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मंगलवार, 31 मार्च 2015

खुला एवं स्पष्ट


   वॉल स्ट्रीट जर्नल अखबार में छपे एक लेख में मिस्सी सलिवन ने ध्यान दिलाया कि विभिन्न उत्पादों के साथ आने वाले उपभोक्ता अनुबन्ध, वॉरण्टी, चेतावनियाँ आदि इतने छोटे अक्षरों में लिखे होते हैं कि वे प्रायः पढ़े नहीं जा सकते। उन उत्पादों के बनाने वालों द्वारा इन बातों को अस्पष्ट जान-बूझ कर किया जाता है, जिससे लोग उन बातों को पढ़ और समझ ना सकें। इसी कारण अधिकांशतः लोग उन अनुबन्धों पर हस्ताक्षर करके उन्हें स्वीकार कर लेने से पहले उन्हें पढ़ने का कष्ट ही नहीं करते। एक विश्वविद्यालय के प्रोफेसर ने इस संदर्भ में अपने नए स्मार्ट-फोन के साथ आए 32 पन्नों के अनुबन्ध को दिखाते हुए उस फोन को बनाने वाले कंपनी के विषय कहा, "वे यह चाहते ही नहीं कि आप इसे पढ़ और समझ सकें।"

   इसकी तुलना में हमारा प्रभु परमेश्वर सदैव इस प्रयास में रहता है कि वह अपने लोगों के साथ साफ और स्वीकारीय रीति से संवाद तथा संपर्क करे; उसकी सब बातें बिलकुल खुली और स्पष्ट होती हैं, किसी को उलझन में डालने या उससे छल-कपट करने की, उन्हें टेढ़ी-मेढ़ी या दोहरे अर्थ वाली बातों में फंसाने की उसकी कतई मनशा नहीं है। इस्त्राएलियों के वाचा किए हुए कनान देश से प्रवेश करने से ठीक पहले मूसा ने उन लोगों से परमेश्वर के वचन और निर्देशों के सम्बंध में कहा: "देखो, यह जो आज्ञा मैं आज तुझे सुनाता हूं, वह न तो तेरे लिये अनोखी, और न दूर है। मैं आज आकाश और पृथ्वी दोनों को तुम्हारे साम्हने इस बात की साक्षी बनाता हूं, कि मैं ने जीवन और मरण, आशीष और शाप को तुम्हारे आगे रखा है; इसलिये तू जीवन ही को अपना ले, कि तू और तेरा वंश दोनों जीवित रहें" (व्यवस्थाविवरण 30:11, 19)।

   प्रभु परमेश्वर चाहता है कि हम उसके उद्देश्यों एवं योजनाओं को खुले तौर पर जाने, उन्हें स्पष्ट रीति से समझें जिससे किसी ज़ोर-ज़बर्दस्ती के अन्तर्गत अथवा अन्ध-विश्वास में नहीं वरन पूरी तरह से जाँच-परख कर और सन्तुष्ट होकर ही हम स्वेच्छा से उसे स्वीकार करने तथा उसके साथ चलने का निर्णय लें; तब ही उसके प्रति हमारा प्रेम, विश्वास और आज्ञाकारिता सही तथा सार्थक रहने पाएंगी और इससे हमारा जीवन सफल और दीर्घायु वाला बनने पाएगा (व्यवस्थाविवरण 30:20)। - डेविड मैक्कैसलैंड


परमेश्वर की हमारे साथ बातचीत में कहीं कुछ छुपा या अस्पष्ट नहीं है।

परखकर देखो कि यहोवा कैसा भला है! क्या ही धन्य है वह पुरूष जो उसकी शरण लेता है। - भजन 34:8

बाइबल पाठ: व्यवस्थाविवरण 30:11-20
Deuteronomy 30:11 देखो, यह जो आज्ञा मैं आज तुझे सुनाता हूं, वह न तो तेरे लिये अनोखी, और न दूर है। 
Deuteronomy 30:12 और न तो यह आकाश में है, कि तू कहे, कि कौन हमारे लिये आकाश में चढ़कर उसे हमारे पास ले आए, और हम को सुनाए कि हम उसे मानें? 
Deuteronomy 30:13 और न यह समुद्र पार है, कि तू कहे, कौन हमारे लिये समुद्र पार जाए, और उसे हमारे पास ले आए, और हम को सुनाए कि हम उसे मानें? 
Deuteronomy 30:14 परन्तु यह वचन तेरे बहुत निकट, वरन तेरे मुंह और मन ही में है ताकि तू इस पर चले। 
Deuteronomy 30:15 सुन, आज मैं ने तुझ को जीवन और मरण, हानि और लाभ दिखाया है। 
Deuteronomy 30:16 क्योंकि मैं आज तुझे आज्ञा देता हूं, कि अपने परमेश्वर यहोवा से प्रेम करना, और उसके मार्गों पर चलना, और उसकी आज्ञाओं, विधियों, और नियमों को मानना, जिस से तू जीवित रहे, और बढ़ता जाए, और तेरा परमेश्वर यहोवा उस देश में जिसका अधिकारी होने को तू जा रहा है, तुझे आशीष दे। 
Deuteronomy 30:17 परन्तु यदि तेरा मन भटक जाए, और तू न सुने, और भटक कर पराए देवताओं को दण्डवत करे और उनकी उपासना करने लगे, 
Deuteronomy 30:18 तो मैं तुम्हें आज यह चितौनी दिए देता हूं कि तुम नि:सन्देह नष्ट हो जाओगे; और जिस देश का अधिकारी होने के लिये तू यरदन पार जा रहा है, उस देश में तुम बहुत दिनों के लिये रहने न पाओगे। 
Deuteronomy 30:19 मैं आज आकाश और पृथ्वी दोनों को तुम्हारे साम्हने इस बात की साक्षी बनाता हूं, कि मैं ने जीवन और मरण, आशीष और शाप को तुम्हारे आगे रखा है; इसलिये तू जीवन ही को अपना ले, कि तू और तेरा वंश दोनों जीवित रहें; 
Deuteronomy 30:20 इसलिये अपने परमेश्वर यहोवा से प्रेम करो, और उसकी बात मानों, और उस से लिपटे रहो; क्योंकि तेरा जीवन और दीर्घ जीवन यही है, और ऐसा करने से जिस देश को यहोवा ने इब्राहीम, इसहाक, और याकूब, तेरे पूर्वजों को देने की शपथ खाई थी उस देश में तू बसा रहेगा।

एक साल में बाइबल: 
  • न्यायियों 11-12
  • लूका 6:1-26


सोमवार, 30 मार्च 2015

निगरानी


   मेरे घर के निकट ही अधिकारियों ने ’लाल बत्ती’ पर रुकने की आज्ञा के उल्लंघन करने वालों को पकड़ने के लिए कैमरा लगाया है। जब भी कोई ’लाल बत्ती’ पर रुके बिना गाड़ी निकाल ले जाता है तो उसके घर पर नियम के उल्लंघन का दण्ड भरने का चालान और साथ में उस उल्लंघन के प्रमाणस्वरूप उस कैमरे से लिया गया उन का फोटो पहुँचा दिया जाता है, और उन्हें वह दण्ड भरना पड़ता है।

   कभी कभी मैं परमेश्वर को भी उस कैमरे की समानता में देखता हूँ - वो वहाँ ऊपर हमारी प्रत्येक बात, प्रत्येक कार्य पर नज़र रखे हुए है, हमारा हर एक पल उसकी निगरानी में है। वह हमारे पाप भी देखता है (इब्रानियों 4:13) और हमारी भले कार्यों को भी। जब हम चर्च या किसी व्यक्ति की आवश्यकता की पूर्ति के लिए दान देते हैं तो वह हमारे दान को भी देखता है और दान के पीछे हमारी भावना को भी जानता है (मरकुस 12:41-44)। वह हमारी व्यक्तिगत प्रार्थनाएं भी सुनता है और हमारे उपवास में हमारी बाहरी दशा का भी ध्यान करता है (मत्ती 6:6, 18)।

   हमारा इस एहसास के साथ जीवन व्यतीत करना कि परमेश्वर हमारी निगरानी कर रहा है तथा हमारे बारे में सब कुछ जानता है, हमें दूसरों की नज़रों में होने से संबंधित व्यर्थ चिंताओं से बचाता है। जब हम कुछ अच्छा या सही करें तो हमें किसी अन्य देखने वाले से प्रशंसा पाने की इच्छा रखने की आवश्यकता नहीं है। यदि हम किसी पाप में पड़ें, तो उसके लिए परमेश्वर से तथा जिस को हानि पहुँची है उससे क्षमा पा लेने के पश्चात और किसी से कुछ पा लेने का ध्यान करने की भी आवश्यकता नहीं है। हम यह जानकर निश्चिंत रह सकते हैं कि, "देख, यहोवा की दृष्टि सारी पृथ्वी पर इसलिये फिरती रहती है कि जिनका मन उसकी ओर निष्कपट रहता है, उनकी सहायता में वह अपना सामर्थ दिखाए।..." (2 इतिहास 16:9)। परमेश्वर की निगरानी में रहने से बढ़कर निशचिंतता की बात और कुछ हो नहीं सकती। - जेनिफर बेन्सन शुल्ट


लोग देखते हैं कि हम क्या कर रहे हैं; परमेश्वर देखता है कि हम क्यों कर रहे हैं!

वह हर एक को उसके कामों के अनुसार बदला देगा। जो सुकर्म में स्थिर रहकर महिमा, और आदर, और अमरता की खोज में है, उन्हें वह अनन्त जीवन देगा। पर जो विवादी हैं, और सत्य को नहीं मानते, वरन अधर्म को मानते हैं, उन पर क्रोध और कोप पड़ेगा। - रोमियों 2:6-8

बाइबल पाठ: मत्ती 6:1-5, 16-18
Matthew 6:1 सावधान रहो! तुम मनुष्यों को दिखाने के लिये अपने धर्म के काम न करो, नहीं तो अपने स्‍वर्गीय पिता से कुछ भी फल न पाओगे। 
Matthew 6:2 इसलिये जब तू दान करे, तो अपने आगे तुरही न बजवा, जैसा कपटी, सभाओं और गलियों में करते हैं, ताकि लोग उन की बड़ाई करें, मैं तुम से सच कहता हूं, कि वे अपना फल पा चुके। 
Matthew 6:3 परन्तु जब तू दान करे, तो जो तेरा दाहिना हाथ करता है, उसे तेरा बांया हाथ न जानने पाए। 
Matthew 6:4 ताकि तेरा दान गुप्‍त रहे; और तब तेरा पिता जो गुप्‍त में देखता है, तुझे प्रतिफल देगा। 
Matthew 6:5 और जब तू प्रार्थना करे, तो कपटियों के समान न हो क्योंकि लोगों को दिखाने के लिये सभाओं में और सड़कों के मोड़ों पर खड़े हो कर प्रार्थना करना उन को अच्छा लगता है; मैं तुम से सच कहता हूं, कि वे अपना प्रतिफल पा चुके। 
Matthew 6:6 परन्तु जब तू प्रार्थना करे, तो अपनी कोठरी में जा; और द्वार बन्‍द कर के अपने पिता से जो गुप्‍त में है प्रार्थना कर; और तब तेरा पिता जो गुप्‍त में देखता है, तुझे प्रतिफल देगा। 
Matthew 6:16 जब तुम उपवास करो, तो कपटियों की नाईं तुम्हारे मुंह पर उदासी न छाई रहे, क्योंकि वे अपना मुंह बनाए रहते हैं, ताकि लोग उन्हें उपवासी जानें; मैं तुम से सच कहता हूं, कि वे अपना प्रतिफल पा चुके। 
Matthew 6:17 परन्तु जब तू उपवास करे तो अपने सिर पर तेल मल और मुंह धो। 
Matthew 6:18 ताकि लोग नहीं परन्तु तेरा पिता जो गुप्‍त में है, तुझे उपवासी जाने; इस दशा में तेरा पिता जो गुप्‍त में देखता है, तुझे प्रतिफल देगा।

एक साल में बाइबल: 
  • न्यायियों 9-10
  • लूका 5:17-39



रविवार, 29 मार्च 2015

दे दो


   कई साल पहले की बात है हमारे एक जवान मित्र ने हम से हमारी कार अपने प्रयोग के लिए माँगी। उसके आग्रह को सुनकर मुझे और मेरी पत्नि को पहले तो संकोच हुआ, आखिरकर वह हमारी कार थी; हम उसके स्वामी थे, हमारे कार्यों के लिए हमें उसकी आवश्यक्ता होती रहती थी। लेकिन शीघ्र ही हमें ग्लानि हुई और हमने वह कार उस समय उसे प्रयोग करने के लिए दे दी, क्योंकि हमें यह बोध हुआ कि परमेश्वर चाहता है कि हम दूसरों की ज़रूरतों में उन की सहायता करें। हमने कार की चाबियाँ उसे दीं और वह 30 मील दूर होने वाली एक जवानों की सभा का संचालन करने के लिए चला गया। उस सभा को प्रभु ने अनेक जवानों को मसीही विश्वास में लाने के लिए उपयोग किया।

   प्रभु यीशु ने अपने चेलों से एक अन्य जन के गदहे को खोल कर ले आने के लिए कहा; प्रभु ने चेलों से यह भी कहा कि "यदि तुम से कोई पूछे, यह क्यों करते हो? तो कहना, कि प्रभु को इस का प्रयोजन है; और वह शीघ्र उसे यहां भेज देगा" (मरकुस 11:3)। उसी गदहे पर बैठकर प्रभु यीशु ने इस इतवार के दिन, जिसे हम ’खजूर का इतवार’ के नाम से भी जानते हैं, यरुशालेम में प्रवेश किया और फिर वहाँ जगत के सभी लोगों के पापों के लिए बलिदान हुआ, सारे संसार के समस्त लोगों के लिए सेंत-मेंत उद्धार का मार्ग बना कर दे दिया।

   हम सब के विचार करने के लिए यहाँ एक शिक्षा है: हम सब के पास ऐसी वस्तुएं होती हैं जो हमें प्रीय होती हैं, जिनके विषय हम धारणा रखते हैं कि हम उन्हें अपने से कभी पृथक नहीं होने दे सकते। वो हमारी नई गाड़ी हो सकता है, कोई अच्छा वस्त्र हो सकता है, कोई अन्य वस्तु हो सकती है, कठिनाई से सप्ताह भर के कार्यों में से अपने लिए निकाले गए कुछ घंटे हो सकते हैं। क्या हम इन्हें या इनके समान किसी अन्य वस्तु को दे देने के लिए तैयार होंगे यदि कोई जिसे उनकी आवश्यकता है, हम से उन्हें माँगता है?

