्वर से है: और जो कोई प्रेम करता है, वह परमेश्वर से जन्मा है; और परमेश्वर को जानता है" (1 यूहन्ना 4:7)। क्योंकि परमेश्वर ने पहले होकर हम से प्रेम किया है, इसलिए उसके प्रति हमारा प्रत्युत्तर उससे तथा उसके द्वारा अपने स्वरूप में सृजे गए लोगों से प्रेम दिखाने का होना चाहिए। - बिल क्राउडर


लोगों से प्रेम के पात्र हैं, उपयोग किए जाने के नहीं।

क्योंकि परमेश्वर ने जगत से ऐसा प्रेम रखा कि उसने अपना एकलौता पुत्र दे दिया, ताकि जो कोई उस पर विश्वास करे, वह नाश न हो, परन्तु अनन्त जीवन पाए। - यूहन्ना 3:16

बाइबल पाठ: 1 यूहन्ना 4:7-12
1 John 4:7 हे प्रियों, हम आपस में प्रेम रखें; क्योंकि प्रेम परमेश्वर से है: और जो कोई प्रेम करता है, वह परमेश्वर से जन्मा है; और परमेश्वर को जानता है। 
1 John 4:8 जो प्रेम नहीं रखता, वह परमेश्वर को नहीं जानता है, क्योंकि परमेश्वर प्रेम है। 
1 John 4:9 जो प्रेम परमेश्वर हम से रखता है, वह इस से प्रगट हुआ, कि परमेश्वर ने अपने एकलौते पुत्र को जगत में भेजा है, कि हम उसके द्वारा जीवन पाएं। 
1 John 4:10 प्रेम इस में नहीं कि हम ने परमेश्वर से प्रेम किया; पर इस में है, कि उसने हम से प्रेम किया; और हमारे पापों के प्रायश्‍चित्त के लिये अपने पुत्र को भेजा। 
1 John 4:11 हे प्रियो, जब परमेश्वर ने हम से ऐसा प्रेम किया, तो हम को भी आपस में प्रेम रखना चाहिए। 
1 John 4:12 परमेश्वर को कभी किसी ने नहीं देखा; यदि हम आपस में प्रेम रखें, तो परमेश्वर हम में बना रहता है; और उसका प्रेम हम में सिद्ध हो गया है।

एक साल में बाइबल: 
  • दान्नियेल 1-2
  • 1 यूहन्ना 4