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रविवार, 17 अप्रैल 2016

योग्य सहायक


   अमेरिका के न्यूटाऊन, कनेक्टिकट के एक प्राथमिक स्कूल में हुए गोली-काँड के बाद बहुत से लोगों के अन्दर किसी ना किसी रीति से उस दुर्घटना से प्रभावित लोगों की सहायाता करने की भावना जागृत हुई। इसी भावना के अन्तर्गत, कुछ ने घायलों के इलाज के लिए रक्त-दान किया, कुछ ने अपने रेस्टोरॉन्ट से राहत, बचाव और बहाली का कार्य करने वाले लोगों के लिए मुफ्त भोजन तथा कॉफी परोसी। कुछ ने सांत्वना और प्रोत्साहन के पत्र लिखे तो कुछ ने केवल प्रभावित लोगों को गले लगाकर उन्हें अकेले या निःसहाय नहीं होने का एहसास करवाया। कुछ ने बच्चों के लिए खिलोने और पैसे दान किए, तो कुछ ने निराश लोगों को संभालने और आशा बंधाने के लिए सलाहकारों का कार्य किया। अपने संसाधनों, व्यक्तित्व, योग्यता आदि के अनुसार जिससे जो बन पड़ा उसने किया।

   परमेश्वर के वचन बाइबल की एक घटना दिखाती है कि कैसे बाइबल के एक पात्र यूसुफ ने उसे अनुचित रीति से बन्दी बनाकर रखने वाले लोगों को सात वर्ष के भीषण अकाल से सकुशल निकालने में अपनी योग्यताओं द्वारा एक बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई (उत्पत्ति 41:53-54)। परमेश्वर ने मिस्त्र के राजा फिरौन को स्वपन द्वारा चिताया कि सात वर्ष की भरपूरी और फिर सात वर्ष का भयानक अकाल आने वाला है, किंतु फिरौन अपने स्वपनों को समझ ना सका और परमेश्वर ने यूसुफ को उसे यह समझाने के लिए उपयोग किया। यूसुफ की यह योग्यता और परमेश्वर का साथ देखकर फिरौन ने उसे ही इस आने वाली विपदा से सकुशल निकल पाने की योजना बनाने और उसे कार्यान्वित करने की ज़िम्मेदारी सौंपी। यूसुफ ने परमेश्वर से मिली प्रतिभा और बुद्धिमता के द्वारा यह सभी तैयारी करी (उत्पत्ति 41:39)। फिर जब अकाल का समय आया और लोग त्रस्त होने लगे तब यूसुफ ने अन्न के भण्डार उनके लिए खोल दिए (उत्पत्ति 41:56) और वह अपने परिवार को भी अकाल से बचाने पाया (उत्पत्ति 45:16-18)।

   ये सभी बातें इस संसार के लिए परमेश्वर के मन की भावना को दिखाती हैं। परमेश्वर ने हमें बनाया और सक्षम किया है कि जैसा हम से बन पड़े, हम अन्य लोगों के सहायक हों; और जब हम सहायता के लिए तैयार होकर आगे बढ़ते हैं तब वह योग्य सहायक होने के लिए हमारा मार्गदर्शन भी करता है। - एनी सेटास


करुणा आवश्यकतानुसार जो भी चाहिए होता है वह उपलब्ध करने के लिए प्रेरित करती है।

जिनका भला करना चाहिये, यदि तुझ में शक्ति रहे, तो उनका भला करने से न रुकना। यदि तेरे पास देने को कुछ हो, तो अपने पड़ोसी से न कहना कि जा कल फिर आना, कल मैं तुझे दूंगा। - नीतिवचन 3:27-28

बाइबल पाठ: उत्पत्ति 41:46-56
Genesis 41:46 जब यूसुफ मिस्र के राजा फिरौन के सम्मुख खड़ा हुआ, तब वह तीस वर्ष का था। सो वह फिरौन के सम्मुख से निकलकर मिस्र के सारे देश में दौरा करने लगा। 
Genesis 41:47 सुकाल के सातों वर्षों में भूमि बहुतायत से अन्न उपजाती रही। 
Genesis 41:48 और यूसुफ उन सातों वर्षों में सब प्रकार की भोजनवस्तुएं, जो मिस्र देश में होती थीं, जमा कर के नगरों में रखता गया, और हर एक नगर के चारों ओर के खेतों की भोजनवस्तुओं को वह उसी नगर में इकट्ठा करता गया। 
Genesis 41:49 सो यूसुफ ने अन्न को समुद्र की बालू के समान अत्यन्त बहुतायत से राशि राशि कर के रखा, यहां तक कि उसने उनका गिनना छोड़ दिया; क्योंकि वे असंख्य हो गईं। 
Genesis 41:50 अकाल के प्रथम वर्ष के आने से पहिले यूसुफ के दो पुत्र, ओन के याजक पोतीपेरा की बेटी आसनत से जन्मे। 
Genesis 41:51 और यूसुफ ने अपने जेठे का नाम यह कहके मनश्शे रखा, कि परमेश्वर ने मुझ से सारा क्लेश, और मेरे पिता का सारा घराना भुला दिया है। 
Genesis 41:52 और दूसरे का नाम उसने यह कहकर एप्रैम रखा, कि मुझे दु:ख भोगने के देश में परमेश्वर ने फुलाया फलाया है। 
Genesis 41:53 और मिस्र देश के सुकाल के वे सात वर्ष समाप्त हो गए। 
Genesis 41:54 और यूसुफ के कहने के अनुसार सात वर्षों के लिये अकाल आरम्भ हो गया। और सब देशों में अकाल पड़ने लगा; परन्तु सारे मिस्र देश में अन्न था। 
Genesis 41:55 जब मिस्र का सारा देश भूखों मरने लगा; तब प्रजा फिरोन से चिल्ला चिल्लाकर रोटी मांगने लगी: और वह सब मिस्रियों से कहा करता था, यूसुफ के पास जाओ: और जो कुछ वह तुम से कहे, वही करो। 
Genesis 41:56 सो जब अकाल सारी पृथ्वी पर फैल गया, और मिस्र देश में काल का भयंकर रूप हो गया, तब यूसुफ सब भण्डारों को खोल खोल के मिस्रियों के हाथ अन्न बेचने लगा। 
Genesis 41:57 सो सारी पृथ्वी के लोग मिस्र में अन्न मोल लेने के लिये यूसुफ के पास आने लगे, क्योंकि सारी पृथ्वी पर भयंकर अकाल था।

एक साल में बाइबल: 
  • 2 शमूएल 1-2
  • लूका 14:1-24