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शनिवार, 9 अप्रैल 2016

उसके लिए


   हिटलर की जर्मनी में डीट्रिश बॉनहॉफर के लिए हर दिन खतरे का दिन था, परन्तु फिर भी वे जर्मनी छोड़कर चले नहीं गए। मेरा मानना है कि डीट्रिश का दृष्टिकोण भी प्रेरित पौलुस के समान ही था कि स्वर्ग जाना तो हार्दिक अभिलाषा है किंतु परमेश्वर के उद्देश्यों की पूर्ति के लिए वहाँ बने रहना जहाँ परमेश्वर ने उन्हें रखा है अधिक आवश्यक है (फिलिप्पियों १:२१)। इसलिए डीट्रिश जर्मनी में ही रहे; एक पादरी होने के नाते वे छिप कर आराधना सभाएं भी संचालित करते रहे और हिटलर के दुष्ट प्रशासन का सामना भी करते रहे।

   हर समय उनके जीवन पर मँडराते रहने वाले खतरे के बावजूद, डीट्रिश ने एक पुस्तक भी लिखी - Life Together (साथ का जीवन) जो मसीही सेवकाई के एक रूप - आतिथ्य, पर आधारित है। डीट्रिश ने आतिथ्य के इस सिद्धांत को व्यावाहरिक रूप में परख और प्रदर्शित करके भी दिखाया जब उन्हें मठ का जीवन जीने वाले लोगों के साथ और बाद में गिरिफ्तार होकर जेल में रहना पड़ा। डीट्रिश ने सिखाया कि प्रत्येक भोज, प्रत्येक कार्य, प्रत्येक वार्तालाप प्रभु यीशु मसीह को दूसरों के सामने प्रस्तुत करने का एक अवसर है, चाहे हम कितने भी तनाव से या कैसी भी विपरीत परिस्थितियों से होकर क्यों ना निकल रहे हों।

   परमेश्वर के वचन बाइबल में हम पढ़ते हैं कि जब इस्त्राएली मिस्त्र की ग़ुलामी से निकलकर वाचा के स्थान की ओर कूच कर रहे थे तब परमेश्वर ने उन्हें निर्देश दिए कि वे परमेश्वर के उदाहरण का अनुसरण करें और परदेशियों, अतिथियों और विध्वाओं के प्रति प्रेम और संवेदनशीलता दिखाएं, उनकी सहायता तथा पहुनाई किया करें (व्यवस्थाविवरण 10:18-19; निर्गमन 22:21-22)। आज हम मसीही विश्वासी भी परमेश्वर के प्रेम के पात्र और उसकी पवित्र आत्मा द्वारा सामर्थी किए गए हैं ताकि दूसरों के प्रति अपने कोमल वचनों और प्रेमपूर्ण व्यवहार द्वारा उन अनेकों अवसरों पर परमेश्वर की सेवा करें जो नित-प्रतिदिन हमें परमेश्वर की ओर से प्राप्त होते रहते हैं।

   क्या हमारे दैनिक जीवन यात्रा में कोई ऐसा है जिसे हम अकेला और खोया हुआ पाते हैं? हम प्रभु यीशु पर विश्वास करके परमेश्वर की सहायता से ऐसे व्यक्ति के साथ दया और मेहनत करके उसे प्रभु यीशु से मिलने वाली अनन्त आशा और शांति के बारे में अवगत करवा सकते हैं; उसके लिए एक नए जीवन का मार्ग उसे दिखा सकते हैं। - रैंडी किलगोर


हम जितना अधिक अपने प्रति परमेश्वर के प्रेम को समझेंगे, उतना ही अधिक उस प्रेम को दूसरों के प्रति प्रदर्शित भी करेंगे।

और परदेशी को न सताना और न उस पर अन्धेर करना क्योंकि मिस्र देश में तुम भी परदेशी थे। किसी विधवा वा अनाथ बालक को दु:ख न देना। - निर्गमन 22:21-22

बाइबल पाठ: व्यवस्थाविवरण 10:12-22
Deuteronomy 10:12 और अब, हे इस्राएल, तेरा परमेश्वर यहोवा तुझ से इसके सिवाय और क्या चाहता है, कि तू अपने परमेश्वर यहोवा का भय मानें, और उसके सारे मार्गों पर चले, उस से प्रेम रखे, और अपने पूरे मन और अपने सारे प्राण से उसकी सेवा करे, 
Deuteronomy 10:13 और यहोवा की जो जो आज्ञा और विधि मैं आज तुझे सुनाता हूं उन को ग्रहण करे, जिस से तेरा भला हो? 
Deuteronomy 10:14 सुन, स्वर्ग और सब से ऊंचा स्वर्ग भी, और पृथ्वी और उस में जो कुछ है, वह सब तेरे परमेश्वर यहोवा ही का है; 
Deuteronomy 10:15 तौभी यहोवा ने तेरे पूर्वजों से स्नेह और प्रेम रखा, और उनके बाद तुम लोगों को जो उनकी सन्तान हो सर्व देशों के लोगों के मध्य में से चुन लिया, जैसा कि आज के दिन प्रगट है। 
Deuteronomy 10:16 इसलिये अपने अपने हृदय का खतना करो, और आगे को हठीले न रहो। 
Deuteronomy 10:17 क्योंकि तुम्हारा परमेश्वर यहोवा वही ईश्वरों का परमेश्वर और प्रभुओं का प्रभु है, वह महान पराक्रमी और भय योग्य ईश्वर है, जो किसी का पक्ष नहीं करता और न घूस लेता है। 
Deuteronomy 10:18 वह अनाथों और विधवा का न्याय चुकाता, और परदेशियों से ऐसा प्रेम करता है कि उन्हें भोजन और वस्त्र देता है। 
Deuteronomy 10:19 इसलिये तुम भी परदेशियों से प्रेम भाव रखना; क्योंकि तुम भी मिस्र देश में परदेशी थे। 
Deuteronomy 10:20 अपने परमेश्वर यहोवा का भय मानना; उसी की सेवा करना और उसी से लिपटे रहना, और उसी के नाम की शपथ खाना। 
Deuteronomy 10:21 वही तुम्हारी स्तुति के योग्य है; और वही तेरा परमेश्वर है, जिसने तेरे साथ वे बड़े महत्व के और भयानक काम किए हैं, जिन्हें तू ने अपनी आंखों से देखा है। 
Deuteronomy 10:22 तेरे पुरखा जब मिस्र में गए तब सत्तर ही मनुष्य थे; परन्तु अब तेरे परमेश्वर यहोवा ने तेरी गिनती आकाश के तारों के समान बहुत कर दिया है।

एक साल में बाइबल: 
  • 1 शमूएल 13-14
  • लूका 10:1-24