ई-मेल संपर्क / E-Mail Contact

इन संदेशों को ई-मेल से प्राप्त करने के लिए अपना ई-मेल पता इस ई-मेल पर भेजें / To Receive these messages by e-mail, please send your e-mail id to: rozkiroti@gmail.com

शनिवार, 1 अक्तूबर 2016

रिवाज़


   मेरी बढ़ती उम्र में हमारे घर के जिन नियमों का हमें पालन करना होता था उन में से एक नियम था कि हम क्रोध को साथ लिए हुए सोने के लिए बिस्तर में नहीं जा सकते थे, जो कि परमेश्वर के वचन बाइबल में इफिसियों 4:26 पर आधारित था। सोने जाने से पहले हमें अपने सारे झगड़ों और परस्पर असहमतियों का निवारण करना होता था। इसके साथ का एक दूसरा नियम था कि सोने जाते समय हमारे माता-पिता हम भाई बहनों से कहते थे, "शुभ-रात्रि। हम तुम से प्रेम करते हैं" और प्रत्युत्तर में हम भी कहते थे, "शुभ-रात्रि। हम भी आपसे प्रेम करते हैं।"

   इस पारिवारिक रिवाज़ के महत्व को मैं हाल ही में और गहराई से समझने पाई। मेरी माँ फेफड़े के कैंसर के साथ मरणासन रोगियों की देखभाल करने वाले एक अस्पताल में भरती थीं, और उनकी उत्तर देने की क्षमता दिन-प्रतिदिन घटती जा रही थी। लेकिन प्रति-रात्रि उनके पास से जाने के समय मैं उन से कहती थी, "माँ, मैं आप से प्रेम करती हूँ।" और यद्यपि वे और कुछ कह पाने में असमर्थ थीं, लेकिन फिर भी वे उत्तर देतीं, "मैं भी तुम से प्रेम करती हूँ।" अपनी उस बढ़ती उम्र के समय में मैंने कभी नहीं सोचा था कि घर का यह रिवाज़, इतने वर्षों के बाद, मेरे लिए इतना बहुमूल्य उपहार बन जाएगा।

   समय और पुनरावृति अकसर हमारे रिवाज़ों से उनके अर्थ और महत्व को चुरा लेते हैं; लेकिन कुछ रिवाज़ बहुमूल्य आत्मिक सत्यों को स्मरण दिलाते रहने के माध्यम होते हैं। आज के समान ही, प्रथम शताब्दी के मसीही विश्वासियों ने भी प्रभु-भोज का दुरुपयोग किया था, जिससे उनके लिए उसका अर्थ और महत्व हल्का पड़ने लग गया था। लेकिन प्रेरित पौलुस ने उन लोगों से इसे बन्द कर देने के लिए नहीं कहा; वरन उन्हें स्मरण करवाया कि, "क्योंकि जब कभी तुम यह रोटी खाते, और इस कटोरे में से पीते हो, तो प्रभु की मृत्यु को जब तक वह न आए, प्रचार करते हो" (1 कुरिन्थियों 11:26)।

   ऐसे अर्थपूर्ण और महत्वपूर्ण रिवाज़ों को छोड़ नहीं देना चाहिए; वरन उनके सच्चे अर्थ और महत्व को लोगों के सामने लाना चाहिए, उन्हें पुनःस्थापित करना चाहिए। - जूली ऐकैरमैन लिंक


किसी भी रिवाज़ का अर्थ और महत्व खो सकता है; 
लेकिन इसका यह तात्पर्य नहीं है कि वह अर्थहीन या महत्वहीन हो गया है।

क्रोध तो करो, पर पाप मत करो: सूर्य अस्‍त होने तक तुम्हारा क्रोध न रहे। - इफिसियों 4:26

बाइबल पाठ: 1 कुरिन्थियों 11:23-34
1 Corinthians 11:23 क्योंकि यह बात मुझे प्रभु से पहुंची, और मैं ने तुम्हें भी पहुंचा दी; कि प्रभु यीशु ने जिस रात वह पकड़वाया गया रोटी ली। 
1 Corinthians 11:24 और धन्यवाद कर के उसे तोड़ी, और कहा; कि यह मेरी देह है, जो तुम्हारे लिये है: मेरे स्मरण के लिये यही किया करो। 
1 Corinthians 11:25 इसी रीति से उसने बियारी के पीछे कटोरा भी लिया, और कहा; यह कटोरा मेरे लोहू में नई वाचा है: जब कभी पीओ, तो मेरे स्मरण के लिये यही किया करो। 
1 Corinthians 11:26 क्योंकि जब कभी तुम यह रोटी खाते, और इस कटोरे में से पीते हो, तो प्रभु की मृत्यु को जब तक वह न आए, प्रचार करते हो। 
1 Corinthians 11:27 इसलिये जो कोई अनुचित रीति से प्रभु की रोटी खाए, या उसके कटोरे में से पीए, वह प्रभु की देह और लोहू का अपराधी ठहरेगा। 
1 Corinthians 11:28 इसलिये मनुष्य अपने आप को जांच ले और इसी रीति से इस रोटी में से खाए, और इस कटोरे में से पीए। 
1 Corinthians 11:29 क्योंकि जो खाते-पीते समय प्रभु की देह को न पहिचाने, वह इस खाने और पीने से अपने ऊपर दण्‍ड लाता है। 
1 Corinthians 11:30 इसी कारण तुम में से बहुत से निर्बल और रोगी हैं, और बहुत से सो भी गए। 
1 Corinthians 11:31 यदि हम अपने आप में जांचते, तो दण्‍ड न पाते। 
1 Corinthians 11:32 परन्तु प्रभु हमें दण्‍ड देकर हमारी ताड़ना करता है इसलिये कि हम संसार के साथ दोषी न ठहरें। 
1 Corinthians 11:33 इसलिये, हे मेरे भाइयों, जब तुम खाने के लिये इकट्ठे होते हो, तो एक दूसरे के लिये ठहरा करो। 
1 Corinthians 11:34 यदि कोई भूखा हो, तो अपने घर में खा ले जिस से तुम्हारा इकट्ठा होना दण्‍ड का कारण न हो: और शेष बातों को मैं आकर ठीक कर दूंगा।

एक साल में बाइबल: 
  • यशायाह 11-13
  • इफिसियों 4