   यदि आपको लगता है कि परमेश्वर का आत्मा आपसे बात कर रहा है और आप से कह रहा हे कि उस वस्तु को या अपने समय को जाने दो, दे दो; तो जैसे उस गदहे के स्वामी ने प्रभु यीशु के उपयोग के लिए अपने गदहे को दे दिया था, वैसे ही आप भी अपनी वस्तु अतहवा समय को दे दें। ऐसा करने से आप आशीषित, वह वस्तु या समय धन्य और प्रभु यीशु महिमान्वित होगा। - डेविड ऐग्नर


परमेश्वर हमें हमारी आवश्यकता के अनुसार सब कुछ देता है जिससे हम उन्हें भी दे सकें जो आवश्यकता में हैं।

और परमेश्वर सब प्रकार का अनुग्रह तुम्हें बहुतायत से दे सकता है जिस से हर बात में और हर समय, सब कुछ, जो तुम्हें आवश्यक हो, तुम्हारे पास रहे, और हर एक भले काम के लिये तुम्हारे पास बहुत कुछ हो। - 2 कुरिन्थियों 9:8

बाइबल पाठ: मरकुस 11:1-11
Mark 11:1 जब वे यरूशलेम के निकट जैतून पहाड़ पर बैतफगे और बैतनिय्याह के पास आए, तो उसने अपने चेलों में से दो को यह कहकर भेजा। 
Mark 11:2 कि अपने साम्हने के गांव में जाओ, और उस में पंहुचते ही एक गदही का बच्‍चा जिस पर कभी कोई नहीं चढ़ा, बन्‍धा हुआ तुम्हें मिलेगा, उसे खोल लाओ। 
Mark 11:3 यदि तुम से कोई पूछे, यह क्यों करते हो? तो कहना, कि प्रभु को इस का प्रयोजन है; और वह शीघ्र उसे यहां भेज देगा। 
Mark 11:4 उन्होंने जा कर उस बच्‍चे को बाहर द्वार के पास चौक में बन्‍धा हुआ पाया, और खोलने लगे। 
Mark 11:5 और उन में से जो वहां खड़े थे, कोई कोई कहने लगे कि यह क्या करते हो, गदही के बच्‍चे को क्यों खोलते हो? 
Mark 11:6 उन्होंने जैसा यीशु ने कहा था, वैसा ही उन से कह दिया; तब उन्होंने उन्हें जाने दिया। 
Mark 11:7 और उन्होंने बच्‍चे को यीशु के पास लाकर उस पर अपने कपड़े डाले और वह उस पर बैठ गया। 
Mark 11:8 और बहुतों ने अपने कपड़े मार्ग में बिछाए और औरों ने खेतों में से डालियां काट काट कर फैला दीं। 
Mark 11:9 और जो उसके आगे आगे जाते और पीछे पीछे चले आते थे, पुकार पुकार कर कहते जाते थे, कि होशाना; धन्य है वह जो प्रभु के नाम से आता है। 
Mark 11:10 हमारे पिता दाऊद का राज्य जो आ रहा है; धन्य है: आकाश में होशाना। 
Mark 11:11 और वह यरूशलेम पहुंचकर मन्दिर में आया, और चारों ओर सब वस्‍तुओं को देखकर बारहों के साथ बैतनिय्याह गया क्योंकि सांझ हो गई थी।

एक साल में बाइबल: 
  • न्यायियों 7-8
  • लूका 5:1-16




शनिवार, 28 मार्च 2015

मित्र


   सच्ची मित्रता जीवन के सबसे उत्त्म उपहारों में से एक है। सच्चे मित्र अपने मित्रों के लिए एक विशेष भलाई चाहते हैं, वह भलाई जो सबसे उत्कृष्ठ है, अर्थात यह कि उनके मित्र परमेश्वर को जानें तथा परमेश्वर से अपने सारे मन, प्राण और आत्मा से प्रेम करें। डिट्रिश बॉनहॉफर ने, जो जर्मनी के एक विख्यात पास्टर थे और अपने मसीही विश्वास के लिए शहीद हुए थे, इस विषय पर कहा, "मित्र अपना लक्ष्य दूसरे  के लिए परमेश्वर की इच्छा द्वारा निर्धारित करते हैं", अर्थात, सच्चा मित्र अपने मित्र को परमेश्वर कि इच्छानुसार जीवन व्यतीत करने के लिए प्रेरित करता रहता है।

   ऐसे सच्ची मित्रता का एक उत्कृष्ठ उदाहरण है परमेश्वर के वचन बाइबल में दाऊद के मित्र योनातान का। योनातान का पिता, राजा शाऊल, दाऊद का दुश्मन हो गया था, और दाऊद शाऊल से अपनी जान बचाकर जीप के बियाबान में होरेश नामक स्थान में जा छुपा था। योनातान उसे ढूँढ़ता हुआ, उससे मिलने के लिए वहाँ आया। इस घटना का महत्व योनातान के दाऊद से मिलने जाने के उद्देश्य में देखा जा सकता है, "शाऊल का पुत्र योनातन उठ कर उसके पास होरेश में गया, और परमेश्वर की चर्चा कर के उसको ढाढ़स दिलाया" (1 शमूएल 23:16); योनातान दाऊद के पास इसलिए गया कि उस से परमेश्वर के बारे में चर्चा करे तथा दाऊद को ढाढ़स दिलाए।

   मसीही विश्वास में मित्रता का यही सार है - परस्पर सामन्य रुचि, एक-दूसरे के प्रति लगाव, आपस में होने वाले मनोरंजन से ऊपर उठकर, अपने मित्र के जीवन में अनन्त आशीष के बीजों को बोना, उन्हें परमेश्वर की बुद्धिमता को स्मरण दिलाते रहना, अपने मित्रों की आत्मा को परमेश्वर के प्रेम भरे वचनों से तरोताज़ा करते रहना, सभी परिस्थितियों में उन्हें परमेश्वर में ढाढ़स बंधाना।

   अपने मित्रों के लिए परमेश्वर से प्रार्थना करें, और परमेश्वर से माँगें कि वह आपको उनके साथ बाँटने के लिए उनकी आवश्यकता के अनुसार उपयुक्त वचन दे जिस से वे परमेश्वर के वचन में होकर एक नई सामर्थ पा सकें। - डेविड रोपर


सच्चा मित्र परमेश्वर से मिला उपहार और अपने मित्रों के परमेश्वर के समीप बढ़ने में सहायक होता है।

जैसे तेल और सुगन्ध से, वैसे ही मित्र के हृदय की मनोहर सम्मति से मन आनन्दित होता है। जो तेरा और तेरे पिता का भी मित्र हो उसे न छोड़ना; और अपनी विपत्ति के दिन अपने भाई के घर न जाना। प्रेम करने वाला पड़ोसी, दूर रहने वाले भाई से कहीं उत्तम है। - नीतिवचन 27:9-10

बाइबल पाठ: 1 शमूएल 23:12-18
1 Samuel 23:12 फिर दाऊद ने पूछा, क्या कीला के लोग मुझे और मेरे जनों को शाऊल के वश में कर देंगे? यहोवा ने कहा, हां, वे कर देंगे। 
1 Samuel 23:13 तब दाऊद और उसके जन जो कोई छ: सौ थे कीला से निकल गए, और इधर उधर जहां कहीं जा सके वहां गए। और जब शाऊल को यह बताया गया कि दाऊद कीला से निकला भागा है, तब उसने वहां जाने की मनसा छोड़ दी। 
1 Samuel 23:14 जब दाऊद तो जंगल के गढ़ों में रहने लगा, और पहाड़ी देश के जीप नाम जंगल में रहा। और शाऊल उसे प्रति दिन ढूंढ़ता रहा, परन्तु परमेश्वर ने उसे उसके हाथ में न पड़ने दिया। 
1 Samuel 23:15 और दाऊद ने जान लिया कि शाऊल मेरे प्राण की खोज में निकला है। और दाऊद जीप नाम जंगल के होरेश नाम स्थान में था; 
1 Samuel 23:16 कि शाऊल का पुत्र योनातन उठ कर उसके पास होरेश में गया, और परमेश्वर की चर्चा कर के उसको ढाढ़स दिलाया। 
1 Samuel 23:17 उसने उस से कहा, मत डर; क्योंकि तू मेरे पिता शाऊल के हाथ में न पड़ेगा; और तू ही इस्राएल का राजा होगा, और मैं तेरे नीचे हूंगा; और इस बात को मेरा पिता शाऊल भी जानता है। 
1 Samuel 23:18 तब उन दोनों ने यहोवा की शपथ खाकर आपस में वाचा बान्धी; तब दाऊद होरेश में रह गया, और योनातन अपने घर चला गया।

एक साल में बाइबल: 
  • न्यायियों 4-6
  • लूका 4:31-44



शुक्रवार, 27 मार्च 2015

संदर्भ


   हमारे एक मित्र ने अचानक ही अटपटी और निराशाजनक बातें कहना आरंभ कर दिया, जिससे हम लोग उसके लिए चिंतित हुए, उसे प्रोत्साहित करने लगे और उसे सलाह देने लगे। बाद में पता पड़ा कि वह ऐसा मज़ाक में कर रहा था, जान-बूझ कर कुछ गानों की पंक्तियों को इधर-उधर से मिला कर बोल रहा था जिससे लोग उसके साथ वार्तालाप आरंभ कर सकें। जिन मित्रों ने उसकी सहायता करने के लिए प्रयास किए, उन्होंने अपना समय ही व्यर्थ किया क्योंकि उसे किसी सहायात अथवा सलाह की आवश्यकता थी ही नहीं। हमारे उस मित्र द्वारा कही गई बातों के कोई दुषपरिणाम तो नहीं हुए, लेकिन ऐसा हो सकता था यदि किसी ने उसकी सहायाता के लिए अपने किसी आवश्यक कार्य या ज़िम्मेदारी को छोड़ कर उसके प्रति अधिक ध्यान दिया होता। संदर्भ से हटकर कहे गए गीतों के बोल आनन्द नहीं, परेशानी देने वाले हो गए।

   कुछ लोगों का जीवन की अनेक बातों के प्रति यही रवैया रहता है; वे किसी अन्य की कही गई बात को संदर्भ से हटाकर बताते हैं जिससे कि दूसरों का ध्यान आकर्षित कर सकें या किसी बहस को जीत सकें। अन्य कुछ तो इससे भी अधिक चालाक एवं खतरनाक होते हैं - वे दूसरों के ऊपर अधिकार जताने के लिए सत्य को ना केवल संदर्भ से हटाकर, वरन तोड़-मरोड़ कर प्रस्तुत करते हैं। ऐसे सभी लोग ना केवल दूसरों के जीवनों को वरन उनकी आत्माओं को भी खतरे में डाल देते हैं। जब लोग दूसरों के शब्दों को संदर्भ से हटाकर या तोड़-मरोड़ कर प्रयोग करते हैं जिससे कि वे सुनने वालों को अपनी मनसा के अनुसार चला सकें, तो इसके नुकसान से बचने का एक ही उपाय होता है - उन शब्दों की वास्तविकता को जानना, उन्हें उनके सही संदर्भ में देखना और समझना।

   यही बात और उपाय परमेश्वर के वचन बाइबल के साथ भी लागू होती है। बहुतेरे हैं जो बाइबल की बातों को संदर्भ से हटाकर या तोड़-मरोड़ कर प्रस्तुत करते हैं जिससे दूसरों को गलत प्रभाव में लाएं और उनसे कुछ अनुचित करवाएं। परमेश्वर के वचन की जो सच्चाईयाँ परमेश्वर द्वारा हमारी आशीष और आनन्द के लिए दी गई हैं, ऐसा करने से व्यर्थ एवं अनेपक्षित परेशानी का कारण हो जाती हैं। बाइबल की सच्चाईयों को स्वयं बाइबल को पढ़ने के द्वारा ही जाना जा सकता है; बाइबल परमेश्वर का वचन है, और परमेश्वर किसी को भी कभी कोई अनुचित व्यवहार नहीं सिखाता। शैतान ने प्रभु यीशु की भी परीक्षा परमेश्वर के वचन को उसके संदर्भ से बाहर कह कर के करी थी, और प्रभु यीशु ने शैतान की गलत बातों के इस हमले को परमेश्वर के वचन के सही प्रयोग द्वारा ही निष्क्रीय किया था (लूका 4)। परमेश्वर ने अपने वचन को हमारे हाथों में इसीलिए रखा है और उस वचन को समझाने तथा हमारा मार्ग-दर्शन करने के लिए अपने विश्वासियों को अपनी पवित्र-आत्मा को दिया है जिससे हम ना तो कभी धोखा खाएं और ना ही किसी गलत मार्ग पर चलें।

   परमेश्वर के वचन का नियमित अध्ययन करें जिससे कि उसके संदर्भ से हटाकर कहे जाने के दुरुपयोग के प्रति सचेत रहें, तथा ऐसा किए जाने के दुषप्रभावों से बचकर रह सकें। - जूली ऐकैरमैन लिंक


यदि हम परमेश्वर के सत्य को थामे रहेंगे तो शैतान के झूठ में कभी फंसने नहीं पाएंगे।

कि शैतान का हम पर दांव न चले, क्योंकि हम उस की युक्तियों से अनजान नहीं। - 2 कुरिन्थियों 2:11 

बाइबल पाठ: लूका 4:1-13
Luke 4:1 फिर यीशु पवित्रआत्मा से भरा हुआ, यरदन से लैटा; और चालीस दिन तक आत्मा के सिखाने से जंगल में फिरता रहा; और शैतान उस की परीक्षा करता रहा। 
Luke 4:2 उन दिनों में उसने कुछ न खाया और जब वे दिन पूरे हो गए, तो उसे भूख लगी। 
Luke 4:3 और शैतान ने उस से कहा; यदि तू परमेश्वर का पुत्र है, तो इस पत्थर से कह, कि रोटी बन जाए। 
Luke 4:4 यीशु ने उसे उत्तर दिया; कि लिखा है, मनुष्य केवल रोटी से जीवित न रहेगा। 
Luke 4:5 तब शैतान उसे ले गया और उसको पल भर में जगत के सारे राज्य दिखाए। 
Luke 4:6 और उस से कहा; मैं यह सब अधिकार, और इन का वैभव तुझे दूंगा, क्योंकि वह मुझे सौंपा गया है: और जिसे चाहता हूं, उसी को दे देता हूं। 
Luke 4:7 इसलिये, यदि तू मुझे प्रणाम करे, तो यह सब तेरा हो जाएगा। 
Luke 4:8 यीशु ने उसे उत्तर दिया; लिखा है; कि तू प्रभु अपने परमेश्वर को प्रणाम कर; और केवल उसी की उपासना कर। 
Luke 4:9 तब उसने उसे यरूशलेम में ले जा कर मन्दिर के कंगूरे पर खड़ा किया, और उस से कहा; यदि तू परमेश्वर का पुत्र है, तो अपने आप को यहां से नीचे गिरा दे। 
Luke 4:10 क्योंकि लिखा है, कि वह तेरे विषय में अपने स्‍वर्गदूतों को आज्ञा देगा, कि वे तेरी रक्षा करें। 
Luke 4:11 और वे तुझे हाथों हाथ उठा लेंगे ऐसा न हो कि तेरे पांव में पत्थर से ठेस लगे। 
Luke 4:12 यीशु ने उसको उत्तर दिया; यह भी कहा गया है, कि तू प्रभु अपने परमेश्वर की परीक्षा न करना। 
Luke 4:13 जब शैतान सब परीक्षा कर चुका, तब कुछ समय के लिये उसके पास से चला गया।

एक साल में बाइबल: 
  • न्यायियों 1-3
  • लूका 4:1-30



गुरुवार, 26 मार्च 2015

पिता की सृष्टि


   कॉलेज से अपने स्नात्क होने से पूर्व के वर्ष में अमान्डा का दृष्टिकोण इस पृथ्वी के प्रति एक मसीही विश्वासी की ज़िम्मेदारी को लेकर बदलने लगा। उस समय तक अमान्डा की धारणा रही थी कि प्रभु यीशु के साथ उसके संबंध का पृथ्वी के पर्यावरण के प्रति उसकी ज़िम्मेदारी से कुछ लेना-देना नहीं है। लेकिन अमान्डा ने इस विषय पर पुनःविचार करना तब आरंभ किया जब उसके सामने यह प्रश्न रखा गया कि एक मसिही विश्वासी का इस पृथ्वी की देखरेख तथा संभाल में क्या योगदान हो सकता है - विशेषकर उन लोगों के संदर्भ में जो सबसे ज़रुरतमन्द हैं और अनेक ऐसे संसाधानों से वंचित हैं जिनकी अनेक उन्नत देशों में बरबादी या दुरुपयोग हो रहा है।

