ई-मेल संपर्क / E-Mail Contact

इन संदेशों को ई-मेल से प्राप्त करने के लिए अपना ई-मेल पता इस ई-मेल पर भेजें / To Receive these messages by e-mail, please send your e-mail id to: rozkiroti@gmail.com

मंगलवार, 30 जून 2015

अनुग्रह


   एक संध्या मैं एक नर्सिंग होम गया, मुझे आया देखकर वहाँ भर्ती एक व्यक्ति टॉम मुझसे बातचीत करने के लिए अपने कमरे से बाहर निकल आया। कुछ देर बात करने के पश्चात टॉम ने पूछा, "क्या परमेश्वर इस बात से अपमानित अनुभव करेगा कि मैं इतने वर्षों के बाद अब मसीही विश्वासी बनना चाहता हूँ?" मेरे लिए टॉम का यह प्रश्न आश्चर्यजनक नहीं था। एक पास्टर होने के नाते मैंने इसी प्रश्न को भिन्न रूपों में अनेक वृद्धों से सुना है, उन से सुना है जो नशीली पदार्थों की लत से निकलना चाहते हैं और उन से भी जो अपने दुषकर्मों के कारण जेल में सज़ा काट रहे हैं। इन सब, और इनके समान ही अन्य लोगों को भी लगता है कि उनका वर्तमान या बीता हुआ जीवन उन्हें परमेश्वर के निकट आने या उसके लिए उपयोगी होने में आड़े आएगा और परमेश्वर उन्हें ग्रहण नहीं करेगा। ऐसा सोचने या मानने वाले सभी लोगों के लिए यह खुशखबरी है कि प्रभु यीशु संसार के पापियों के लिए ही आया (मरकुस 2:17) और वे सब उसको प्रीय हैं, उसे ग्रहणयोग्य हैं।

   टॉम के इस प्रश्न के उत्तर में मैंने उसके साथ परमेश्वर के वचन बाइबल के अध्ययन में थोड़ा समय बिताया और उसमें दिए गए कुछ उन लोगों के उदाहरणों को देखा जो अपने बीते या वर्तमान जीवन के कारण यह सोच सकते थे कि वे परमेश्वर को ग्रहणयोग्य नहीं रहे या उसके लिए उपयोगी नहीं रहे किंतु परमेश्वर ने उन्हें ग्रहण भी किया और उपयोग भी किया। जिन लोगों के उदाहरणों को हमने देखा उनमें रहाब नामक वेश्या भी थी (यहोशु 2:12-14; इब्रानियों 11:31) और ज़क्कई नामक चुँगी लेने वाला भी (लूका 19:1-8)। इन सब ने संसार के लोगों को अस्वीकारीय अपने चरित्र और कर्मों के बावजूद प्रभु परमेश्वर की ओर हाथ बढ़ाया और प्रभु ने उन्हें थामा, अपना बनाकर उनके जीवनों को सुधारा और परिवर्तित किया, और अपने लिए उपयोगी भी बनाया।

   हमने बाइबल से प्रभु यीशु द्वारा दाख की बारी में मज़दूरी करने वालों के दृष्टांत को भी देखा (मत्ती 20:1-16) जहाँ दिन के आरंभ में कार्य करने को लिए गए लोग स्वामी के लिए अधिक कार्य कर सके परन्तु दिन ढलते हुए रखे लोग उतना कार्य नहीं कर सके, किंतु दाख की बारी के स्वामी ने दोनों के काम को समान महत्व दिया और समान ही मेहनताना भी दिया। उस स्वामी ने ना किसी को कमतर जाना और ना ही किसी के प्रति अपने अनुग्रह में फर्क रखा।

   हमारा भूतकाल या वर्तमान जैसा भी हो, परमेश्वर हम सबसे प्रेम करता है और अपने प्रेम को हम पर प्रगट करने की लालसा रखता है, हम पर अनुग्रह करना चाहता है, हमारे साथ एक गहरा और स्थाई संबंध बनाना चाहता है। उसके इस अनुग्रह और प्रेम को स्वीकार करना या अस्वीकार करना, यह निर्णय हमारा है। - रैंडी किल्गोर


आज अपना जीवन प्रभु यीशु को समर्पित करने का तात्पर्य है उसे अनन्तकाल के लिए आशीषित तथा सुरक्षित कर लेना।

यीशु ने यह सुनकर, उन से कहा, भले चंगों को वैद्य की आवश्यकता नहीं, परन्तु बीमारों को है: मैं धर्मियों को नहीं, परन्तु पापियों को बुलाने आया हूं। - मरकुस 2:17

बाइबल पाठ: मत्ती 20:1-16
Matthew 20:1 स्वर्ग का राज्य किसी गृहस्थ के समान है, जो सबेरे निकला, कि अपने दाख की बारी में मजदूरों को लगाए। 
Matthew 20:2 और उसने मजदूरों से एक दीनार रोज पर ठहराकर, उन्हें अपने दाख की बारी में भेजा। 
Matthew 20:3 फिर पहर एक दिन चढ़े, निकल कर, और औरों को बाजार में बेकार खड़े देखकर, 
Matthew 20:4 उन से कहा, तुम भी दाख की बारी में जाओ, और जो कुछ ठीक है, तुम्हें दूंगा; सो वे भी गए। 
Matthew 20:5 फिर उसने दूसरे और तीसरे पहर के निकट निकलकर वैसा ही किया। 
Matthew 20:6 और एक घंटा दिन रहे फिर निकलकर औरों को खड़े पाया, और उन से कहा; तुम क्यों यहां दिन भर बेकार खड़े रहे? उन्हों ने उस से कहा, इसलिये, कि किसी ने हमें मजदूरी पर नहीं लगाया। 
Matthew 20:7 उसने उन से कहा, तुम भी दाख की बारी में जाओ। 
Matthew 20:8 सांझ को दाख बारी के स्‍वामी ने अपने भण्‍डारी से कहा, मजदूरों को बुलाकर पिछलों से ले कर पहिलों तक उन्हें मजदूरी दे दे। 
Matthew 20:9 सो जब वे आए, जो घंटा भर दिन रहे लगाए गए थे, तो उन्हें एक एक दीनार मिला। 
Matthew 20:10 जो पहिले आए, उन्होंने यह समझा, कि हमें अधिक मिलेगा; परन्तु उन्हें भी एक ही एक दीनार मिला। 
Matthew 20:11 जब मिला, तो वह गृहस्थ पर कुडकुड़ा के कहने लगे। 
Matthew 20:12 कि इन पिछलों ने एक ही घंटा काम किया, और तू ने उन्हें हमारे बराबर कर दिया, जिन्हों ने दिन भर का भार उठाया और घाम सहा? 
Matthew 20:13 उसने उन में से एक को उत्तर दिया, कि हे मित्र, मैं तुझ से कुछ अन्याय नहीं करता; क्या तू ने मुझ से एक दीनार न ठहराया? 
Matthew 20:14 जो तेरा है, उठा ले, और चला जा; मेरी इच्छा यह है कि जितना तुझे, उतना ही इस पिछले को भी दूं। 
Matthew 20:15 क्या उचित नहीं कि मैं अपने माल से जो चाहूं सो करूं? क्या तू मेरे भले होने के कारण बुरी दृष्टि से देखता है? 
Matthew 20:16 इसी रीति से जो पिछले हैं, वह पहिले होंगे, और जो पहिले हैं, वे पिछले होंगे।

एक साल में बाइबल: 
  • अय्युब 17-19
  • प्रेरितों 10:1-23


सोमवार, 29 जून 2015

प्रेम और प्रार्थना


   बच्चों की एक लोकप्रीय पुस्तक Winni the Pooh में विनी एक अन्य पात्र, कांगा, को छलांग लगाकर भाग निकलते हुए देखती है और सोचती है, "काश मैं भी ऐसे ही छलांग लगा पाती; परन्तु कुछ कर सकते हैं और कुछ नहीं कर सकते - जीवन ऐसा ही है।" हम भी अपने जीवन में देखते हैं कि कुछ लोग ऐसे अदभुत कार्य कर लेते हैं जिन्हेंकर पाना हमारे लिए संभव नहीं; वे कर पाते हैं पर हम नहीं कर पाते - जीवन ऐसा ही है!

   जब हम जीवन के ऐसे समय में पहुँचें जहाँ वह सब करना भी कठिन लगने लगे जिसे हम पहले सरलता से कर लेते थे तो अपने आप को व्यर्थ और अनुपयोगी समझ लेना स्वाभाविक है। यह जीवन का एक सत्य है कि हम सदा ही सब कुछ करने योग्य नहीं रह सकते; किंतु कुछ ऐसा है जो हम हर उम्र में कर सकते हैं - प्रार्थना और प्रेम करना। सत्य तो यह है कि जीवन के अनुभवों से हम इन्हें और भी भलि-भाँति करना सीख लेते हैं।

   परमेश्वर तथा औरों को देने के लिए प्रेम से अच्छी और कोई भेंट नहीं है, और ना ही इस भेंट का मूल्य सांसारिक वस्तुओं से कमतर है; क्योंकि परमेश्वर की सारी व्यवस्था का सार तथा आधार यही है: "उसने उस से कहा, तू परमेश्वर अपने प्रभु से अपने सारे मन और अपने सारे प्राण और अपनी सारी बुद्धि के साथ प्रेम रख। बड़ी और मुख्य आज्ञा तो यही है। और उसी के समान यह दूसरी भी है, कि तू अपने पड़ोसी से अपने समान प्रेम रख। ये ही दो आज्ञाएं सारी व्यवस्था और भविष्यद्वक्ताओं का आधार है" (मत्ती 22:37-40) और प्रेम ही के द्वारा हम परमेश्वर और मनुष्यों के प्रति अपनी सारी ज़िम्मेदारी को पूरा कर सकते हैं तथा सर्वोत्तम उपहार भी प्रेम ही है (1 कुरिन्थियों 13:13)।

   ऐसे ही, हम अन्य लोगों के लिए परमेश्वर से प्रार्थनाएं भी कर सकते हैं। प्रेरित पौलुस ने कुलुस्से के मसीही विश्वासियों को उभारा कि "प्रार्थना में लगे रहो, और धन्यवाद के साथ उस में जागृत रहो" (कुलुस्सियों 4:2) क्योंकि हमारी प्रार्थनाएं इस सृष्टि में एक अद्भुत एवं प्रभावशाली शक्ति हैं जो बड़े सामर्थी कार्य करवा देती हैं।

   प्रेम और प्रार्थना वास्तव में बड़े महान कार्य हैं, वरन हमारे द्वारा हो सकने वाले सबसे महान कार्य हैं। क्यों? क्योंकि हमारा परमेश्वर पिता प्रेमी परमेश्वर है और उसकी सामर्थ हमारी प्रार्थनाओं के द्वारा होने वाले कार्यों से दिखाई देती है। - डेविड रोपर


परमेश्वर अपना प्रेम हमारे हृदयों में उंडेलता है जिससे कि हम उसे दूसरों तक पहुँचा सकें।

पर अब विश्वास, आशा, प्रेम थे तीनों स्थाई है, पर इन में सब से बड़ा प्रेम है। - 1 कुरिन्थियों 13:13

बाइबल पाठ: भजन 92
Psalms 92:1 यहोवा का धन्यवाद करना भला है, हे परमप्रधान, तेरे नाम का भजन गाना; 
Psalms 92:2 प्रात:काल को तेरी करूणा, और प्रति रात तेरी सच्चाई का प्रचार करना, 
Psalms 92:3 दस तार वाले बाजे और सारंगी पर, और वीणा पर गंभीर स्वर से गाना भला है। 
Psalms 92:4 क्योंकि, हे यहोवा, तू ने मुझ को अपने काम से आनन्दित किया है; और मैं तेरे हाथों के कामों के कारण जयजयकार करूंगा।
Psalms 92:5 हे यहोवा, तेरे काम क्या ही बड़े हैं! तेरी कल्पनाएं बहुत गम्भीर हैं! 
Psalms 92:6 पशु समान मनुष्य इस को नहीं समझता, और मूर्ख इसका विचार नहीं करता: 
Psalms 92:7 कि दुष्ट जो घास की नाईं फूलते-फलते हैं, और सब अनर्थकारी जो प्रफुल्लित होते हैं, यह इसलिये होता है, कि वे सर्वदा के लिये नाश हो जाएं, 
Psalms 92:8 परन्तु हे यहोवा, तू सदा विराजमान रहेगा। 
Psalms 92:9 क्योंकि हे यहोवा, तेरे शत्रु, हां तेरे शत्रु नाश होंगे; सब अनर्थकारी तितर बितर होंगे। 
Psalms 92:10 परन्तु मेरा सींग तू ने जंगली सांढ़ का सा ऊंचा किया है; मैं टटके तेल से चुपड़ा गया हूं। 
Psalms 92:11 और मैं अपने द्रोहियों पर दृष्टि कर के, और उन कुकर्मियों का हाल मेरे विरुद्ध उठे थे, सुनकर सन्तुष्ट हुआ हूं। 
Psalms 92:12 धर्मी लोग खजूर की नाईं फूले फलेंगे, और लबानोन के देवदार की नाईं बढ़ते रहेंगे। 
Psalms 92:13 वे यहोवा के भवन में रोपे जा कर, हमारे परमेश्वर के आंगनों में फूले फलेंगे। 
Psalms 92:14 वे पुराने होने पर भी फलते रहेंगे, और रस भरे और लहलहाते रहेंगे, 
Psalms 92:15 जिस से यह प्रगट हो, कि यहोवा सीधा है; वह मेरी चट्टान है, और उस में कुटिलता कुछ भी नहीं।

एक साल में बाइबल: 
  • अय्युब 14-16
  • प्रेरितों 9:22-43


रविवार, 28 जून 2015

दुखद सफलता


   स्कॉटलैंड के निवासी और उपन्यासकार, कवि तथा मसीही सेवक जॉर्ज मैक्डौनल्ड (1824-1905) ने अपनी पुस्तक Unspoken Sermons में एक विसमयकारी बात लिखी जिसे आज भी अनेक लेखकों और वक्ताओं द्वारा उद्धृत किया जाता है; उन्होंने लिखा: "मनुष्य जो कुछ भी परमेश्वर की इच्छा के बाहर करता है उसमें या तो उसे दयनीय असफलता मिलती है - अन्यथा वह और भी अधिक दुखद सफलता का पात्र बनता है।" यह कथन लिखते समय मैक्डौनल्ड मसीही विश्वासियों द्वारा आत्म-त्याग के कठिन विषय और उसे प्रभु यीशु मसीह की शिक्षा, "उसने सब से कहा, यदि कोई मेरे पीछे आना चाहे, तो अपने आप से इन्कार करे और प्रति दिन अपना क्रूस उठाए हुए मेरे पीछे हो ले। क्योंकि जो कोई अपना प्राण बचाना चाहेगा वह उसे खोएगा, परन्तु जो कोई मेरे लिये अपना प्राण खोएगा वही उसे बचाएगा" (लूका 9:23-24) पर लागू करने के बारे में लिख रहे थे।

   मैक्डौनल्ड का कहना था कि वास्तविक आ्त्म-त्याग का अर्थ अपनी स्वाभाविक इच्छाओं को केवल दबा देना नहीं है वरन यह कि "हम प्रत्येक बात को वैसा देखें जैसा हमारा प्रभु देखता था, उनके प्रति वही दृष्टिकोण रखें जैसा प्रभु यीशु का था। हमें परमेश्वर की इच्छा को अपने असतित्व का आधार बनाना होगा....यह नहीं सोचना कि मुझे क्या करना अच्छा लगता है वरन यह कि मेरा प्रभु क्या चाहता है कि मैं करूँ।"

