ई-मेल संपर्क / E-Mail Contact

इन संदेशों को ई-मेल से प्राप्त करने के लिए अपना ई-मेल पता इस ई-मेल पर भेजें / To Receive these messages by e-mail, please send your e-mail id to: rozkiroti@gmail.com

शुक्रवार, 23 जनवरी 2015

शब्द



   कुछ समय पहले की बात है, अमेरीकी टेलिविज़न कार्यक्रमों के कलाकारों को दिए जाने वाले एम्मी पुरुस्कार की विजेता एक अभिनेत्री ने, वार्षिक अमेरिकी संगीत पुरुस्कार समारोह के दौरान साहसिक कदम उठाया और वहाँ से उठ कर चली गई। उसके कार्यक्रम को छोड़कर उठकर चले जाने का कारण था वहाँ पर चल रही टिप्पणियों तथा बात-चीत का स्तर; उस अभिनेत्री ने कहा कि समारोह के प्रस्तुतकर्ताओं, भाग लेने वाले कलाकारों तथा दर्शकों में हो रहे निरंतर अशलील मज़ाक और भद्दी टिप्पणियों से वह परेशान और दुखी हो गई थी; थोड़ा भी आत्म-सम्मान रखने वाले किसी भी व्यक्ति के लिए वहाँ का वातावरण तथा उपस्थित लोगों का व्यवहार अपमानजनक था।

   ऐसी भद्देपन और फूहड़पन की स्थिति केवल आज ही की समस्या नहीं है; प्रेरित पौलुस के दिनों में भी यह समस्या विद्यमान थी। पौलुस ने अपने समय के मसीही विश्वासियों को स्मरण दिलाया कि उन्हें अपने जीवन से अशलीलता, निर्लज्जता, झूठी निन्दा, अभद्र बातचीत एवं व्यवहार को निकाल देना चाहिए (इफिसियों 5:4; कुलुस्सियों 3:8); ऐसी बातचीत और व्यवहार उनके मसीही विश्वास में आने से पूर्व की बात है (1 कुरिन्थियों 6:9-11), और अब मसीह यीशु में होकर उन्हें दी गई नई पहचान में इसका कोई स्थान नहीं है। इन बातों के विपरीत अब उनके जीवनों में ऐसे भले और हितकारी शब्द तथा व्यवहार होने चाहिए जो सुनने वालों को अनुग्रह प्रदान करें (इफिसियों 4:29)। उनके अन्दर बसने वाला परमेश्वर का पवित्र आत्मा उनकी सहायता करता है कि वे ऐसे भले शब्दों का प्रयोग करें जो दूसरों के लिए हितकारी हों (यूहन्ना 16:7-13), तथा जब भी वे किसी अनुचित बातचीत में पड़ें तो वही पवित्र आत्मा उन्हें इस गलती के लिए कायल भी करता है।

   हम मसीही विश्वासियों को अपने जीवन की हर बात से अपने परमेश्वर की गवाही देने की ज़िम्मेदारी सौंपी गई है; इसलिए हमें ध्यान रखना है कि हमारे मुँह सदा परमेश्वर के प्रति धन्यवाद और दूसरों के प्रति अनुग्रह करने वाले शब्दों से ही भरे हों। - मार्विन विलियम्स


भले शब्द भले बनाए गए जीवन से ही आते हैं।

और जैसा पवित्र लोगों के योग्य है, वैसा तुम में व्यभिचार, और किसी प्रकार अशुद्ध काम, या लोभ की चर्चा तक न हो। और न निर्लज्ज़ता, न मूढ़ता की बातचीत की, न ठट्ठे की, क्योंकि ये बातें सोहती नहीं, वरन धन्यवाद ही सुना जाए। - इफिसियों 5:3-4

बाइबल पाठ: इफिसियों 4:20-32
Ephesians 4:20 पर तुम ने मसीह की ऐसी शिक्षा नहीं पाई। 
Ephesians 4:21 वरन तुम ने सचमुच उसी की सुनी, और जैसा यीशु में सत्य है, उसी में सिखाए भी गए। 
Ephesians 4:22 कि तुम अगले चालचलन के पुराने मनुष्यत्‍व को जो भरमाने वाली अभिलाषाओं के अनुसार भ्रष्‍ट होता जाता है, उतार डालो। 
Ephesians 4:23 और अपने मन के आत्मिक स्‍वभाव में नये बनते जाओ। 
Ephesians 4:24 और नये मनुष्यत्‍व को पहिन लो, जो परमेश्वर के अनुसार सत्य की धामिर्कता, और पवित्रता में सृजा गया है। 
Ephesians 4:25 इस कारण झूठ बोलना छोड़कर हर एक अपने पड़ोसी से सच बोले, क्योंकि हम आपस में एक दूसरे के अंग हैं। 
Ephesians 4:26 क्रोध तो करो, पर पाप मत करो: सूर्य अस्‍त होने तक तुम्हारा क्रोध न रहे। 
Ephesians 4:27 और न शैतान को अवसर दो। 
Ephesians 4:28 चोरी करनेवाला फिर चोरी न करे; वरन भले काम करने में अपने हाथों से परिश्रम करे; इसलिये कि जिसे प्रयोजन हो, उसे देने को उसके पास कुछ हो। 
Ephesians 4:29 कोई गन्‍दी बात तुम्हारे मुंह से न निकले, पर आवश्यकता के अनुसार वही जो उन्नति के लिये उत्तम हो, ताकि उस से सुनने वालों पर अनुग्रह हो। 
Ephesians 4:30 और परमेश्वर के पवित्र आत्मा को शोकित मत करो, जिस से तुम पर छुटकारे के दिन के लिये छाप दी गई है। 
Ephesians 4:31 सब प्रकार की कड़वाहट और प्रकोप और क्रोध, और कलह, और निन्‍दा सब बैरभाव समेत तुम से दूर की जाए। 
Ephesians 4:32 और एक दूसरे पर कृपाल, और करूणामय हो, और जैसे परमेश्वर ने मसीह में तुम्हारे अपराध क्षमा किए, वैसे ही तुम भी एक दूसरे के अपराध क्षमा करो।

एक साल में बाइबल: 
  • निर्गमन 7-8
  • मत्ती 15:1-20