   अमान्डा ने पहचाना कि इस सुन्दर संसार के प्रति, जिसे हमारे परमेश्वर पिता ने बना कर हमें दिया है, एक भण्डारीपन है। इस संसार की सभी वस्तुओं और इसके लोगों के प्रति हमारी देखभाल और संभाल परमेश्वर के प्रति हमारी श्रद्धा को प्रगट करता है। यह बात परमेश्वर के वचन बाइबल में दिए गए दो सिद्धांतों पर आधारित है।

   पहला सिद्धांत यह कि पृथ्वी परमेश्वर की है (भजन 24:1-2)। भजनकार ने परमेश्वर की इस सृष्टि के लिए और उसके स्वामित्व के लिए प्रशंसा करी - आकाशमण्डल, पृथ्वी और उन में का सब कुछ परमेश्वर का ही है, उसी ने सब कुछ को सृजा है। इन सब पर परमेश्वर का प्रभुत्व है (भजन 93:1-2) और वह इन सबकी परवाह तथा देखभाल करता है (मत्ती 6:26-30)।

   दूसरा सिद्धांत यह कि परमेश्वर ने इस पृथ्वी की देखरेख का दायित्व मनुष्य को सौंपा है (उत्पत्ति 1:26-28), और इस दायित्व में लोगों के प्रति ज़िम्मेदारी (रोमियों 15:2) और प्रकृति के प्रति ज़िम्मेदारी (लैव्यवस्था 25:2-5, 11; नीतिवचन 12:10) दोनों ही आ जाते हैं।

   हम मसीही विश्वासियों को कभी इस तथ्य को नज़रन्दाज़ नहीं करना चाहिए कि यह सृष्टि हमारे परमेश्वर पिता की है। इस सृष्टि की देखभाल और परवाह कर के हम अपने पिता के प्रति अपने प्रेम और आदर को प्रगट करते हैं। - मार्विन विलियम्स


सृष्टि के साथ दुर्व्यवहार सृष्टिकर्ता का अपमान है।

पृथ्वी और जो कुछ उस में है यहोवा ही का है; जगत और उस में निवास करने वाले भी। - भजन 24:1

बाइबल पाठ: उत्पत्ति 1:26-31
Genesis 1:26 फिर परमेश्वर ने कहा, हम मनुष्य को अपने स्वरूप के अनुसार अपनी समानता में बनाएं; और वे समुद्र की मछलियों, और आकाश के पक्षियों, और घरेलू पशुओं, और सारी पृथ्वी पर, और सब रेंगने वाले जन्तुओं पर जो पृथ्वी पर रेंगते हैं, अधिकार रखें। 
Genesis 1:27 तब परमेश्वर ने मनुष्य को अपने स्वरूप के अनुसार उत्पन्न किया, अपने ही स्वरूप के अनुसार परमेश्वर ने उसको उत्पन्न किया, नर और नारी कर के उसने मनुष्यों की सृष्टि की। 
Genesis 1:28 और परमेश्वर ने उन को आशीष दी: और उन से कहा, फूलो-फलो, और पृथ्वी में भर जाओ, और उसको अपने वश में कर लो; और समुद्र की मछलियों, तथा आकाश के पक्षियों, और पृथ्वी पर रेंगने वाले सब जन्तुओं पर अधिकार रखो। 
Genesis 1:29 फिर परमेश्वर ने उन से कहा, सुनो, जितने बीज वाले छोटे छोटे पेड़ सारी पृथ्वी के ऊपर हैं और जितने वृक्षों में बीज वाले फल होते हैं, वे सब मैं ने तुम को दिए हैं; वे तुम्हारे भोजन के लिये हैं: 
Genesis 1:30 और जितने पृथ्वी के पशु, और आकाश के पक्षी, और पृथ्वी पर रेंगने वाले जन्तु हैं, जिन में जीवन के प्राण हैं, उन सब के खाने के लिये मैं ने सब हरे हरे छोटे पेड़ दिए हैं; और वैसा ही हो गया। 
Genesis 1:31 तब परमेश्वर ने जो कुछ बनाया था, सब को देखा, तो क्या देखा, कि वह बहुत ही अच्छा है। तथा सांझ हुई फिर भोर हुआ। इस प्रकार छठवां दिन हो गया।

एक साल में बाइबल: 
  • यहोशू 22-24
  • लूका 3



बुधवार, 25 मार्च 2015

बोझ


   बहुत सवेरे, जब अंधेरा ही था, मैंने अपनी कार को स्टार्ट किया, तो कार की सूचक बत्ती ने दिखाना आरंभ कर दिया कि सीटबेल्ट लगा हुआ नहीं है। मैंने ध्यान से अपने सीट बेल्ट को देखा, उसको खींच कर भी देखा - सब सही था; फिर मैंने कार के दरवाज़ों पर ध्यान किया, उन्हें खोल कर फिर से बन्द किया, सब कुछ ठीक था किंतु वह बत्ती बुझ ही नहीं रही थी। फिर मेरा ध्यान अपनी सीट के साथ वाली दूसरी सीट पर रखे हुए अपने पर्स-बैग की ओर गया; मैंने धीरे से उस बैग को सीट से ऊपर उठाया और वह बत्ती बन्द हो गई! बात यह हुई कि उस बैग में रखे मेरे सेल फोन, सिक्कों की ढेरों चिल्लर, एक मोटे कवर वाली वज़नी किताब और मेरे दोपहर के भोजन इत्यादी का कुल बोझ इतना हो गया था कि सीट में लगे यंत्रों ने उसे सीट पर बैठी एक छोटी सवारी समझ लिया, और क्योंकि उस ’सवारी’ ने सीट बेल्ट नहीं लगाया हुआ था इसलिए कार की सूचक बत्ती मुझे सचेत किए जा रही थी कि सीट बेल्ट लगा लूँ!

   मेरे लिए अपने बैग को खोल कर के उसके बोझ को कम कर देना कोई कठिन बात नहीं थी; लेकिन कुछ अन्य बोझ हैं जिन्हें इतनी सरलता से हटाया नहीं जा सकता, हलका नहीं किया जा सकता। ऐसे बोझ जीवन को बोझिल तथा आत्मा को उदास कर देते हैं। चाहे वह बोझ पाप-बोध का हो, जैसा दाऊद ने अपने दुषकर्मों के कारण अनुभव किया (भजन 32:1-6); या उस भय का हो जैसा पतरस ने प्रभु यीशु का इन्कार करते समय अनुभव किया (मत्ती 26:20-35); या फिर शक का हो जैसा थोमा ने प्रभु यीशु के पुनरुत्थान पर अविश्वास करने से अनुभव किया (यूहन्ना 20:24-29)। लेकिन प्रभु यीशु का सभी लोगों से सभी प्रकार के बोझों के लिए निमंत्रण है: "हे सब परिश्रम करने वालों और बोझ से दबे लोगों, मेरे पास आओ; मैं तुम्हें विश्राम दूंगा" (मत्ती 11:28)।

   हमारी सृष्टि अकेले ही बोझ उठाते रहने के लिए नहीं हुई है; इसलिए जब हम अपने बोझों को उसे, अर्थात प्रभु यीशु को, सौंप देते हैं जो हमारी सहायता करना तथा हमारे बोझ को उठाना चाहता है (भजन 68:19; 1 पतरस 5:7), तब वह उन बोझों को अपने ऊपर लेकर उनके स्थान पर हमें अपनी क्षमा, चंगाई और शांति देता है। प्रभु यीशु के लिए ना तो कोई बोझ भारी है, ना कोई व्यक्ति सहायता के लिए अनुपयुक्त और ना ही कोई ऐसा बोझ है जिसे वह उठाना नहीं चाहता। उसका यह खुला निमंत्रण सबके लिए, उनके सभी बोझों के लिए है - इस निमंत्रण को व्यर्थ ना जानें दें। - सिंडी हैस कैसपर


जो कुछ भी आपको बोझिल करे, उसे निःसंकोच प्रभु यीशु को सौंप दीजिए।

धन्य है प्रभु, जो प्रति दिन हमारा बोझ उठाता है; वही हमारा उद्धारकर्ता ईश्वर है। - भजन 68:19

बाइबल पाठ: भजन 32:1-6; मत्ती 11:28-30
Psalms 32:1 क्या ही धन्य है वह जिसका अपराध क्षमा किया गया, और जिसका पाप ढ़ाँपा गया हो। 
Psalms 32:2 क्या ही धन्य है वह मनुष्य जिसके अधर्म का यहोवा लेखा न ले, और जिसकी आत्मा में कपट न हो।
Psalms 32:3 जब मैं चुप रहा तब दिन भर कराहते कराहते मेरी हडि्डयां पिघल गई। 
Psalms 32:4 क्योंकि रात दिन मैं तेरे हाथ के नीचे दबा रहा; और मेरी तरावट धूप काल की सी झुर्राहट बनती गई।
Psalms 32:5 जब मैं ने अपना पाप तुझ पर प्रगट किया और अपना अधर्म न छिपाया, और कहा, मैं यहोवा के साम्हने अपने अपराधों को मान लूंगा; तब तू ने मेरे अधर्म और पाप को क्षमा कर दिया।
Psalms 32:6 इस कारण हर एक भक्त तुझ से ऐसे समय में प्रार्थना करे जब कि तू मिल सकता है। निश्चय जब जल की बड़ी बाढ़ आए तौभी उस भक्त के पास न पहुंचेगी। 

Matthew 11:28 हे सब परिश्रम करने वालों और बोझ से दबे लोगों, मेरे पास आओ; मैं तुम्हें विश्राम दूंगा। 
Matthew 11:29 मेरा जूआ अपने ऊपर उठा लो; और मुझ से सीखो; क्योंकि मैं नम्र और मन में दीन हूं: और तुम अपने मन में विश्राम पाओगे। 
Matthew 11:30 क्योंकि मेरा जूआ सहज और मेरा बोझ हल्का है।

एक साल में बाइबल: 
  • यहोशू 19-21
  • लूका 2:25-52



मंगलवार, 24 मार्च 2015

प्रेम


   सफल और लगातार बने रहने तथा बढ़ते रहने वाले संबंधों का आधार प्रेम ही है। परमेश्वर का वचन बाइबल हमें स्पष्ट करती है कि हमें प्रेम रखने वाले लोग होना है - वे जो परमेश्वर से अपने पूरे मन से प्रेम रखें, जो अपने पड़ौसियों से अपने समान प्रेम रखें और अपने शत्रुओं से भी प्रेम रखें। लेकिन जब हमें ही प्रेम का अनुभव नहीं हो तो फिर हमारा दूसरों से प्रेम रखना कठिन है - वे बच्चे जिन्होंने उपेक्षित जीवन व्यतीत किया है, वे लोग जिन्होंने अपने परिवार या जीवन साथी से तिरिस्कार भोगा है, वे अभिभावक जिनके बच्चों ने उन्हें बिसरा दिया है, नज़रन्दाज़ कर रखा है - ये तथा इनके समान अनुभव रखने वाले अन्य सभी लोग प्रेम विहीन जीवन के दुख से भली-भांति परिचित हैं।

   इसलिए जो कोई भी प्रेम के अनुभव की लालसा रखता है, उन सबको परमेश्वर का निमंत्रण है, क्योंकि परमेश्वर सभी अद्भुत प्रेम करता है। परमेश्वर के प्रेम के प्रकटिकरण को हम कलवरी के क्रूस पर प्रभु यीशु के बलिदान में देखते हैं, तथा उस प्रेम के जीवन बदलने वाले गहरे प्रभाव को सभी जन विश्वास द्वारा अपने जीवन में अनुभव कर सकते हैं। इस बात पर थोड़ा मनन कीजिए कि यदि आपने विश्वास द्वारा उस प्रेम को अपने जीवन में स्वीकार कर लिया है, तो परमेश्वर का वह प्रेम आपके सभी पापों और दोषों को अपनी बेदाग़ धार्मिकता ढांप देगा (रोमियों 3:22-24)। तब आप इस बात से आश्वस्त तथा आनन्दित रह सकते हैं कि अब आपको उस प्रेम से कोई कभी अलग नहीं कर सकता (रोमियों 8:38-39)। इसलिए अपने सुरक्षित वर्तमान एवं अनन्तकाल के आनन्दमय भविष्य के लिए उस के प्रेम के निमंत्रण को स्वीकार कर लें (यूहन्ना 3:16)।

   जब प्रेरित यूहन्ना कहता है, "...हम को भी आपस में प्रेम रखना चाहिए", तो वह साथ ही यह भी स्मरण दिलाता है कि हम परमेश्वर के प्रीय हैं (1 यूहन्ना 4:11; 3:1-2)। जब एक बार आप परमेश्वर के अद्भुत प्रेम को पहचान लेते हैं, उसे स्वीकार कर लेते हैं, तो फिर आपके लिए वैसा प्रेम करने वाला व्यक्ति बन जाना सरल हो जाता है, जैसा परमेश्वर चाहता है कि हम बनें। तब ही हम परमेश्वर प्रभु यीशु के समान ही उनसे भी प्रेम रखने की सामर्थ पा लेते हैं जो हमसे प्रेम नहीं रखते या हमारे शत्रु हैं। प्रेम सब बातों को ढांप देता है। - जो स्टोवैल


अपने लिए परमेश्वर के प्रेम को स्वीकार कर लेना ही दूसरों के प्रति प्रेम दिखाने की कुंजी है।

क्योंकि मैं निश्चय जानता हूं, कि न मृत्यु, न जीवन, न स्वर्गदूत, न प्रधानताएं, न वर्तमान, न भविष्य, न सामर्थ, न ऊंचाई, न गहिराई और न कोई और सृष्टि, हमें परमेश्वर के प्रेम से, जो हमारे प्रभु मसीह यीशु में है, अलग कर सकेगी। - रोमियों 8:38-39

