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सोमवार, 25 अप्रैल 2016

जीवन का दान


   मुझे शीघ्र ही पता चल गया कि समुद्री मछलियों को पालने के लिए समुद्री जल के अक्वेरियम की देख-रेख करना कोई सरल कार्य नहीं है। मुझे इसके लिए एक रासयनिक प्रयोगशाला बना कर रखनी पड़ी जिसमें पानी के विभिन्न तत्वों और लवणों की मात्रा बारंबार जाँची जाती और उसके अनुसार आवश्यक तत्व और लवण समय-समय पर पानी में मिलाए जाते। पानी को साफ और मछलियों को स्वस्थ रखने के लिए पानी में आवश्यकतानुसार विटामिन, एन्ज़ाईम्स, और किटाणुरोधक एन्टिबायोटिक्स तथा सल्फा ड्रग्स मिलाए जाते; पानी को विभिन्न प्रकार की रासायनिक छलनियों से निकाला जाता जिससे वह छनकर साफ हो जाए और उसमें यदि कोई हानिकारक वस्तु विद्यमान हो तो वह निकल जाए।

   इतनी मेहनत करने के पश्चात आप सोचेंगे कि मेरी पालतु समुद्री मछलियाँ मेरे प्रति आभारी रहती होंगी; जी नहीं! उन्हें खाना डालने के लिए जैसे ही मेरी परछाईं भी उनके पानी पर पड़ती वे सबसे निकट के कोने या पत्थर के पीछे छिपने के लिए भाग लेतीं। मेरा आकार उनके लिए बहुत बड़ा था और मेरी गतिविधियां बहुत रहस्यमय तथा उनकी समझ के बाहर थीं। वे नहीं पहचान पा रही थीं कि मेरे सभी कार्य उनके प्रति मेरे प्रेम के कारण थे, उनकी भलाई के लिए थे। मेरे प्रति उनकी गलतफहमियों को दूर करने के लिए मुझे उनके समान बनकर, उनके मध्य में जाकर, उनसे उन्हीं की भाषा में बात करनी थी, लेकिन ऐसा कर पाना मेरे लिए असंभव है।

   परमेश्वर के वचन बाइबल के अनुसार, इस सृष्टि के सृष्टिकर्ता परमेश्वर ने यही असंभव कार्य हमारे लिए करा। वह हमारे लिए मानव रूप में, एक शिशु बनकर आ गया। यूहन्ना लिखता है कि "वह जगत में था, और जगत उसके द्वारा उत्पन्न हुआ, और जगत ने उसे नहीं पहिचाना" (यूहन्ना 1:10) इसलिए उसी परमेश्वर ने जिसने सब कुछ रचा था, स्वयं अपनी रचना का स्वरूप ले लिया; मानों एक नाटककार स्वयं अपने ही नाटक का पात्र बन गया "और वचन देहधारी हुआ; और अनुग्रह और सच्चाई से परिपूर्ण हो कर हमारे बीच में डेरा किया..." (यूहन्ना 1:14)। परमेश्वर ने प्रभु यीशु के रूप में हमसे बातें करीं, हमें अपनी योजना और कार्यविधि समझाई, हमारे पापों के निवारण के लिए अपना बलिदान दिया और तीसरे दिन मृतकों में से पुनः जीवित हो उठा; और आज वह जीवित परमेश्वर हमारी प्रतीक्षा कर रहा है कि हम पश्चाताप और समर्पण के साथ उसके पास स्वेच्छा से आएं और उससे उद्धार एवं अनन्त जीवन का दान पाएं। - फिलिप यैन्सी


परमेश्वर ने मानव इतिहास में प्रवेश किया ताकि मानव जाति को उद्धार और अनन्त जीवन मिल सके।

और किसी दूसरे के द्वारा उद्धार नहीं; क्योंकि स्वर्ग के नीचे मनुष्यों में और कोई दूसरा नाम नहीं दिया गया, जिस के द्वारा हम उद्धार पा सकें। - प्रेरितों 4:12

बाइबल पाठ: यूहन्ना 1:6-14
John 1:6 एक मनुष्य परमेश्वर की ओर से आ उपस्थित हुआ जिस का नाम यूहन्ना था। 
John 1:7 यह गवाही देने आया, कि ज्योति की गवाही दे, ताकि सब उसके द्वारा विश्वास लाएं। 
John 1:8 वह आप तो वह ज्योति न था, परन्तु उस ज्योति की गवाही देने के लिये आया था। 
John 1:9 सच्ची ज्योति जो हर एक मनुष्य को प्रकाशित करती है, जगत में आनेवाली थी। 
John 1:10 वह जगत में था, और जगत उसके द्वारा उत्पन्न हुआ, और जगत ने उसे नहीं पहिचाना। 
John 1:11 वह अपने घर आया और उसके अपनों ने उसे ग्रहण नहीं किया। 
John 1:12 परन्तु जितनों ने उसे ग्रहण किया, उसने उन्हें परमेश्वर के सन्तान होने का अधिकार दिया, अर्थात उन्हें जो उसके नाम पर विश्वास रखते हैं। 
John 1:13 वे न तो लोहू से, न शरीर की इच्छा से, न मनुष्य की इच्छा से, परन्तु परमेश्वर से उत्पन्न हुए हैं। 
John 1:14 और वचन देहधारी हुआ; और अनुग्रह और सच्चाई से परिपूर्ण हो कर हमारे बीच में डेरा किया, और हम ने उस की ऐसी महिमा देखी, जैसी पिता के एकलौते की महिमा।

एक साल में बाइबल: 
  • 2 शमूएल 21-22
  • लूका 18:24-43