   जो हमें अच्छा लगता है, जो हम चाहते हैं, उसे ही प्राप्त करना "दुखद सफलता" है। वास्तविक सफलता है प्रभु यीशु के लिए अपने प्राणों को भी खो देना; तब ही जिन बातों को हमने प्रभु की इच्छा के लिए छोड़ा था उन्हें प्रभु की इच्छा में होकर आशीष तथा संपूर्ण परिपूर्णता के साथ प्राप्त कर सकने का अवसर और मार्ग मिल सकेगा। - डेविड मैक्कैसलैंड


परमेश्वर के साथ निकटतम और सार्थक रीति से चल पाने से पहले नम्रता तथा आत्म-त्याग की अंतरभावना आती है।

क्योंकि यदि तुम शरीर के अनुसार दिन काटोगे, तो मरोगे, यदि आत्मा से देह की क्रीयाओं को मारोगे, तो जीवित रहोगे। - रोमियों 8:13

बाइबल पाठ: लूका 9:18-27
Luke 9:18 जब वह एकान्‍त में प्रार्थना कर रहा था, और चेले उसके साथ थे, तो उसने उन से पूछा, कि लोग मुझे क्या कहते हैं? 
Luke 9:19 उन्होंने उत्तर दिया, युहन्ना बपतिस्मा देनेवाला, और कोई कोई एलिय्याह, और कोई यह कि पुराने भविष्यद्वक्ताओं में से कोई जी उठा है। 
Luke 9:20 उसने उन से पूछा, परन्तु तुम मुझे क्या कहते हो? पतरस ने उत्तर दिया, परमेश्वर का मसीह। 
Luke 9:21 तब उसने उन्हें चिताकर कहा, कि यह किसी से न कहना। 
Luke 9:22 और उसने कहा, मनुष्य के पुत्र के लिये अवश्य है, कि वह बहुत दुख उठाए, और पुरिनए और महायाजक और शास्त्री उसे तुच्‍छ समझकर मार डालें, और वह तीसरे दिन जी उठे। 
Luke 9:23 उसने सब से कहा, यदि कोई मेरे पीछे आना चाहे, तो अपने आप से इन्कार करे और प्रति दिन अपना क्रूस उठाए हुए मेरे पीछे हो ले। 
Luke 9:24 क्योंकि जो कोई अपना प्राण बचाना चाहेगा वह उसे खोएगा, परन्तु जो कोई मेरे लिये अपना प्राण खोएगा वही उसे बचाएगा। 
Luke 9:25 यदि मनुष्य सारे जगत को प्राप्त करे, और अपना प्राण खो दे, या उस की हानि उठाए, तो उसे क्या लाभ होगा? 
Luke 9:26 जो कोई मुझ से और मेरी बातों से लजाएगा; मनुष्य का पुत्र भी जब अपनी, और अपने पिता की, और पवित्र स्वर्ग दूतों की, महिमा सहित आएगा, तो उस से लजाएगा। 
Luke 9:27 मैं तुम से सच कहता हूं, कि जो यहां खड़े हैं, उन में से कोई कोई ऐसे हैं कि जब तक परमेश्वर का राज्य न देख लें, तब तक मृत्यु का स्‍वाद न चखेंगे।

एक साल में बाइबल: 
  • अय्युब 11-13
  • प्रेरितों 9:1-21


शनिवार, 27 जून 2015

इकठ्ठे


   संसार के अनेक इलाके बर्फ और उसके विसमित करने वाले प्रभावों से परिचित हैं। आकाश से पड़ने वाली बर्फ अनेक छोटे छोटे कणों के एक साथ इकठ्ठा हो जाने से बनती है। यदि उस बर्फ के एक कण को सूक्षम स्तर पर जाकर देखें तो वह जमे हुए पानी का बहुत सुन्दर और अनूठा रूप होता है, और प्रत्येक कण अन्य कणों से भिन्न होता है। बर्फ का एक कण अपने आप में बहुत कमज़ोर होता है; यदि वह आपके हाथ या मुँह पर पड़े तो शीघ्र ही पिघल कर समाप्त हो जाता है। परन्तु जब अनेकों कण एक साथ इकठ्ठा हो जाते हैं तो वे एक ऐसा समूह बनाते हैं जिसकी सामर्थ के आगे कुछ भी टिक नहीं पाता। बर्फ से ढकी ज़मीन और बर्फ से लदे पेड़ सुन्दर दृश्य प्रस्तुत करते हैं किंतु साथ ही वे रास्ते रोक सकते हैं, हर प्रकार का यातायात बाधित कर सकते हैं और जनजीवन को थाम सकते हैं। बर्फ से ढके पहाड़ और इलाके बच्चों के खेलने और मनोरंजन का स्थान, स्की करने के स्थान और मैदानों को जीवन दायक जल देने के स्त्रोत बन जाते हैं। परन्तु भारी हिमपात और बर्फ के खिसकने से विनाश भी होता है। यह सब कुछ इसलिए संभव है क्योंकि अनेक बलहीन और क्षण-भंगुर हिम-कणों के इकठ्ठा हो जाने से उनकी सामर्थ अलग ही हो जाती है।

   कुछ यही स्थिति हम मसीही विश्वासियों के साथ भी है। हम में से प्रत्येक अनूठा है, प्रत्येक के अपने गुण हैं, प्रत्येक की मसीह यीशु के लिए अपनी ही उपयोगिता है। मसीह ने हमें एकाकी रहने और कार्य करने के लिए कदापि नहीं चुना, वरन आरंभ से ही उसने चाहा कि हम एक साथ इकठ्ठा रहकर एक ऐसी सामर्थी मण्डली बनें जो परमेश्वर और उसके उद्देश्यों के लिए कार्यकारी हो, पार्थिव नहीं आलौकिक बातों की खोजी हो और यही संसार के सामने भी प्रस्तुत करे। प्रेरित पौलुस ने भी कुरिन्थुस की मण्डली को लिखी अपनी पहली पत्री में उन्हें स्मरण कराया कि हम सब मिलकर मसीह यीशु की देह बनाते हैं और हम सब को परमेश्वर द्वारा हमें प्रदान किए गए गुणों का उपयोग एक-दूसरे की उन्नति तथा मसीह के नाम की महिमा के लिए करना चाहिए; हम एक साथ इकठ्ठा रहकर कार्य करने के द्वारा ही यह कर सकते हैं।

   परमेश्वर से मिली आशीषों तथा गुणों को परमेश्वर की महिमा के लिए उपयोग कीजिए; अपने आस-पास के लोगों और उनकी आशीषों तथा गुणों के साथ मिलकर सबकी भलाई और मसीह यीशु की महिमा के लिए कार्य कीजिए और परमेश्वर आप में होकर अपनी सामर्थ संसार के सामने प्रकट करेगा। - जो स्टोवैल


अकेले कार्य करने की बजाए हम इकठ्ठे होकर अधिक बेहतर कार्य कर सकते हैं।

क्योंकि जैसे हमारी एक देह में बहुत से अंग हैं, और सब अंगों का एक ही सा काम नहीं। वैसा ही हम जो बहुत हैं, मसीह में एक देह हो कर आपस में एक दूसरे के अंग हैं। - रोमियों 12:4-5

बाइबल पाठ: 1 कुरिन्थियों 12:12-27
1 Corinthians 12:12 क्योंकि जिस प्रकार देह तो एक है और उसके अंग बहुत से हैं, और उस एक देह के सब अंग, बहुत होने पर भी सब मिलकर एक ही देह हैं, उसी प्रकार मसीह भी है। 
1 Corinthians 12:13 क्योंकि हम सब ने क्या यहूदी हो, क्या युनानी, क्या दास, क्या स्‍वतंत्र एक ही आत्मा के द्वारा एक देह होने के लिये बपतिस्मा लिया, और हम सब को एक ही आत्मा पिलाया गया। 
1 Corinthians 12:14 इसलिये कि देह में एक ही अंग नहीं, परन्तु बहुत से हैं। 
1 Corinthians 12:15 यदि पांव कहे कि मैं हाथ नहीं, इसलिये देह का नहीं, तो क्या वह इस कारण देह का नहीं? 
1 Corinthians 12:16 और यदि कान कहे; कि मैं आंख नहीं, इसलिये देह का नहीं, तो क्या वह इस कारण देह का नहीं? 
1 Corinthians 12:17 यदि सारी देह आंख ही होती तो सुनना कहां से होता? यदि सारी देह कान ही होती तो सूंघना कहां होता? 
1 Corinthians 12:18 परन्तु सचमुच परमेश्वर ने अंगो को अपनी इच्छा के अनुसार एक एक कर के देह में रखा है। 
1 Corinthians 12:19 यदि वे सब एक ही अंग होते, तो देह कहां होती? 
1 Corinthians 12:20 परन्तु अब अंग तो बहुत से हैं, परन्तु देह एक ही है। 
1 Corinthians 12:21 आंख हाथ से नहीं कह सकती, कि मुझे तेरा प्रयोजन नहीं, और न सिर पांवों से कह सकता है, कि मुझे तुम्हारा प्रयोजन नहीं। 
1 Corinthians 12:22 परन्तु देह के वे अंग जो औरों से निर्बल देख पड़ते हैं, बहुत ही आवश्यक हैं। 
1 Corinthians 12:23 और देह के जिन अंगो को हम आदर के योग्य नहीं समझते हैं उन्‍हीं को हम अधिक आदर देते हैं; और हमारे शोभाहीन अंग और भी बहुत शोभायमान हो जाते हैं। 
1 Corinthians 12:24 फिर भी हमारे शोभायमान अंगो को इस का प्रयोजन नहीं, परन्तु परमेश्वर ने देह को ऐसा बना दिया है, कि जिस अंग को घटी थी उसी को और भी बहुत आदर हो। 
1 Corinthians 12:25 ताकि देह में फूट न पड़े, परन्तु अंग एक दूसरे की बराबर चिन्‍ता करें। 
1 Corinthians 12:26 इसलिये यदि एक अंग दु:ख पाता है, तो सब अंग उसके साथ दु:ख पाते हैं; और यदि एक अंग की बड़ाई होती है, तो उसके साथ सब अंग आनन्द मनाते हैं। 
1 Corinthians 12:27 इसी प्रकार तुम सब मिल कर मसीह की देह हो, और अलग अलग उसके अंग हो।

एक साल में बाइबल: 
  • अय्युब 8-10
  • प्रेरितों 8:26-40


शुक्रवार, 26 जून 2015

सबसे बुरा समय


   मई 2011 में मिस्सूरी प्रांत का जोपलिन शहर एक भयानक चक्रवादी तूफान से उजड़ गया। उस दिन एक जवान महिला ने तूफान से बचने के लिए स्नान करने वाले बड़े से टब में लेटकर शरण ली और उसका पति उसकी रक्षा के लिए उसके ऊपर लेट गया। तूफान के वेग से टूटते घर के मलबे और उड़ती गिरती हुई वस्तुओं से पति के शरीर पर चोटें पहुँचती रहीं जिनके कारण उसकी मृत्यु हो गई किंतु उस महिला की जान बच गई। स्वाभाविक रूप से उस महिला के सामने प्रश्न था, "ऐसा क्यों?" लेकिन उस तूफान के एक वर्ष बाद उसी महिला ने कहा कि उसे अब इस बात से सांत्वना मिलती है कि उसके जीवन के सबसे बुरे दिन में भी वह अथाह प्रेम की पात्र थी।

   जब मैं किसी के जीवन के सबसे बुरे दिनों के बारे में सोचती हूँ तो मेरा ध्यान परमेश्वर के वचन बाइबल के एक पात्र, अय्युब की ओर जाता है। अय्युब एक बहुत समृद्ध तथा भक्त व्यक्ति था जो परमेश्वर से बहुत प्रेम करता था, उसकी उपासना करता था और परमेश्वर भी उसकी खराई का उदाहरण देता था। लेकिन एक ही दिन में, अलग अलग घटानाओं में उसके दस बच्चे, उसके सारे सेवक और उसके सारे जानवर मारे गए। अय्युब इस बात से बहुत दुखी हुआ और विलाप करते हुए उसने भी परमेश्वर से प्रश्न किया "ऐसा क्यों?" उसने परमेश्वर से कहा, "हे मनुष्यों के ताकने वाले, मैं ने पाप तो किया होगा, तो मैं ने तेरा क्या बिगाड़ा? तू ने क्यों मुझ को अपना निशाना बना लिया है, यहां तक कि मैं अपने ऊपर आप ही बोझ हुआ हूँ?" (अय्युब 7:20)

   अय्युब के मित्रों ने उस पर दोष लगाया कि अवश्य ही उसने पाप किया है जिसका उसे ऐसा प्रतिफल मिला है; लेकिन आगे चलकर परमेश्वर ने उनके इस दोषारोपण को लेकर अय्युब के मित्रों से कहा, "और ऐसा हुआ कि जब यहोवा ये बातें अय्यूब से कह चुका, तब उसने तेमानी एलीपज से कहा, मेरा क्रोध तेरे और तेरे दोनों मित्रों पर भड़का है, क्योंकि जैसी ठीक बात मेरे दास अय्यूब ने मेरे विषय कही है, वैसी तुम लोगों ने नहीं कही" (अय्युब 42:7)।

   परमेश्वर ने अय्युब को उसके दुखों का कोई कारण तो नहीं बताया, परन्तु परमेश्वर ने अय्युब के प्रश्नों को सुना और उन प्रश्नों के लिए उसे दोषी नहीं ठहराया। वरन परमेश्वर ने अय्युब को सृष्टि की हर बात और सारे संचालन पर अपने नियंत्रण को समझाया और अय्युब ने उसकी इस बात को स्वीकार किया (अय्युब 42:1-6)।

   जब हम परीक्षाओं में पड़ें, दुख परेशानियाँ हम पर आएं, तो आवश्यक नहीं कि परमेश्वर उनका कारण भी हमें बताए। लेकिन हम हर परिस्थिति में हर कठिनाई में इस बात से आश्वस्त रह सकते हैं कि परमेश्वर का प्रेम हमारे प्रति कभी कम नहीं होता; वह सदा हमारे साथ रहता है; हमारे दुखों में हमारे साथ दुखी भी होता है और अन्ततः हर बात के द्वारा हमारा भला ही करता है। - ऐनी सेटास


हमारे प्रति परमेश्वर का प्रेम हमें परीक्षाओं से बचाता नहीं वरन उन परीक्षाओं में हमें सुरक्षित रखता है।

और हम जानते हैं, कि जो लोग परमेश्वर से प्रेम रखते हैं, उन के लिये सब बातें मिलकर भलाई ही को उत्पन्न करती है; अर्थात उन्हीं के लिये जो उस की इच्छा के अनुसार बुलाए हुए हैं। - रोमियों 8:28

