ई-मेल संपर्क / E-Mail Contact

इन संदेशों को ई-मेल से प्राप्त करने के लिए अपना ई-मेल पता इस ई-मेल पर भेजें / To Receive these messages by e-mail, please send your e-mail id to: rozkiroti@gmail.com

रविवार, 24 मई 2015

स्वर्गीय देश


   हाई स्कूल के दिनों में मैं और मेरा निकटतम मित्र एक दोपहर को घोड़ों पर बैठकर घूमने निकले। हम आराम से जंगली फूलों से भरे मैदानों और पेड़ों के झुरमुटों में होकर इधर-उधर विचरण करते रहे। अपना घूमना समाप्त करने के पश्चात जब हम ने अपने घोड़ों को घर की ओर मोड़ा तो दोनों घोड़े सरपट घर की ओर भाग निकले। वे घोड़े पहचानते थे कि वापस पहुँचने पर उन्हें अच्छा भोजन और अच्छी मालिश मिलेगी, और वे इस सुख के लिए अधीर थे।

   हम मसीही विश्वासियों का वास्तविक घर स्वर्ग है (फिलिप्पियों 3:20)। लेकिन जब तक हम संसार में है, यहाँ की बातें और आवश्यकताएं हमें विभिन्न प्रकार से सांसारिकता के साथ जोड़े रखती हैं। हम परमेश्वर की आशीषों, जैसे विवाह, परिवार, बच्चे, नाती-पोते, भ्रमण, जीविका, मित्र-रिश्तेदार आदि का भी आनन्द लेते हैं। लेकिन साथ ही परमेश्वर का वचन बाइबल हमें प्रोत्साहित करती है कि हम सांसारिक नहीं वरन स्वर्गीय वस्तुओं पर अपना ध्यान लगाएं (कुलुस्सियों 3:1-2)। उन स्वर्गीय बातों में स्वर्ग के अन्देखे लाभ भी सम्मिलित हैं, जैसे कि, परमेश्वर की सदा बनी रहने वाली उपस्थिति (प्रकाशितवाक्य 22:3-5); सदा काल का विश्राम (इब्रानियों 4:9); और एक अजर अविनाशी मीरास (1 पतरस 1:4)।

   अभी हाल ही में मैंने इस विषय में पढ़ा कि "मसीही विश्वासी स्वर्गीय मीरास की लालसा रखते हैं; जितना दृढ़ उनका मसीही विश्वास होगा, उतनी ही तीव्र उनकी यह लालसा भी होगी"। बाइबल के पुराने नियम खण्ड के अनेक परमेश्वर के विश्वासी जनों ने, जिनका उल्लेख इब्रानियों में पाया जाता है, अपने दृढ़ विश्वास के कारण उन स्वर्गीय आशीषों को पाने से पहले ही उनके आनन्द को अनुभव कर लिया (इब्रानियों 11:13)। उन आशीषों में से एक है स्वर्ग। यदि हमारा विश्वास भी दृढ़ है तो परमेश्वर हमें भी स्वर्गीय देश की लालसा देगा, और हम सांसारिकता पर अपनी पकड़ ढीले करने पाएंगे। - जेनिफर बेन्सन शुल्ट


मसीही विश्वासी के लिए घर का अर्थ है स्वर्ग।

पर हमारा स्‍वदेश स्वर्ग पर है; और हम एक उद्धारकर्ता प्रभु यीशु मसीह के वहां से आने ही बाट जोह रहे हैं। - फिलिप्पियों 3:20

बाइबल पाठ: इब्रानियों 11:8-16
Hebrews 11:8 विश्वास ही से इब्राहीम जब बुलाया गया तो आज्ञा मानकर ऐसी जगह निकल गया जिसे मीरास में लेने वाला था, और यह न जानता था, कि मैं किधर जाता हूं; तौभी निकल गया। 
Hebrews 11:9 विश्वास ही से उसने प्रतिज्ञा किए हुए देश में जैसे पराए देश में परदेशी रह कर इसहाक और याकूब समेत जो उसके साथ उसी प्रतिज्ञा के वारिस थे, तम्बूओं में वास किया। 
Hebrews 11:10 क्योंकि वह उस स्थिर नेव वाले नगर की बाट जोहता था, जिस का रचने वाला और बनाने वाला परमेश्वर है। 
Hebrews 11:11 विश्वास से सारा ने आप बूढ़ी होने पर भी गर्भ धारण करने की सामर्थ पाई; क्योंकि उसने प्रतिज्ञा करने वाले को सच्चा जाना था। 
Hebrews 11:12 इस कारण एक ही जन से जो मरा हुआ सा था, आकाश के तारों और समुद्र के तीर के बालू की नाईं, अनगिनित वंश उत्पन्न हुआ।
Hebrews 11:13 ये सब विश्वास ही की दशा में मरे; और उन्होंने प्रतिज्ञा की हुई वस्तुएं नहीं पाईं; पर उन्हें दूर से देखकर आनन्‍दित हुए और मान लिया, कि हम पृथ्वी पर परदेशी और बाहरी हैं। 
Hebrews 11:14 जो ऐसी ऐसी बातें कहते हैं, वे प्रगट करते हैं, कि स्‍वदेश की खोज में हैं। 
Hebrews 11:15 और जिस देश से वे निकल आए थे, यदि उस की सुधि करते तो उन्हें लौट जाने का अवसर था। 
Hebrews 11:16 पर वे एक उत्तम अर्थात स्‍वर्गीय देश के अभिलाषी हैं, इसी लिये परमेश्वर उन का परमेश्वर कहलाने में उन से नहीं लजाता, सो उसने उन के लिये एक नगर तैयार किया है।

एक साल में बाइबल: 
  • 1 इतिहास 22-24
  • यूहन्ना 8:28-59