बाइबल पाठ: 1 यूहन्ना 4:7-21
1 John 4:7 हे प्रियों, हम आपस में प्रेम रखें; क्योंकि प्रेम परमेश्वर से है: और जो कोई प्रेम करता है, वह परमेश्वर से जन्मा है; और परमेश्वर को जानता है। 
1 John 4:8 जो प्रेम नहीं रखता, वह परमेश्वर को नहीं जानता है, क्योंकि परमेश्वर प्रेम है। 
1 John 4:9 जो प्रेम परमेश्वर हम से रखता है, वह इस से प्रगट हुआ, कि परमेश्वर ने अपने एकलौते पुत्र को जगत में भेजा है, कि हम उसके द्वारा जीवन पाएं। 
1 John 4:10 प्रेम इस में नहीं कि हम ने परमेश्वर से प्रेम किया; पर इस में है, कि उसने हम से प्रेम किया; और हमारे पापों के प्रायश्‍चित्त के लिये अपने पुत्र को भेजा। 
1 John 4:11 हे प्रियो, जब परमेश्वर ने हम से ऐसा प्रेम किया, तो हम को भी आपस में प्रेम रखना चाहिए। 
1 John 4:12 परमेश्वर को कभी किसी ने नहीं देखा; यदि हम आपस में प्रेम रखें, तो परमेश्वर हम में बना रहता है; और उसका प्रेम हम में सिद्ध हो गया है। 
1 John 4:13 इसी से हम जानते हैं, कि हम उस में बने रहते हैं, और वह हम में; क्योंकि उसने अपने आत्मा में से हमें दिया है। 
1 John 4:14 और हम ने देख भी लिया और गवाही देते हैं, कि पिता ने पुत्र को जगत का उद्धारकर्ता कर के भेजा है। 
1 John 4:15 जो कोई यह मान लेता है, कि यीशु परमेश्वर का पुत्र है: परमेश्वर उस में बना रहता है, और वह परमेश्वर में। 
1 John 4:16 और जो प्रेम परमेश्वर हम से रखता है, उसको हम जान गए, और हमें उस की प्रतीति है; परमेश्वर प्रेम है: जो प्रेम में बना रहता है, वह परमेश्वर में बना रहता है; और परमेश्वर उस में बना रहता है। 
1 John 4:17 इसी से प्रेम हम में सिद्ध हुआ, कि हमें न्याय के दिन हियाव हो; क्योंकि जैसा वह है, वैसे ही संसार में हम भी हैं। 
1 John 4:18 प्रेम में भय नहीं होता, वरन सिद्ध प्रेम भय को दूर कर देता है, क्योंकि भय से कष्‍ट होता है, और जो भय करता है, वह प्रेम में सिद्ध नहीं हुआ। 
1 John 4:19 हम इसलिये प्रेम करते हैं, कि पहिले उसने हम से प्रेम किया। 
1 John 4:20 यदि कोई कहे, कि मैं परमेश्वर से प्रेम रखता हूं; और अपने भाई से बैर रखे; तो वह झूठा है: क्योंकि जो अपने भाई से, जिस उसने देखा है, प्रेम नहीं रखता, तो वह परमेश्वर से भी जिसे उसने नहीं देखा, प्रेम नहीं रख सकता। 
1 John 4:21 और उस से हमें यह आज्ञा मिली है, कि जो कोई अपने परमेश्वर से प्रेम रखता है, वह अपने भाई से भी प्रेम रखे।

एक साल में बाइबल: 
  • यहोशू 16-18
  • लूका 2:1-24



सोमवार, 23 मार्च 2015

आशा


   यद्यपि मैं प्रयास में रहता हूँ कि आजकल आस-पास दिखाई देने वाली बातों से चकित ना हूँ फिर भी एक दिन बाज़ार में एक महिला द्वारा पहनी हुई टी-शर्ट पर लिखे वाक्य ने मुझे विचलित कर दिया। मोटे और बड़े शब्दों में उसकी टी-शर्ट पर लिखा था, "आशा मूर्खों के लिए है!" मैं मानता हूँ कि आज की परिस्थितियों में भोला बनकर रहना या सीधा-सादा होना मूर्खतापूर्ण या फिर खतरनाक भी हो सकता है। मैं यह भी मानता हूँ कि बेबुनियाद आशा का परिणाम निराशा और दुख हो सकते हैं; लेकिन यह मान लेना कि आशा का जीवन में कोई स्थान नहीं है, जीवन के प्रति एक बहुत संकीर्ण एवं नकारात्मक दृष्टिकोण रखना है।

   परमेश्वर का वचन बाइबल जिस आशा को हमारे सामने रखती है वह विलक्षण है; सामान्यतः संसार के व्यवहार में कही और दिखाई जाने वाली आशा से भिन्न है। बाइबल जिस आशा की बात हम से करती है वह परमेश्वर में तथा उसके द्वारा संसार और हमारे जीवन में करे जाने वाले कार्यों की सार्थकता के प्रति दृढ़ विश्वास रखना है; और यह वह आशा है जिसकी आवश्यकता सभी को है! बाइबल में इब्रानियों के नाम लिखी पत्री का लेखक इस आशा के महत्व के विषय में स्पष्ट कहता है: "और अपनी आशा के अंगीकार को दृढ़ता से थामें रहें; क्योंकि जिसने प्रतिज्ञा किया है, वह सच्चा है" (इब्रानियों 10:23)।

   उस आशा पर विश्वास रखना जो बाइबल के अनुसार है कोई मूर्खतापूर्ण बात नहीं है, क्योंकि उसका आधार बहुत दृढ़ है। हम उस आशा को थामे रहते हैं जो हमें मसीह यीशु में मिलती है क्योंकि यह जानते हैं कि हमारा परमेश्वर वास्तविक, जीवित और विश्वासयोग्य परमेश्वर है। हम बाइबल के परमेश्वर पर हर हाल में, हर बात के लिए हमेशा विश्वास रख सकते हैं - वर्तमान में भी और भविष्य के लिए भी। हमारी आशा का आधार परमेश्वर का विश्वासयोग्य होना और उसका हम से अनन्तकाल का निस्वार्थ प्रेम रखना है।

   इसलिए मेरे लिए उस टी-शर्ट पर लिखा वह वाक्य गलत था; मेरा मानना है कि आशा मूर्खों के लिए नहीं, मेरे और आपके लिए है - हमारे जीवन कि हर परिस्थिति के लिए है, प्रभु यीशु में साधारण विश्वास द्वारा हमें पापों से क्षमा देने के लिए है, उस विश्वास द्वारा हमें पापी इन्सान से परमेश्वर की सन्तान बनाने के लिए है, इस पार्थिव जीवन में परमेश्वर द्वारा हमारी देखभाल और सुरक्षा के लिए है तथा हमें स्वर्ग में परमेश्वर के साथ सहभागित एवं अनन्तकाल का जीवन और आनन्द देने के लिए है। ऐसी आशा की आवश्यकता संसार के प्रत्येक व्यक्ति को है; ऐसी आशा को थाम लें और थामें रहें। - बिल क्राउडर


वह आशा जिसकी नींव परमेश्वर पर है, जीवन के दबावों में कभी टूटेगी नहीं।

परन्तु प्रभु सच्चा है; वह तुम्हें दृढ़ता से स्थिर करेगा: और उस दुष्‍ट से सुरक्षित रखेगा। - 2 थिस्सुलुनीकियों 3:3 

बाइबल पाठ: इब्रानियों 10:19-25
Hebrews 10:19 सो हे भाइयो, जब कि हमें यीशु के लोहू के द्वारा उस नए और जीवते मार्ग से पवित्र स्थान में प्रवेश करने का हियाव हो गया है। 
Hebrews 10:20 जो उसने परदे अर्थात अपने शरीर में से हो कर, हमारे लिये अभिषेक किया है, 
Hebrews 10:21 और इसलिये कि हमारा ऐसा महान याजक है, जो परमेश्वर के घर का अधिकारी है। 
Hebrews 10:22 तो आओ; हम सच्चे मन, और पूरे विश्वास के साथ, और विवेक को दोष दूर करने के लिये हृदय पर छिड़काव ले कर, और देह को शुद्ध जल से धुलवा कर परमेश्वर के समीप जाएं। 
Hebrews 10:23 और अपनी आशा के अंगीकार को दृढ़ता से थामें रहें; क्योंकि जिसने प्रतिज्ञा किया है, वह सच्चा है। 
Hebrews 10:24 और प्रेम, और भले कामों में उक्साने के लिये एक दूसरे की चिन्‍ता किया करें। 
Hebrews 10:25 और एक दूसरे के साथ इकट्ठा होना ने छोड़ें, जैसे कि कितनों की रीति है, पर एक दूसरे को समझाते रहें; और ज्यों ज्यों उस दिन को निकट आते देखो, त्यों त्यों और भी अधिक यह किया करो।

एक साल में बाइबल: 
  • यहोशू 13-15
  • लूका 1:57-80



रविवार, 22 मार्च 2015

दौड़


   प्रति वर्ष मार्च महीने में उत्तरी ध्रुवीय इलाके अलास्का में आएडीटेरोड ट्रेल दौड़ प्रतियोगिता होती है। सारे साल बर्फीले तथा अति ठंडे रहने वाले उस इलाके में, कुत्तों द्वारा बर्फ पर खींची जाने वाली गाड़ियों और उनके चालकों को, जिन्हें ’मुशर्स’ कहा जाता है, ऐंकरेज से नोम नामक स्थान की 1049 मील की दूरी तय करनी होती है। दौड़ में भाग लेने वाली टीमों को यह दूरी तय करने में 8 से 15 दिनों तक का समय लगता है। सन 2011 की दौड़ में मुशर जौन बेकर ने एक नया कीर्तिमान स्थापित किया जब उसने यह दौड़ 8 दिन, 19 घंटे, 46 मिनिट तथा 39 सेकेंड में पूरी करी। इस दौड़ को पूरा करने के लिए गाड़ी खींचने वाले कुत्तों और उनके चालकों के बीच अद्भुत समझ-बूझ तथा सामंजस्य होता है, और भाग लेने वाले सभी प्रतियोगी जीतने के अपने प्रयास में बहुत दृढ़ होते हैं। प्रथम स्थान पाने वाले को नकद पुरुस्कार के अतिरिक्त एक नया पिकअप ट्रक भी ईनाम में दीया जाता है। किंतु इतने अधिक ठंडे वातावरण और जोखिम भरे मार्ग पर दौड़ में दृढ़ता से डटे रहने के पश्चात यह सब शाबाशी और पुरुस्कार क्षणिक तथा महत्वहीन ही प्रतीत होते हैं।

   प्रेरित पौलुस के लिए दौड़ की उत्तेजना एवं रोमांच कोई अनजानी बात नहीं थे; पौलुस ने प्रतियोगिता की भावना को एक अनन्तकालीन बात के बारे में समझाने के लिए उपयोग किया; उसने लिखा, "और हर एक पहलवान सब प्रकार का संयम करता है, वे तो एक मुरझाने वाले मुकुट को पाने के लिये यह सब करते हैं, परन्तु हम तो उस मुकुट के लिये करते हैं, जो मुरझाने का नहीं" (1 कुरिन्थियों 9:25)।

   बहुत बार हमें प्रलोभन रहता है कि हम नश्वर सांसारिक उपलब्धियों पर ध्यान लगाएं, उन बातों को महत्वपूर्ण आँकें जो समय बीतने के साथ नष्ट होती जाती हैं। किंतु परमेश्वर का वचन बाइबल हमें प्रभु यीशु में विश्वास द्वारा मिलने वाले चिरस्थाई तथा अविनाशी पुरुस्कार पर मन लगाने की शिक्षा देती है, चाहे इसके लिए हमें संसार से कितना ही कष्ट और कैसी भी परेशानियाँ क्यों ना झेलनी पड़ें। जब हम दृढ़ता से आत्मिक बातों की खोज में रहकर परमेश्वर पिता से प्रभु यीशु में होकर अनन्तकाल तक बने रहने वाली बातों पर पूरी निश्ठा के साथ मन लगाते हैं, उन्हें अपनाते हैं, तब ना केवल हम परमेश्वर को आदर देते हैं वरन उससे अविनाशी तथा चिरस्थाई आदर प्राप्त भी करते हैं। - डेनिस फिशर


अपने जीवन की दौड़ को अनन्तकाल के परिपेक्ष्य में रखकर ही दौड़ें।

विश्वास की अच्छी कुश्‍ती लड़; और उस अनन्त जीवन को धर ले, जिस के लिये तू बुलाया, गया, और बहुत गवाहों के साम्हने अच्छा अंगीकार किया था। - 1 तिमुथियुस 6:12

बाइबल पाठ: 1 कुरिन्थियों 9:24-27
1 Corinthians 9:24 क्या तुम नहीं जानते, कि दौड़ में तो दौड़ते सब ही हैं, परन्तु इनाम एक ही ले जाता है तुम वैसे ही दौड़ो, कि जीतो। 
1 Corinthians 9:25 और हर एक पहलवान सब प्रकार का संयम करता है, वे तो एक मुरझाने वाले मुकुट को पाने के लिये यह सब करते हैं, परन्तु हम तो उस मुकुट के लिये करते हैं, जो मुरझाने का नहीं। 
1 Corinthians 9:26 इसलिये मैं तो इसी रीति से दौड़ता हूं, परन्तु बेठिकाने नहीं, मैं भी इसी रीति से मुक्कों से लड़ता हूं, परन्तु उस की नाईं नहीं जो हवा पीटता हुआ लड़ता है। 
1 Corinthians 9:27 परन्तु मैं अपनी देह को मारता कूटता, और वश में लाता हूं; ऐसा न हो कि औरों को प्रचार कर के, मैं आप ही किसी रीति से निकम्मा ठहरूं।

एक साल में बाइबल: 
  • यहोशू 10-12
  • लूका 1:39-56



शनिवार, 21 मार्च 2015

निर्णय


   कैंसर के साथ अपनी लड़ाई के संबंध में, ऐप्पल कंपनी के सह-संस्थापक, स्टीव जोब्स ने कहा, "जीवन से संबंधित बड़े चुनाव करने के लिए मेरे लिया सबसे महत्वपूर्ण औज़ार बना है इस बात को स्मरण रखना कि मैं शीघ्र ही मर जाऊँगा। क्योंकि बाहरी अन्य सब कुछ, सारी आशाएं, सारा गर्व, सारी शर्मिन्दगी, सभी असफलताएं - इन सब का महत्व मृत्यु की वास्तविकता के सामने जाता रहता है, सामने रह जाता है तो बस वह जो वास्तव में महत्वपूर्ण तथा आवश्यक है।"

   इसकी तुलना में प्रेरित पतरस ने अपने पाठकों को उभारना करना चाहा कि वे अपने दुखों का उपयोग अपने अनन्त जीवन को सार्थक बनाने के लिए करें। साथ ही पतरस ने उन्हें इस बात के लिए भी उभारा के वे प्रभु यीशु के दुख उठाने को अपने जीवन में आने वाले आत्मिक संघर्ष तथा सताव को मसीह यीशु में विशवास रखने के परिणाम के रूप में स्वीकार कर लें - क्योंकि वे प्रभु यीशु से प्रेम करते हैं इसलिए दुख उठाना उनके लिए उस विश्वास की स्वाभाविक नियति होगी। प्रभु यीशु का दुख उठाना उनके लिए पाप की लालसाओं को त्यागने और परमेश्वर के प्रति आज्ञाकारी रहने के लिए प्रोत्साहन का कारण होना चाहिए (1 पतरस 4:1-2)। यदि उनके जीवन अनन्त काल के लिए सार्थक होने हैं, तो उन्हें अस्थाई शारीरिक आनन्द की लालसाओं से मन हटाकर परमेश्वर को पसन्द आने वाली बातों पर मन लगाना तथा उन पर जीवन को व्यय करना चाहिए।

   इस बात को स्मरण रखना कि प्रभु यीशु ने हम सभी मनुष्यों के पापों के निवारण के लिए दुख उठाया और सभी के पापों की क्षमा के लिए अपना बलिदान दिया हमारे लिए वह सबसे महत्वपूर्ण वास्तविकता होनी चाहिए जो हमें परमेश्वर की इच्छा के अनुसार तथा अनन्तकाल के लिए उपयोगी निर्णय करने के लिए उभार सके। - मार्विन विलियम्स


प्रभु यीशु की मृत्यु हमारे बीते जीवन के पापों को क्षमा तथा आते जीवन को परमेश्वर के प्रति आज्ञाकारिता प्रदान करती है।

और जो मसीह यीशु के हैं, उन्होंने शरीर को उस की लालसाओं और अभिलाषाओं समेत क्रूस पर चढ़ा दिया है। - गलतियों 5:24 