बाइबल पाठ: अय्युब 7:11-21
Job 7:11 इसलिये मैं अपना मुंह बन्द न रखूंगा; अपने मन का खेद खोल कर कहूंगा; और अपने जीव की कड़ुवाहट के कारण कुड़कुड़ाता रहूंगा। 
Job 7:12 क्या मैं समुद्र हूँ, वा मगरमच्छ हूँ, कि तू मुझ पर पहरा बैठाता है? 
Job 7:13 जब जब मैं सोचता हूं कि मुझे खाट पर शान्ति मिलेगी, और बिछौने पर मेरा खेद कुछ हलका होगा; 
Job 7:14 तब तब तू मुझे स्वप्नों से घबरा देता, और दर्शनों से भयभीत कर देता है; 
Job 7:15 यहां तक कि मेरा जी फांसी को, और जीवन से मृत्यु को अधिक चाहता है। 
Job 7:16 मुझे अपने जीवन से घृणा आती है; मैं सर्वदा जीवित रहना नहीं चाहता। मेरा जीवनकाल सांस सा है, इसलिये मुझे छोड़ दे। 
Job 7:17 मनुष्य क्या है, कि तू उसे महत्व दे, और अपना मन उस पर लगाए, 
Job 7:18 और प्रति भोर को उसकी सुधि ले, और प्रति क्षण उसे जांचता रहे? 
Job 7:19 तू कब तक मेरी ओर आंख लगाए रहेगा, और इतनी देर के लिये भी मुझे न छोड़ेगा कि मैं अपना थूक निगल लूं? 
Job 7:20 हे मनुष्यों के ताकने वाले, मैं ने पाप तो किया होगा, तो मैं ने तेरा क्या बिगाड़ा? तू ने क्यों मुझ को अपना निशाना बना लिया है, यहां तक कि मैं अपने ऊपर आप ही बोझ हुआ हूँ? 
Job 7:21 और तू क्यों मेरा अपराध क्षमा नहीं करता? और मेरा अधर्म क्यों दूर नहीं करता? अब तो मैं मिट्टी में सो जाऊंगा, और तू मुझे यत्न से ढूंढ़ेगा पर मेरा पता नहीं मिलेगा।

एक साल में बाइबल: 
  • अय्युब 5-7
  • प्रेरितों 8:1-25


गुरुवार, 25 जून 2015

नम्र


   सिंक्लेयर ल्युइस का उपन्यास ’मेन स्ट्रीट’ शहर में रहने वाली एक ऐसी महिला पर आधारित है जिसकी शादी गाँव मे रहने और काम करने वाले एक साधारण से स्वभाव के डॉक्टर से होती है। गाँव के साधाराण, सामान्य लोगों में आने के बाद, अपनी शहरी पृष्ठभूमि और रहन-सहन के कारण वह महिला अपने आप को वहाँ के अन्य सभी लोगों से श्रेष्ठ समझती है। परन्तु एक दिन एक चिकित्सीय संकट में उसके पति के नम्र व्यवहार से उसे अपने अभिमानपूर्ण व्यवहार और जीवन-शैली पर पुनःविचार करने के लिए बाध्य होना पड़ता है। एक परदेशी किसान की बाँह चोटिल हो जाती है और उस बाँह को काटने का निर्णय लेना पड़ता है। वह महिला अचरज और आदर के साथ देखती है कि कैसे उसका पति उस घायल किसान और उसकी घबराई हुई पत्नि से सान्तवना भरे भाव में बातें करता है, उन्हें ढाढ़स देता है। उस चिकित्सक का संवेदनापूर्ण व्यवहार और नम्र आचरण, उसकी पत्नि के अभिमानी मन के समक्ष एक चुनौती प्रस्तुत करता है।

   मसीही विश्वासी होने के कारण हम परमेश्वर की सन्तान भी हैं और उसके स्वर्गीय राज्य के वारिस भी; इसलिए इस संसार के अपने सभी संबंधों को लेकर हम या तो अपने आप को औरों से ऊँचा तथा श्रेष्ठ समझ सकते हैं, या फिर अपने प्रभु परमेश्वर के समान ही नम्रता के साथ औरों के भले के कार्य कर सकते हैं। प्रेरित पौलुस ने फिलिप्पी के मसीही विश्वासियों को लिखी अपनी पत्री में उनसे आग्रह किया, "विरोध या झूठी बड़ाई के लिये कुछ न करो पर दीनता से एक दूसरे को अपने से अच्छा समझो। हर एक अपनी ही हित की नहीं, वरन दूसरों की हित की भी चिन्‍ता करे" (फिलिप्पियों 2:3-4)।

   आज हमें भी, प्रभु यीशु के अनुयायी होने के कारण, प्रभु यीशु के समान ही अपने हितों से अधिक औरों के हितों का धयान रखना चाहिए। जैसे प्रभु यीशु ने दास का सा स्वरूप धारण कर लिया और हमारे हित के लिए अपने आप को बलिदान कर दिया, वैसे ही हमें भी नम्रता के साथ दूसरों की भलाई और हित के लिए कार्य करना है। - डैनिस फिशर


दूसरों की भलाई को अपनी भलाई से बढ़कर मानना आनन्दायक होता है।

भाईचारे के प्रेम से एक दूसरे पर दया रखो; परस्पर आदर करने में एक दूसरे से बढ़ चलो। - रोमियों 12:10

बाइबल पाठ: फिलिप्पियों 2:1-11
Philippians 2:1 सो यदि मसीह में कुछ शान्‍ति और प्रेम से ढाढ़स और आत्मा की सहभागिता, और कुछ करूणा और दया है। 
Philippians 2:2 तो मेरा यह आनन्द पूरा करो कि एक मन रहो और एक ही प्रेम, एक ही चित्त, और एक ही मनसा रखो। 
Philippians 2:3 विरोध या झूठी बड़ाई के लिये कुछ न करो पर दीनता से एक दूसरे को अपने से अच्छा समझो। 
Philippians 2:4 हर एक अपनी ही हित की नहीं, वरन दूसरों के हित की भी चिन्‍ता करे। 
Philippians 2:5 जैसा मसीह यीशु का स्‍वभाव था वैसा ही तुम्हारा भी स्‍वभाव हो। 
Philippians 2:6 जिसने परमेश्वर के स्‍वरूप में हो कर भी परमेश्वर के तुल्य होने को अपने वश में रखने की वस्तु न समझा। 
Philippians 2:7 वरन अपने आप को ऐसा शून्य कर दिया, और दास का स्‍वरूप धारण किया, और मनुष्य की समानता में हो गया। 
Philippians 2:8 और मनुष्य के रूप में प्रगट हो कर अपने आप को दीन किया, और यहां तक आज्ञाकारी रहा, कि मृत्यु, हां, क्रूस की मृत्यु भी सह ली। 
Philippians 2:9 इस कारण परमेश्वर ने उसको अति महान भी किया, और उसको वह नाम दिया जो सब नामों में श्रेष्ठ है। 
Philippians 2:10 कि जो स्वर्ग में और पृथ्वी पर और जो पृथ्वी के नीचे है; वे सब यीशु के नाम पर घुटना टेकें। 
Philippians 2:11 और परमेश्वर पिता की महिमा के लिये हर एक जीभ अंगीकार कर ले कि यीशु मसीह ही प्रभु है।

एक साल में बाइबल: 
  • अय्युब 3-4
  • प्रेरितों 7:44-60


बुधवार, 24 जून 2015

अनुभव


   जब वायु-यान चालकों का प्रशिक्षण होता है तो उन्हें कई घंटे उड़ान का सा अनुभव देने वाली मशीन - फ्लाईट सिमुलेटर पर सीखने में बिताने पड़ते हैं। ये सिमुलेटर देखने में विमान के चालक कक्ष जैसे ही बने होते हैं और उनमें उस कक्ष के समान ही सभी उपकरण लगे होते हैं। प्रशिक्षण लेने वाले के समक्ष उस सिमुलेटर में उड़ान जैसे कृत्रिम अनुभव रखे जाते हैं और उसे उन अनुभवों में होकर वायुयान चलाना सीखना होता है। इस पूरी प्रक्रिया में प्रशिक्षार्थी ज़मीन पर ही मशीन के अन्दर बैठा होता है, और यदि उससे उस कृत्रिम वायुयान का कोई नुकसान या दुर्घटना भी हो जाए तो भी वास्तव में कोई हानि नहीं हुई होती। सिखाने के लिए ये सिमुलेटर एक बहुत कारगर यंत्र हैं और वायुयान चालकों को तैयार करने में इनकी बहुत महत्वपूर्ण भूमिका है, परन्तु फिर भी ये वास्तविक उड़ान जैसी हर परिस्थिति को बना पाने और वैसा अनुभव दे पाने में सक्षम नहीं हैं। वैसा अनुभव तो चालक को वास्तविक वायुयान में बैठकर और अन्ततः वास्तविक उड़ान भरने से ही मिलता है।

   जीवन भी अनेक रीति से ऐसा ही है - उसे कृत्रिम अनुभवों के आधार पर नहीं जीया जा सकता। ऐसा कोई भी पूर्ण्तया सुरक्षित अथवा किसी भी जोखिम से विहीन वातावरण नहीं है जिसमें हम जीवन के सभी उतार-चढ़ाव कभी भी बिना किसी हानि को उठाएअ अनुभव कर सकें। पाप और उसके दुषप्रभावों से भरे तथा उनसे बिगड़े हुए इस संसार में जीवन जीने के खतरों से हम बच नहीं सकते। इसीलिए हम मसीही विश्वासियों के लिए प्रभु यीशु द्वारा दिए गए आश्वासन बहुत शान्ति देने वाले हैं; प्रभु यीशु ने कहा, "मैं ने ये बातें तुम से इसलिये कही हैं, कि तुम्हें मुझ में शान्‍ति मिले; संसार में तुम्हें क्‍लेश होता है, परन्तु ढाढ़स बांधो, मैं ने संसार को जीन लिया है" (यूहन्ना 16:33)।

   यद्यपि हम मसीही विश्वासी इस पतित संसार में जीवन के खतरों और जोखिमों से बचे तो नहीं रह सकते, लेकिन हम उन खतरोंअ उर जोखिमों के बावजूद आश्वस्त और शान्त होकर अवश्य रह सकते हैं क्योंकि परमेश्वर प्रभउ के साथ बना हुआ हमारा संबंध हमारे लिए अनन्त काल की शान्ति और हर परिस्थिति में आवश्यक सामर्थ तथा सहायता के उपलब्ध होने का आश्वासन है। हमारा प्रभु संसार तथा संसार के हाकिमों और दुष्ट की सभी शक्तियों एवं योजनाओं पर जयवन्त है। - बिल क्राउडर


परमेश्वर को समर्पित जीवन से अधिक सुरक्षित जीवन कोई नहीं है।

प्रभु यीशु ने कहा: "मैं तुम्हें शान्‍ति दिए जाता हूं, अपनी शान्‍ति तुम्हें देता हूं; जैसे संसार देता है, मैं तुम्हें नहीं देता: तुम्हारा मन न घबराए और न डरे।" - यूहन्ना 14:27

बाइबल पाठ: यूहन्ना 16:25-33
John 16:25 मैं ने ये बातें तुम से दृष्‍टान्‍तों में कही हैं, परन्तु वह समय आता है, कि मैं तुम से दृष्‍टान्‍तों में और फिर नहीं कहूंगा परन्तु खोल कर तुम्हें पिता के विषय में बताऊंगा। 
John 16:26 उस दिन तुम मेरे नाम से मांगोगे, और मैं तुम से यह नहीं कहता, कि मैं तुम्हारे लिये पिता से बिनती करूंगा। 
John 16:27 क्योंकि पिता तो आप ही तुम से प्रीति रखता है, इसलिये कि तुम ने मुझ से प्रीति रखी है, और यह भी प्रतीति की है, कि मैं पिता कि ओर से निकल आया। 
John 16:28 मैं पिता से निकलकर जगत में आया हूं, फिर जगत को छोड़कर पिता के पास जाता हूं। 
John 16:29 उसके चेलों ने कहा, देख, अब तो तू खोल कर कहता है, और कोई दृष्‍टान्‍त नहीं कहता। 
John 16:30 अब हम जान गए, कि तू सब कुछ जानता है, और तुझे प्रयोजन नहीं, कि कोई तुझ से पूछे, इस से हम प्रतीति करते हैं, कि तू परमेश्वर से निकला है। 
John 16:31 यह सुन यीशु ने उन से कहा, क्या तुम अब प्रतीति करते हो? 
John 16:32 देखो, वह घड़ी आती है वरन आ पहुंची कि तुम सब तित्तर बित्तर हो कर अपना अपना मार्ग लोगे, और मुझे अकेला छोड़ दोगे, तौभी मैं अकेला नहीं क्योंकि पिता मेरे साथ है। 
John 16:33 मैं ने ये बातें तुम से इसलिये कही हैं, कि तुम्हें मुझ में शान्‍ति मिले; संसार में तुम्हें क्‍लेश होता है, परन्तु ढाढ़स बांधो, मैं ने संसार को जीन लिया है।

एक साल में बाइबल: 
  • एस्तेर 1-2
  • प्रेरितों 7:22-43


मंगलवार, 23 जून 2015

अधिकार और अधिकारी


   हमारे चर्च के लोग चर्च के नए भवन के निर्माण को लेकर बहुत उत्साहित थे। प्रति इतवार वे सब उस भवन के निर्माण के लिए ज़मीन में करी गई खुदाई को देखते; निर्माण कार्य बढ़ तो रहा था किंतु उसकी गति बहुत धीमी थी। इस धीमी गति का कारण था पानी - जो एक स्थान पर आवश्यकता से अधिक था तो दूसरे स्थान पर आवश्यकता से कम! खुदाई के एक किनारे पर पानी का एक भूमिगत सोता था, इसलिए जब तक कि निर्माण की देखरेख करने वाले इस बात से सन्तुष्ट नहीं हो जाते कि वह पानी किसी अन्य वाजिब स्थान की ओर भलि-भांतिमोड़ दिया गया है, वहाँ निर्माण आगे नहीं बढ़ सकता था। दूसरी ओर नगरपालिका अधिकारियों का कहना था कि हमारे पास भवन में अनिवार्यतः लगाए जाने वाली आग बुझाने की सुविधा की आवश्यकतानुसार पर्याप्त पानी का स्त्रोत नहीं था इसलिए जब तक पानी के नए पाईप डालकर उस सुविधा की आवश्यकतानुसार पर्याप्त दबाव के साथ सही मात्रा में पानी उपलब्ध नहीं हो जाता तब तक निर्माण आगे नहीं बढ़ सकता था। हम में से कोई नहीं चाहता था कि इन नियमों के कारण निर्माण का कार्य धीमा हो किंतु हमें यह भी एहसास था कि यदि नियमानुसार कार्य नहीं किया गया तो आगे चलकर हमें बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है, समय और संसाधन दोनों का भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है और भवन भी क्षतिग्रस्त हो सकता है।

   कई बार हम सरकारी और अन्य अधिकारियों को लेकर कुड़कुड़ाते हैं, परन्तु अधिकारियों और अधिकारों को उचित आदर देना परमेश्वर को आदर देना है। प्रेरित पौलुस की अधिकारियों के साथ अपनी ही समस्याएं रहती थीं, परन्तु फिर भी उसने परमेश्वर के पवित्र आत्मा की अगुवाई में रोम के मसीही विश्वासियों को लिखी अपनी पत्री में उन्हें सिखाया, "हर एक व्यक्ति प्रधान अधिकारियों के आधीन रहे; क्योंकि कोई अधिकार ऐसा नहीं, जो परमेश्वर की ओर से न हो; और जो अधिकार हैं, वे परमेश्वर के ठहराए हुए हैं" और "...यदि तू हाकिम से निडर रहना चाहता है, तो अच्छा काम कर और उस की ओर से तेरी सराहना होगी" (रोमियों 13:1, 3)।

