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मंगलवार, 9 फ़रवरी 2016

एकता


   समुद्री दुर्घटना से बचकर एक टापू पर अकेले रह रहे एक व्यक्ति को आखिरकर खोज निकाला गया। जब उसे बचाकर लाने वाले उस टापू पर पहुँचे तो उन्होंने वहाँ तीन झोंपड़ियाँ बनी हुई देखीं। जब उन झोंपड़ियों के बारे में उस व्यक्ति से पूछा गया तो उसने एक की ओर संकेत कर के कहा कि "वह मेरा घर है", फिर दूसरी की ओर संकेत कर के कहा कि "वह मेरा चर्च है"; और फिर तीसरी कि ओर संकेत करके कहा, "वह मेरा भूतपूर्व चर्च है!" हम इस कहानी की मूर्खता पर हंस सकते हैं, परन्तु यह कहानी मसीही विश्वासियों में एकता की आवश्यकता को दिखाती है।

   प्रेरित पौलुस के समय में इफिसुस में स्थित मसीही विश्वासियों की मण्डली में कई प्रकार के लोग थे - अमीर और गरीब, यहूदी और गैर-यहूदी, पुरुष और स्त्री, स्वामी और दास। जहाँ भिन्नता होगी वहाँ तनाव और परस्पर टकराव भी होगा। इसलिए पौलुस ने जो पत्री उनको लिखी उसमें पौलुस की एक चिंता उनकी आपसी एकता को लेकर थी। इस संबंध में पौलुस ने इफिसुस के मसीही विश्वासियों को यह नहीं लिखा कि वे एकता लाने या एकत को संगठित करने के प्रयास करें; वरन पौलुस ने उन्हें लिखा कि, "मेल के बन्ध में आत्मा की एकता रखने का यत्‍न करो" (इफिसियों 4:3)। अर्थात, क्योंकि सभी मसीही विश्वासी एक ही देह, एक ही आत्मा, एक ही आशा, एक ही प्रभु, एक ही विश्वास, एक ही बपतिस्मे और एक ही पिता परमेश्वर के साथ जुड़े हैं (पद 4-6) इसलिए एकता तो उन्हें दे दी गई है; उन्हें तो बस अपने परस्पर व्यवहार द्वारा उसे संसार के सामने प्रगट रखना है।

   प्रभु यीशु में लाए गए विश्वास के साथ हमें मिलने वाली इस एकता को हम कैसे बनाए रख सकते हैं? इसका उत्तर भी पौलुस ने इसी खण्ड में दिया है: "अर्थात सारी दीनता और नम्रता सहित, और धीरज धरकर प्रेम से एक दूसरे की सह लो" (पद 2)। जब भी किसी के विचारों एवं मतों के साथ हमारे विचार तथा मत मेल ना खाएं, तो परमेश्वर के आत्मा की अगुवाइ में प्रेम और सहनशीलता के साथ, हमें अपने विचार और मत नम्रता से व्यक्त करने हैं, उन्हें प्रेम के साथ अपनी बात समझानी है ना कि उन पर अपनी बात जबरदस्ती थोपनी है; आखिरकर हम सभी मसीही विश्वासी एक ही प्रभु के लिए ही तो कार्य कर रहे हैं। - एलबर्ट ली


मसीह के साथ हुई हमारी एकता से ही मसिहीयों के साथ हमारी एकता होती है।

सो यदि मसीह में कुछ शान्‍ति और प्रेम से ढाढ़स और आत्मा की सहभागिता, और कुछ करूणा और दया है। तो मेरा यह आनन्द पूरा करो कि एक मन रहो और एक ही प्रेम, एक ही चित्त, और एक ही मनसा रखो। विरोध या झूठी बड़ाई के लिये कुछ न करो पर दीनता से एक दूसरे को अपने से अच्छा समझो। - फिलिप्पियों 2:1-3

बाइबल पाठ: इफिसियों 4:1-6
Ephesians 4:1 सो मैं जो प्रभु में बन्‍धुआ हूं तुम से बिनती करता हूं, कि जिस बुलाहट से तुम बुलाए गए थे, उसके योग्य चाल चलो। 
Ephesians 4:2 अर्थात सारी दीनता और नम्रता सहित, और धीरज धरकर प्रेम से एक दूसरे की सह लो। 
Ephesians 4:3 और मेल के बन्ध में आत्मा की एकता रखने का यत्‍न करो। 
Ephesians 4:4 एक ही देह है, और एक ही आत्मा; जैसे तुम्हें जो बुलाए गए थे अपने बुलाए जाने से एक ही आशा है। 
Ephesians 4:5 एक ही प्रभु है, एक ही विश्वास, एक ही बपतिस्मा। 
Ephesians 4:6 और सब का एक ही परमेश्वर और पिता है, जो सब के ऊपर और सब के मध्य में, और सब में है।

एक साल में बाइबल: 
  • लैव्यवस्था 6-7
  • मत्ती 25:1-30