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रविवार, 26 अप्रैल 2015

वर्तमान ऋतु


   जीवन अनेक बातों में ऋतुओं की तरह होता है...वह सदा एक सा नहीं रहता, उसमें बदलाव आता रहता है, और चाहे हमें पसन्द हो अथवा नहीं, उस ऋतु से होकर हमें निकलना ही पड़ता है। जब भी हमें परिवर्तनों का सामना करना पड़ता है, तो मन में भविष्य को लेकर एक अनिश्चितता और आशंका बनी रहती है। ऐसा विशेषकर जीवन के बाद के, अर्थात जीवन की शरद ऋतु के समयों को लेकर होता है, जब हम अनेक प्रकार के विचारों को लेकर घबराते हैं, जैसे - क्या मैं अकेला रह जाऊँगा? क्या मेरा स्वास्थ्य ठीक बना रहेगा? क्या उन दिनों और उन से जुड़ी समस्याओं के लिए मेरे पास पर्याप्त पूँजी होगी? क्या मेरा मस्तिष्क चुस्त बना रहेगा? इत्यादि।

   जैसे कि जीवन की प्रत्येक ऋतु के साथ होता है, जीवन की इस शरद ऋतु में आकर भी हमें कुछ निर्णय लेने होते हैं, जिनमें से प्रमुख है - क्या मैं इस समय को अपनी अनिश्चितताओं और आशंकाओं में व्यर्थ गंवा दूंगा, या फिर प्रेरित पौलुस द्वारा इफिसुस की मसीही मण्डली को दिए गए निर्देश, "और अवसर को बहुमूल्य समझो, क्योंकि दिन बुरे हैं" (इफिसियों 5:16) के अनुसार उसका सदुपयोग करूँगा।

   लेकिन हम मसीही विश्वासियों के लिए तो यह आश्वासन सदा रहता है कि हम जीवन कि चाहे किसी भी ऋतु से होकर निकल रहे हों, हमारा परमेश्वर पिता सदा हमारे साथ बना रहता है, वह हमारे लिए सदा विश्वासयोग्य बना रहता है, "तुम्हारा स्‍वभाव लोभरिहत हो, और जो तुम्हारे पास है, उसी पर संतोष किया करो; क्योंकि उसने आप ही कहा है, कि मैं तुझे कभी न छोडूंगा, और न कभी तुझे त्यागूंगा। इसलिये हम बेधड़क हो कर कहते हैं, कि प्रभु, मेरा सहायक है; मैं न डरूंगा; मनुष्य मेरा क्या कर सकता है" (इब्रानियों 13:5-6)। क्योंकि हमारे साथ परमेश्वर की उपस्थिति और संसाधन हैं इसलिए हमें किसी ऋतु के किसी दुषप्रभाव की कोई चिंता करने की आवश्यकता नहीं है। हम प्रत्येक ऋतु का सदुपयोग अपने तथा समस्त संसार के उद्धारकर्ता प्रभु यीशु मसीह के निकट बने रहने में व्यतीत कर सकते हैं - उसके वचन बाइबल के अध्ययन करने, उससे प्रार्थना करने, उसके लिए आनन्द एवं उदारता के साथ लोगों की सहायता तथा सेवा करने के द्वारा।

   हमारे जीवनों की यह वर्तमान ऋतु हमें परमेश्वर पिता से मिली आशीष है, इससे आशंकित ना हों वरन इसका सदुपयोग उसकी महिमा के लिए करें। - जो स्टोवैल


जीवन महत्वपूर्ण है; इसे व्यर्थ ना जाने दें!

यहोवा खरे लोगों की आयु की सुधि रखता है, और उनका भाग सदैव बना रहेगा। विपत्ति के समय, उनकी आशा न टूटेगी और न वे लज्जित होंगे, और अकाल के दिनों में वे तृप्त रहेंगे। - भजन 37:18-19

बाइबल पाठ: इफिसियों 5:15-21
Ephesians 5:15 इसलिये ध्यान से देखो, कि कैसी चाल चलते हो; निर्बुद्धियों की नाईं नहीं पर बुद्धिमानों की नाईं चलो। 
Ephesians 5:16 और अवसर को बहुमूल्य समझो, क्योंकि दिन बुरे हैं। 
Ephesians 5:17 इस कारण निर्बुद्धि न हो, पर ध्यान से समझो, कि प्रभु की इच्छा क्या है? 
Ephesians 5:18 और दाखरस से मतवाले न बनो, क्योंकि इस से लुचपन होता है, पर आत्मा से परिपूर्ण होते जाओ। 
Ephesians 5:19 और आपस में भजन और स्‍तुतिगान और आत्मिक गीत गाया करो, और अपने अपने मन में प्रभु के साम्हने गाते और कीर्तन करते रहो। 
Ephesians 5:20 और सदा सब बातों के लिये हमारे प्रभु यीशु मसीह के नाम से परमेश्वर पिता का धन्यवाद करते रहो। 
Ephesians 5:21 और मसीह के भय से एक दूसरे के आधीन रहो।

एक साल में बाइबल: 
  • 2 शमूएल 23-24
  • लूका 19:1-27