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मंगलवार, 7 जून 2016

चाह


   मेरी एक सहेली ने एक बार मुझे बताया कि वह चर्च में गाए जाने वाले स्तुति-गीतों की प्रत्येक पंक्ति या कोरस नहीं गा पाती है; उसने समझाया, "मुझे गाने में यह कहना ईमानदारी नहीं लगती कि ’मैं केवल यीशु की चाह रखती हूँ’ जबकि मेरे जीवन में कई और बातों की चाह है। क्योंकि मैं इस पंक्ति को और ऐसे ही अन्य गीतों की कुछ पंक्तियों को ईमानदारी से नहीं गा पाती हूँ इसलिए उन्हें गाती ही नहीं हूँ।" मैंने अपनी सहेली की इस ईमानदारी की सराहना करी।

   परमेश्वर के वचन बाइबल में भजन 73 के 25वें पद में भजनकार आसफ एक ऐसा आत्मिक व्यक्ति प्रतीत होता है जिसे केवल परमेश्वर ही की चाह है: "स्वर्ग में मेरा और कौन है? तेरे संग रहते हुए मैं पृथ्वी पर और कुछ नहीं चाहता" (भजन 73:25)। लेकिन उसके इस भजन का आरंभ ऐसी भावना के साथ नहीं हुआ है; भजन के आरंभ में आसफ ने स्वीकार किया कि "क्योंकि जब मैं दुष्टों का कुशल देखता था, तब उन घमण्डियों के विषय डाह करता था" (पद 3) अर्थात अपने आस-पास के लोगों के समान उसे भी वैसी ही संपन्नता की चाह थी, और ना होने के कारण वह उनके प्रति डाह रखता था। लेकिन जब वह परमेश्वर की निकटता में आया तो उसे एहसास हुआ कि उसका डाह रखना व्यर्थ और मूर्खता है (पद 21-22, 28)।

   अनेकों बार, यद्यपि हम परमेश्वर को जानते हैं, तो भी दूसरों की समृद्धि के कारण भटक जाते हैं। सुप्रसिद्ध मसीही विश्वासी और लेखक सी. एस. ल्यूईस ने लिखा, "ऐसा लगता है कि हमारा प्रभु हमारी चाह को बहुत मज़बूत या बड़ा नहीं वरन बहुत कमज़ोर और छोटा पाता है...हम बहुत शीघ्र ही व्यर्थ और छोटी बातों से, उनसे जो उस से कमतर हैं, संतुष्ट और प्रसन्न हो जाते हैं।"

   आसफ के इस भजन से हम ऐसा क्या सीख सकते हैं जो हमारा तब सहायक हो सकता है जब हमारी चाह हमारा ध्यान हमारे प्रभु परमेश्वर के सर्वोत्तम से भटकाती है? यहां हम पाते हैं कि दूसरों की समृद्धि को देखकर चाहे लालच और डाह के कारण हमारा ध्यान परमेश्वर से और उसके वचन से हट सकता है, लेकिन परमेश्वर का ध्यान हम पर से कभी नहीं हटता। वह लगातार हमारा मार्गदर्शन करता रहता है और हमारे ध्यान अपनी ओर केंद्रित करे रखने में लगा रहता है। इसीलिए हम आसफ के साथ कह सकते हैं: "मेरे हृदय और मन दोनों तो हार गए हैं, परन्तु परमेश्वर सर्वदा के लिये मेरा भाग और मेरे हृदय की चट्टान बना है" (पद 26)। - ऐनी सेटास


परमेश्वर के वचन की दैनिक खुराक ही मन में लगे लोभ और डाह के रोग का इलाज है।

क्योंकि चाहे अंजीर के वृक्षों में फूल न लगें, और न दाखलताओं में फल लगें, जलपाई के वृक्ष से केवल धोखा पाया जाए और खेतों में अन्न न उपजे, भेड़शालाओं में भेड़-बकरियां न रहें, और न थानों में गाय बैल हों, तौभी मैं यहोवा के कारण आनन्दित और मगन रहूंगा, और अपने उद्धारकर्त्ता परमेश्वर के द्वारा अति प्रसन्न रहूंगा। - हबकुक 3:17-18

बाइबल पाठ: भजन 73:1-3; 21-28
Psalms 73:1 सचमुच इस्त्राएल के लिये अर्थात शुद्ध मन वालों के लिये परमेश्वर भला है। 
Psalms 73:2 मेरे डग तो उखड़ना चाहते थे, मेरे डग फिसलने ही पर थे। 
Psalms 73:3 क्योंकि जब मैं दुष्टों का कुशल देखता था, तब उन घमण्डियों के विषय डाह करता था।
Psalms 73:21 मेरा मन तो चिड़चिड़ा हो गया, मेरा अन्त:करण छिद गया था, 
Psalms 73:22 मैं तो पशु सरीखा था, और समझता न था, मैं तेरे संग रह कर भी, पशु बन गया था। 
Psalms 73:23 तौभी मैं निरन्तर तेरे संग ही था; तू ने मेरे दाहिने हाथ को पकड़ रखा। 
Psalms 73:24 तू सम्मति देता हुआ, मेरी अगुवाई करेगा, और तब मेरी महिमा कर के मुझ को अपने पास रखेगा। 
Psalms 73:25 स्वर्ग में मेरा और कौन है? तेरे संग रहते हुए मैं पृथ्वी पर और कुछ नहीं चाहता। 
Psalms 73:26 मेरे हृदय और मन दोनों तो हार गए हैं, परन्तु परमेश्वर सर्वदा के लिये मेरा भाग और मेरे हृदय की चट्टान बना है।
Psalms 73:27 जो तुझ से दूर रहते हैं वे तो नाश होंगे; जो कोई तेरे विरुद्ध व्यभिचार करता है, उसको तू विनाश करता है। 
Psalms 73:28 परन्तु परमेश्वर के समीप रहना, यही मेरे लिये भला है; मैं ने प्रभु यहोवा को अपना शरणस्थान माना है, जिस से मैं तेरे सब कामों का वर्णन करूं।

एक साल में बाइबल: 
  • 2 इतिहास 28-29
  • यूहन्ना 17