ई-मेल संपर्क / E-Mail Contact

इन संदेशों को ई-मेल से प्राप्त करने के लिए अपना ई-मेल पता इस ई-मेल पर भेजें / To Receive these messages by e-mail, please send your e-mail id to: rozkiroti@gmail.com

रविवार, 7 जून 2015

रक्षक


   मैं कई वर्षों तक अपने स्थानीय चर्च में व्यसकों के लिए परमेश्वर के वचन बाइबल का अध्ययन लेता था, और उनके प्रश्नों के उत्तर देने के लिए बाइबल की बातों को स्वयं बड़े ध्यान और यत्न से अध्ययन करता था। बाद में मैंने बाइबल कॉलेज में दाखिला ले लिया; वहाँ अपने एक पाठ में मैंने जो सीखा उसके आधार पर मुझे ध्यान आया कि मैंने एक महिला को उसके द्वारा पूछे गए एक गंभीर प्रश्न का उचित उत्तर नहीं दिया था। मुझे इससे बड़ी ग्लानि हुई; साथ ही मैं अपने मन में निश्चित था कि वह महिला मेरे द्वारा दिए गए गलत उत्तर के कारण पिछले दो वर्षों से कष्ट में होगी, और मैं अपनी इस गलती को सुधारना चाहता था।

   मैं फुर्ती से घर गया, उस महिला को फोन लगाया और तुरंत ही अपनी गलती के लिए उससे क्षमा माँगने लगा। फोन पर दूसरी ओर एक लंबी खामोशी बनी रही, फिर उस महिला ने बड़े असमंजस के साथ मुझसे कहा, "मुझे क्षमा कीजिए किंतु मैं समझ नहीं पा रही हूँ कि आप किस बात के लिए क्षमा माँग रहे हैं, और मुझे किस बात की सफाई दे रहे हैं।" मैंने जितना अपने आप को समझा था, मैं उतना स्मरण रखने के योग्य या हानि पहुँचाने वाला निकला नहीं। तब मुझे एहसास हुआ कि हम जब परमेश्वर के वचन का अध्ययन करते, उसकी गहराईयों में बढ़ते और उन्हें दूसरों तक पहुँचाने के यत्न करते हैं तो साथ ही परमेश्वर भी अपने वचन की सत्यता और खराई की रक्षा करने के कार्य में लगा रहता है। चाहे मैंने अनजाने में, सत्य को ही बताने के अपने पूरे प्रयत्न के बावजूद, उस महिला को कुछ गलत बता दिया था; परन्तु परमेश्वर ने मेरी उस गलती को उस महिला के लिए किसी हानि का कारण बनने नहीं दिया, उसकी रक्षा करी।

   हम मसीही विश्वासी भी मनुष्य ही हैं और अपने कार्यों तथा बातों में गलती कर सकते हैं। लेकिन यह हमारा कर्तव्य है कि हम परमेश्वर के वचन की बातों को पूरी मेहनत के साथ सीखें, उन्हें दूसरों के साथ बाँटते समय पूरी सावधानी बर्तें और सदा अपने आप को सुधारने के लिए, और यदि कोई गलती हो जाए तो उसे मानने के लिए तैयार रहें (2 तिमुथियुस 2:15)। साथ ही हम प्रार्थना करें कि परमेश्वर का आत्मा परमेश्वर के वचन की, तथा ना केवल हमारे मनों की वरन सुनने वालों के मनों की भी प्रत्येक संभावित गलती से रक्षा करे। जब परमेश्वर अपने वचन का और हमारे वचन बाँटने के प्रयासों का रक्षक रहेगा तब हम साहस के साथ परमेश्वर के वचन को बाँटने पाएंगे और उसकी सेवकाई करने पाएंगे। - रैंडी किलगोर


होनें दें कि परमेश्वर का वचन आपकी याद में बस जाए, आपके मन पर राज्य करे और आपके शब्दों को मार्गदर्शित करे।

परन्तु हम ने लज्ज़ा के गुप्‍त कामों को त्याग दिया, और न चतुराई से चलते, और न परमेश्वर के वचन में मिलावट करते हैं, परन्तु सत्य को प्रगट कर के, परमेश्वर के साम्हने हर एक मनुष्य के विवेक में अपनी भलाई बैठाते हैं। - 2 कुरिन्थियों 4:2 

बाइबल पाठ: 2 तिमुथियुस 2:10-18
2 Timothy 2:10 इस कारण मैं चुने हुए लोगों के लिये सब कुछ सहता हूं, कि वे भी उस उद्धार को जो मसीह यीशु में हैं अनन्त महिमा के साथ पाएं। 
2 Timothy 2:11 यह बात सच है, कि यदि हम उसके साथ मर गए हैं तो उसके साथ जीएंगे भी। 
2 Timothy 2:12 यदि हम धीरज से सहते रहेंगे, तो उसके साथ राज्य भी करेंगे: यदि हम उसका इन्कार करेंगे तो वह भी हमारा इन्कार करेगा। 
2 Timothy 2:13 यदि हम अविश्वासी भी हों तौभी वह विश्वास योग्य बना रहता है, क्योंकि वह आप अपना इन्कार नहीं कर सकता। 
2 Timothy 2:14 इन बातों की सुधि उन्हें दिला, और प्रभु के साम्हने चिता दे, कि शब्‍दों पर तर्क-वितर्क न किया करें, जिन से कुछ लाभ नहीं होता; वरन सुनने वाले बिगड़ जाते हैं। 
2 Timothy 2:15 अपने आप को परमेश्वर का ग्रहणयोग्य और ऐसा काम करने वाला ठहराने का प्रयत्न कर, जो लज्ज़ित होने न पाए, और जो सत्य के वचन को ठीक रीति से काम में लाता हो। 
2 Timothy 2:16 पर अशुद्ध बकवाद से बचा रह; क्योंकि ऐसे लोग और भी अभक्ति में बढ़ते जाएंगे। 
2 Timothy 2:17 और उन का वचन सड़े-घाव की नाईं फैलता जाएगा: हुमिनयुस और फिलेतुस उन्‍हीं में से हैं। 
2 Timothy 2:18 जो यह कह कर कि पुनरुत्थान हो चुका है सत्य से भटक गए हैं, और कितनों के विश्वास को उलट पुलट कर देते हैं।

एक साल में बाइबल: 
  • 2 इतिहास 28-29
  • यूहन्ना 17