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गुरुवार, 26 फ़रवरी 2015

आनन्दायक


   एक त्रासदी ने उस परिवार में एक ऐसा खालीपन ला दिया जिसे फिर कुछ नहीं भर सका। वह बच्चा जिसने अभी हाल ही में चलना आरंभ किया था, बिल्ली के पीछे पीछे सड़क पर आ गया और एक ट्रक द्वारा कुचला गया; उसके माता-पिता ने सड़क से उसके बेजान शरीर को उठा कर चिपटा लिया। उस बच्चे की 4 वर्षीय बहन यह सब स्तब्ध होकर देख रही थी। वर्षों तक उस त्रासदी के पल का वह खालीपन उस परिवार को उदासी से घेरे रहा। उनकी भावनाएं मानों जड़ हो गई थीं; यदि कोई दिलासा थी तो वह उस त्रासदी के सुन्नपन में थी, किसी भी प्रकार की राहत कल्पना से परे थी।

   लेखिका ऐन वोसकैम्प वह 4 वर्षीय बहन थी जिसने यह सब देखा और इस घटना के दुख ने जीवन और परमेश्वर के प्रति उसके दृष्टिकोण को आकार दिया। जिस संसार में वह बड़ी हुई, उसमें अनुग्रह के विचार का नगण्य स्थान था, आनन्द एक ऐसी धारणा थी जिसका वास्तविकता से कोई लेना-देना नहीं था।

   एक युवा माँ के रूप में ऐन वोसकैम्प ने उस भ्रामक वस्तु को खोजने का निर्णय लिया जिसे परमेश्वर का वचन बाइबल आनन्द कहती है। उसकी खोज ने उसे बताया कि बाइबल में जिस मूल ग्रीक भाषा के शब्द का अनुवाद आनन्द और अनुग्रह हुआ है वह ग्रीक भाषा के एक अन्य शब्द से निकला है जिसका अर्थ है धन्यवादी। ऐन ने सोचा, "क्या यह इतना सरल हो सकता है?" अपनी इस खोज को परखने करने के लिए वोसकैम्प ने उसे मिले हुए 1,000 उपहारों के लिए धन्यवाद देने का निर्णय लिया। उसने धीरे धीरे धन्यवाद देना आरंभ किया, किंतु शीघ्र ही कृतज्ञता उसके जीवन से उनमुक्त होकर प्रवाहित होने लगी। ऐन वोसकैम्प ने पाया कि धन्यवाद देने से उसके जीवन में आनन्द की वे भावनाएं जागृत हो उठीं जिन्हें वह बहुत वर्ष पहले मृतक समझ चुकी थी। उसने अपने अनुभव से सीखा कि धन्यवाद देना आनन्दायक होता है।

   हम सामान्यतः कार्य होने के बाद धन्यवाद करते हैं परन्तु परमेश्वर का वचन बाइबल हमें सिखाती है कि परमेश्वर के सम्मुख प्रार्थना भी धन्यवाद के साथ प्रस्तुत की जाए (फिलिप्पियों 4:6-7); और प्रभु यीशु ने अपने उदाहरण के द्वारा इसके सत्य को दिखाया जब लाज़र को मृतकों में से जिला उठाने की प्रार्थना से पहले ही उन्होंने परमेश्वर का धन्यवाद किया (यूहन्ना 11:41)।

   हर बात में परमेश्वर के धन्यवादी होना सीखें, और वह आपके जीवन को आनन्द से परिपूर्ण बना देगा। - जूली ऐकैरमैन लिंक


धन्यवाद से भरा हृदय आनन्द से भरे जीवन का स्त्रोत है।

किसी भी बात की चिन्‍ता मत करो: परन्तु हर एक बात में तुम्हारे निवेदन, प्रार्थना और बिनती के द्वारा धन्यवाद के साथ परमेश्वर के सम्मुख अपस्थित किए जाएं। तब परमेश्वर की शान्‍ति, जो समझ से बिलकुल परे है, तुम्हारे हृदय और तुम्हारे विचारों को मसीह यीशु में सुरिक्षत रखेगी। - फिलिप्पियों 4:6-7

बाइबल पाठ: यूहन्ना 11:32-44
John 11:32 जब मरियम वहां पहुंची जहां यीशु था, तो उसे देखते ही उसके पांवों पर गिर के कहा, हे प्रभु, यदि तू यहां होता तो मेरा भाई न मरता। 
John 11:33 जब यीशु न उसको और उन यहूदियों को जो उसके साथ आए थे रोते हुए देखा, तो आत्मा में बहुत ही उदास हुआ, और घबरा कर कहा, तुम ने उसे कहां रखा है? 
John 11:34 उन्होंने उस से कहा, हे प्रभु, चलकर देख ले। 
John 11:35 यीशु के आंसू बहने लगे। 
John 11:36 तब यहूदी कहने लगे, देखो, वह उस से कैसी प्रीति रखता था। 
John 11:37 परन्तु उन में से कितनों ने कहा, क्या यह जिसने अन्धे की आंखें खोली, यह भी न कर सका कि यह मनुष्य न मरता? 
John 11:38 यीशु मन में फिर बहुत ही उदास हो कर कब्र पर आया, वह एक गुफा थी, और एक पत्थर उस पर धरा था। 
John 11:39 यीशु ने कहा; पत्थर को उठाओ: उस मरे हुए की बहिन मारथा उस से कहने लगी, हे प्रभु, उस में से अब तो र्दुगंध आती है क्योंकि उसे मरे चार दिन हो गए। 
John 11:40 यीशु ने उस से कहा, क्या मैं ने तुझ से न कहा था कि यदि तू विश्वास करेगी, तो परमेश्वर की महिमा को देखेगी। 
John 11:41 तब उन्होंने उस पत्थर को हटाया, फिर यीशु ने आंखें उठा कर कहा, हे पिता, मैं तेरा धन्यवाद करता हूं कि तू ने मेरी सुन ली है। 
John 11:42 और मैं जानता था, कि तू सदा मेरी सुनता है, परन्तु जो भीड़ आस पास खड़ी है, उन के कारण मैं ने यह कहा, जिस से कि वे विश्वास करें, कि तू ने मुझे भेजा है। 
John 11:43 यह कहकर उसने बड़े शब्द से पुकारा, कि हे लाजर, निकल आ। 
John 11:44 जो मर गया था, वह कफन से हाथ पांव बन्‍धे हुए निकल आया और उसका मुंह अंगोछे से लिपटा हुआ था : यीशु ने उन से कहा, उसे खोल कर जाने दो।

एक साल में बाइबल: 
  • गिनती 15-16
  • मरकुस 6:1-29