ई-मेल संपर्क / E-Mail Contact

इन संदेशों को ई-मेल से प्राप्त करने के लिए अपना ई-मेल पता इस ई-मेल पर भेजें / To Receive these messages by e-mail, please send your e-mail id to: rozkiroti@gmail.com

सोमवार, 6 जून 2016

निर्णय


   हाल ही में मैंने अपनी बड़ी बहिन से पूछा कि क्या उसे हमारे परिवार के उस घर में आने के बारे में कुछ याद है जिसमें हमने बचपन बिताया और अनेक वर्ष तक रहे थे। मेरी बहिन ने कहा, "तुम उस समय 9 माह के थे, और मुझे याद है कि हमारे माता-पिता सारी रात जाग कर सामान डब्बों में भरते रहे थे, तथा नौरमैन्डी के आक्रमण के रेडियो पर चल रहे सजीव प्रसारण को सुनते रहे थे - वह दिन था जून 6, 1944।" 

   यह दिन दूसरे विश्वयुद्ध का बहुत महत्वपूर्ण दिन था जहाँ से उस युद्ध का रुख मुड़ गया था। इस दिन को युद्ध इतिहास में "डी-डे" भी कहते हैं और इसी से सैनिक एवं सामान्य प्रयोग के लिए यह वाक्यांश बन गया है जिसका तात्पर्य होता है किसी निर्धारित कार्यवाही को कार्यान्वित करने का दिन। हमारे व्यक्तिगत जीवनों में भी यह वाक्यांश - "डी-डे", किसी निर्णय लेने या समर्पण करने के समय को दिखा सकता है।

   प्राचीन इस्त्राएल में एक ऐसा ही "डी-डे" आया जब उनके अगुवे यहोशु ने उन्हें एक निर्णय लेने, समर्पण करने की चुनौती दी। जिस समय की यह बात है, यहोशु बूढ़ा हो चुका था; उसने कई साल इस्त्राएलियों को परमेश्वर द्वारा उनसे वाचा करी हुई भूमि को दिलवाने के लिए कठिन परिश्रम तथा अनेकों युद्धों में अगुवाई करी थी। अब जब वे अपने-अपने स्थानों को प्राप्त करके उनमें बस गए थे, तो यहोशू ने उनके सामने उस परमेश्वर के लिए एक निर्णय लेने की चुनौती रखी, जो उनके साथ हर परिस्थिति में विश्वासयोग्य बना रहा था। यहोशु ने उनसे कहा: "और यदि यहोवा की सेवा करनी तुम्हें बुरी लगे, तो आज चुन लो कि तुम किस की सेवा करोगे, चाहे उन देवताओं की जिनकी सेवा तुम्हारे पुरखा महानद के उस पार करते थे, और चाहे एमोरियों के देवताओं की सेवा करो जिनके देश में तुम रहते हो; परन्तु मैं तो अपने घराने समेत यहोवा की सेवा नित करूंगा" (यहोशु 24:15)।

   आज भी प्रति दिन हम सब के लिए एक "डी-डे" है - क्या हम अपने जीवनों को पाप के दास्तव से निकालकर परमेश्वर प्रभु यीशु के हाथों में समर्पित करने का निर्णय लेने को तैयार हैं? जिस दिन हम यह निर्णय लेते हैं, वह दिन हमारे जीवनों के रुख को बदल देने वाला दिन होता है; उस दिन से हम अनन्त जीवन के वारिस और परमेश्वर की सन्तान बन जाते हैं। उस दिन के बाद से हम अपने जीवन का प्रत्येक दिन सहर्ष समर्पण के साथ परमेश्वर की महिमा के लिए उपयोग कर सकते हैं। - डेविड मैक्कैसलैंड


प्रत्येक के जीवन का सबसे महत्वपूर्ण और सबसे बड़ा निर्णय, 
प्रभु यीशु के साथ संबंध का निर्णय है।

और एलिय्याह सब लोगों के पास आकर कहने लगा, तुम कब तक दो विचारों में लटके रहोगे, यदि यहोवा परमेश्वर हो, तो उसके पीछे हो लो; और यदि बाल हो, तो उसके पीछे हो लो। लोगों ने उसके उत्तर में एक भी बात न कही। - 1 राजा 18:21

बाइबल पाठ: यहोशू 24:14-25
Joshua 24:14 इसलिये अब यहोवा का भय मानकर उसकी सेवा खराई और सच्चाई से करो; और जिन देवताओं की सेवा तुम्हारे पुरखा महानद के उस पार और मिस्र में करते थे, उन्हें दूर कर के यहोवा की सेवा करो। 
Joshua 24:15 और यदि यहोवा की सेवा करनी तुम्हें बुरी लगे, तो आज चुन लो कि तुम किस की सेवा करोगे, चाहे उन देवताओं की जिनकी सेवा तुम्हारे पुरखा महानद के उस पार करते थे, और चाहे एमोरियों के देवताओं की सेवा करो जिनके देश में तुम रहते हो; परन्तु मैं तो अपने घराने समेत यहोवा की सेवा नित करूंगा। 
Joshua 24:16 तब लोगों ने उत्तर दिया, यहोवा को त्यागकर दूसरे देवताओं की सेवा करनी हम से दूर रहे; 
Joshua 24:17 क्योंकि हमारा परमेश्वर यहोवा वही है जो हम को और हमारे पुरखाओं को दासत्व के घर, अर्थात मिस्र देश से निकाल ले आया, और हमारे देखते बड़े बड़े आश्चर्य कर्म किए, और जिस मार्ग पर और जितनी जातियों के मध्य में से हम चले आते थे उन में हमारी रक्षा की; 
Joshua 24:18 और हमारे साम्हने से इस देश में रहने वाली एमोरी आदि सब जातियों को निकाल दिया है; इसलिये हम भी यहोवा की सेवा करेंगे, क्योंकि हमारा परमेश्वर वही है। 
Joshua 24:19 यहोशू ने लोगों से कहा, तुम से यहोवा की सेवा नहीं हो सकती; क्योंकि वह पवित्र परमेश्वर है; वह जलन रखने वाला ईश्वर है; वह तुम्हारे अपराध और पाप क्षमा न करेगा। 
Joshua 24:20 यदि तुम यहोवा को त्यागकर पराए देवताओं की सेवा करने लगोगे, तो यद्दपि वह तुम्हारा भला करता आया है तौभी वह फिरकर तुम्हारी हानि करेगा और तुम्हारा अन्त भी कर डालेगा। 
Joshua 24:21 लोगों ने यहोशू से कहा, नहीं; हम यहोवा ही की सेवा करेंगे। 
Joshua 24:22 यहोशू ने लोगों से कहा, तुम आप ही अपने साक्षी हो कि तुम ने यहोवा की सेवा करनी अंगीकार कर ली है। उन्होंने कहा, हां, हम साक्षी हैं। 
Joshua 24:23 यहोशू ने कहा, अपने बीच पराए देवताओं को दूर कर के अपना अपना मन इस्राएल के परमेश्वर की ओर लगाओ। 
Joshua 24:24 लोगों ने यहोशू से कहा, हम तो अपने परमेश्वर यहोवा ही की सेवा करेंगे, और उसी की बात मानेंगे। 
Joshua 24:25 तब यहोशू ने उसी दिन उन लोगों से वाचा बन्धाई, और शकेम में उनके लिये विधि और नियम ठहराया।

एक साल में बाइबल: 
  • 2 इतिहास 25-27
  • यूहन्ना 16