ई-मेल संपर्क / E-Mail Contact

इन संदेशों को ई-मेल से प्राप्त करने के लिए अपना ई-मेल पता इस ई-मेल पर भेजें / To Receive these messages by e-mail, please send your e-mail id to: rozkiroti@gmail.com

सोमवार, 29 जून 2015

प्रेम और प्रार्थना


   बच्चों की एक लोकप्रीय पुस्तक Winni the Pooh में विनी एक अन्य पात्र, कांगा, को छलांग लगाकर भाग निकलते हुए देखती है और सोचती है, "काश मैं भी ऐसे ही छलांग लगा पाती; परन्तु कुछ कर सकते हैं और कुछ नहीं कर सकते - जीवन ऐसा ही है।" हम भी अपने जीवन में देखते हैं कि कुछ लोग ऐसे अदभुत कार्य कर लेते हैं जिन्हेंकर पाना हमारे लिए संभव नहीं; वे कर पाते हैं पर हम नहीं कर पाते - जीवन ऐसा ही है!

   जब हम जीवन के ऐसे समय में पहुँचें जहाँ वह सब करना भी कठिन लगने लगे जिसे हम पहले सरलता से कर लेते थे तो अपने आप को व्यर्थ और अनुपयोगी समझ लेना स्वाभाविक है। यह जीवन का एक सत्य है कि हम सदा ही सब कुछ करने योग्य नहीं रह सकते; किंतु कुछ ऐसा है जो हम हर उम्र में कर सकते हैं - प्रार्थना और प्रेम करना। सत्य तो यह है कि जीवन के अनुभवों से हम इन्हें और भी भलि-भाँति करना सीख लेते हैं।

   परमेश्वर तथा औरों को देने के लिए प्रेम से अच्छी और कोई भेंट नहीं है, और ना ही इस भेंट का मूल्य सांसारिक वस्तुओं से कमतर है; क्योंकि परमेश्वर की सारी व्यवस्था का सार तथा आधार यही है: "उसने उस से कहा, तू परमेश्वर अपने प्रभु से अपने सारे मन और अपने सारे प्राण और अपनी सारी बुद्धि के साथ प्रेम रख। बड़ी और मुख्य आज्ञा तो यही है। और उसी के समान यह दूसरी भी है, कि तू अपने पड़ोसी से अपने समान प्रेम रख। ये ही दो आज्ञाएं सारी व्यवस्था और भविष्यद्वक्ताओं का आधार है" (मत्ती 22:37-40) और प्रेम ही के द्वारा हम परमेश्वर और मनुष्यों के प्रति अपनी सारी ज़िम्मेदारी को पूरा कर सकते हैं तथा सर्वोत्तम उपहार भी प्रेम ही है (1 कुरिन्थियों 13:13)।

   ऐसे ही, हम अन्य लोगों के लिए परमेश्वर से प्रार्थनाएं भी कर सकते हैं। प्रेरित पौलुस ने कुलुस्से के मसीही विश्वासियों को उभारा कि "प्रार्थना में लगे रहो, और धन्यवाद के साथ उस में जागृत रहो" (कुलुस्सियों 4:2) क्योंकि हमारी प्रार्थनाएं इस सृष्टि में एक अद्भुत एवं प्रभावशाली शक्ति हैं जो बड़े सामर्थी कार्य करवा देती हैं।

   प्रेम और प्रार्थना वास्तव में बड़े महान कार्य हैं, वरन हमारे द्वारा हो सकने वाले सबसे महान कार्य हैं। क्यों? क्योंकि हमारा परमेश्वर पिता प्रेमी परमेश्वर है और उसकी सामर्थ हमारी प्रार्थनाओं के द्वारा होने वाले कार्यों से दिखाई देती है। - डेविड रोपर


परमेश्वर अपना प्रेम हमारे हृदयों में उंडेलता है जिससे कि हम उसे दूसरों तक पहुँचा सकें।

पर अब विश्वास, आशा, प्रेम थे तीनों स्थाई है, पर इन में सब से बड़ा प्रेम है। - 1 कुरिन्थियों 13:13

बाइबल पाठ: भजन 92
Psalms 92:1 यहोवा का धन्यवाद करना भला है, हे परमप्रधान, तेरे नाम का भजन गाना; 
Psalms 92:2 प्रात:काल को तेरी करूणा, और प्रति रात तेरी सच्चाई का प्रचार करना, 
Psalms 92:3 दस तार वाले बाजे और सारंगी पर, और वीणा पर गंभीर स्वर से गाना भला है। 
Psalms 92:4 क्योंकि, हे यहोवा, तू ने मुझ को अपने काम से आनन्दित किया है; और मैं तेरे हाथों के कामों के कारण जयजयकार करूंगा।
Psalms 92:5 हे यहोवा, तेरे काम क्या ही बड़े हैं! तेरी कल्पनाएं बहुत गम्भीर हैं! 
Psalms 92:6 पशु समान मनुष्य इस को नहीं समझता, और मूर्ख इसका विचार नहीं करता: 
Psalms 92:7 कि दुष्ट जो घास की नाईं फूलते-फलते हैं, और सब अनर्थकारी जो प्रफुल्लित होते हैं, यह इसलिये होता है, कि वे सर्वदा के लिये नाश हो जाएं, 
Psalms 92:8 परन्तु हे यहोवा, तू सदा विराजमान रहेगा। 
Psalms 92:9 क्योंकि हे यहोवा, तेरे शत्रु, हां तेरे शत्रु नाश होंगे; सब अनर्थकारी तितर बितर होंगे। 
Psalms 92:10 परन्तु मेरा सींग तू ने जंगली सांढ़ का सा ऊंचा किया है; मैं टटके तेल से चुपड़ा गया हूं। 
Psalms 92:11 और मैं अपने द्रोहियों पर दृष्टि कर के, और उन कुकर्मियों का हाल मेरे विरुद्ध उठे थे, सुनकर सन्तुष्ट हुआ हूं। 
Psalms 92:12 धर्मी लोग खजूर की नाईं फूले फलेंगे, और लबानोन के देवदार की नाईं बढ़ते रहेंगे। 
Psalms 92:13 वे यहोवा के भवन में रोपे जा कर, हमारे परमेश्वर के आंगनों में फूले फलेंगे। 
Psalms 92:14 वे पुराने होने पर भी फलते रहेंगे, और रस भरे और लहलहाते रहेंगे, 
Psalms 92:15 जिस से यह प्रगट हो, कि यहोवा सीधा है; वह मेरी चट्टान है, और उस में कुटिलता कुछ भी नहीं।

एक साल में बाइबल: 
  • अय्युब 14-16
  • प्रेरितों 9:22-43