   हम मसीही विश्वासियों को भी परमेश्वर का पवित्र आत्मा यही सिखाता है - अधिकारियों और अधिकारों के प्रति स्वस्थ रवैया बनाए रखें; यह हमारे और हमारी मसीही गवाही के लिए भला होगा और इन सबसे बढ़कर हमारे द्वारा परमेश्वर की महिमा के लिए होगा। - डेव ब्रैनन


हमारे द्वारा अधिकारों को दिया गया आदर, परमेश्वर को आदर देता है।

परमेश्वर का नाम युगानुयुग धन्य है; क्योंकि बुद्धि और पराक्रम उसी के हैं। समयों और ऋतुओं को वही पलटता है; राजाओं का अस्त और उदय भी वही करता है; बुद्धिमानों को बुद्धि और समझ वालों को समझ भी वही देता है; - दानिय्येल 2:20-21

बाइबल पाठ: रोमियों 13:1-7
Romans 13:1 हर एक व्यक्ति प्रधान अधिकारियों के आधीन रहे; क्योंकि कोई अधिकार ऐसा नहीं, जो परमेश्वर की ओर से न हो; और जो अधिकार हैं, वे परमेश्वर के ठहराए हुए हैं। 
Romans 13:2 इस से जो कोई अधिकार का विरोध करता है, वह परमेश्वर की विधि का साम्हना करता है, और साम्हना करने वाले दण्ड पाएंगे। 
Romans 13:3 क्योंकि हाकिम अच्छे काम के नहीं, परन्तु बुरे काम के लिये डर का कारण हैं; सो यदि तू हाकिम से निडर रहना चाहता है, तो अच्छा काम कर और उस की ओर से तेरी सराहना होगी; 
Romans 13:4 क्योंकि वह तेरी भलाई के लिये परमेश्वर का सेवक है। परन्तु यदि तू बुराई करे, तो डर; क्योंकि वह तलवार व्यर्थ लिये हुए नहीं और परमेश्वर का सेवक है; कि उसके क्रोध के अनुसार बुरे काम करने वाले को दण्ड दे। 
Romans 13:5 इसलिये आधीन रहना न केवल उस क्रोध से परन्तु डर से अवश्य है, वरन विवेक भी यही गवाही देता है। 
Romans 13:6 इसलिये कर भी दो, क्योंकि शासन करने वाले परमेश्वर के सेवक हैं, और सदा इसी काम में लगे रहते हैं। 
Romans 13:7 इसलिये हर एक का हक चुकाया करो, जिस कर चाहिए, उसे कर दो; जिसे महसूल चाहिए, उसे महसूल दो; जिस से डरना चाहिए, उस से डरो; जिस का आदर करना चाहिए उसका आदर करो।

एक साल में बाइबल: 
  • एस्तेर 9-10
  • प्रेरितों 7:1-21


सोमवार, 22 जून 2015

सामर्थ


   नैशनल जियोग्राफिक सोसायटी द्वारा प्रकाशित एक संसार के नक्शे पर लिखा हुआ है, "पृथ्वी का वज़न 6.6 सिक्सट्रिल्यन टन है" और हमारी कलपना से भी परे यह इतना भारी वज़न किस पर स्थिर किया गया है - शून्य पर! यह पृथ्वी जिस पर हम निवास करते हैं और अपना जीवन जीते हैं, अपनी धुरी पर 1000 मील प्रति घंटा की गति से घूमते हुए अन्तरिक्ष में सूरज के चारों ओर भी चक्कर लगा रही है; ये सभी कार्य नियमित और निर्धारित रीति से अपने समयानुसार अविरल होते रहते हैं। लेकिन अपने स्वास्थ्य, रिश्तेदारियों, भुगतानों को करने आदि की चिन्ताओं में पड़े होने से हमें इन बातों को पहचानने तथा उनकी ओर ध्यान देने का समय ही नहीं मिल पाना हमारे लिए बड़ी सामान्य सी बात है। लेकिन परमेश्वर हमारी प्रत्येक बात और आवश्यकता का ध्यान करता है; उनका भी जिन्हें हम जानते भी नहीं हैं, और उनके लिए भी जो उसे जानते और मानते नहीं हैं।

   परमेश्वर के वचन बाइबल में पुराने नियम खण्ड के एक पात्र, अय्युब ने अपने स्वास्थ्य, परिवार और संपदा की आक्समिक और समझ से बाहर भारी हानि उठाने पर, परमेश्वर की सृष्टि में विदित उसके कार्यों और सामर्थ के द्वारा अपनी परिस्थिति को समझने की प्रयास किया। उसने कहा, "वह उत्तर दिशा को निराधार फैलाए रहता है, और बिना टेक पृथ्वी को लटकाए रखता है" (अय्युब 26:7)। अय्युब ने बादलों को देखकर अचंभा किया जो इतना जल लिए रहते हैं फिर भी फटते नहीं (अय्युब 26:8); अय्युब ने उजियाले और अन्धकार के सिवाने पर विचार किया (अय्युब 26:10) और इन सब बातों को परमेश्वर की गति का महज़ छोर मात्र ही कहा (अय्युब 26:14)।

   सृष्टि ने अय्युब के प्रश्नों का उत्तर तो नहीं दिया, परन्तु उस सृष्टिकर्ता परमेश्वर की ओर, जो सहायता और आशा के साथ उसके प्रश्नों के उत्तर दे सकता था, उसका ध्यान अवश्य कर दिया।

   वह परमेश्वर जो इस सृष्टि को अपने शब्द से संभाले हुए है (इब्रानियों 1:3; कुलुस्सियों1:17), वही हमारे जीवनो को भी संभाले रहता है। वे अनुभव जो हमें "शून्य" या महत्वहीन प्रतीत होते हैं, वे सब परमेश्वर पिता की सामर्थ और प्रेम में होकर हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण और आवश्यक कार्य पूरा कर रहे हैं। परमेश्वर का कोई भी कार्य व्यर्थ अथवा महत्वहीन नहीं है; उसपर भरोसा रखिए, उसके समय की प्रतीक्षा कीजिए, उसे समर्पित रहिए। - डेविड मैक्कैसलैण्ड


जब हम परमेश्वर की सृष्टि में दिखने वाली उसकी सामर्थ पर मनन करते हैं, हम अपने प्रति उसकी देखरेख की सामर्थ को भी पहिचानते हैं।

वह [प्रभु यीशु] उस की महिमा का प्रकाश, और उसके तत्‍व की छाप है, और सब वस्‍तुओं को अपनी सामर्थ के वचन से संभालता है: वह पापों को धोकर ऊंचे स्थानों पर महामहिमन के दाहिने जा बैठा। - इब्रानियों 1:3 

बाइबल पाठ: अय्युब 26:5-14
Job 26:5 बहुत दिन के मरे हुए लोग भी जलनिधि और उसके निवासियों के तले तड़पते हैं। 
Job 26:6 अधोलोक उसके साम्हने उघड़ा रहता है, और विनाश का स्थान ढंप नहीं सकता। 
Job 26:7 वह उत्तर दिशा को निराधार फैलाए रहता है, और बिना टेक पृथ्वी को लटकाए रखता है। 
Job 26:8 वह जल को अपनी काली घटाओं में बान्ध रखता, और बादल उसके बोझ से नहीं फटता। 
Job 26:9 वह अपने सिंहासन के साम्हने बादल फैला कर उसको छिपाए रखता है। 
Job 26:10 उजियाले और अन्धियारे के बीच जहां सिवाना बंधा है, वहां तक उसने जलनिधि का सिवाना ठहरा रखा है। 
Job 26:11 उसकी घुड़की से आकाश के खम्भे थरथरा कर चकित होते हैं। 
Job 26:12 वह अपने बल से समुद्र को उछालता, और अपनी बुद्धि से घपण्ड को छेद देता है। 
Job 26:13 उसकी आत्मा से आकाशमण्डल स्वच्छ हो जाता है, वह अपने हाथ से वेग भागने वाले नाग को मार देता है। 
Job 26:14 देखो, ये तो उसकी गति के किनारे ही हैं; और उसकी आहट फुसफुसाहट ही सी तो सुन पड़ती है, फिर उसके पराक्रम के गरजने का भेद कौन समझ सकता है?

एक साल में बाइबल: 
  • एस्तेर 6-8
  • प्रेरितों 6



रविवार, 21 जून 2015

कमज़ोर तथा बलवन्त


   कुछ वर्ष पहले की बात है, देर रात का समय था, मैं कुछ अन्य लोगों के साथ एक इमारत में लिफ्ट में था; हम सब थके हुए दिखाई दे रहे थे। लिफ्ट एक मंज़िल पर रुकी और एक कद्दावर व्यक्ति अन्दर आया, उसने दबी हुई पुरानी सी टोपी, कुचला हुआ पुराना सा कोट और घिसे हुए पुराने से जूते पहने हुए थे। लिफट के अन्दर आते ही उसने हम सब पर एक नज़र घुमाई और भारी गुर्राहट वाली आवाज़ में बोला, "पुरुषों, सलाम!" उसके मुँह से यह सुनते ही हम सब अपने कंधों को चौरस करके सीधे खड़े हो गए; हम सब उसके द्वारा किए गए संबोधन के अनुसार दिखने का प्रयास कर रहे थे।

   आज के दिन, जो पुरुषों के सम्मान को समर्पित है, आईये पुरुष होने के बारे में कुछ बातें करें। हम साहसी और सामर्थी बनने के प्रयास तो करते हैं, किंतु कई बार यह महज़ दिखावा होता है; अपने सारे प्रयासों के बावजूद हम अपने अन्दर इस बात को जानते हैं कि हम वैसे हैं नहीं जैसा दिखा रहे हैं। बाहर से दिखाई देने वाली हमारी निर्भीकता के पीछे अन्दर ही अन्दर हमारे अनेक डर, असुरक्षाएं और कमियाँ छुपी रहती हैं। हमारा बाहर से दिखाई देने वाला पौरुष कई बार छलावा मात्र ही होता है।

   प्रेरित पौलुस इस सच्चाई को स्वीकार करने से लजाया नहीं; उसने कुरिन्थुस की मसीही मण्डली को लिखी अपनी दूसरी पत्री में लिखा, "...हम भी तो उस में निर्बल हैं; परन्तु परमेश्वर की सामर्थ से जो तुम्हारे लिये है, उसके साथ जीएंगे" (2 कुरिन्थियों 13:4)। यह केवल धर्मपरायणता दिखाने के लिए कही जाने वाली बात नहीं है वरन दीन कर देने वाली सच्चाई है। लेकिन साथ ही पौलुस ने यह भी लिखा कि "जागते रहो, विश्वास में स्थिर रहो, पुरूषार्थ करो, बलवन्‍त होओ" (1 कुरिन्थियों 16:13), जो एक विरोधाभास जैसा लगता है।

   यह कैसे हो सकता है कि हम स्वाभिक रूप से निर्बल भी हों और फिर पुराषार्थ करें तथा बलवन्त होते जाएं? यह केवल तब संभवव है जब हम, प्रेरित पुलुस के समान ही, अपने कमज़ोरियों को मानते हुए अपने आप को पूर्णतः परमेश्वर के हाथों में समर्पित कर दें, और फिर उसकी सामर्थ तथा मार्गदर्शन के साथ, उसके कार्यों को करें, जिनके लिए वह हमें आवश्यक बल, बुद्धि और योग्यता प्रदान करेगा। प्रभु यीशु हम कमज़ोरों को भी बलवन्त बना देता है। - डेविड रोपर


सच्चा बल, आत्मा में परमेश्वर की सामर्थ का होना है।

इस कारण मैं मसीह के लिये निर्बलताओं, और निन्‍दाओं में, और दरिद्रता में, और उपद्रवों में, और संकटों में, प्रसन्न हूं; क्योंकि जब मैं निर्बल होता हूं, तभी बलवन्‍त होता हूं। - 2 कुरिन्थियों 12:10 

बाइबल पाठ: 1 कुरिन्थियों 16:9-13
1 Corinthians 16:9 क्योंकि मेरे लिये एक बड़ा और उपयोगी द्वार खुला है, और विरोधी बहुत से हैं।
1 Corinthians 16:10 यदि तीमुथियुस आ जाए, तो देखना, कि वह तुम्हारे यहां निडर रहे; क्योंकि वह मेरी नाईं प्रभु का काम करता है। 
1 Corinthians 16:11 इसलिये कोई उसे तुच्‍छ न जाने, परन्तु उसे कुशल से इस ओर पहुंचा देना, कि मेरे पास आ जाए; क्योंकि मैं उस की बाट जोह रहा हूं, कि वह भाइयों के साथ आए। 
1 Corinthians 16:12 और भाई अपुल्लोस से मैं ने बहुत बिनती की है कि तुम्हारे पास भाइयों के साथ जाए; परन्तु उसने इस समय जाने की कुछ भी इच्छा न की, परन्तु जब अवसर पाएगा, तब आ जाएगा। 
1 Corinthians 16:13 जागते रहो, विश्वास में स्थिर रहो, पुरूषार्थ करो, बलवन्‍त होओ।

एक साल में बाइबल: 
  • एस्तेर 3-5
  • प्रेरितों 5:22-42



शनिवार, 20 जून 2015

शरणस्थान


  एक दिन मैं एक बड़ी झील के किनारे घूम रही थी; चलते चलते मैं बड़े बड़े पत्थरों और चट्टानों के निकट पहुँची और मेरा ध्यान उन चट्टानों के बीच अन्दर को बने एक छोटे से सुरक्षित स्थान की ओर गया जहाँ एक छोटा सा पौधा जड़ पकड़े हुए उग रहा था। प्रतीत हो रहा था कि उस पौधे को बढ़ने के लिए ना केवल पर्याप्त धूप और पानी उपलब्ध हो रहा है, वरन उन चट्टानों के बीच अन्दर को होने के कारण एक और महत्वपूर्ण चीज़ भी मिल रही है - सुरक्षा। वहाँ किसी भी बारिश-तूफान या तेज़ हवा से उसके कोमल पत्तों को कोई हानि नहीं हो सकती थी।

   उस पौधे के उस सुरक्षित स्थान को देखकर मुझे प्रसिद्ध मसीही भजन, "यीशु मेरे शरणस्थान, तुझ में मेरा है कल्याण" स्मरण हो आया। उस भजन के शब्द उन बातों को व्यक्त करते हैं जिन्हें हम तब चाहते हैं जब हमारा सामना हमारे प्रति बुरे इरादे रखने वाले क्रूर लोगों से होता है जो परमेश्वर को कोई मान्यता या आदर नहीं देते (भजन 94:4-7)। जब हम किसी के बुरे इरादों का निशाना बनते हैं, हम भजनकार की गवाही: "परन्तु यहोवा मेरा गढ़, और मेरा परमेश्वर मेरी शरण की चट्टान ठहरा है" (भजन 94:22) को स्मरण कर सकते हैं।