बाइबल पाठ: 1 पतरस 4:1-8
1 Peter 4:1 सो जब कि मसीह ने शरीर में हो कर दुख उठाया तो तुम भी उस ही मनसा को धारण कर के हथियार बान्‍ध लो क्योंकि जिसने शरीर में दुख उठाया, वह पाप से छूट गया। 
1 Peter 4:2 ताकि भविष्य में अपना शेष शारीरिक जीवन मनुष्यों की अभिलाषाओं के अनुसार नहीं वरन परमेश्वर की इच्छा के अनुसार व्यतीत करो। 
1 Peter 4:3 क्योंकि अन्यजातियों की इच्छा के अनुसार काम करने, और लुचपन की बुरी अभिलाषाओं, मतवालापन, लीलाक्रीड़ा, पियक्कड़पन, और घृणित मूर्तिपूजा में जहां तक हम ने पहिले समय गंवाया, वही बहुत हुआ। 
1 Peter 4:4 इस से वे अचम्भा करते हैं, कि तुम ऐसे भारी लुचपन में उन का साथ नहीं देते, और इसलिये वे बुरा भला कहते हैं। 
1 Peter 4:5 पर वे उसको जो जीवतों और मरे हुओं का न्याय करने को तैयार है, लेखा देंगे। 
1 Peter 4:6 क्योंकि मरे हुओं को भी सुसमाचार इसी लिये सुनाया गया, कि शरीर में तो मनुष्यों के अनुसार उन का न्याय हो, पर आत्मा में वे परमेश्वर के अनुसार जीवित रहें। 
1 Peter 4:7 सब बातों का अन्‍त तुरन्त होने वाला है; इसलिये संयमी हो कर प्रार्थना के लिये सचेत रहो। 
1 Peter 4:8 और सब में श्रेष्ठ बात यह है कि एक दूसरे से अधिक प्रेम रखो; क्योंकि प्रेम अनेक पापों को ढांप देता है।

एक साल में बाइबल: 
  • यहोशू 7-9
  • लूका 1:21-38


शुक्रवार, 20 मार्च 2015

तूफान और बारिश


   जब मूसलाधार बारिश ने मेरे बाग़ीचे के फूलों पर आघात किया, उन्हें झुका दिया तो मुझे उनके लिए बहुत बुरा लगा। मेरा मन हुआ कि मैं उन सभी फूलों को घर के अन्दर तूफान तथा बारिश से सुरक्षित स्थान पर ले आऊँ। बारिश के समाप्त होने तक वे फूल पानी के वज़न से नीचे की ओर झुक गए थे, मुर्झाए हुए, कमज़ोर और दुखी प्रतीत हो रहे थे। लेकिन कुछ ही घंटों में वे वापस ऊपर आकाश की ओर उठने लगे थे, और अगले दिन वे सभी सीधे खड़े और मज़बूत दिखाई दे रहे थे! यह एक अद्भुत परिवर्तन था। बारिश ने उन फूलों तथा उनके पौधों पर प्रहार किया, बारिश का पानी उन पर से बह कर नीचे धरती पर पड़ा, धरती ने उसे सोख लिया, और वही पानी उन पौधों की जड़ों से होकर वापस उन की टहनियों और उन्हीं फूलों में आ गया, उन्हें सीधा खड़ा रहने के लिए मज़बूती और ताकत देने लगा!

   क्योंकि मुझे धूप अच्छी लगती है इसलिए जब भी बारिश मेरे बाहर रहने की योजनाओं में बाधा डालती है, मुझे बहुत बुरा लगता है। लेकिन मेरा लिए बारिश के प्रति नकारात्मक विचार रखना सही नहीं है; जिस किसी ने भी सूखे या अकाल को अनुभव किया है वह जानता है कि बारिश कितनी बड़ी आशीष होती है, धरती पर रहने वालों के लिए कितनी आवश्यक है, और धर्मी हों या अधर्मी वर्षा दोनों ही को लाभ पहुँचाती है।

   यह बात केवल पानी की बारिश के लिए ही सत्य नहीं है। जीवन के तूफान और परिस्थितियों की बारिश भी हम पर आघात कर सकते हैं, ऐसा आघात जो हमें झुका दें, मुर्झाया सा बना दें; लेकिन हम मसीही विश्वासियों के लिए यह हानिकारक कदापि नहीं हो सकता। हमारा प्रेमी परमेश्वर पिता इन सभी बातों के द्वारा हमें और मज़बूत, और बेहतर बनाता है; वह हमें इन सब से टूटने नहीं देता। जो तूफान और परिस्थितियाँ की बारिश हमें बाहर आहत करती हैं, परमेश्वर उन्हीं के द्वारा हमें भीतर से बलवन्त कर देता है, सीधा तथा दृढ़ खड़े रहने के क्षमता प्रदान कर देता है। हम मसीही विश्वासियों को यह परमेश्वर का अद्भुत आश्वासन है कि जीवन के तूफान और परिस्थितियों की बारिश भी हमारे लिए भलाई ही का कारण बन जाएगी।

   किसी भी परिस्थिति में निराश-हताश ना हों, सदैव परमेश्वर पर भरोसा बनाए रखें, सदा उसके धन्यवादी बने रहें, उसे अपना कार्य करने दें और वह आपको बेहतर तथा सामर्थी करता जाएगा। - जूली ऐकैरमैन लिंक


जो तूफान और बारिश हमें तोड़ने के प्रयास करते हैं, परमेश्वर उन्हीं के द्वारा हमें और बलवान बना देता है।

और हम जानते हैं, कि जो लोग परमेश्वर से प्रेम रखते हैं, उन के लिये सब बातें मिलकर भलाई ही को उत्पन्न करती है; अर्थात उन्हीं के लिये जो उस की इच्छा के अनुसार बुलाए हुए हैं। - रोमियों 8:28

बाइबल पाठ: यशायाह 55:8-13
Isaiah 55:8 क्योंकि यहोवा कहता है, मेरे विचार और तुम्हारे विचार एक समान नहीं है, न तुम्हारी गति और मेरी गति एक सी है। 
Isaiah 55:9 क्योंकि मेरी और तुम्हारी गति में और मेरे और तुम्हारे सोच विचारों में, आकाश और पृथ्वी का अन्तर है।
Isaiah 55:10 जिस प्रकार से वर्षा और हिम आकाश से गिरते हैं और वहां यों ही लौट नहीं जाते, वरन भूमि पर पड़कर उपज उपजाते हैं जिस से बोने वाले को बीज और खाने वाले को रोटी मिलती है, 
Isaiah 55:11 उसी प्रकार से मेरा वचन भी होगा जो मेरे मुख से निकलता है; वह व्यर्थ ठहरकर मेरे पास न लौटेगा, परन्तु, जो मेरी इच्छा है उसे वह पूरा करेगा, और जिस काम के लिये मैं ने उसको भेजा है उसे वह सफल करेगा।
Isaiah 55:12 क्योंकि तुम आनन्द के साथ निकलोगे, और शान्ति के साथ पहुंचाए जाओगे; तुम्हारे आगे आगे पहाड़ और पहाडिय़ां गला खोल कर जयजयकार करेंगी, और मैदान के सब वृक्ष आनन्द के मारे ताली बजाएंगे। 
Isaiah 55:13 तब भटकटैयों की सन्ती सनौवर उगेंगे; और बिच्छु पेड़ों की सन्ती मेंहदी उगेगी; और इस से यहोवा का नाम होगा, जो सदा का चिन्ह होगा और कभी न मिटेगा।

एक साल में बाइबल: 
  • यहोशू 4-6
  • लूका 1:1-20



गुरुवार, 19 मार्च 2015

प्राथमिकता


   जब हमारी पोती सारा छोटी बच्ची थी तो उसने हमें बताया कि बड़ी होकर वह अपने पापा के समान बास्केटबॉल प्रशिक्षक बनना चाहती है। उसने आगे यह भी बताया कि ऐसा कर पाने के लिए उसे अभी क्यों प्रतीक्षा करनी पड़ेगी! उसके अनुसार, प्रशिक्षक बनने से पहले उसे खिलाड़ी बनना पड़ेगा, और खिलाड़ी को अपनी जूती के फीते अपने आप बान्धना आना चाहिए, और अभी उसे अपनी जूती के फीते स्वयं बान्धना नहीं आता, इसलिए जब वह बारी बारी से सभी बातों को करने लगेगी तब ही वह प्रशिक्षक बनने पाएगी; सारा ने अपनी प्राथमिकताएं निर्धारित कर रखीं थीं!

   हम सामन्यतः जीवन की बातों के लिए कहते हैं - प्राथमिकताएं निभाओ; पहली बातें पहले और फिर उसके बाद अन्य बातें करो। यह सिद्धांत जीवन की सभी बातों पर भी लागू होता है, और प्रत्येक व्यक्ति के लिए जीवन की सर्वप्रथम प्राथमिकता होनी चाहिए परमेश्वर को पहचानना, उसे निकटता से जानना तथा उसकी संगति का आनन्द लेना। क्योंकि परमेश्वर को पहचानने और जानने के द्वारा ही हम वह बन और कर सकते हैं जो हमें होना और करना चाहिए।

   परमेश्वर के वचन बाइबल के एक प्रमुख नायक, राजा दाऊद ने अपने पुत्र सुलेमान को राजगद्दी सौंपते समय सचेत किया: "और हे मेरे पुत्र सुलैमान! तू अपने पिता के परमेश्वर का ज्ञान रख, और खरे मन और प्रसन्न जीव से उसकी सेवा करता रह;..." (1 इतिहास 28:9)।

   ध्यान रखिए कि परमेश्वर को जाना जा सकता है। परमेश्वर कोई तर्क या आध्यात्मिक विचार नहीं है; परमेश्वर एक सजीव व्यक्तित्व है। परमेश्वर सोचता है, अभिलाषा रखता है, अनुभव करता है, प्रेम करता है आदि। परमेश्वर के वचन बाइबल के एक विद्वान तथा टीकाकार ऐ. डबल्यु. टोज़र ने परमेश्वर के बारे में लिखा, "वह एक व्यक्ति है और उसे बढ़ती हुई आत्मियता तथा निकटता से जाना जा सकता है, तब जब हम अपने मनों को इस अनुभव के अचरज के लिए तैयार कर लेते हैं।" यही रहस्य है - हमें "अपने मनों को इस अनुभव के अचरज के लिए तैयार" कर लेना है।

   जो परमेश्वर को जानना चाहते हैं वे उसे जान सकते हैं; वह अपने आप को हमसे दूर या छिपाए हुए नहीं रखता है। उसने अपने आप को अपने पुत्र प्रभु यीशु मसीह में होकर संसार पर प्रगट किया है। परमेश्वर अपने आप को, अपने प्रेम को हम पर थोपता भी नहीं है; वह धैर्य के साथ हमारी प्रतीक्षा करता है, क्योंकि वह चाहता है कि हम स्वेच्छा से उसके पास आएं और उससे संगति रखें। जिसने प्रभु यीशु में होकर परमेश्वर को पहचान और जान लिया, उसने अनन्त जीवन, अनन्त आनन्द और अनन्त आशीष को प्राप्त कर लिया; इसलिए परमेश्वर को जानना ही हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए। - डेविड रोपर


परमेश्वर को जानने और उससे संगति रख पाने का विचार दिमाग़ को हिला देता है; किंतु उसे जान लेना मन को अद्भुत शांति से भर देता है।

पूर्व युग में परमेश्वर ने बाप दादों से थोड़ा थोड़ा कर के और भांति भांति से भविष्यद्वक्ताओं के द्वारा बातें कर के। इन दिनों के अन्‍त में हम से पुत्र के द्वारा बातें की, जिसे उसने सारी वस्‍तुओं का वारिस ठहराया और उसी के द्वारा उसने सारी सृष्‍टि रची है। - इब्रानियों 1:1-2

बाइबल पाठ: 1 इतिहास 28:5-10
1 Chronicles 28:5 और मेरे सब पुत्रों में से (यहोवा ने तो मुझे बहुत पुत्र दिए हैं) उसने मेरे पुत्र सुलैमान को चुन लिया है, कि वह इस्राएल के ऊपर यहोवा के राज्य की गद्दी पर विराजे। 
1 Chronicles 28:6 और उसने मुझ से कहा, कि तेरा पुत्र सुलैमान ही मेरे भवन और आंगनों को बनाएगा, क्योंकि मैं ने उसको चुन लिया है कि मेरा पुत्र ठहरे, और मैं उसका पिता ठहरूंगा। 
1 Chronicles 28:7 और यदि वह मेरी आज्ञाओं और नियमों के मानने में आज कल की नाईं दृढ़ रहे, तो मैं उसका राज्य सदा स्थिर रखूंगा। 
1 Chronicles 28:8 इसलिये अब इस्राएल के देखते अर्थात यहोवा की मण्डली के देखते, और अपने परमेश्वर के साम्हने, अपने परमेश्वर यहोवा की सब आज्ञाओं को मानो और उन पर ध्यान करते रहो; ताकि तुम इस अच्छे देश के अधिकारी बने रहो, और इसे अपने बाद अपने वंश का सदा का भाग होने के लिये छोड़ जाओ। 
1 Chronicles 28:9 और हे मेरे पुत्र सुलैमान! तू अपने पिता के परमेश्वर का ज्ञान रख, और खरे मन और प्रसन्न जीव से उसकी सेवा करता रह; क्योंकि यहोवा मन को जांचता और विचार में जो कुछ उत्पन्न होता है उसे समझता है। यदि तू उसकी खोज में रहे, तो वह तुझ को मिलेगा; परन्तु यदि तू उसको त्याग दे तो वह सदा के लिये तुझ को छोड़ देगा। 
1 Chronicles 28:10 अब चौकस रह, यहोवा ने तुझे एक ऐसा भवन बनाने को चुन लिया है, जो पवित्रस्थान ठहरेगा, हियाव बान्धकर इस काम में लग जा।

एक साल में बाइबल: 
  • यहोशू 1-3
  • मरकुस 16



बुधवार, 18 मार्च 2015

अक्षम?


   चार वर्षीय एलियाना, सोने जाने से पहले अपनी माँ के साथ मिलकर अपनी इधर-उधर फैली हुई चीज़ें एकत्रित कर रही थी। यह करते हुए जब उसकी माँ ने कहा कि वह बिस्तर पर पड़े हुए कपड़े भी उठा कर ठीक से रख दे, तो एलियाना का धैर्य टूट गया; वह कमर पर हाथ रख कर खड़ी हो गई और खिसियाकर माँ से बोली, "अब मैं ही सब कुछ तो नहीं कर सकती हूँ ना!"

   क्या परमेश्वर ने आप से जो कुछ करने के लिए कहा है उसे लेकर आपको भी कभी ऐसा ही लगता है? चर्च के कार्यों, व्यक्तिगत सेवकाई, परिवार की ज़िम्मेदारियाँ आदि को निभाने-करने की व्यस्तता से हो सकता है कि हम अपने आप को अभिभूतित अनुभव करने लगें, और एक लंबी ठंडी सांस लेकर, रुष्ठ भाव से परमेश्वर से कहें, "अब मैं ही सब कुछ तो नहीं कर सकता हूँ ना!"

