ई-मेल संपर्क / E-Mail Contact

इन संदेशों को ई-मेल से प्राप्त करने के लिए अपना ई-मेल पता इस ई-मेल पर भेजें / To Receive these messages by e-mail, please send your e-mail id to: rozkiroti@gmail.com

सोमवार, 4 मई 2015

भजन


   गीत और संगीत से संबंधित तीन प्रसिद्ध लोगों पर बने एक वृतचित्र में जैक व्हाइट ने गीत लिखने के लिए आवश्यक पहली बात के लिए कहा, "यदि आपके अन्दर अथवा आस-पास कोई संघर्ष नहीं है, तो आपको एक संघर्ष बनाना पड़ेगा।"

   जो गीत हमारे अन्दर की गहरी भावनों को व्यक्त करते हैं वे ही हमारे लिए सबसे अधिक अर्थपूर्ण भी होते हैं। परमेश्वर के वचन बाइबल का भजन संहिता भाग बाइबल की "गीत की पुस्तक" भी कहलाता है। भजन संहिता में लिखे अनेक भजन लेखकों के संघर्ष से ही निकले थे। ये भजन उनकी और आज हमारी निराशा और भय की अभिव्यक्ति तो हैं किंतु साथ ही वे परमेश्वर पिता के सदा विश्वासयोग्य और सदा साथ बने रहने वाले प्रेम की ओर भी निर्देशित करते हैं।

   भजन 31 में दाऊद ने लिखा: "हे यहोवा, मुझ पर अनुग्रह कर क्योंकि मैं संकट में हूं; मेरी आंखे वरन मेरा प्राण और शरीर सब शोक के मारे घुले जाते हैं" (भजन 31:9)। इस भजन में दाऊद अपने लिए विरोधियों द्वारा बिछाए जाल के बारे में लिखता है (पद 4), अपने पाप के बारे में (पद 10), मित्रों द्वारा बिसरा देने के बारे में (पद 11-12), और उसके जीवन के विरुद्ध बनाए जा रहे षड़यंत्रों (पद 13) के बारे में लिखता है। लेकिन फिर भी दाऊद की आशा उसका अपना बल-सामर्थ नहीं वरन परमेश्वर था: "परन्तु हे यहोवा मैं ने तो तुझी पर भरोसा रखा है, मैं ने कहा, तू मेरा परमेश्वर है। मेरे दिन तेरे हाथ में है; तू मुझे मेरे शत्रुओं और मेरे सताने वालों के हाथ से छुड़ा" (भजन 31:14-15)।

   परमेश्वर के आत्मा की अगुवाई में लिखे गए ये भजन हमें परमेश्वर के आगे अपने हृदय की गहराईयों को खोलने और अपनी भावनाओं को मुक्त रीति से व्यक्त करना सिखाते हैं, और जो परमेश्वर पर अपना भरोसा बनाए रखते हैं उनके लिए उपलब्ध परमेश्वर की भलाई का आशवासन देते हैं (पद 19)। इन भजन के पठन और मनन को अपनी दिनचर्या का अभिन्न अंग बना लीजिए। - डेविड मैक्कैसलैंड


अपनी सबसे गहरी आवश्यकता में भी आप भजन संहिता में परमेश्वर की शान्ति को पाएंगे।

जो जाल उन्होंने मेरे लिये बिछाया है उस से तू मुझ को छुड़ा ले, क्योंकि तू ही मेरा दृढ़ गढ़ है। भजन 31:4

बाइबल पाठ: भजन 31:9-20
Psalms 31:9 हे यहोवा, मुझ पर अनुग्रह कर क्योंकि मैं संकट में हूं; मेरी आंखे वरन मेरा प्राण और शरीर सब शोक के मारे घुले जाते हैं। 
Psalms 31:10 मेरा जीवन शोक के मारे और मेरी अवस्था कराहते कराहते घट चली है; मेरा बल मेरे अधर्म के कारण जाता रह, और मेरी हडि्डयां घुल गई। 
Psalms 31:11 अपने सब विरोधियों के कारण मेरे पड़ोसियों में मेरी नामधराई हुई है, अपने जान पहिचान वालों के लिये डर का कारण हूं; जो मुझ को सड़क पर देखते हैं वह मुझ से दूर भाग जाते हैं। 
Psalms 31:12 मैं मृतक की नाईं लोगों के मन से बिसर गया; मैं टूटे बर्तन के समान हो गया हूं। 
Psalms 31:13 मैं ने बहुतों के मुंह से अपना अपवाद सुना, चारों ओर भय ही भय है! जब उन्होंने मेरे विरुद्ध आपस में सम्मति की तब मेरे प्राण लेने की युक्ति की। 
Psalms 31:14 परन्तु हे यहोवा मैं ने तो तुझी पर भरोसा रखा है, मैं ने कहा, तू मेरा परमेश्वर है। 
Psalms 31:15 मेरे दिन तेरे हाथ में है; तू मुझे मेरे शत्रुओं और मेरे सताने वालों के हाथ से छुड़ा। 
Psalms 31:16 अपने दास पर अपने मुंह का प्रकाश चमका; अपनी करूणा से मेरा उद्धार कर। 
Psalms 31:17 हे यहोवा, मुझे लज्जित न होने दे क्योंकि मैं ने तुझ को पुकारा है; दुष्ट लज्जित हों और वे पाताल में चुपचाप पड़े रहें। 
Psalms 31:18 जो अंहकार और अपमान से धर्मी की निन्दा करते हैं, उनके झूठ बोलने वाले मुंह बन्द किए जाएं। 
Psalms 31:19 आहा, तेरी भलाई क्या ही बड़ी है जो तू ने अपने डरवैयों के लिये रख छोड़ी है, और अपने शरणागतों के लिये मनुष्यों के साम्हने प्रगट भी की है! 
Psalms 31:20 तू उन्हें दर्शन देने के गुप्त स्थान में मनुष्यों की बुरी गोष्ठी से गुप्त रखेगा; तू उन को अपने मण्डप में झगड़े-रगड़े से छिपा रखेगा।

एक साल में बाइबल: 
  • 1 राजा 16-18
  • लूका 22:47-71