   एक चट्टान के समान हमारा परमेश्वर भरोसेमन्द और मज़बूत है; एक शरणस्थान के रूप में वह हमें संकटों और स्मस्याओं के टल जाने तक सुरक्षित रख सकता है। भजनकार हमें स्मरण दिलाता है: "वह तुझे अपने पंखों की आड़ में ले लेगा, और तू उसके पैरों के नीचे शरण पाएगा; उसकी सच्चाई तेरे लिये ढाल और झिलम ठहरेगी" (भजन 91:4)। जब परमेश्वर हमारा रक्षक है तो हमें इस बात से घबराने की आवश्यकता नहीं है कि दूसरे हमारा क्या बिगाड़ सकते हैं; हम हर बात और परिस्थिति में विश्वास रख सकते हैं कि जब भी परेशानियाँ आएंगी तब परमेश्वर हमें संभालेगा, हमारा शरणस्थान बना रहेगा। - जेनिफर बेन्सन शुल्ट


परमेश्वर अपने लोगों के लिए सदा का शरणस्थान है।

मेरा चट्टानरूपी परमेश्वर है, जिसका मैं शरणागत हूँ, मेरी ढाल, मेरा बचाने वाला सींग, मेरा ऊंचा गढ़, और मेरा शरण स्थान है, हे मेरे उद्धार कर्त्ता, तू उपद्रव से मेरा उद्धार किया करता है। - 2 शमूएल 22:3

बाइबल पाठ: भजन 94
Psalms 94:1 हे यहोवा, हे पलटा लेने वाले ईश्वर, हे पलटा लेने वाले ईश्वर, अपना तेज दिखा! 
Psalms 94:2 हे पृथ्वी के न्यायी उठ; और घमण्ड़ियों को बदला दे! 
Psalms 94:3 हे यहोवा, दुष्ट लोग कब तक, दुष्ट लोग कब तक डींग मारते रहेंगे? 
Psalms 94:4 वे बकते और ढ़िठाई की बातें बोलते हैं, सब अनर्थकारी बड़ाई मारते हैं। 
Psalms 94:5 हे यहोवा, वे तेरी प्रजा को पीस डालते हैं, वे तेरे निज भाग को दु:ख देते हैं। 
Psalms 94:6 वे विधवा और परदेशी का घात करते, और अनाथों को मार डालते हैं; 
Psalms 94:7 और कहते हैं, कि याह न देखेगा, याकूब का परमेश्वर विचार न करेगा। 
Psalms 94:8 तुम जो प्रजा में पशु सरीखे हो, विचार करो; और हे मूर्खों तुम कब तक बुद्धिमान हो जाओगे? 
Psalms 94:9 जिसने कान दिया, क्या वह आप नहीं सुनता? जिसने आंख रची, क्या वह आप नहीं देखता? 
Psalms 94:10 जो जाति जाति को ताड़ना देता, और मनुष्य को ज्ञान सिखाता है, क्या वह न समझाएगा? 
Psalms 94:11 यहोवा मनुष्य की कल्पनाओं को तो जानता है कि वे मिथ्या हैं। 
Psalms 94:12 हे याह, क्या ही धन्य है वह पुरूष जिस को तू ताड़ना देता है, और अपनी व्यवस्था सिखाता है, 
Psalms 94:13 क्योंकि तू उसको विपत्ति के दिनों में उस समय तक चैन देता रहता है, जब तक दुष्टों के लिये गड़हा नहीं खोदा जाता। 
Psalms 94:14 क्योंकि यहोवा अपनी प्रजा को न तजेगा, वह अपने निज भाग को न छोड़ेगा; 
Psalms 94:15 परन्तु न्याय फिर धर्म के अनुसार किया जाएगा, और सारे सीधे मन वाले उसके पीछे पीछे हो लेंगे। 
Psalms 94:16 कुकर्मियों के विरुद्ध मेरी ओर कौन खड़ा होगा? मेरी ओर से अनर्थकारियों का कौन साम्हना करेगा? 
Psalms 94:17 यदि यहोवा मेरा सहायक न होता, तो क्षण भर में मुझे चुपचाप हो कर रहना पड़ता। 
Psalms 94:18 जब मैं ने कहा, कि मेरा पांव फिसलने लगा है, तब हे यहोवा, तेरी करूणा ने मुझे थाम लिया। 
Psalms 94:19 जब मेरे मन में बहुत सी चिन्ताएं होती हैं, तब हे यहोवा, तेरी दी हुई शान्ति से मुझ को सुख होता है। 
Psalms 94:20 क्या तेरे और दुष्टों के सिंसाहन के बीच सन्धि होगी, जो कानून की आड़ में उत्पात मचाते हैं? 
Psalms 94:21 वे धर्मी का प्राण लेने को दल बान्धते हैं, और निर्दोष को प्राणदण्ड देते हैं। 
Psalms 94:22 परन्तु यहोवा मेरा गढ़, और मेरा परमेश्वर मेरी शरण की चट्टान ठहरा है। 
Psalms 94:23 और उसने उनका अनर्थ काम उन्हीं पर लौटाया है, और वह उन्हें उन्हीं की बुराई के द्वारा सत्यानाश करेगा; हमारा परमेश्वर यहोवा उन को सत्यानाश करेगा।

एक साल में बाइबल: 
  • एस्तेर 1-2
  • प्रेरितों 5:1-21



शुक्रवार, 19 जून 2015

लगे रहो


   बेसबॉल के ख्याति प्राप्त खिलाड़ियों में से एक गैरी कार्टर, प्रभु यीशु के अनुयायी थे। अपने 19 वर्ष के खेल के जीवन में उन्होंने प्रतिदिन खेल को सही रीति से खेलने के लिए परमेश्वर में अपने विश्वास से सामर्थ और सहनशक्ति प्राप्त करी। कार्टर की, 57 वर्ष की आयु में, मस्तिष्क के कैंसर से मृत्यु के कुछ समयोपरांत वॉल स्ट्रीट जर्नल में उनके बारे में एक लेख प्रकाशित हुआ जिसमें उस लेख के लेखक एन्ड्रयु क्लैवन ने बताया कि कार्टर ने किस प्रकार उनके जीवन को प्रभावित किया था।

   1980 के द्शक के अन्त के भाग में क्लैवन अपने जीवन में निराशा से भरे हुए थे और आत्महत्या करने की सोच रहे थे। ऐसे समय उन्होंने में एक खेल के बाद कार्टर द्वारा दिए गए साक्षात्कार को सुना। कार्टर की टीम ने खेल में जीत प्राप्त करी थी और उस जीत में कार्टर का महत्वपूर्ण योगदान रहा था; अपनी बढ़ती हुई आयु और दुखते हुए घुटनों के बावजूद खेल की एक अति महत्वपूर्ण स्थिति में कार्टर ने ज़ोर लगाकर दौड़ लगाई जो उनकी टीम के लिए आवश्यक अंक जमा करने में सहायक हुई। जब इस घटना के बारे में साक्षात्कार लेने वाले ने उनसे पूछा कि अपने दुखते हुए घुटनों के बावजूद वे ऐसा कैसे कर सके तो कार्टर का उत्तर, जो क्लैवन ने सुना, कुछ इस प्रकार था: "कभी कभी जीवन में पीड़ा में भी बस लगे रहना पड़ता ही है।" कार्टर के इस साधारण से वाक्य ने निराश क्लैवन को बहुत प्रभावित किया, और उसे निराशा से निकाला; क्लैवन ने ठाना कि कार्टर के समान ही वह भी विपरीत परिस्थिति में अपनी ज़िम्मेदारियों के निर्वाह में लगा रह सकता है। निराशा से निकलने के बाद क्लैवन को उत्साह मिला, वह आगे बढ़ा और आगे चलकर मसीही विश्वासी भी बन गया।

   कार्टर ने जो बात उस साक्षात्कार में कही, जिससे क्लैवन निराशा से निकल सका और आगे बढ़ सका, वह परमेश्वर के वचन बाइबल में विलापगीत नामक पुस्तिका पर आधारित है -  विलापगीत 3:32। जीवन और परिस्थितियों के निर्वाह में हमें दुख, पीड़ा, कठिनाईयों आदि का सामना करना पड़ सकता है, परन्तु इनके कारण हमें आत्मग्लानि और निराशा में गिरने की आवश्यकता नहीं है; क्योंकि जो परमेश्वर जो हमें इन विपरीत परिस्थितियों में आने देता है, वही हमें उन परिस्थितियों में अपने अनुग्रह और सामर्थ से परिपूर्ण भी करता है।

   जब परमेश्वर का प्रेम और अनुग्रह हमें उभारने और उत्साहित करने के लिए सदा उपलब्ध है, तो हर परिस्थिति में, चाहे वह विपरीत ही क्यों ना हो, हम अपनी हर ज़िम्मेदारी को निभाने के लिए बस लगे रह सकते हैं। - डेव एग्नर


परमेश्वर या तो दुख से आपको बचाए रखेगा, अन्यथा उसे सहने की शक्ति आपको प्रदान करेगा।

हम मिट नहीं गए; यह यहोवा की महाकरुणा का फल है, क्योंकि उसकी दया अमर है। - विलापगीत 3:22

बाइबल पाठ: विलापगीत 3:1-3; 25-33
Lamentations 3:1 उसके रोष की छड़ी से दु:ख भोगने वाला पुरुष मैं ही हूं; 
Lamentations 3:2 वह मुझे ले जा कर उजियाले में नहीं, अन्धियारे ही में चलाता है; 
Lamentations 3:3 उसका हाथ दिन भर मेरे ही विरुद्ध उठता रहता है। 
Lamentations 3:25 जो यहोवा की बाट जोहते और उसके पास जाते हैं, उनके लिये यहोवा भला है। 
Lamentations 3:26 यहोवा से उद्धार पाने की आशा रख कर चुपचाप रहना भला है। 
Lamentations 3:27 पुरुष के लिये जवानी में जूआ उठाना भला है। 
Lamentations 3:28 वह यह जान कर अकेला चुपचाप रहे, कि परमेश्वर ही ने उस पर यह बोझ डाला है; 
Lamentations 3:29 वह अपना मुंह धूल में रखे, क्या जाने इस में कुछ आशा हो; 
Lamentations 3:30 वह अपना गाल अपने मारने वाले की ओर फेरे, और नामधराई सहता रहे। 
Lamentations 3:31 क्योंकि प्रभु मन से सर्वदा उतारे नहीं रहता, 
Lamentations 3:32 चाहे वह दु:ख भी दे, तौभी अपनी करुणा की बहुतायत के कारण वह दया भी करता है; 
Lamentations 3:33 क्योंकि वह मनुष्यों को अपने मन से न तो दबाता है और न दु:ख देता है।

एक साल में बाइबल: 
  • नहेम्याह 12-13
  • प्रेरितों 4:23-37



गुरुवार, 18 जून 2015

महत्व एवं आदर


   किम पीक के पास एक अद्भुत प्रतिभा है - अद्वितीय स्मरण शक्ति! किम ने शेक्स्पीयर द्वारा लिखे गए सभी नाटक अक्षरशः स्मरण कर रखे हैं। एक बार शेक्सपीयर के एक नाटक की प्रस्तुति के दौरान एक अभिनेता अपनी पंक्ति का एक शब्द बोलना भूल गया; किम पीक तुरंत खड़ा होकर बोल उठा, "रुको!" उस अभिनेता ने क्षमा माँगी और कहा कि उसे लगा कि ना ही इस पर किसी का ध्यान नहीं जाएगा और ना ही किसी को कोई एतराज़ होगा। किम ने जवाब दिया, "शेक्स्पियर को अवश्य होता"।

   शब्द महत्वपूर्ण होते हैं; विशेषकर तब जब वे परमेश्वर के शब्द हों। मूसा ने इस्त्राएलियों को इस बारे में सचेत किया और लिखा, "जो आज्ञा मैं तुम को सुनाता हूं उस में न तो कुछ बढ़ाना, और न कुछ घटाना; तुम्हारे परमेश्वर यहोवा की जो जो आज्ञा मैं तुम्हें सुनाता हूं उन्हें तुम मानना" (व्यवस्थाविवरण 4:2)। जब इस्त्राएली वाचा किए हुए देश में प्रवेश करने को तैयार हो रहे थे तब मूसा ने उन्हें अनेक बार उनके प्रति लगातार बनी रहने वाली परमेश्वर की विश्वासयोग्यता के बारे में स्मरण दिलाया; साथ ही उसने उन्हें उस वाचा के देश में परमेश्वर के वचन के पालन और उसके प्रति उनकी आज्ञाकारिता के बने रहने पर भी ज़ोर दिया जिससे कि उनके जीवन में आशीषें और समृद्धि बनी रहे (व्यवस्थाविवरण 4:39-40)। परमेश्वर की दृष्टि में उसके वचन का प्रत्येक नियम और निर्देश महत्वपूर्ण और पालन-योग्य है, कुछ भी नज़रंदाज़ नहीं किया जा सकता; और इस्त्रएली जो महत्व एवं आदर उसके वचन का करते वही इस बात का सूचक होता कि परमेश्वर का उनके जीवनों में कितना आदर एवं महत्व है।

   आज यही हमारे लिए भी उतना ही सार्थक है - जो महत्व एवं आदर हम परमेश्वर के वचन बाइबल का करते हैं वही इस बात का सूचक है कि हमारे जीवनों में परमेश्वर का क्या महत्व एवं आदर है। परमेश्वर के प्रति सच्ची श्रद्धा रखने का अर्थ है उसके वचन को महत्व देना, सावधानी से उसका उपयोग करना और मन से उसका पालन करना; विचार करें कि आप ऐसा कर रहे हैं या नहीं! - मार्विन विलियम्स

परमेश्वर के वचन को किसी जोड़-तोड़ की नहीं, आज्ञाकारिता की आवश्यकता है।

जिस के पास मेरी आज्ञा है, और वह उन्हें मानता है, वही मुझ से प्रेम रखता है, और जो मुझ से प्रेम रखता है, उस से मेरा पिता प्रेम रखेगा, और मैं उस से प्रेम रखूंगा, और अपने आप को उस पर प्रगट करूंगा। - यूहन्ना 14:21

