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शुक्रवार, 15 जुलाई 2016

सच्ची निष्ठा


   हवाई यात्रा करवाने वाली कंपनियों ने 1980 दशक के आरंभिक वर्षों में एक योजना प्रारंभ करी; जो यात्री बारंबार उसी कंपनी के साथ यात्रा करते, यात्रा की दूरी के अनुपात में उनके नाम पर कुछ आर्थिक लाभ जमा हो जाते। जितना अधिक यात्री एक ही कंपनी से निष्ठा निभाते, उसी के साथ यात्रा करते, उतना ही अधिक उन्हें उनकी निष्ठा का प्रतिफल भी मिलता, जिसे फिर वे अपनी अगली यात्रा के लिए, कुछ सामान खरीदने के लिए या किसी सेवा को प्राप्त करने के लिए प्रयोग कर सकते थे। ऐसा होने के साथ अनेक लोग अपनी यात्रा की योजना ना केवल यात्रा के भाड़े के अनुसार वरन यात्रा से अर्जित हो सकने वाले उस लाभ के अनुसार भी करने लग गए। एक अनुमान के अनुसार, संसार भर में इस योजना के अन्तर्गत तब से लेकर अब तक 14 खरब से भी अधिक यात्रा-मील और उसके अनुपात में लाभ अर्जित तथा इस्तेमाल किए जा चुके हैं।

   प्रथम ईसवीं में प्रेरित पौलुस ने अपनी मसीही सेवकाई में बरंबार और अनेक स्थानों पर जल और थल से होकर यात्राएं करीं, लेकिन उसकी यात्रा का उद्देश्य अपने लिए लाभ अर्जित करना नहीं था; वरन उसका उद्देश्य था कि अधिक से अधिक लोगों तक प्रभु यीशु मसीह में संसार के सभी लोगों के लिए सेंत-मेंत उपलब्ध पापों की क्षमा, उद्धार और अनन्त जीवन के सुसमाचार को पहुँचाए। जब कुरिन्थुस के कुछ मसीही विश्वासियों ने मसीही मंडली में उसके अधिकार पर प्रश्न उठाए तो पौलुस ने उत्तर में उन्हें समझाने के लिए पत्र लिखे और अपने दुसरे पत्र में वह इस बात का भी उल्लेख करता है कि मसीह यीशु के सुसमाचार की सेवकाई पूरी करने के लिए उसने कितनी बड़ी कीमत चुकाई है, उसने अपनी यात्राओं में कितने दुःख उठाए हैं: "तीन बार मैं ने बेंतें खाई; एक बार पत्थरवाह किया गया; तीन बार जहाज जिन पर मैं चढ़ा था, टूट गए; एक रात दिन मैं ने समुद्र में काटा" (2 कुरिन्थियों 11:25)। परमेश्वर ने पौलुस को यह अनुग्रह और सामर्थ दी कि वह बिना किसी व्यक्तिगत लाभ की इच्छा रखे सतत परिश्रम के साथ लोगों को प्रभु यीशु के बारे में बताता रहे।

   आज मसीह यीशु की सेवकाई के लिए हमें चाहे प्रशंसा मिले या सताव, पौलुस के समान हमारा ध्येय भी प्रभु यीशु के प्रेम और बलिदान के प्रति कृतज्ञ रहकर, सच्ची निष्ठा के साथ अपनी सेवकाई को पूरा करते रहना होना चाहिए। - डेविड मैक्कैसलैंड


प्रभु यीशु के प्रति हमारी निष्ठा का आधार हमारे प्रति उसका प्रेम है।

यहोवा यों कहता है, बुद्धिमान अपनी बुद्धि पर घमण्ड न करे, न वीर अपनी वीरता पर, न धनी अपने धन पर घमण्ड करे; परन्तु जो घमण्ड करे वह इसी बात पर घमण्ड करे, कि वह मुझे जानता और समझता हे, कि मैं ही वह यहोवा हूँ, जो पृथ्वी पर करुणा, न्याय और धर्म के काम करता है; क्योंकि मैं इन्हीं बातों से प्रसन्न रहता हूँ। - यिर्मयाह 9:23-24

बाइबल पाठ: 2 कुरिन्थियों 11:22-31
2 Corinthians 11:22 क्या वे ही इब्रानी हैं? मैं भी हूं: क्या वे ही इस्त्राएली हैं? मैं भी हूँ: क्या वे ही इब्राहीम के वंश के हैं ?मैं भी हूं: क्या वे ही मसीह के सेवक हैं? 
2 Corinthians 11:23 (मैं पागल की नाईं कहता हूं) मैं उन से बढ़कर हूं! अधिक परिश्रम करने में; बार बार कैद होने में; कोड़े खाने में; बार बार मृत्यु के जोखिमों में। 
2 Corinthians 11:24 पांच बार मैं ने यहूदियों के हाथ से उन्‍तालीस उन्‍तालीस कोड़े खाए। 
2 Corinthians 11:25 तीन बार मैं ने बेंतें खाई; एक बार पत्थरवाह किया गया; तीन बार जहाज जिन पर मैं चढ़ा था, टूट गए; एक रात दिन मैं ने समुद्र में काटा। 
2 Corinthians 11:26 मैं बार बार यात्राओं में; नदियों के जोखिमों में; डाकुओं के जोखिमों में; अपने जाति वालों से जोखिमों में; अन्यजातियों से जोखिमों में; नगरों में के जाखिमों में; जंगल के जोखिमों में; समुद्र के जाखिमों में; झूठे भाइयों के बीच जोखिमों में; 
2 Corinthians 11:27 परिश्रम और कष्‍ट में; बार बार जागते रहने में; भूख-पियास में; बार बार उपवास करने में; जाड़े में; उघाड़े रहने में। 
2 Corinthians 11:28 और और बातों को छोड़कर जिन का वर्णन मैं नहीं करता सब कलीसियाओं की चिन्‍ता प्रति दिन मुझे दबाती है। 
2 Corinthians 11:29 किस की निर्बलता से मैं निर्बल नहीं होता? किस के ठोकर खाने से मेरा जी नहीं दुखता? 
2 Corinthians 11:30 यदि घमण्ड करना अवश्य है, तो मैं अपनी निर्बलता की बातों पर करूंगा। 
2 Corinthians 11:31 प्रभु यीशु का परमेश्वर और पिता जो सदा धन्य है, जानता है, कि मैं झूठ नहीं बोलता।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 13-15
  • प्रेरितों 19:21-41