   लेकिन परमेश्वर के निर्देश यह दिखाते हैं कि अपने विश्वासियों से उसकी आशाएं ऐसी नहीं हैं जो उन्हें अभिभूतित कर दें। उदाहरणस्वरूप उसके कुछ निर्देशों के साथ जुड़ी बातों को देखिए:
  • जब हमें दुसरों के साथ व्यवहार करना होता है तो उस संदर्भ में प्रभु कहता है, "जहां तक हो सके, तुम अपने भरसक सब मनुष्यों के साथ मेल मिलाप रखो" (रोमियों 12:18) - वह हमारी सहनशीलता की सीमाओं को समझता है।
  • हमारे कार्य को लेकर वह कहता है, "और जो कुछ तुम करते हो, तन मन से करो, यह समझ कर कि मनुष्यों के लिये नहीं परन्तु प्रभु के लिये करते हो" (कुलुस्सियों 3:23)। वह हम से लोगों को प्रभावित करने वाली सिद्धता नहीं माँगता; उसे बस इतना चाहिए कि हम अपनी खरी मेहनत और कार्यनिष्ठा के द्वारा उसको महिमा देने वाले बनें।
  • दूसरों के साथ तुलना के विषय में उसने कहा है: "पर हर एक अपने ही काम को जांच ले, और तब दूसरे के विषय में नहीं परन्तु अपने ही विषय में उसको घमण्‍ड करने का अवसर होगा" (गलतियों 6:4)। हमें दूसरों की आलोचना करने वाले या उनके साथ अपनी तुलना करने वाले नहीं बनाना है क्योंकि हमारे जीवन तथा कार्यों का उद्देश्य किसी अन्य के साथ प्रतिस्पर्धा नहीं है; हमें तो बस सत्यनिष्ठा के साथ अपनी ज़िम्मेदारियों को ही पूरा करना है।


   अपनी बुद्धिमता में, जो कुछ वह हम से चाहता है उसे करने के लिए परमेश्वर ने हमें भरपूर क्षमता एवं सामर्थ प्रदान करी है; अब यह हमारा कर्तव्य है कि अपने आप को उसके दिए कार्यों के लिए अक्षम समझने की बजाए उसके मार्गदर्शन में होकर उन कार्यों को पूरा करते रहें, क्योंकि उसका वायदा है कि वह हमें हमारी सामर्थ से बाहर किसी भी परीक्षा कभी नहीं पड़ने देगा (1 कुरिन्थियों 10:13)।


परमेश्वर द्वारा ज़िम्मेदारियाँ उन्हें पूरा करने के लिए आवश्यक सामर्थ के साथ ही मिलती हैं।

तुम किसी ऐसी परीक्षा में नहीं पड़े, जो मनुष्य के सहने से बाहर है: और परमेश्वर सच्चा है: वह तुम्हें सामर्थ से बाहर परीक्षा में न पड़ने देगा, वरन परीक्षा के साथ निकास भी करेगा; कि तुम सह सको। - 1 कुरिन्थियों 10:13

बाइबल पाठ: गलतियों 6:1-10
Galatians 6:1 हे भाइयों, यदि कोई मनुष्य किसी अपराध में पकड़ा भी जाए, तो तुम जो आत्मिक हो, नम्रता के साथ ऐसे को संभालो, और अपनी भी चौकसी रखो, कि तुम भी परीक्षा में न पड़ो। 
Galatians 6:2 तुम एक दूसरे के भार उठाओ, और इस प्रकार मसीह की व्यवस्था को पूरी करो। 
Galatians 6:3 क्योंकि यदि कोई कुछ न होने पर भी अपने आप को कुछ समझता है, तो अपने आप को धोखा देता है। 
Galatians 6:4 पर हर एक अपने ही काम को जांच ले, और तब दूसरे के विषय में नहीं परन्तु अपने ही विषय में उसको घमण्‍ड करने का अवसर होगा। 
Galatians 6:5 क्योंकि हर एक व्यक्ति अपना ही बोझ उठाएगा।
Galatians 6:6 जो वचन की शिक्षा पाता है, वह सब अच्छी वस्‍तुओं में सिखाने वाले को भागी करे। 
Galatians 6:7 धोखा न खाओ, परमेश्वर ठट्ठों में नहीं उड़ाया जाता, क्योंकि मनुष्य जो कुछ बोता है, वही काटेगा। 
Galatians 6:8 क्योंकि जो अपने शरीर के लिये बोता है, वह शरीर के द्वारा विनाश की कटनी काटेगा; और जो आत्मा के लिये बोता है, वह आत्मा के द्वारा अनन्त जीवन की कटनी काटेगा। 
Galatians 6:9 हम भले काम करने में हियाव न छोड़े, क्योंकि यदि हम ढीले न हों, तो ठीक समय पर कटनी काटेंगे। 
Galatians 6:10 इसलिये जहां तक अवसर मिले हम सब के साथ भलाई करें; विशेष कर के विश्वासी भाइयों के साथ।

एक साल में बाइबल: 
  • व्यवस्थाविवरण 32-34
  • मरकुस 15:26-47



मंगलवार, 17 मार्च 2015

होंठों का स्वामी?


   प्रशंसा एवं चापलूसी की बातों में केवल उद्देश्य का ही अन्तर होता है। प्रशंसा किसी दूसरे व्यक्ति में विद्यमान किसी गुण या उसके द्वारा करे गए किसी कार्य के वास्तविक सम्मान के लिए होती है; जबकि चापलूसी किसी दूसरे व्यक्ति की कृपादृष्टि प्राप्त करके अपनी स्वार्थसिद्धी करने के लिए होती है। प्रशंसा दूसरों को उत्साहित करने, उन्हें आगे बढ़ाने के लिए होती है; चापलूसी दूसरों को अपने लिए प्रयोग करने के लिए होती है।

   परमेश्वर के वचन बाइबल में भजन 12 में दाऊद अपने समय के समाज को लेकर विलाप करता है, जहाँ भक्त तथा विश्वासयोग्य लोग जाते रहे थे और उनके स्थान पर छल-कपट करने वाले खड़े हो गए थे; दाऊद ने उनके बारे में लिखा: "उन में से प्रत्येक अपने पड़ोसी से झूठी बातें कहता है; वे चापलूसी के ओठों से दो रंगी बातें करते हैं" (भजन 12:2) क्योंकि "वे कहते हैं कि हम अपनी जीभ ही से जीतेंगे, हमारे ओंठ हमारे ही वश में हैं; हमारा प्रभु कौन है?" (भजन 12:4)

   जब हम मसीही विश्वासी अपनी स्वार्थसिद्धी के लिए किसी की झूठी प्रशंसा करने की इच्छा में पड़ें तो एक प्रश्न है जो हमें अपने-आप से अवश्य ही पूछ लेना चाहिए - "मेरे होंठों का स्वामी कौन है?" यदि मेरे होंठ मेरे अपने हैं, तो फिर मैं उनसे जो चाहूँ वह कह सकता हूँ; लेकिन यदि प्रभु यीशु मेरे होंठों का स्वामी है, तो फिर मेरे होंठों से निकलने वाले शब्द उसके चरित्र के अनुसार हों; ऐसे शब्द जिनके विषय में दाऊद ने लिखा "परमेश्वर का वचन पवित्र है, उस चान्दी के समान जो भट्टी में मिट्टी पर ताई गई, और सात बार निर्मल की गई हो" (भजन 12:6)।

   इस बात को निर्धारित रखने के लिए कि कौन मेरे होंठों का स्वामी है, एक अच्छा तरीका होगा दाऊद द्वारा लिखे गए एक अन्य भजन के एक पद के साथ अपने दिन को आरंभ करना तथा उस पद पर मनन करते रहना - "मेरे मुंह के वचन और मेरे हृदय का ध्यान तेरे सम्मुख ग्रहण योग्य हों, हे यहोवा परमेश्वर, मेरी चट्टान और मेरे उद्धार करने वाले!" (भजन 19:14)। - डेविड मैक्कैसलैंड


जो अपने मुंह की चौकसी करता है, वह अपने प्राण की रक्षा करता है, परन्तु जो गाल बजाता है उसका विनाश जो जाता है। - नीतिवचन 13:3

हे यहोवा, मेरे वचनों पर कान लगा; मेरे ध्यान करने की ओर मन लगा। हे मेरे राजा, हे मेरे परमेश्वर, मेरी दोहाई पर ध्यान दे, क्योंकि मैं तुझी से प्रार्थना करता हूं। -  भजन 5:1-2

बाइबल पाठ: भजन 12
Psalms 12:1 हे परमेश्वर बचा ले, क्योंकि एक भी भक्त नहीं रहा; मनुष्यों में से विश्वास योग्य लोग मर मिटे हैं।
Psalms 12:2 उन में से प्रत्येक अपने पड़ोसी से झूठी बातें कहता है; वे चापलूसी के ओठों से दो रंगी बातें करते हैं।
Psalms 12:3 प्रभु सब चापलूस ओठों को और उस जीभ को जिस से बड़ा बोल निकलता है काट डालेगा।
Psalms 12:4 वे कहते हैं कि हम अपनी जीभ ही से जीतेंगे, हमारे ओंठ हमारे ही वश में हैं; हमारा प्रभु कौन है?
Psalms 12:5 दीन लोगों के लुट जाने, और दरिद्रों के कराहने के कारण, परमेश्वर कहता है, अब मैं उठूंगा, जिस पर वे फुंकारते हैं उसे मैं चैन विश्राम दूंगा।
Psalms 12:6 परमेश्वर का वचन पवित्र है, उस चान्दी के समान जो भट्टी में मिट्टी पर ताई गई, और सात बार निर्मल की गई हो।
Psalms 12:7 तू ही हे परमेश्वर उनकी रक्षा करेगा, उन को इस काल के लोगों से सर्वदा के लिये बचाए रखेगा।
Psalms 12:8 जब मनुष्यों में नीचपन का आदर होता है, तब दुष्ट लोग चारों ओर अकड़ते फिरते हैं।

एक साल में बाइबल: 

  • व्यवस्थाविवरण 30-31
  • मरकुस 15:1-25



सोमवार, 16 मार्च 2015

टूटी हड्डियाँ


   बहुत वर्ष पहले, अपने कॉलेज के दिनों में मैं अपने कॉलेज की फुटबॉल टीम में गोलकीपर हुआ करता था। मेरे लिए वह खेल कितना मनोरंजक हुआ करता था इस बात का संपूर्ण वर्णन यहाँ संभव नहीं है, लेकिन उस मनोरंजन के लिए मुझे एक कीमत चुकानी पड़ती थी - मुझे अपने आप को बार-बार खतरे में डालकर प्रतिद्वंदी टीम को गोल करने से रोकना होता था। उस मनोरंजन की कीमत मैं ने केवल तब ही नहीं चुकाई, मैं आज भी उस कीमत को चुकाता रहता हूँ; क्योंकि खेल के समय में मुझे गंभीर चोटें भी आईं - मेरी एक टाँग टूटी, कई पसलियाँ टूटीं, एक कंधा उतरा, तथा मेरे सिर की चोट के कारण दिमाग़ को अन्दरूनी धक्का भी लगा। आज भी, विशेषकर ठंड के दिनों में, उन टूटी हड्डियाँ की दुखन मुझे उस मनोरंजन के जोखिम तथा चोटों की याद दिलाती है।

   परमेश्वर के वचन बाइबल के एक प्रमुख नायक दाऊद को भी अपने जीवन में कुछ टूटी हड्डियों का स्मरण शेष रह गया था, लेकिन उसकी चोटें शारीरिक नहीं आत्मिक थीं! बथशेबा के साथ व्यभिचार और फिर बथशेबा के पति को मरवा देने के नैतिक पतन के कारण दाऊद को परमेश्वर के अनुशासन की कठोरता को सहना पड़ा था। लेकिन उस अनुशासन में होकर निकलने से दाऊद के अन्दर अपने किए पर ग्लानि तथा पश्चताप आया और उसने पश्चातापी मन से परमेश्वर से प्रार्थना करी; उसकी प्रार्थना का एक वाक्य था, "मुझे हर्ष और आनन्द की बातें सुना, जिस से जो हडि्डयां तू ने तोड़ डाली हैं वह मगन हो जाएं" (भजन 51:8)।

   परमेश्वर का दण्डात्मक अनुशासन इतना कठोर था कि उसकी पीड़ा दाऊद को टूटी हड्डियों की पीड़ा के समान प्रतीत हुई। लेकिन उस दुख भरी परिस्थिति में भी दाऊद ने परमेश्वर पर भरोसा किया कि अपने अनुग्रह में होकर वह ना केवल दाऊद के टूटेपन को ठीक करेगा वरन उसके आनन्द को भी लौटा कर दे देगा। हमारे पाप और पराजय की परिस्थिति में पड़े होने पर भी, हम मसीही विश्वासियों के लिए यह सांत्वना और आनन्द की बात है कि परमेश्वर का हमारे प्रति प्रेम कभी कम नहीं होता। परमेश्वर हम से पुत्रों के समान व्यवहार करता है, और हमारी भलाई के लिए जहाँ अनुशासित करना होता है वहाँ अनुशासित करता है और जहाँ हमें उभारने-उठाने की आवश्यकता होती हैं वहाँ उभारता-उठाता भी है। - बिल क्राउडर


परमेश्वर के अनुशासन का हाथ, उसके प्रेम का हाथ भी है।

क्योंकि प्रभु, जिस से प्रेम करता है, उस की ताड़ना भी करता है; और जिसे पुत्र बना लेता है, उसको कोड़े भी लगाता है। - इब्रानियों 12:6

बाइबल पाठ: भजन 51:1-13
Psalms 51:1 हे परमेश्वर, अपनी करूणा के अनुसार मुझ पर अनुग्रह कर; अपनी बड़ी दया के अनुसार मेरे अपराधों को मिटा दे। 
Psalms 51:2 मुझे भलीं भांति धोकर मेरा अधर्म दूर कर, और मेरा पाप छुड़ाकर मुझे शुद्ध कर! 
Psalms 51:3 मैं तो अपने अपराधों को जानता हूं, और मेरा पाप निरन्तर मेरी दृष्टि में रहता है। 
Psalms 51:4 मैं ने केवल तेरे ही विरुद्ध पाप किया, और जो तेरी दृष्टि में बुरा है, वही किया है, ताकि तू बोलने में धर्मी और न्याय करने में निष्कलंक ठहरे। 
Psalms 51:5 देख, मैं अधर्म के साथ उत्पन्न हुआ, और पाप के साथ अपनी माता के गर्भ में पड़ा। 
Psalms 51:6 देख, तू हृदय की सच्चाई से प्रसन्न होता है; और मेरे मन ही में ज्ञान सिखाएगा। 
Psalms 51:7 जूफा से मुझे शुद्ध कर, तो मैं पवित्र हो जाऊंगा; मुझे धो, और मैं हिम से भी अधिक श्वेत बनूंगा। 
Psalms 51:8 मुझे हर्ष और आनन्द की बातें सुना, जिस से जो हडि्डयां तू ने तोड़ डाली हैं वह मगन हो जाएं। 
Psalms 51:9 अपना मुख मेरे पापों की ओर से फेर ले, और मेरे सारे अधर्म के कामों को मिटा डाल। 
Psalms 51:10 हे परमेश्वर, मेरे अन्दर शुद्ध मन उत्पन्न कर, और मेरे भीतर स्थिर आत्मा नये सिरे से उत्पन्न कर। 
Psalms 51:11 मुझे अपने साम्हने से निकाल न दे, और अपने पवित्र आत्मा को मुझ से अलग न कर। 
Psalms 51:12 अपने किए हुए उद्धार का हर्ष मुझे फिर से दे, और उदार आत्मा देकर मुझे सम्भाल। 
Psalms 51:13 तब मैं अपराधियों को तेरा मार्ग सिखाऊंगा, और पापी तेरी ओर फिरेंगे।