बाइबल पाठ: व्यवस्थाविवरण 4:1-10
Deuteronomy 4:1 अब, हे इस्राएल, जो जो विधि और नियम मैं तुम्हें सिखाना चाहता हूं उन्हें सुन लो, और उन पर चलो; जिस से तुम जीवित रहो, और जो देश तुम्हारे पितरों का परमेश्वर यहोवा तुम्हें देता है उस में जा कर उसके अधिकारी हो जाओ। 
Deuteronomy 4:2 जो आज्ञा मैं तुम को सुनाता हूं उस में न तो कुछ बढ़ाना, और न कुछ घटाना; तुम्हारे परमेश्वर यहोवा की जो जो आज्ञा मैं तुम्हें सुनाता हूं उन्हें तुम मानना। 
Deuteronomy 4:3 तुम ने तो अपनी आंखों से देखा है कि बालपोर के कारण यहोवा ने क्या क्या किया; अर्थात जितने मनुष्य बालपोर के पीछे हो लिये थे उन सभों को तुम्हारे परमेश्वर यहोवा ने तुम्हारे बीच में से सत्यानाश कर डाला; 
Deuteronomy 4:4 परन्तु तुम जो अपने परमेश्वर यहोवा के साथ लिपटे रहे हो सब के सब आज तक जीवित हो। 
Deuteronomy 4:5 सुनो, मैं ने तो अपने परमेश्वर यहोवा की आज्ञा के अनुसार तुम्हें विधि और नियम सिखाए हैं, कि जिस देश के अधिकारी होने जाते हो उस में तुम उनके अनुसार चलो। 
Deuteronomy 4:6 सो तुम उन को धारण करना और मानना; क्योंकि और देशों के लोगों के साम्हने तुम्हारी बुद्धि और समझ इसी से प्रगट होगी, अर्थात वे इन सब विधियों को सुनकर कहेंगे, कि निश्चय यह बड़ी जाति बुद्धिमान और समझदार है। 
Deuteronomy 4:7 देखो, कौन ऐसी बड़ी जाति है जिसका देवता उसके ऐसे समीप रहता हो जैसा हमारा परमेश्वर यहोवा, जब कि हम उसको पुकारते हैं? 
Deuteronomy 4:8 फिर कौन ऐसी बड़ी जाति है जिसके पास ऐसी धर्ममय विधि और नियम हों, जैसी कि यह सारी व्यवस्था जिसे मैं आज तुम्हारे साम्हने रखता हूं? 
Deuteronomy 4:9 यह अत्यन्त आवश्यक है कि तुम अपने विषय में सचेत रहो, और अपने मन की बड़ी चौकसी करो, कहीं ऐसा न हो कि जो जो बातें तुम ने अपनी आंखों से देखीं उन को भूल जाओ, और वह जीवन भर के लिये तुम्हारे मन से जाती रहे; किन्तु तुम उन्हें अपने बेटों पोतों को सिखाना। 
Deuteronomy 4:10 विशेष कर के उस दिन की बातें जिस में तुम होरेब के पास अपने परमेश्वर यहोवा के साम्हने खड़े थे, जब यहोवा ने मुझ से कहा था, कि उन लोगों को मेरे पास इकट्ठा कर कि मैं उन्हें अपने वचन सुनाऊं, जिस से वे सीखें, ताकि जितने दिन वे पृथ्वी पर जीवित रहें उतने दिन मेरा भय मानते रहें, और अपने लड़के बालों को भी यही सिखाएं।

एक साल में बाइबल: 
  • नहेम्याह 10-11
  • प्रेरितों 4:1-22


बुधवार, 17 जून 2015

बिना जोखिम


   हाल ही में मेरे एक सहकर्मी ने अपना ऐसा अनुभव बताया, जिसे मैं व्यक्तिगत रीति से कभी अज़माना नहीं चाहूँगा - बन्जी जमपिंग का! उस सहकर्मी ने इसका जो विवरण दिया वह रोमाँचक भी था और डरावना भी। बंजी जमपिंग में सैकड़ों फुट ऊँचे पुल से कूदना होता है, और कूदने वाले के पैर पुल के साथ लंबी, मोटी और लचीली रस्सियों से बंधे होते हैं जिससे वह नीचे ज़मीन के पास तक तो पहुँच सकता है किंतु ज़मीन को छू नहीं सकता। मेरे सहकर्मी ने बताया कि सुरक्षा के लिए एक नहीं वरन दो मज़बूत पेटियाँ और रस्सियाँ उसके शरीर से बाँधी गई थीं, और यह सब कुछ बड़ी सावधानी तथा बारीक जाँच के बाद करवाया जाता है, लेकिन मजेदार समय बिताने वाली बातों की मेरी सूची में यह कदापि सम्मिलित नहीं है।

   जब मैं उस की बात सुन रहा था तो मुझे ध्यान आया कि मसीह यीशु पर विश्वास लाना भी किसी के लिए भी विश्वास कि अंधी छलाँग नहीं है। परमेश्वर ने भी मसीही विश्वास में आने में हमारी सुरक्षा के लिए दो उपाय प्रदान किए हैं, जो हमारे साथ सदा बने रहते हैं, जीवन के सबसे अंधकारमय पलों में भी। परमेश्वर के वचन बाइबल में इफिसियों के मसीही विश्वासियों को लिखी अपनी पत्री में प्रेरित पौलुस ने लिखा: "क्योंकि विश्वास के द्वारा अनुग्रह ही से तुम्हारा उद्धार हुआ है, और यह तुम्हारी ओर से नहीं, वरन परमेश्वर का दान है। और न कर्मों के कारण, ऐसा न हो कि कोई घमण्‍ड करे" (इफिसियों 2:8-9)।

   परमेश्वर द्वारा दी गई इस दोहरी सुरक्षा - परमेश्वर का अनुग्रह और प्रभु यीशु द्वारा पूर्ण किए गए कार्य पर विश्वास, के द्वारा ही परमेश्वर के साथ हमारा संबंध सदा स्थिर और सुरक्षित रहता है। इन दोनों बातों के होते हुए, मसीह यीशु पर विश्वास लाने से मिलने वाला उद्धार कोई अंधविश्वास की छलांग नहीं है; वरन यह बिना किसी जोखिम के परमेश्वर और उसके वचन तथा उसके कभी ना बदलने वाले प्रेम एवं सुरक्षा पर भरोसा करने का अभ्यास है। - बिल क्राउडर


जब हम परमेश्वर के अनुग्रह को स्वीकार करते हैं, परमेश्वर की शांति स्वतः ही साथ प्राप्त हो जाती है।

जो पुत्र पर विश्वास करता है, अनन्त जीवन उसका है; परन्तु जो पुत्र की नहीं मानता, वह जीवन को नहीं देखेगा, परन्तु परमेश्वर का क्रोध उस पर रहता है। - यूहन्ना 3:36 

बाइबल पाठ: इफिसियों 2:1-10
Ephesians 2:1 और उसने तुम्हें भी जिलाया, जो अपने अपराधों और पापों के कारण मरे हुए थे। 
Ephesians 2:2 जिन में तुम पहिले इस संसार की रीति पर, और आकाश के अधिकार के हाकिम अर्थात उस आत्मा के अनुसार चलते थे, जो अब भी आज्ञा न मानने वालों में कार्य करता है। 
Ephesians 2:3 इन में हम भी सब के सब पहिले अपने शरीर की लालसाओं में दिन बिताते थे, और शरीर, और मन की मनसाएं पूरी करते थे, और और लोगों के समान स्‍वभाव ही से क्रोध की सन्तान थे। 
Ephesians 2:4 परन्तु परमेश्वर ने जो दया का धनी है; अपने उस बड़े प्रेम के कारण, जिस से उसने हम से प्रेम किया। 
Ephesians 2:5 जब हम अपराधों के कारण मरे हुए थे, तो हमें मसीह के साथ जिलाया; (अनुग्रह ही से तुम्हारा उद्धार हुआ है।) 
Ephesians 2:6 और मसीह यीशु में उसके साथ उठाया, और स्‍वर्गीय स्थानों में उसके साथ बैठाया। 
Ephesians 2:7 कि वह अपनी उस कृपा से जो मसीह यीशु में हम पर है, आने वाले समयों में अपने अनुग्रह का असीम धन दिखाए। 
Ephesians 2:8 क्योंकि विश्वास के द्वारा अनुग्रह ही से तुम्हारा उद्धार हुआ है, और यह तुम्हारी ओर से नहीं, वरन परमेश्वर का दान है। 
Ephesians 2:9 और न कर्मों के कारण, ऐसा न हो कि कोई घमण्‍ड करे। 
Ephesians 2:10 क्योंकि हम उसके बनाए हुए हैं; और मसीह यीशु में उन भले कामों के लिये सृजे गए जिन्हें परमेश्वर ने पहिले से हमारे करने के लिये तैयार किया।

एक साल में बाइबल: 
  • नहेम्याह 7-9
  • प्रेरितों 3


मंगलवार, 16 जून 2015

लालची


   प्रति वर्ष मैं हम्मिंग-बर्ड पक्षियों के भोजन का बर्तन बाहर लगाती हूँ, और वे छोटे पक्षी वहाँ आकर भोजन लेने के लिए आपस में लड़ने लगते हैं। उस बर्तन पर बैठने के लिए चार स्थान हैं और उन चारों स्थानों से उनको उनका प्रीय भोजन - शीरा, एक ही स्त्रोत से भरपूरी से प्राप्त हो सकता है। फिर भी वे पक्षी, अन्य खाली स्थानों को छोड़कर, वहीं बैठना चाहते हैं जहाँ से कोई अन्य पक्षी बैठकर भोजन ले रहा होता है। यह जानते हुए कि उनके बैठने प्रत्येक स्थान से उन्हें उसी एक स्थान से भरपूरी से भोजन मिलेगा, मुझे उनके लालच को देखकर अचरज होता है।

   लेकिन फिर मैं यह भी सोचती हूँ, "मेरे लिए उन पक्षियों का लालच देखना इतना सरल और अपना लालच देखना इतना कठिन क्यों है?" अकसर मेरी लालसा रहती है कि मैं परमेश्वर के निकट उस स्थान पर बैठूँ जहाँ पर कोई अन्य बैठा होता है, जबकि मैं जानती हूँ कि हर भली वस्तु मुझे परमेश्वर से ही प्राप्त होती है, और ना उसके भण्डार में और ना ही मेरे प्रति उसके प्रेम तथा देख-रेख में कोई घटी है; वह मेरी प्रत्येक आवश्यकता को भली भांति पूरा करता है। क्योंकि हम मसीही विश्वासियों के लिए परमेश्वर हमारे शत्रुओं के सामने भी मेज़ सजा सकता है (भजन 23:5), तो फिर हमें इस बात की चिंता करने की क्या आवश्यकता है कि किसी अन्य के पास वह क्यों है जिसकी लालसा मैं करता हूँ?

   परमेश्वर हमें सब भले कार्यों के लिए हर आवश्यक वस्तु भरपूरी से दे सकता है (2 कुरिन्थियों 9:8)। जब हम परमेश्वर के लिए उसके अनुग्रह के सेवक (1 पतरस 4:10) होने की अपनी बुलाहट को पहचान लेंगे, तब हम किसी अन्य के स्थान को लेकर परस्पर द्वेष रखने और लड़ने की बजाए, उस सेवकाई को पूरा करने के लिए जो स्थान परमेश्वर ने हमें दिया है, उसी के लिए कृतज्ञ एवं धन्यवादी हो जाएंगे, और उसके अनुग्रह तथा प्रेम को उसकी इच्छा के अनुसार दूसरों के पास पहुँचाने वाले बन जाएंगे। - जूली ऐकैअरमैन लिंक


दूसरों की ओर देखने से अप्रसन्नता, परन्तु परमेश्वर की ओर देखने से संतुष्टि आती है।

और मेरा परमेश्वर भी अपने उस धन के अनुसार जो महिमा सहित मसीह यीशु में है तुम्हारी हर एक घटी को पूरी करेगा। - फिलिप्पियों 4:19

बाइबल पाठ: 2 कुरिन्थियों 9:6-15
2 Corinthians 9:6 परन्तु बात तो यह है, कि जो थोड़ा बोता है वह थोड़ा काटेगा भी; और जो बहुत बोता है, वह बहुत काटेगा। 
2 Corinthians 9:7 हर एक जन जैसा मन में ठाने वैसा ही दान करे न कुढ़ कुढ़ के, और न दबाव से, क्योंकि परमेश्वर हर्ष से देने वाले से प्रेम रखता है। 
2 Corinthians 9:8 और परमेश्वर सब प्रकार का अनुग्रह तुम्हें बहुतायत से दे सकता है जिस से हर बात में और हर समय, सब कुछ, जो तुम्हें आवश्यक हो, तुम्हारे पास रहे, और हर एक भले काम के लिये तुम्हारे पास बहुत कुछ हो। 
2 Corinthians 9:9 जैसा लिखा है, उसने बिथराया, उसने कंगालों को दान दिया, उसका धर्म सदा बना रहेगा। 
2 Corinthians 9:10 सो जो बोने वाले को बीज, और भोजन के लिये रोटी देता है वह तुम्हें बीज देगा, और उसे फलवन्‍त करेगा; और तुम्हारे धर्म के फलों को बढ़ाएगा। 
2 Corinthians 9:11 कि तुम हर बात में सब प्रकार की उदारता के लिये जो हमारे द्वारा परमेश्वर का धन्यवाद करवाती है, धनवान किए जाओ। 
2 Corinthians 9:12 क्योंकि इस सेवा के पूरा करने से, न केवल पवित्र लोगों की घटियां पूरी होती हैं, परन्तु लोगों की ओर से परमेश्वर का बहुत धन्यवाद होता है। 
2 Corinthians 9:13 क्योंकि इस सेवा से प्रमाण ले कर वे परमेश्वर की महिमा प्रगट करते हैं, कि तुम मसीह के सुसमाचार को मान कर उसके आधीन रहते हो, और उन की, और सब की सहायता करने में उदारता प्रगट करते रहते हो। 
2 Corinthians 9:14 ओर वे तुम्हारे लिये प्रार्थना करते हैं; और इसलिये कि तुम पर परमेश्वर का बड़ा ही अनुग्रह है, तुम्हारी लालसा करते रहते हैं। 
2 Corinthians 9:15 परमेश्वर को उसके उस दान के लिये जो वर्णन से बाहर है, धन्यवाद हो।

एक साल में बाइबल: 
  • नहेम्याह 4-6
  • प्रेरितों 2:22-47



सोमवार, 15 जून 2015

महिमा


   जेसन अपने शहर से बाहर एक अन्य स्थान पर था, और वहाँ के स्थानीय चर्च में आरधना के लिए गया। आरधना आरंभ होने से कुछ ही देर पहले जेसन से आग्रह किया गया कि वह परमेश्वर की महिमा के लिए कोई स्तुति गीत आरधना में गाए। जेसन ने सहर्ष वह आग्रह स्वीकार किया और एक जाना-पहचाना स्तुति गीत, To God Be the Glory गाने का निर्णय किया, क्योंकि वह गीत उसके लिए विशेष अर्थ रखता था। उसने चर्च भवन के तहखाने में जाकर उस गीत का अभ्यास किया और फिर आरधना के दौरान जब उसे बुलाया गया तो उसने बिना किसी संगीत वाद्य के अकेले ही वह गीत गाया।

   कुछ सप्ताह के बाद जेसन को पता चला कि उस दिन उसके द्वारा गाए गए गीत को लेकर उस चर्च के कुछ लोग अप्रसन्न हुए क्योंकि उन्हें लगा कि वह परमेश्वर कि स्तुति के लिए नहीं वरन अपनी संगीत प्रतिभा दिखाने के लिए अकेले ही गा रहा था। क्योंकि वे लोग जेसन को जानते नहीं थे, इसलिए उन्होंने यह गलत अन्दाज़ा लगाया कि जेसन परमेश्वर को महिमा देने के लिए नहीं वरन चर्च के लोगों को प्रभावित करने के लिए गीत गा रहा था।

   परमेश्वर के वचन बाइबल के पुराने नियम खण्ड से हम पाते हैं कि परमेश्वर ने अलग अलग गुण वाले लोगों को मन्दिर में सेवा और आरधना के लिए नियुक्त किया - निर्माण कार्य में लगे कारीगर से लेकर आरधना की अगुवाई करने और संचालित करने वाले लोग, उनके गुणों और योग्यताओं के आधार पर नियुक्त किए गए (1 इतिहास 15:22; 25:1, 7)।

