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रविवार, 30 नवंबर 2014

प्रार्थना तथा इच्छा


   प्रार्थना के लिए दिया गया वह हस्तलिखित निवेदन लगभग असंभव होने के कारण हृदयविदारक था। निवेदन देने वाली महिला ने लिखा, "मैं मलटिपल स्क्लिरोसिस रोग से पीड़ित हूँ, मेरी माँस पेशियाँ कमज़ोर पड़ गई हैं, मुझे से निगला नहीं जाता तथा मेरी दृष्टि घट रही है और दर्द बढ़ रहा है।" उस महिला का शरीर जवाब दे रहा था, और मुझे उसके प्रार्थना के निवेदन में निराशा का आभास हुआ। लेकिन आगे पढ़कर आशा जागी - उसके पास वह सामर्थ थी जो शारीरिक नुकसान और क्षीणता पर जयवंत होती है; उस महिला ने लिखा, "मैं जानती हूँ कि मेरे धन्य उद्धारकर्ता के नियंत्रण में ही सब कुछ है। मेरे लिए उसकी इच्छा ही सर्वोपरी है।"

   इस महिला को मेरी प्रार्थनाओं की आवश्यकता अवश्य थी, लेकिन उस के पास भी कुछ ऐसा था जिसकी मुझे आवश्यकता थी - परमेश्वर में अडिग विश्वास। वह प्रत्यक्ष रूप से उस सच्चाई की तसवीर थी जो परमेश्वर ने प्रेरित पौलुस को सिखाई थी जब पौलुस ने अपने ऊपर आई उस विपदा से छुटकारा चाहा जिसे उसने "शरीर में एक काँटा" कहा (2 कुरिन्थियों 12:7)। उस दुख से आराम पाने का पौलुस का प्रयास केवल असंभव ही प्रमाणित नहीं हुआ, वरन इस विषय की उसकी प्रार्थना को परमेश्वर ने पूरी तरह से खारिज कर दिया गया। उस "काँटे" के साथ पौलुस का लगातार चलने वाला यह संघर्ष जो स्पष्ट रीति से परमेश्वर की ओर से था एक महत्वपूर्ण पाठ सिखाने के लिए था - पौलुस की इस दुर्बलता में ही परमेश्वर की सामर्थ सिद्ध होने का प्रमाण सब के सामने आ सका जिससे आते समय के सभी लोगों के लिए हिम्मत बनाए रखने के लिए एक उदाहरण हो सके।

   जब हम प्रार्थनाओं में अपने हृदय परमेश्वर के सामने उँडेलेते हैं, तो साथ ही इस बात का भी ध्यान रखें कि हम अपनी प्रार्थना के उत्तर पाने से अधिक परमेश्वर की इच्छा जानने और मानने के लालायित रहें। वहीं से अनुग्रह और सामर्थ प्राप्त होती है। - डेव ब्रैनन


हमारी प्रार्थनाएं स्वर्ग में हमारी इच्छापूर्ति के लिए नहीं वरन धरती पर परमेश्वर की इच्छापूर्ति के लिए होनी चाहिएं।

फिर वह थोड़ा और आगे बढ़कर मुंह के बल गिरा, और यह प्रार्थना करने लगा, कि हे मेरे पिता, यदि हो सके, तो यह कटोरा मुझ से टल जाए; तौभी जैसा मैं चाहता हूं वैसा नहीं, परन्तु जैसा तू चाहता है वैसा ही हो। - मत्ती 26:39 

बाइबल पाठ: 2 कुरिन्थियों 12:7-10
2 Corinthians 12:7 और इसलिये कि मैं प्रकाशों की बहुतायत से फूल न जाऊं, मेरे शरीर में एक कांटा चुभाया गया अर्थात शैतान का एक दूत कि मुझे घूँसे मारे ताकि मैं फूल न जाऊं। 
2 Corinthians 12:8 इस के विषय में मैं ने प्रभु से तीन बार बिनती की, कि मुझ से यह दूर हो जाए। 
2 Corinthians 12:9 और उसने मुझ से कहा, मेरा अनुग्रह तेरे लिये बहुत है; क्योंकि मेरी सामर्थ निर्बलता में सिद्ध होती है; इसलिये मैं बड़े आनन्द से अपनी निर्बलताओं पर घमण्‍ड करूंगा, कि मसीह की सामर्थ मुझ पर छाया करती रहे। 
2 Corinthians 12:10 इस कारण मैं मसीह के लिये निर्बलताओं, और निन्‍दाओं में, और दरिद्रता में, और उपद्रवों में, और संकटों में, प्रसन्न हूं; क्योंकि जब मैं निर्बल होता हूं, तभी बलवन्‍त होता हूं।

एक साल में बाइबल: 
  • 2 कुरिन्थियों 10-13