एक साल में बाइबल: 
  • व्यवस्थाविवरण 28-29
  • मरकुस 14:54-72



रविवार, 15 मार्च 2015

दृष्टिकोण


   जब मेरी नज़र उस पर पड़ी, तब हम आईसक्रीम स्टोर में पंक्ति में खड़े थे। उसके चेहरे पर मारपीट की चोटों के अनेकों निशान थे, उसकी नाक भी टेढ़ी हो रखी थी; उसके कपड़े साफ तो थे लेकिन अस्त-व्यस्त थे। एक स्वाभाविक प्रतिक्रीया स्वरूप मैं अपने बच्चों और उसके बीच में होकर खड़ा हो गया तथा अपनी पीठ को दोनों के बीच की एक दीवार बना लिया। जब पहली बार उसने कुछ कहा तो मुझे स्पष्ट सुनाई नहीं दिया, इसलिए उत्तर में मैंने बस अपना सिर थोड़ा सा हिला भर दिया, मैं उसके साथ आँख मिलाकर बात नहीं कर पा रहा था। क्योंकि मेरी पत्नि मेरे साथ स्टोर में नहीं थी इसलिए उसने सोचा कि मैं अकेला ही बच्चों का पालन-पोषण कर रहा हूँ।

  फिर उसने बड़ी नम्र आवाज़ में कहा, "अकेले ही इन का पालन-पोषण करना कठिन होता है; है ना?" बात कहने के उसके अन्दाज़ में कुछ था जिसने मुझे मुड़कर उसे देखने पर मजबूर कर दिया। तब ही मेरा ध्यान उसके साथ खड़े उसके बच्चों की ओर गया, और फिर उसने बताया कि कैसे बहुत पहले उस की पत्नि उन्हें छोड़कर जा चुकी थी, और मैं उसकी बात सुनता रहा। उसके नम्र शब्द तथा व्यवहार उसके कठोर बाहरी स्वरूप की तुलना में विरोधात्मक थे। मैं एक बार फिर मैं अपनी पूर्व-धारणा एवं आँकलन के कारण दुखी हुआ; एक बार फिर मैंने बाहरी स्वरूप के अन्दर की वास्तविकता को नहीं देख पाने की गलती करी थी।

   प्रभु यीशु का प्रतिदिन ऐसे लोगों से सामना होता था जिनके बाहरी स्वरूप के कारण उनसे मुँह मोड़ लेना बड़ी स्वाभाविक बात होती, उदाहरणस्वरूप हमारे आज के परमेश्वर के वचन बाइबल के पाठ में उल्लेखित दुष्टात्माओं से ग्रसित व्यक्ति ही को लीजिए (मरकुस 5:1-20)! लेकिन प्रभु यीशु ने सदा ही मनुष्यों की भीतरी दशा पर ध्यान किया, उनकी आवश्यकताओं को पहचाना और फिर उसी के अनुसार उनके साथ व्यवहार किया, उनकी आवश्यकताओं को पूरा किया।

   प्रभु यीशु का दृष्टिकोण सदा ही प्रेम का दृष्टिकोण होता है; वह कभी हमारे पाप के दाग़ों, बिगड़े हुए स्वभाव और लड़खड़ाती हुई विश्वासयोग्यता के आधार पर हमारा आँकलन नहीं करता है। उसने जगत के सभी लोगों से प्रेम किया है, अपने बैरी और विरोधियों से भी; उसने सभी के लिए अपना बलिदान दिया है; उस में विश्वास द्वारा सेंत-मेंत मिलने वाले उद्धार का उसका प्रस्ताव सभी के लिए समान रूप से है। प्रभु करे कि हमारा दृष्टिकोण तथा व्यवहार हट और दंभ का नहीं वरन उसके दृष्टिकोण के समान प्रेम और क्षमा का हो। - रैन्डी किलगोर


यदि आप प्रभु यीशु के दृष्टिकोण से देखेंगे तो आपको संसार ज़रूरतमंद नज़र आएगा।

...क्योंकि यहोवा का देखना मनुष्य का सा नहीं है; मनुष्य तो बाहर का रूप देखता है, परन्तु यहोवा की दृष्टि मन पर रहती है। - 1 शमूएल 16:7

बाइबल पाठ: मरकुस 5:1-20
Mark 5:1 और वे झील के पार गिरासेनियों के देश में पहुंचे। 
Mark 5:2 और जब वह नाव पर से उतरा तो तुरन्त एक मनुष्य जिस में अशुद्ध आत्मा थी कब्रों से निकल कर उसे मिला। 
Mark 5:3 वह कब्रों में रहा करता था। और कोई उसे सांकलों से भी न बान्‍ध सकता था। 
Mark 5:4 क्योंकि वह बार बार बेडिय़ों और सांकलों से बान्‍धा गया था, पर उसने सांकलों को तोड़ दिया, और बेडिय़ों के टुकड़े टुकड़े कर दिए थे, और कोई उसे वश में नहीं कर सकता था। 
Mark 5:5 वह लगातार रात-दिन कब्रों और पहाड़ों में चिल्लाता, और अपने को पत्थरों से घायल करता था। 
Mark 5:6 वह यीशु को दूर ही से देखकर दौड़ा, और उसे प्रणाम किया। 
Mark 5:7 और ऊंचे शब्द से चिल्लाकर कहा; हे यीशु, परमप्रधान परमेश्वर के पुत्र, मुझे तुझ से क्या काम? मैं तुझे परमेश्वर की शपथ देता हूं, कि मुझे पीड़ा न दे। 
Mark 5:8 क्योंकि उसने उस से कहा था, हे अशुद्ध आत्मा, इस मनुष्य में से निकल आ। 
Mark 5:9 उसने उस से पूछा; तेरा क्या नाम है? उसने उस से कहा; मेरा नाम सेना है; क्योंकि हम बहुत हैं। 
Mark 5:10 और उसने उस से बहुत बिनती की, हमें इस देश से बाहर न भेज। 
Mark 5:11 वहां पहाड़ पर सूअरों का एक बड़ा झुण्ड चर रहा था। 
Mark 5:12 और उन्होंने उस से बिनती कर के कहा, कि हमें उन सूअरों में भेज दे, कि हम उन के भीतर जाएं। 
Mark 5:13 सो उसने उन्हें आज्ञा दी और अशुद्ध आत्मा निकलकर सूअरों के भीतर पैठ गई और झुण्ड, जो कोई दो हजार का था, कड़ाडे पर से झपटकर झील में जा पड़ा, और डूब मरा।
Mark 5:14 और उन के चरवाहों ने भागकर नगर और गांवों में समाचार सुनाया। 
Mark 5:15 और जो हुआ था, लोग उसे देखने आए। और यीशु के पास आकर, वे उसको जिस में दुष्टात्माएं थीं, अर्थात जिस में सेना समाई थी, कपड़े पहिने और सचेत बैठे देखकर, डर गए। 
Mark 5:16 और देखने वालों ने उसका जिस में दुष्टात्माएं थीं, और सूअरों का पूरा हाल, उन को कह सुनाया। 
Mark 5:17 और वे उस से बिनती कर के कहने लगे, कि हमारे सिवानों से चला जा। 
Mark 5:18 और जब वह नाव पर चढ़ने लगा, तो वह जिस में पहिले दुष्टात्माएं थीं, उस से बिनती करने लगा, कि मुझे अपने साथ रहने दे। 
Mark 5:19 परन्तु उसने उसे आज्ञा न दी, और उस से कहा, अपने घर जा कर अपने लोगों को बता, कि तुझ पर दया कर के प्रभु ने तेरे लिये कैसे बड़े काम किए हैं। 
Mark 5:20 वह जा कर दिकपुलिस में इस बात का प्रचार करने लगा, कि यीशु ने मेरे लिये कैसे बड़े काम किए; और सब अचम्भा करते थे।

एक साल में बाइबल: 
  • व्यवस्थाविवरण 26-27
  • मरकुस 14:27-53



शनिवार, 14 मार्च 2015

पुनरावलोकन


   हवाई जहाज़ों में उड़ान संबंधी विवरण रिकॉर्ड करते रहने के लिए दो उपकरण लगे रहते हैं जिन्हें "ब्लैक-बॉक्स" कहा जाता है। एक में उड़ान के समय वायुयान के उपकरणों तथा कल-पुर्ज़ों के कार्य का विवरण रिकॉर्ड होता रहता है तथा दुसरे में उस वायुयान को उड़ाने वाले चालक दल की धरती पर स्थित हवाई-अड्डों में बैठे वायुयानों की उड़ान का नियंत्रण करने वाले लोगों के साथ होने वाली वार्तालाप रिकॉर्ड की जाती है। इन दोनों ब्लैक-बॉक्स को बहुत मज़बूत बनाया जाता है जिससे दुर्घटना के समय वे खराब ना हों; वे अत्याधिक गरम अथवा ठंडा तापमान सह सकते हैं तथा पानी में डूबे होने पर भी अपनी स्थिति की सूचना देते रहने के लिए ऊपर सतह तक संकेत भेजने के लिए उन में व्यवस्था होती है। यदि वायुयान दुर्घटनाग्रस्त होता है तो इन बलैक-बॉकस को बड़े यत्न से ढूँढ़ कर उन में दर्ज सारे विवरण की बड़ी बारीकी से जाँच तथा विश्लेषण किया जाता है जिससे दुर्घटना के कारणों का पता लगाया जा सके और अन्य किसी वायुयान में वही गलती फिर ना हो इसका उपाय किया जा सके।

   हम मसीही विश्वासियों को भी अपने जीवन की बातों, विशेषतः गलतियों का पुनरावलोकन करते रहना चाहिए और परमेश्वर के वचन बाइबल से उन बातों से संबंधित सही शिक्षा लेते रहना चाहिए, अपने जीवनों को सुधारते रहना चाहिए। प्रेरित पौलुस ने मिस्त्र के दास्तव से निकलकर कनान देश में बसने जा रहे इस्त्राएलियों द्वारा करी गई गलतियों का कुरिन्थुस की मसीही मण्डली को लिखी अपनी पत्री में उल्लेख किया, और मण्डली के लोगों को चिताया, "परन्तु परमेश्वर उन में के बहुतेरों से प्रसन्न न हुआ, इसलिये वे जंगल में ढेर हो गए" (1 कुरिन्थियों 10:5)। पौलुस ने आगे कहा कि, "परन्तु यें सब बातें, जो उन पर पड़ी, दृष्‍टान्‍त की रीति पर भी: और वे हमारी चितावनी के लिये जो जगत के अन्‍तिम समय में रहते हैं लिखी गईं हैं" (1 कुरिन्थियों 10:11)।

   परमेश्वर ने अपना वचन अपनी प्रेरणा से हमारी भलाई के लिए लिखवाया है (2 तिमुथियुस 3:16-17) और परमेश्वर चाहता है कि हम उसके इस जीवित वचन की शिक्षाओं के अन्तर्गत अपने जीवनों तथा कार्यों का पुनरावलोकन करते रहें, अपने सुधार तथा परमेश्वर की इच्छा के अनुसार चलते रहने के लिए नियमित रूप से बाइबल का प्रयोग करते रहें। - सी. पी. हिया


परमेश्वर की चेतावनियाँ हमारे सुधार और सुरक्षा के लिए हैं, हमें दण्डित करने के लिए नहीं।

हर एक पवित्रशास्‍त्र परमेश्वर की प्रेरणा से रचा गया है और उपदेश, और समझाने, और सुधारने, और धर्म की शिक्षा के लिये लाभदायक है। ताकि परमेश्वर का जन सिद्ध बने, और हर एक भले काम के लिये तत्‍पर हो जाए। - 2 तिमुथियुस 3:16-17

बाइबल पाठ: 1 कुरिन्थियों 10:1-11
1 Corinthians 10:1 हे भाइयों, मैं नहीं चाहता, कि तुम इस बात से अज्ञात रहो, कि हमारे सब बाप दादे बादल के नीचे थे, और सब के सब समुद्र के बीच से पार हो गए। 
1 Corinthians 10:2 और सब ने बादल में, और समुद्र में, मूसा का बपितिस्मा लिया। 
1 Corinthians 10:3 और सब ने एक ही आत्मिक भोजन किया। 
1 Corinthians 10:4 और सब ने एक ही आत्मिक जल पीया, क्योंकि वे उस आत्मिक चट्टान से पीते थे, जो उन के साथ-साथ चलती थी; और वह चट्टान मसीह था। 
1 Corinthians 10:5 परन्तु परमेश्वर उन में के बहुतेरों से प्रसन्न न हुआ, इसलिये वे जंगल में ढेर हो गए। 
1 Corinthians 10:6 ये बातें हमारे लिये दृष्‍टान्‍त ठहरीं, कि जैसे उन्होंने लालच किया, वैसे हम बुरी वस्‍तुओं का लालच न करें। 
1 Corinthians 10:7 और न तुम मूरत पूजने वाले बनों; जैसे कि उन में से कितने बन गए थे, जैसा लिखा है, कि लोग खाने-पीने बैठे, और खेलने-कूदने उठे। 
1 Corinthians 10:8 और न हम व्यभिचार करें; जैसा उन में से कितनों ने किया: एक दिन में तेईस हजार मर गये । 
1 Corinthians 10:9 और न हम प्रभु को परखें; जैसा उन में से कितनों ने किया, और सांपों के द्वारा नाश किए गए। 
1 Corinthians 10:10 और न हम कुड़कुड़ाएं, जिस रीति से उन में से कितने कुड़कुड़ाए, और नाश करने वाले के द्वारा नाश किए गए। 
1 Corinthians 10:11 परन्तु यें सब बातें, जो उन पर पड़ी, दृष्‍टान्‍त की रीति पर भी: और वे हमारी चितावनी के लिये जो जगत के अन्‍तिम समय में रहते हैं लिखी गईं हैं।

एक साल में बाइबल: 
  • व्यवस्थाविवरण 23-25
  • मरकुस 14:1-26



शुक्रवार, 13 मार्च 2015

जीवित साक्षी


   वॉचमैन नी को प्रभु यीशु मसीह में विश्वास रखने के कारण चीन में सन 1952 में पकड़ कर जेल में डाल दिया गया था, जहाँ उन्होंने अपना शेष जीवन व्यतीत किया। उस जेल की कोठरी में उन्होंने 30 मई 1972 को अपनी अन्तिम श्वास ली। जब उनकी भतीजी उनकी बची हुई चीज़ें लेने के लिए आई तो उसे जेल के एक पहरेदार ने काग़ज़ का एक टुकड़ा दिया जिस पर वॉचमैन नी ने अपने जीवन की यह साक्षी लिखी थी: "मसीह परमेश्वर का पुत्र है जो पापियों के छुटकारे के लिए मारा गया और तीसरे दिन मृतकों में से जी उठा। यह सृष्टि का सबसे बड़ा सत्य है। मैं इस लिए मर रहा हूँ क्योंकि मैं मसीह पर विश्वास रखता हूँ - वॉचमैन नी।"