   प्रभु परमेश्वर ने हम सब को भिन्न भिन्न गुण, योग्यताएं और आत्मिक वरदान दिए हैं जिन्हें हमें उसकी महिमा के लिए उपयोग करना है (कुलुस्सियों 3:23-24)। जब हम उन गुणों, योग्यताओं और वरदानों का उपयोग परमेश्वर की महिमा के उद्देश्य से करते हैं ना कि अपनी प्रतिभा को दिखाने के उद्देश्य से, तो फिर हमें अन्य लोगों के विचारों और समझ को लेकर चिंतित रहने की आवश्यकता नहीं है। परमेश्वर ने हमारे लिए अपने सर्वोत्तम को, अर्थात अपने पुत्र प्रभु यीशु मसीह को दे दिया; अब उसे अपना सर्वोत्तम अर्पित करके हम उसकी महिमा करते हैं। - जूली ऐकैअरमैन लिंक


परमेश्वर की जो सेवकाई हम अपने पूरे मन से करते हैं, वही हमारी सर्वोत्तम सेवा होती है।

और बसलेल और ओहोलीआब और सब बुद्धिमान जिन को यहोवा ने ऐसी बुद्धि और समझ दी हो, कि वे यहोवा की सारी आज्ञाओं के अनुसार पवित्रस्थान की सेवकाई के लिये सब प्रकार का काम करना जानें, वे सब यह काम करें। -  निर्गमन 36:1

बाइबल पाठ: 1 इतिहास 25:1-8
1 Chronicles 25:1 फिर दाऊद और सेनापतियों ने आसाप, हेमान और यदूतून के कितने पुत्रों को सेवकाई के लिये अलग किया कि वे वीणा, सारंगी और झांझ बजा बजाकर नबूवत करें। और इस सेवकाई के काम करने वाले मनुष्यों की गिनती यह थी: 
1 Chronicles 25:2 अर्थात आसाप के पुत्रों में से तो जक्कूर, योसेप, नतन्याह और अशरेला, आसाप के ये पुत्र आसाप ही की आज्ञा में थे, जो राजा की आज्ञा के अनुसार नबूवत करता था। 
1 Chronicles 25:3 फिर यदूतून के पुत्रों में से गदल्याह, सरीयशायाह, हसब्याह, मत्तित्याह, ये ही छ: अपने पिता यदूतून की आज्ञा में हो कर जो यहोवा का धन्यवाद और स्तुति कर कर के नबूवत करता था, वीणा बजाते थे। 
1 Chronicles 25:4 और हेमान के पुत्रों में से, मुक्किय्याह, मत्तन्याह, लज्जीएल, शबूएल, यरीमोत, हनन्याह, हनानी, एलीआता, गिद्दलती, रोममतीएजेर, योशबकाशा, मल्लोती, होतीर और महजीओत। 
1 Chronicles 25:5 परमेश्वर की प्रतिज्ञानुकूल जो उसका नाम बढ़ाने की थी, ये सब हेमान के पुत्र थे जो राजा का दशीं था; क्योंकि परमेश्वर ने हेमान को चौदह बेटे और तीन बेटियां दीं थीं। 
1 Chronicles 25:6 ये सब यहोवा के भवन में गाने के लिये अपने अपने पिता के आधीन रह कर, परमेश्वर के भवन, की सेवकाई में झांझ, सारंगी और वीणा बजाते थे। और आसाप, यदूतून और हेमान राजा के आधीन रहते थे। 
1 Chronicles 25:7 इन सभों की गिनती भाइयों समेत जो यहोवा के गीत सीखे हुए और सब प्रकार से निपुण थे, दो सौ अठासी थी। 
1 Chronicles 25:8 और उन्होंने क्या बड़ा, क्या छोटा, क्या गुरू, क्या चेला, अपनी अपनी बारी के लिये चिट्ठी डाली।

एक साल में बाइबल: 
  • नहेम्याह 1-3
  • प्रेरितों 2:1-21



रविवार, 14 जून 2015

मित्र


   कुछ समय पहले मुझे एक प्रमुख सड़क मार्ग के किनारे लगे विज्ञापन पटल के बारे में पता चला जिस पर लिखा गया था: "परमेश्वर तो एक कालपनिक मित्र है - वास्तविकता चुनें। यही हम सब के लिए भला रहेगा।" प्रकट था कि यह कथन मसीही विश्वासियों को बच्चों के समान दर्शा रहा था जो अपनी कलपनाओं में कालपनिक मित्रों एवं सहयोगियों से प्रसन्न रहते हैं, ाइसे मित्र और सहयोगी जो वस्तविकता में उनकी कभी कोई सहायता नहीं कर सकते। किंतु क्या परमेश्वर वास्तव में एक कालपनिक मित्र है?

   थोड़ा विचार और अध्ययन करें तो उपलब्ध प्रमाण परमेश्वर के वास्तविक होने के पक्ष में हैं। यह पूरी सृष्टि और उसके सभी कार्य दिखाते हैं कि यह सब एक योजनाबद्ध तरीके से संचालित और कार्यान्वित हो रहा है, जो दिखाता है कि इस सृष्टि और उसके कार्य तथा संचालन के पीछे एक योजना बनाने और योजनबद्ध तरीके से कार्य करने वाला है (रोमियों 1:18-20)। प्रत्येक मनुष्य का विवेक इस बात की गवाही देता है कि हमारे अन्दर नैतिकता तथा सही-गलत की पहचान करने की क्षमता डाली गई है (रोमियों 2:14-15) जो किसी भी अन्य पशु-पक्षी में देखने को नहीं मिलती। संगीत और कला के विभिन्न रूपों में जो रचनात्मक योग्यता हम मनुष्य दिखाते हैं, वह हमारे सृष्टिकर्ता परमेश्वर की रचनात्मक क्षमता का एक छोटा सा अंश है (निर्गमन 35:31-32)। प्रभु यीशु ने परमेश्वर को मानव रूप में प्रकट किया (इब्रानियों 1:1-4) और मसीही विश्वासियों के हृदय में परमेश्वर के पवित्र आत्मा के साथ होने वाली सहभागिता परमेश्वर की वास्तविकता का प्रमाण है (गलतियों 5:22-23)।

   परमेश्वर का वचन बाइबल हमें सिखाती है कि ऐसे समय और लोग होंगे जो परमेश्वर की वास्तविकता से इंकार करेंगे (2 पतरस 3:4-6)। साथ ही बाइबल परमेश्वर के एक मित्र के जीवन की गवाही और परमेश्वर के साथ उसके अनुभवों को भी बयान करती है: "और पवित्र शास्त्र का यह वचन पूरा हुआ, कि इब्राहीम ने परमेश्वर की प्रतीति की, और यह उसके लिये धर्म गिना गया, और वह परमेश्वर का मित्र कहलाया" (याकूब 2:23)।

   परमेश्वर ने अपने पुत्र प्रभु यीशु को आपका सच्चा और अनन्तकाल का मित्र तथा उद्धारकर्ता बनने के लिए भेजा है (यूहन्ना 15:15); क्या आपने उसकी मित्रता के इस निमंत्रण को स्वीकार कर लिया है? - डेनिस फिशर


इस पृथ्वी का सबसे प्रीय और निकटतम मानव मित्र प्रभु यीशु की छाया मात्र से बढ़कर नहीं है। - चैम्बर्स

अब से मैं तुम्हें दास न कहूंगा, क्योंकि दास नहीं जानता, कि उसका स्‍वामी क्या करता है: परन्तु मैं ने तुम्हें मित्र कहा है, क्योंकि मैं ने जो बातें अपने पिता से सुनीं, वे सब तुम्हें बता दीं। - यूहन्ना 15:15

बाइबल पाठ: रोमियों 1:18-25
Romans 1:18 परमेश्वर का क्रोध तो उन लोगों की सब अभक्ति और अधर्म पर स्वर्ग से प्रगट होता है, जो सत्य को अधर्म से दबाए रखते हैं। 
Romans 1:19 इसलिये कि परमेश्वर के विषय का ज्ञान उन के मनों में प्रगट है, क्योंकि परमेश्वर ने उन पर प्रगट किया है। 
Romans 1:20 क्योंकि उसके अनदेखे गुण, अर्थात उस की सनातन सामर्थ, और परमेश्वरत्व जगत की सृष्टि के समय से उसके कामों के द्वारा देखने में आते है, यहां तक कि वे निरुत्तर हैं। 
Romans 1:21 इस कारण कि परमेश्वर को जानने पर भी उन्होंने परमेश्वर के योग्य बड़ाई और धन्यवाद न किया, परन्तु व्यर्थ विचार करने लगे, यहां तक कि उन का निर्बुद्धि मन अन्धेरा हो गया। 
Romans 1:22 वे अपने आप को बुद्धिमान जताकर मूर्ख बन गए। 
Romans 1:23 और अविनाशी परमेश्वर की महिमा को नाशमान मनुष्य, और पक्षियों, और चौपायों, और रेंगने वाले जन्तुओं की मूरत की समानता में बदल डाला। 
Romans 1:24 इस कारण परमेश्वर ने उन्हें उन के मन के अभिलाषाओं के अुनसार अशुद्धता के लिये छोड़ दिया, कि वे आपस में अपने शरीरों का अनादर करें। 
Romans 1:25 क्योंकि उन्होंने परमेश्वर की सच्चाई को बदलकर झूठ बना डाला, और सृष्टि की उपासना और सेवा की, न कि उस सृजनहार की जो सदा धन्य है। आमीन।

एक साल में बाइबल: 
  • एज़्रा 9-10
  • प्रेरितों 1


शनिवार, 13 जून 2015

सक्रीय संबंध


   एक प्रातः मैंने पाया कि मेरा इंटरनैट कनेक्शन काम नहीं कर रहा था। मैंने अपने इंटरनैट सेवा देने वाले से बात करी तो उसने आकर जाँच करी और बताया कि मेरे कंप्यूटर को इंटरनैट से जोड़ने वाला यंत्र - मोडेम खराब हो गया है और उसे बदलना पड़ेगा, किंतु नया मोडेम उपलब्ध होने और लगाए जाने में एक दिन का समय लगेगा; अर्थात मैं एक दिन तक इंटरनैट से जुड़ा नहीं रहूँगा। यह जान कर मुझे थोड़ी घबराहट हुई, और मन में विचार आया, "बिना इंटरनैट के एक दिन! ऐसे मैं कैसे रह पाऊँगा?"

   फिर मेरे मन में एक और प्रश्न उठा, "क्या मैं इसी प्रकार घबरा जाऊँगा यदि परमेश्वर के साथ मेरा संबंध एक दिन के लिए बाधित हो जाए?" हम परमेश्वर के साथ अपने संबंध को सक्रीय रखते हैं परमेश्वर के वचन बाइबल के साथ समय बिताने से, प्रार्थना में परमेश्वर के साथ संगति रखने से, उसके वचन और निर्देशों का पालन करने से (याकूब 1:22-24)।

   भजन 119 के लेखक ने परमेश्वर के साथ अविरल सक्रीय संबंध बनाए रखने के महत्व को पहचाना और परमेश्वर से आग्रह किया कि वह उसे अपने नियम सिखाए और उन नियमों को समझने की समझ-बूझ दे (पद 33-34)। फिर लेखक ने इच्छा जताई कि वह उन नियमों का पूरे मन से पालन करेगा (पद 34), उनके मार्गदर्शन में चलेगा (पद 35), और अपनी आँखों को व्यर्थ बातों को देखने से रोके रखेगा (पद 37)। परमेश्वर के वचन पर मनन करने और उसे अपने जीवन में लागू करने के द्वारा भजनकार परमेश्वर के साथ अविरल सक्रीय संबंध बना कर रख सका।

   परमेश्वर ने हमें अपना वचन इसीलिए दिया है जिससे कि वह हमारे पथ के लिए दीपक और मार्ग के लिए उजियाला हो सके और उसके साथ हमारा सक्रीय संबंध अविरल बना रहे। - सी. पी. हिया

अपनी आत्मिक बैटरी भरी रखने के लिए उसे आत्मिक स्त्रोत से जोड़े रखें।

तेरा वचन मेरे पांव के लिये दीपक, और मेरे मार्ग के लिये उजियाला है। - भजन 119:105 

बाइबल पाठ: भजन 119:33-40
Psalms 119:33 हे यहोवा, मुझे अपनी विधियों का मार्ग दिखा दे; तब मैं उसे अन्त तक पकड़े रहूंगा। 
Psalms 119:34 मुझे समझ दे, तब मैं तेरी व्यवस्था को पकड़े रहूंगा और पूर्ण मन से उस पर चलूंगा। 
Psalms 119:35 अपनी आज्ञाओं के पथ में मुझ को चला, क्योंकि मैं उसी से प्रसन्न हूं। 
Psalms 119:36 मेरे मन को लोभ की ओर नहीं, अपनी चितौनियों ही की ओर फेर दे। 
Psalms 119:37 मेरी आंखों को व्यर्थ वस्तुओं की ओर से फेर दे; तू अपने मार्ग में मुझे जिला। 
Psalms 119:38 तेरा वचन जो तेरे भय मानने वालों के लिये है, उसको अपने दास के निमित्त भी पूरा कर। 
Psalms 119:39 जिस नामधराई से मैं डरता हूं, उसे दूर कर; क्योंकि तेरे नियम उत्तम हैं। 
Psalms 119:40 देख, मैं तेरे उपदेशों का अभिलाषी हूं; अपने धर्म के कारण मुझ को जिला।

एक साल में बाइबल: 
  • एज़्रा 6-8
  • यूहन्ना 21


शुक्रवार, 12 जून 2015

अधूरा कार्य


   लिओ प्लास ने 99 वर्ष की आयु में ईस्टर्न ओरेगन विश्वविद्यालय से कॉलेज स्नातक होने का अपना डिपलोमा प्राप्त किया। लिओ ने 1930 के दशक में पढ़ाई छोड़कर काम करना आरंभ किया था जिससे वह कुछ कमाई कर सके। अब 79 वर्ष बाद उस अधूरी छूटी हुई पढ़ाई को उन्होंने पूरा किया और कॉलेज से स्नातक होने की उपाधि प्राप्त करके अपने जीवन का वह महत्वपूर्ण अधूरा कार्य पूरा किया।

   हम में से अनेक जन लिओ से सीख ले सकते हैं। संभवतः हमारे जीवनों में भी कुछ अधूरे कार्य हो सकते हैं, जैसे कि किसी से क्षमा माँगना, या उससे भी बढ़कर कुछ ऐसे आवश्यक आत्मिक निर्णय लेना, जिन्हें हम टालते आ रहे हैं। प्रभु यीशु के साथ जो दो डाकू क्रूस पर चढ़ाए गए थे, उनमें से एक ने निर्णय लेने की इस अनिवार्यता को पहचाना। वह जीवन के अन्तिम पलों में था जब उसे यह बोध हुआ कि प्रभु यीशु कौन है, तथा उसने अपने बारे में पहचाना कि वह पापी है और निष्पाप प्रभु यीशु अभी उसके पाप क्षमा करने में सक्षम है; उसने विश्वास किया कि वह प्रभु यीशु के साथ स्वर्ग में जा सकता है। जीवन की अन्तिम साँसों में उसने प्रभु यीशु से विनती करी, "...हे यीशु, जब तू अपने राज्य में आए, तो मेरी सुधि लेना" (लूका 23:42), और तुरंत ही प्रभु यीशु ने उसे आश्वासन दिया, "...मैं तुझ से सच कहता हूं; कि आज ही तू मेरे साथ स्वर्गलोक में होगा" (लूका 23:43)। निर्णय के उस एक पल में उस डाकू के लिए वह अधूरा कार्य पूरा हो गया और वह परमेश्वर के पास स्वर्ग में अनन्तकाल तक रहने के योग्य बन गया।

