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बुधवार, 2 दिसंबर 2015

खराई और ईमानदारी


   हम उसे ’खराई का संघ’ कहकर संबोधित करते हैं, किंतु वह दोपहर के भोजनकाल समय में हम बास्केटबॉल खेलने वाले कुछ लोगों का समूह ही है। खेलते समय हम से हुए नियमोलंघन हम स्वयं ही स्वीकार कर लेते हैं, पूरा प्रयास करते हैं कि खेल के आवेश में क्रोधित होकर अपशब्द ना बोलें और सब कुछ को सरल और आनन्दायक बनाए रखें। हम परस्पर प्रतियोगिता में तो रहते हैं और हम में से कोई भी हारना नहीं चाहता लेकिन हम सभी इस बात पर सहमत और समर्पित हैं कि खराई और ईमानदारी ही सर्वोपरि बनी रहनी चाहिए।

   परमेश्वर का वचन बाइबल हमें खराई और ईमानदारी के महत्व के बारे में स्पष्ट बताती है, और जब हम खराई और ईमानदारी का अपने जीवनों में पालन करते हैं, हम अपने सृष्टिकर्ता तथा उद्धारकर्ता परमेश्वर का आदर करते हैं। अपने वचन बाइबल के द्वारा परमेश्वर ने हमें खराई और ईमानदारी में चलते रहने के लिए स्पष्ट कारण दिए हैं (भजन 26:11)। जिस व्यक्ति के जीवन में खराई और ईमानदारी है उसके जीवन में शान्ति तथा सुरक्षा है (नीतिवचन 10:9)। परमेश्वर के अनुयायी जो खराई और ईमानदारी में विश्वास रखते हैं, परमेश्वर में अपने भरोसे के द्वारा सुरक्षित भी रहते हैं, क्योंकि वे अपने जीवन की हर परिस्थिति में परमेश्वर के नियंत्रण और मार्गदर्शन का सहारा लेते हैं (भजन 25:21)। साथ ही जो खराई और ईमानदारी का पालन करते हैं उन्हें सही मार्गदर्शन और दिशानिर्देश भी प्रदान किए जाते हैं: "सीधे लोग अपनी खराई से अगुवाई पाते हैं, परन्तु विश्वासघाती अपने कपट से विनाश होते हैं" (नीतिवचन 11:3)।

   हमारे लिए अपने जीवनों को ’खराई का संघ’ बनाना और मानना क्यों आवश्यक है? आवश्यक इसलिए है क्योंकि इस प्रकार परमेश्वर की आज्ञाकारिता के द्वारा हम दिखाते हैं कि हम अपने जीवनों में परमेश्वर और उसकी आज्ञाओं, उसके वचन बाइबल का आदर करते हैं, उस पर भरोसा रखते हैं और उसके प्रेम की ज्योति को दूसरों के जीवनों में चमकाना चाहते हैं। - डेव ब्रैनन


खराई और ईमानदारी मसीही चरित्र का व्यावाहरिक जीवन में प्रदर्शन है।

जो खराई से चलता है वह निडर चलता है, परन्तु जो टेढ़ी चाल चलता है उसकी चाल प्रगट हो जाती है। - नीतिवचन 10:9

बाइबल पाठ: भजन 26
Psalms 26:1 हे यहोवा, मेरा न्याय कर, क्योंकि मैं खराई से चलता रहा हूं, और मेरा भरोसा यहोवा पर अटल बना है। 
Psalms 26:2 हे यहोवा, मुझ को जांच और परख; मेरे मन और हृदय को परख। 
Psalms 26:3 क्योंकि तेरी करूणा तो मेरी आंखों के साम्हने है, और मैं तेरे सत्य मार्ग पर चलता रहा हूं।
Psalms 26:4 मैं निकम्मी चाल चलने वालों के संग नहीं बैठा, और न मैं कपटियों के साथ कहीं जाऊंगा; 
Psalms 26:5 मैं कुकर्मियों की संगति से घृणा रखता हूं, और दुष्टों के संग न बैठूंगा।
Psalms 26:6 मैं अपने हाथों को निर्दोषता के जल से धोऊंगा, तब हे यहोवा मैं तेरी वेदी की प्रदक्षिणा करूंगा, 
Psalms 26:7 ताकि तेरा धन्यवाद ऊंचे शब्द से करूं, 
Psalms 26:8 और तेरे सब आश्चर्यकर्मों का वर्णन करूं। हे यहोवा, मैं तेरे धाम से तेरी महिमा के निवास स्थान से प्रीति रखता हूं। 
Psalms 26:9 मेरे प्राण को पापियों के साथ, और मेरे जीवन को हत्यारों के साथ न मिला। 
Psalms 26:10 वे तो ओछापन करने में लगे रहते हैं, और उनका दाहिना हाथ घूस से भरा रहता है।
Psalms 26:11 परन्तु मैं तो खराई से चलता रहूंगा। तू मुझे छुड़ा ले, और मुझ पर अनुग्रह कर। 
Psalms 26:12 मेरे पांव चौरस स्थान में स्थिर है; सभाओं में मैं यहोवा को धन्य कहा करूंगा।

एक साल में बाइबल: 
  • यहेजकेल 42-44
  • 1यूहन्ना 1