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सोमवार, 4 जुलाई 2016

निर्भर किंतु स्वतंत्र


   आज का दिन अमेरिका का स्वतंत्रता दिवस है। आज ही के दिन, सन 1776 में, 13 अमेरिकी उपनिवेशों ने अपने आप को स्वतंत्र घोषित किया था। इस दिन की खुशी में लोग घूमने निकलते हैं, शहरों और नगरों में परेड और जलूस निकाले जाते हैं, आतिशबाज़ी करी जाती है और पार्टियाँ आयोजित होती हैं।

   स्वतंत्र होना सभी को भाता है; स्वतंत्र होने का तात्पर्य है नियंत्रण, प्रभाव, सहायता और सहारे से मुक्त हो जाना। इसीलिए किशोर अभिभावकों से स्वतंत्र होने के, तो व्यस्क आर्थिक रूप से स्वतंत्र होकर जीवन व्यतीत करने के सपने देखते हैं; और प्रौढ़ नागरिक अपनी स्वतंत्रता को बनाए रखना चाहते हैं। लेकिन क्या कोई कभी वास्तव में बिलकुल स्वतंत्र हो सकता है - यह चर्चा का ऐसा विषय है जिसपर हम फिर कभी विचार करेंगे; लेकिन स्वतंत्र होने का विचार अच्छा लगता है।

   राजनीतिक एवं व्यक्तिगत स्वतंत्रता की लालसा रखना एक बात है; लेकिन आत्मिक स्वतंत्रता का पीछा करने का साहस रखना कठिनाईयों से भरा हुआ है। एक मसीही विश्वासी ही इस बात को समझ सकता है कि सच्ची आत्मिक स्वतंत्रता प्रभु परमेश्वर पर पूर्ण रूप से निर्भर होने में ही है, जैसा कि प्रभु यीशु मसीह ने कहा है: "मैं दाखलता हूं: तुम डालियां हो; जो मुझ में बना रहता है, और मैं उस में, वह बहुत फल फलता है, क्योंकि मुझ से अलग हो कर तुम कुछ भी नहीं कर सकते" (यूहन्ना 15:5)।

   पापों के लिए पश्चाताप करके उनकी क्षमा पाने तथा प्रभु यीशु के अनुग्रह से उद्धार पाने के द्वारा प्रभु परमेश्वर के साथ बने हमारे संबंध के कारण हमें यह विशेषाधिकार मिला है कि हम अपनी हर बात, हर आवश्यकता के लिए प्रभु पर पूर्णतः भरोसा रखकर जीवन की सभी आवश्यकताओं के लिए उसपर निर्भर किंतु उन से संबंधित सभी चिंताओं से स्वतंत्र होकर रह सकते हैं। - बिल क्राउडर


हमारी सबसे महान सामर्थ हमारे सर्वशक्तिमान परमेश्वर पर पूर्ण निर्भरता रखने से आती है।

मैं मसीह के साथ क्रूस पर चढ़ाया गया हूं, और अब मैं जीवित न रहा, पर मसीह मुझ में जीवित है: और मैं शरीर में अब जो जीवित हूं तो केवल उस विश्वास से जीवित हूं, जो परमेश्वर के पुत्र पर है, जिसने मुझ से प्रेम किया, और मेरे लिये अपने आप को दे दिया। - गलतियों 2:20

बाइबल पाठ: यूहन्ना 15:1-13
John 15:1 सच्ची दाखलता मैं हूं; और मेरा पिता किसान है। 
John 15:2 जो डाली मुझ में है, और नहीं फलती, उसे वह काट डालता है, और जो फलती है, उसे वह छांटता है ताकि और फले। 
John 15:3 तुम तो उस वचन के कारण जो मैं ने तुम से कहा है, शुद्ध हो। 
John 15:4 तुम मुझ में बने रहो, और मैं तुम में: जैसे डाली यदि दाखलता में बनी न रहे, तो अपने आप से नहीं फल सकती, वैसे ही तुम भी यदि मुझ में बने न रहो तो नहीं फल सकते। 
John 15:5 मैं दाखलता हूं: तुम डालियां हो; जो मुझ में बना रहता है, और मैं उस में, वह बहुत फल फलता है, क्योंकि मुझ से अलग हो कर तुम कुछ भी नहीं कर सकते। 
John 15:6 यदि कोई मुझ में बना न रहे, तो वह डाली की नाईं फेंक दिया जाता, और सूख जाता है; और लोग उन्हें बटोरकर आग में झोंक देते हैं, और वे जल जाती हैं। 
John 15:7 यदि तुम मुझ में बने रहो, और मेरी बातें तुम में बनी रहें तो जो चाहो मांगो और वह तुम्हारे लिये हो जाएगा। 
John 15:8 मेरे पिता की महिमा इसी से होती है, कि तुम बहुत सा फल लाओ, तब ही तुम मेरे चेले ठहरोगे। 
John 15:9 जैसा पिता ने मुझ से प्रेम रखा, वैसा ही मैं ने तुम से प्रेम रखा, मेरे प्रेम में बने रहो। 
John 15:10 यदि तुम मेरी आज्ञाओं को मानोगे, तो मेरे प्रेम में बने रहोगे: जैसा कि मैं ने अपने पिता की आज्ञाओं को माना है, और उसके प्रेम में बना रहता हूं। 
John 15:11 मैं ने ये बातें तुम से इसलिये कही हैं, कि मेरा आनन्द तुम में बना रहे, और तुम्हारा आनन्द पूरा हो जाए। 
John 15:12 मेरी आज्ञा यह है, कि जैसा मैं ने तुम से प्रेम रखा, वैसा ही तुम भी एक दूसरे से प्रेम रखो। 
John 15:13 इस से बड़ा प्रेम किसी का नहीं, कि कोई अपने मित्रों के लिये अपना प्राण दे।

एक साल में बाइबल: 
  • अय्यूब 28-29
  • प्रेरितों 13:1-25