   हमारा सृष्टिकर्ता परमेश्वर पिता नहीं चाहता कि हम में से एक भी जन अपने पापों में नाश हो। इसलिए परमेश्वर द्वारा प्रभु यीशु में विश्वास लाने और पापों की क्षमा माँगने के द्वारा सारे संसार के सभी लोगों के लिए, वे चाहे किसी भी उम्र, स्थान, जाति, रंग, आदि के क्यों ना हों उद्धार और परमेश्वर की सन्तान बनने का गौरव, इस पृथ्वी पर उनकी अन्तिम श्वास तक सेंत-मेंत उपलब्ध है। यदि आपने परमेश्वर के इस प्रस्ताव को अभी तक स्वीकार नहीं किया है, तो अभी आप के लिए अवसर है, इस अधूरे कार्य को पूरा कर लीजिए, "क्योंकि वह तो कहता है, कि अपनी प्रसन्नता के समय मैं ने तेरी सुन ली, और उद्धार के दिन मैं ने तेरी सहायता की: देखो, अभी वह प्रसन्नता का समय है; देखो, अभी उद्धार का दिन है" (2 कुरिन्थियों 6:2)।

   यह निर्णय लेने में देर नहीं कीजिए; इस अति महत्वपूर्ण और अभी तक अधूरे कार्य को समय रहते पूरा कर लीजिए; क्या जानें कि बाद में अवसर हो या नहीं, आप निर्णय लेने लायक हालत में हों या नहीं। - जेनिफर बेन्सन शुल्ट


इस पृथ्वी पर मिले उद्धार का अर्थ है स्वर्ग में अनन्तकाल के लिए सुरक्षित भविषय।

प्रभु अपनी प्रतिज्ञा के विषय में देर नहीं करता, जैसी देर कितने लोग समझते हैं; पर तुम्हारे विषय में धीरज धरता है, और नहीं चाहता, कि कोई नाश हो; वरन यह कि सब को मन फिराव का अवसर मिले। - 2 पतरस 3:9 

बाइबल पाठ: लूका 23:32-43
Luke 23:32 वे और दो मनुष्यों को भी जो कुकर्मी थे उसके साथ घात करने को ले चले।
Luke 23:33 जब वे उस जगह जिसे खोपड़ी कहते हैं पहुंचे, तो उन्होंने वहां उसे और उन कुकिर्मयों को भी एक को दाहिनी और और दूसरे को बाईं और क्रूसों पर चढ़ाया। 
Luke 23:34 तब यीशु ने कहा; हे पिता, इन्हें क्षमा कर, क्योंकि ये नहीं जानते कि क्या कर रहें हैं और उन्होंने चिट्ठियां डालकर उसके कपड़े बांट लिए। 
Luke 23:35 लोग खड़े खड़े देख रहे थे, और सरदार भी ठट्ठा कर कर के कहते थे, कि इस ने औरों को बचाया, यदि यह परमेश्वर का मसीह है, और उसका चुना हुआ है, तो अपने आप को बचा ले। 
Luke 23:36 सिपाही भी पास आकर और सिरका देकर उसका ठट्ठा कर के कहते थे। 
Luke 23:37 यदि तू यहूदियों का राजा है, तो अपने आप को बचा। 
Luke 23:38 और उसके ऊपर एक पत्र भी लगा था, कि यह यहूदियों का राजा है। 
Luke 23:39 जो कुकर्मी लटकाए गए थे, उन में से एक ने उस की निन्‍दा कर के कहा; क्या तू मसीह नहीं तो फिर अपने आप को और हमें बचा। 
Luke 23:40 इस पर दूसरे ने उसे डांटकर कहा, क्या तू परमेश्वर से भी नहीं डरता? तू भी तो वही दण्‍ड पा रहा है। 
Luke 23:41 और हम तो न्यायानुसार दण्‍ड पा रहे हैं, क्योंकि हम अपने कामों का ठीक फल पा रहे हैं; पर इस ने कोई अनुचित काम नहीं किया। 
Luke 23:42 तब उसने कहा; हे यीशु, जब तू अपने राज्य में आए, तो मेरी सुधि लेना। 
Luke 23:43 उसने उस से कहा, मैं तुझ से सच कहता हूं; कि आज ही तू मेरे साथ स्वर्गलोक में होगा।

एक साल में बाइबल: 
  • एज़्रा 3-5
  • यूहन्ना 20



गुरुवार, 11 जून 2015

स्वाद लेकर


   मेरी पत्नि मार्टी को धीरे धीरे भोजन के स्वाद का आनन्द लेते हुए खाना अच्छा लगता है। क्योंकि सामन्यतः भोजन करते हुए मैं मार्टी से बहुत पहले ही अपना भोजन समप्त कर लेता हूँ इसलिए वह अकसर मुझ से कहती है, "जो, तुम बहुत जल्दबाज़ी में खाते हो! धीमे होकर और भोजन का स्वाद लेते हुए खाओ।"

   मैं सोचता हूँ, हम में से कितने ऐसे हैं जो परमेश्वर के वचन बाइबल में लिखी परमेश्वर की बातों का भरपूर स्वाद लिए बिना उसको जल्दबाज़ी के साथ पढ़ते हैं। भजनकार ने लिखा, "तेरे वचन मुझ को कैसे मीठे लगते हैं, वे मेरे मुंह में मधु से भी मीठे हैं" (भजन 119:103)। बाइबल की यह बात मुझे अच्छी प्रतीत होती है!

   परमेश्वर के वचन में भरपूरी से उपलब्ध इस पौष्टिक आत्मिक भोजन से क्या लाभ हैं? परमेश्वर के वचन से लिया गया यह दैनिक भोजन हमारे कमज़ोर मन को चिंता, घमंड, भय और प्रलोभन के दुषप्रभावों से बचाए रखता है और जयवंत जीवन मार्ग पर अग्रसर रखता है। यह वचन हमें समझ-बूझ और बुद्धिमता प्रदान करता है (पद 98-100) और हमारे कदमों को बुरे मार्गों पर चलने से रोके रहता है (पद 101)। जैसे जब शारीरिक भोजन हमारे पाचन तंत्र से होकर निकलता है तो उसके पौष्टिक तत्व शरीर के सभी अंगों तक पहुँचते हैं और उन्हें विकसित करते हैं, उसी प्रकार जब परमेश्वर का वचन हमारे अन्दर पचाया जाता है तो वह हमारे मन, भावनाओं और इच्छा-शक्ति को स्वस्थ रीति से पोषित तथा विकसित करता है।

   जल्दबाज़ी में परमेश्वर के वचन को लेकर बाहर संसार में भागने की बजाए, उसे ऐसे समय और स्थान में पढ़ना चाहिए जब हम उसके साथ समय बिता सकें, उस में होकर हम परमेश्वर के साथ संगति कर सकें। परमेश्वर के वचन बाइबल को स्वाद लेकर, समय लगाकर नियमित रूप से पढ़ें; यह आपके जीवन के लिए बहुत लाभदायक रहेगा। - जो स्टोवैल


आत्मिक विकास के लिए आवश्यक सभी तत्वों को बाइबल भरपूरी से उपलब्ध करती है।

यहोवा का भय पवित्र है, वह अनन्तकाल तक स्थिर रहता है; यहोवा के नियम सत्य और पूरी रीति से धर्ममय हैं। वे तो सोने से और बहुत कुन्दन से भी बढ़कर मनोहर हैं; वे मधु से और टपकने वाले छत्ते से भी बढ़कर मधुर हैं। और उन्हीं से तेरा दास चिताया जाता है; उनके पालन करने से बड़ा ही प्रतिफल मिलता है। - भजन 19:9-11

बाइबल पाठ: भजन 119:97-104
Psalms 119:97 अहा! मैं तेरी व्यवस्था में कैसी प्रीति रखता हूं! दिन भर मेरा ध्यान उसी पर लगा रहता है। 
Psalms 119:98 तू अपनी आज्ञाओं के द्वारा मुझे अपने शत्रुओं से अधिक बुद्धिमान करता है, क्योंकि वे सदा मेरे मन में रहती हैं। 
Psalms 119:99 मैं अपने सब शिक्षकों से भी अधिक समझ रखता हूं, क्योंकि मेरा ध्यान तेरी चितौनियों पर लगा है। 
Psalms 119:100 मैं पुरनियों से भी समझदार हूं, क्योंकि मैं तेरे उपदेशों को पकड़े हुए हूं। 
Psalms 119:101 मैं ने अपने पांवों को हर एक बुरे रास्ते से रोक रखा है, जिस से मैं तेरे वचन के अनुसार चलूं। 
Psalms 119:102 मैं तेरे नियमों से नहीं हटा, क्योंकि तू ही ने मुझे शिक्षा दी है। 
Psalms 119:103 तेरे वचन मुझ को कैसे मीठे लगते हैं, वे मेरे मुंह में मधु से भी मीठे हैं! 
Psalms 119:104 तेरे उपदेशों के कारण मैं समझदार हो जाता हूं, इसलिये मैं सब मिथ्या मार्गों से बैर रखता हूं।

एक साल में बाइबल: 
  • एज़्रा 1-2
  • यूहन्ना 19:23-42



बुधवार, 10 जून 2015

डटे रहें


   सितंबर 1961 में एक हाई स्कूल के छात्र हार्वे कार्लसन ने, जो अमेरिका में न्यूयॉर्क के ब्रु्कलिन क्षेत्र का निवासी था, इंगलैण्ड में रहने वाले विश्व-विख्यात लेखक सी. एस. लूइस को एक पत्र लिखा। हार्वे ने लूइस की पुस्तक The Screwtape Letters पढ़ी थी, और उसी के संदर्भ में उसने लेखक से पूछा, "आप के द्वारा इस पुस्तक के लिखे जाने के दौरान क्या शैतान ने आपको किसी रीति से परेशान किया; यदि किया तो आपने इस बारे में क्या किया?"

   तीन सप्ताह के बाद लूइस का उत्तर आया जिसमें उन्होंने स्वीकारा कि उन्हें अब तक बहुत से प्रलोभनों का सामना करना पड़ रहा है। उन बातों का सामना करने के विषय में उन्होंने कहा, "संभवतः जो सबसे अधिक महत्वपूर्ण बात है वह है डटे रहना और आगे बढ़ते रहना; चाहे कितनी ही बार प्रलभनों का सामना करना पड़े या उनमें गिर भी जाएं तो भी निराश हुए बिना, परमेश्वर से क्षमा माँगना, उठकर पुनः खड़ा होना और आगे कदम बढ़ाना।"

   परमेश्वर के वचन बाइबल में प्रेरित यूहन्ना अपनी पत्रियों में यह बात बार बार दोहराता है और पाठकों को प्रोत्साहित करता है कि परीक्षाओं और प्रलोभनों के समयों में दृढ़ता से स्थिर खड़े रहें: "हे बालकों, मैं तुम्हें इसलिये लिखता हूं, कि उसके नाम से तुम्हारे पाप क्षमा हुए। हे पितरों, मैं तुम्हें इसलिये लिखता हूं, कि जो आदि से है, तुम उसे जानते हो: हे जवानों, मैं तुम्हें इसलिये लिखता हूं, कि तुम ने उस दुष्‍ट पर जय पाई है: हे लड़कों मैं ने तुम्हें इसलिये लिखा है, कि तुम पिता को जान गए हो" (1 यूहन्ना 2:12-13)।

   हमारी उम्र अथवा अनुभव जो भी हो, हम सभी मसीही विश्वासी सदा ही शत्रु शैतान के साथ एक आत्मिक युद्ध की स्थिति में रहते हैं, इस युद्ध में हमें कमज़ोर करने के लिए शैतान बारंबार हमारे सामने सांसारिक लालसाओं, उपलब्धियों और ऐश्वर्य में पड़ने के प्रलोभन और परीक्षाएं लाता है। शैतान की इन चालबाज़ियों पर विजयी होने का मार्ग है परमेश्वर के वचन की बात को सदा स्मरण रखना और अपने अन्दर बसाए रहना कि, "संसार और उस की अभिलाषाएं दोनों मिटते जाते हैं, पर जो परमेश्वर की इच्छा पर चलता है, वह सर्वदा बना रहेगा" (1 यूहन्ना 2:17)।

   यदि आप मसीही विश्वासी हैं तो शैतान आपकी भी परीक्षा अवश्य लेता रहेगा; घबराएं नहीं, परमेश्वर और उसके वचन से लिपटे रहें तथा परमेश्वर के मार्ग पर डटे रहें। - डेविड मैक्कैसलैंड


परीक्षाओं और प्रलभनों पर विजयी होने के लिए मसीह यीशु को अपने ऊपर प्रभुत्व करने दें।

हे मेरे बालकों, मैं ये बातें तुम्हें इसलिये लिखता हूं, कि तुम पाप न करो; और यदि कोई पाप करे, तो पिता के पास हमारा एक सहायक है, अर्थात धार्मिक यीशु मसीह। - 1 यूहन्ना 2:1

बाइबल पाठ: 1 यूहन्ना 2:9-17
1 John 2:9 जो कोई यह कहता है, कि मैं ज्योति में हूं; और अपने भाई से बैर रखता है, वह अब तक अन्धकार ही में है। 
1 John 2:10 जो कोई अपने भाई से प्रेम रखता है, वह ज्योति में रहता है, और ठोकर नहीं खा सकता। 
1 John 2:11 पर जो कोई अपने भाई से बैर रखता है, वह अन्धकार में है, और अन्धकार में चलता है; और नहीं जानता, कि कहां जाता है, क्योंकि अन्धकार ने उस की आंखे अन्‍धी कर दी हैं।
1 John 2:12 हे बालकों, मैं तुम्हें इसलिये लिखता हूं, कि उसके नाम से तुम्हारे पाप क्षमा हुए। 
1 John 2:13 हे पितरों, मैं तुम्हें इसलिये लिखता हूं, कि जो आदि से है, तुम उसे जानते हो: हे जवानों, मैं तुम्हें इसलिये लिखता हूं, कि तुम ने उस दुष्‍ट पर जय पाई है: हे लड़कों मैं ने तुम्हें इसलिये लिखा है, कि तुम पिता को जान गए हो। 
1 John 2:14 हे पितरों, मैं ने तुम्हें इसलिये लिखा है, कि जो आदि से है तुम उसे जान गए हो: हे जवानो, मैं ने तुम्हें इसलिये लिखा है, कि तुम बलवन्‍त हो, और परमेश्वर का वचन तुम में बना रहता है, और तुम ने उस दुष्‍ट पर जय पाई है। 
1 John 2:15 तुम न तो संसार से और न संसार में की वस्‍तुओं से प्रेम रखो: यदि कोई संसार से प्रेम रखता है, तो उस में पिता का प्रेम नहीं है। 
1 John 2:16 क्योंकि जो कुछ संसार में है, अर्थात शरीर की अभिलाषा, और आंखों की अभिलाषा और जीविका का घमण्‍ड, वह पिता की ओर से नहीं, परन्तु संसार ही की ओर से है। 
1 John 2:17 और संसार और उस की अभिलाषाएं दोनों मिटते जाते हैं, पर जो परमेश्वर की इच्छा पर चलता है, वह सर्वदा बना रहेगा।

एक साल में बाइबल: 
  • 2 इतिहास 34-36
  • यूहन्ना 19:1-22