   प्रेरित पौलुस भी मसीह यीशु में अपने विश्वास के लिए मारा गया। अपनी म्रुत्यु से कुछ समय पहले, जेल में से, जहाँ वह मृत्यु दण्ड के दिए जाने की प्रतीक्षा में था, पौलुस ने कुछ पत्रियाँ लिखीं। अपनी अन्तिम पत्री में पौलुस ने अपने पाठकों से कहा, "यीशु मसीह को स्मरण रख, जो दाऊद के वंश से हुआ, और मरे हुओं में से जी उठा; और यह मेरे सुसमाचार के अनुसार है। जिस के लिये मैं कुकर्मी की नाईं दुख उठाता हूं, यहां तक कि कैद भी हूं; परन्तु परमेश्वर का वचन कैद नहीं" (2 तिमुथियुस 2:8-9)।

   संभव है कि हमें मसीह यीशु में विश्वास करने के कारण, उन लाखों लोगों के समान जो सदियों से अपने प्राण बलिदान करते आए हैं, अपने प्राणों की आहुति नहीं देनी पड़े, लेकिन फिर भी हम सभी मसीही विश्वासियों को प्रभु यीशु के लिए जीवित साक्षी होने के लिए बुलाया गया है। हमारे इस विश्वास के कारण हमारा अन्जाम जो भी हो, लेकिन हर समय और हर हाल में हमें परमेश्वर के प्रति धन्यवादी हृदय के साथ लोगों के सामने प्रभु यीशु में होकर मिली आशीषों का वर्णन रखना है, उन्हें प्रभु यीशु में मिलने वाली पापों की क्षमा और उद्धार के बारे में बताना है। - डेनिस फिशर


होने दें कि आपके होंठ और जीवन दोनों ही मसीह यीशु का वर्णन करते रहें।

इसी कारण मैं ने सब से पहिले तुम्हें वही बात पहुंचा दी, जो मुझे पहुंची थी, कि पवित्र शास्त्र के वचन के अनुसार यीशु मसीह हमारे पापों के लिये मर गया। और गाड़ा गया; और पवित्र शास्त्र के अनुसार तीसरे दिन जी भी उठा। - 1 कुरिन्थियों 15:3-4

बाइबल पाठ: 2 तिमुथियुस 2:1-10
2 Timothy 2:1 इसलिये हे मेरे पुत्र, तू उस अनुग्रह से जो मसीह यीशु में है, बलवन्‍त हो जा। 
2 Timothy 2:2 और जो बातें तू ने बहुत गवाहों के साम्हने मुझ से सुनी हैं, उन्हें विश्वासी मनुष्यों को सौंप दे; जो औरों को भी सिखाने के योग्य हों। 
2 Timothy 2:3 मसीह यीशु के अच्‍छे योद्धा की नाईं मेरे साथ दुख उठा। 
2 Timothy 2:4 जब कोई योद्धा लड़ाई पर जाता है, तो इसलिये कि अपने भरती करने वाले को प्रसन्न करे, अपने आप को संसार के कामों में नहीं फंसाता 
2 Timothy 2:5 फिर अखाड़े में लड़ने वाला यदि विधि के अनुसार न लड़े तो मुकुट नहीं पाता। 
2 Timothy 2:6 जो गृहस्थ परिश्रम करता है, फल का अंश पहिले उसे मिलना चाहिए। 
2 Timothy 2:7 जो मैं कहता हूं, उस पर ध्यान दे और प्रभु तुझे सब बातों की समझ देगा। 
2 Timothy 2:8 यीशु मसीह को स्मरण रख, जो दाऊद के वंश से हुआ, और मरे हुओं में से जी उठा; और यह मेरे सुसमाचार के अनुसार है। 
2 Timothy 2:9 जिस के लिये मैं कुकर्मी की नाईं दुख उठाता हूं, यहां तक कि कैद भी हूं; परन्तु परमेश्वर का वचन कैद नहीं। 
2 Timothy 2:10 इस कारण मैं चुने हुए लोगों के लिये सब कुछ सहता हूं, कि वे भी उस उद्धार को जो मसीह यीशु में हैं अनन्त महिमा के साथ पाएं।

एक साल में बाइबल: 
  • व्यवस्थाविवरण 20-22
  • मरकुस 13:21-37



गुरुवार, 12 मार्च 2015

धन


   हम मनुष्यों के अन्दर एक धारणा है कि अधिक धन पा लेने से हम अपनी सभी समस्याओं का समाधान भी पा लेंगे। सन 2012 के आरंभ में 6.4 करोड़ अमेरिकी डॉलर का विशाल ईनाम जीतने की लालसा में अमेरीकी लोगों ने 150 करोड़ डॉलर के लौटरी टिकिट खरीदे, यह जानते हुए भी कि ईनाम जीतने की संभावना का आंकड़ा 17.6 करोड़ में से 1 का था। लेकिन उस लौटरी के टिकिट को खरीदने के लिए लोग किराने की दुकानों, पेट्रोल पम्पों और कैफे आदि में जहाँ टिकिट बेचे जा रहे थे घंटों तक लंबी कतारों में खड़े रहे, इस आशा में कि वे धनवान हो जाएंगे।

   किंतु परमेश्वर के वचन बाइबल में उल्लेखित एक व्यक्ति, आगूर का धन के संबंध में अलग ही दृष्टिकोण था; उसने परमेश्वर से प्रार्थना करी कि उसके मरने से पहले परमेश्वर उसके लिए दो बातों को कर के दे। पहली बात थी: "...व्यर्थ और झूठी बात मुझ से दूर रख..." तथा दूसरी बात थी: "...मुझे न तो निर्धन कर और न धनी बना; प्रतिदिन की रोटी मुझे खिलाया कर" (नीतिवचन 30:8)। आगूर समझ चुका था कि चिंता रहित जीवन व्यतीत करने की कुंजी है ईमानदारी; जब हमारे पास कुछ छुपाने को नहीं होगा तो हमारे पास किसी बात को लेकर भयभीत रहने के लिए भी कुछ नहीं होगा। आगूर यह भी जान चुका था कि अपनी हर आवश्यकता के लिए परमेश्वर पर भरोसा रखना एवं जो कुछ परमेश्वर प्रदान करे उसे कृतज्ञता के साथ स्वीकार करना ही सन्तुष्टि का स्त्रोत है क्योंकि परमेश्वर ही है जिसने सब कुछ बनाया है और वह ही सब का पालन करता है (नीतिवचन 30:4-5)।

   हमारा वस्तविक और स्थाई धन नाशमान सांसारिक नहीं वरन आत्मिक गुण ईमानदारी तथा संतुष्टि हैं, और ये सभी के लिए उपलब्ध हैं। जो कोई परमेश्वर पिता से इन के लिए निवेदन करता है, परमेश्वर अपने खज़ानों से उसे यह धन उपलब्ध करवा देता है। - डेविड मैक्कैसलैन्ड


असंतोष हमें निर्धन किंतु संतोष हमें धनवान बना देता है।

यहोवा यों कहता है, बुद्धिमान अपनी बुद्धि पर घमण्ड न करे, न वीर अपनी वीरता पर, न धनी अपने धन पर घमण्ड करे; परन्तु जो घमण्ड करे वह इसी बात पर घमण्ड करे, कि वह मुझे जानता और समझता हे, कि मैं ही वह यहोवा हूँ, जो पृथ्वी पर करुणा, न्याय और धर्म के काम करता है; क्योंकि मैं इन्हीं बातों से प्रसन्न रहता हूँ। - यिर्मियाह 9:23-24

बाइबल पाठ: नीतिवचन 30:1-9
Proverbs 30:1 याके के पुत्र आगूर के प्रभावशाली वचन। उस पुरूष ने ईतीएल और उक्काल से यह कहा, 
Proverbs 30:2 निश्चय मैं पशु सरीखा हूं, वरन मनुष्य कहलाने के योग्य भी नहीं; और मनुष्य की समझ मुझ में नहीं है। 
Proverbs 30:3 न मैं ने बुद्धि प्राप्त की है, और न परमपवित्र का ज्ञान मुझे मिला है। 
Proverbs 30:4 कौन स्वर्ग में चढ़ कर फिर उतर आया? किस ने वायु को अपनी मुट्ठी में बटोर रखा है? किस ने महासागर को अपने वस्त्र में बान्ध लिया है? किस ने पृथ्वी के सिवानों को ठहराया है? उसका नाम क्या है? और उसके पुत्र का नाम क्या है? यदि तू जानता हो तो बता! 
Proverbs 30:5 ईश्वर का एक एक वचन ताया हुआ है; वह अपने शरणागतों की ढाल ठहरा है। 
Proverbs 30:6 उसके वचनों में कुछ मत बढ़ा, ऐसा न हो कि वह तुझे डांटे और तू झूठा ठहरे।
Proverbs 30:7 मैं ने तुझ से दो वर मांगे हैं, इसलिये मेरे मरने से पहिले उन्हें मुझे देने से मुंह न मोड़: 
Proverbs 30:8 अर्थात व्यर्थ और झूठी बात मुझ से दूर रख; मुझे न तो निर्धन कर और न धनी बना; प्रतिदिन की रोटी मुझे खिलाया कर। 
Proverbs 30:9 ऐसा न हो, कि जब मेरा पेट भर जाए, तब मैं इन्कार कर के कहूं कि यहोवा कौन है? वा अपना भाग खो कर चोरी करूं, और अपने परमेश्वर का नाम अनुचित रीति से लूं।

एक साल में बाइबल: 
  • व्यवस्थाविवरण 17-19
  • मरकुस 13:1-20



बुधवार, 11 मार्च 2015

सदा धन्यवादी


   मेरी बेटी को मूँगफली से एलर्जी है। मूँगफली के प्रति उसके शरीर की संवेदनशीलता इतनी अधिक है कि मूँगफली का एक छोटा सा टुकड़ा भी उसकी जान के लिए खतरा हो जाता है। इस कारण हम किसी भी खाद्य-वस्तु को खरीदने से पहले उसमें विद्यमान वस्तुओं के बारे में बड़ी बारीकी से जाँच-पड़ताल करते हैं; हम यदि कहीं बाहर कुछ खाने जाते हैं तो पहले से ही फोन द्वारा वहाँ उपलब्ध खाने की वस्तुओं की जानकारी ले लेते हैं और सदा ही अपने साथ एलर्जी होने की स्थिति में जान बचाने के लिए तुरंत लगाए जाने वाले इंजेक्शैन से भरी एक सिरिंज लेकर चलते हैं। इन सारी सावधानियों के बावजूद मैं फिर भी अपनी बेटी के वर्तमान तथा भविष्य की सुरक्षा के बारे में चिंतित रहती हूँ।

   ऐसी अनिश्चित और खतरनाक स्थिति के लिए धन्यवादी होना कोई स्वाभाविक प्रतिक्रीया नहीं है; लेकिन परमेश्वर का वचन बाइबल मुझे चुनौती देती है: "हर बात में धन्यवाद करो: क्योंकि तुम्हारे लिये मसीह यीशु में परमेश्वर की यही इच्छा है" (1 थिस्सलुनीकियों 5:18)। हम मसीही विश्वासियों के लिए बाइबल के इस निर्देश से बच निकलने का कोई मार्ग नहीं है। परमेश्वर चाहता है कि चाहे भविष्य अनिश्चित ही हो, चाहे दुख अत्याधिक हों, चाहे कमी-घटी से होकर निकल रहे हों, हम जो प्रभु यीशु में विश्वास द्वारा परमेश्वर की सन्तान हो गए हैं, हम सभी परिस्थितियों में सदा ही परमेश्वर के प्रति धन्यवादी बने रहें।

   कठिनाईयों के समयों में धन्यवादी होना कठिन होता है, लेकिन असंभव नहीं है, जैसा बाइबल के अनेक नायकों के जीवन से हम देखते हैं। जब दानिय्येल भविष्यद्वक्ता का जीवन खतरे में था उसने तब भी परमेश्वर का धन्यवाद किया: "जब दानिय्येल को मालूम हुआ कि उस पत्र पर हस्ताक्षर किया गया है, तब वह अपने घर में गया जिसकी उपरौठी कोठरी की खिड़कियां यरूशलेम के सामने खुली रहती थीं, और अपनी रीति के अनुसार जैसा वह दिन में तीन बार अपने परमेश्वर के साम्हने घुटने टेक कर प्रार्थना और धन्यवाद करता था, वैसा ही तब भी करता रहा" (दानिय्येल 6:10)। योना नबी ने जल-जन्तु के पेट में पड़े होने पर भी धन्यवाद के साथ परमेश्वर को पुकारा: "परन्तु मैं ऊंचे शब्द से धन्यवाद कर के तुझे बलिदान चढ़ाऊंगा; जो मन्नत मैं ने मानी, उसको पूरी करूंगा। उद्धार यहोवा ही से होता है" (योना 2:9)। ये और उनके जैसे कई और परमेश्वर के लोग ऐसा इसलिए कर सके क्योंकि परमेश्वर ने अपने लोगों से हर परिस्थिति के द्वारा सदैव ही उनकी भलाई करते रहने की प्रतिज्ञा की है (रोमियों 8:28)।

   बाइबल में लिखे इन लोगों के जीवन परमेश्वर की इस प्रतिज्ञा की सच्चाई का प्रमाण तथा आज हमारे लिए परमेश्वर के प्रति सदा धन्यवादी बने रहने के प्रेरक हैं। - जेनिफर बेन्सन शुल्ट


हम प्रत्येक परिस्थिति में परमेश्वर का धन्यवाद कर सकते हैं क्योंकि वह हमें कभी अकेला नहीं छोड़ता।

और हम जानते हैं, कि जो लोग परमेश्वर से प्रेम रखते हैं, उन के लिये सब बातें मिलकर भलाई ही को उत्पन्न करती है; अर्थात उन्हीं के लिये जो उस की इच्छा के अनुसार बुलाए हुए हैं। - रोमियों 8:28 

बाइबल पाठ: 1 थिस्सलुनीकियों 5:12-22
1 Thessalonians 5:12 और हे भाइयों, हम तुम से बिनती करते हैं, कि जो तुम में परिश्रम करते हैं, और प्रभु में तुम्हारे अगुवे हैं, और तुम्हें शिक्षा देते हैं, उन्हें मानो। 
1 Thessalonians 5:13 और उन के काम के कारण प्रेम के साथ उन को बहुत ही आदर के योग्य समझो: आपस में मेल-मिलाप से रहो। 
1 Thessalonians 5:14 और हे भाइयों, हम तुम्हें समझाते हैं, कि जो ठीक चाल नहीं चलते, उन को समझाओ, कायरों को ढाढ़स दो, निर्बलों को संभालो, सब की ओर सहनशीलता दिखाओ। 
1 Thessalonians 5:15 सावधान! कोई किसी से बुराई के बदले बुराई न करे; पर सदा भलाई करने पर तत्‍पर रहो आपस में और सब से भी भलाई ही की चेष्‍टा करो। 
1 Thessalonians 5:16 सदा आनन्‍दित रहो। 
1 Thessalonians 5:17 निरन्‍तर प्रार्थना में लगे रहो। 
1 Thessalonians 5:18 हर बात में धन्यवाद करो: क्योंकि तुम्हारे लिये मसीह यीशु में परमेश्वर की यही इच्छा है। 
1 Thessalonians 5:19 आत्मा को न बुझाओ। 
1 Thessalonians 5:20 भविष्यद्वाणियों को तुच्‍छ न जानो। 
1 Thessalonians 5:21 सब बातों को परखो: जो अच्छी है उसे पकड़े रहो। 
1 Thessalonians 5:22 सब प्रकार की बुराई से बचे रहो।

एक साल में बाइबल: 
  • व्यवस्थाविवरण 14-16
  • मरकुस 12:28-44