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मंगलवार, 7 अक्तूबर 2014

बुलावा


   कभी कभी फसल देर से तैयार होती है; कभी आप बड़ी आशा से बीज तो बोते हैं किंतु फसल का क्या होगा यह अज्ञात रहता है; और कभी आपके द्वारा बोए गए बीज से फसल ऐसे समय या स्वरूप में आती है जैसी कि आपने कभी कलपना भी नहीं करी होगी।

   हमारी बेटी मेलिस्सा ने परमेश्वर से उद्धार का उपहार छोटी उम्र में ही पा लिया था, लेकिन उसने कभी अपने आप को एक ऐसे महान मसीही विश्वासी के रूप में नहीं देखा था जो लोगों के जीवन बदलने की क्षमता रखता हो। वह तो साधारण सी 17 वर्षीय छात्रा थी जो अपनी पढ़ाई, मित्र-मण्डली, खेल-कूद में रुचि, एक छोटी सी नौकरी आदि के बीच परस्पर तालमेल जमा कर परमेश्वर की इच्छानुसार जीवन जीने का प्रयास कर रही थी। लेकिन अचानक ही सन 2002 में परमेश्वर से उसे बुलावा आ गया और वह इस संसार से कूच करके अपने उद्धा्रकर्ता प्रभु यीशु के पास चली गई। ऐसा होने की कोई चेतावनी नहीं थी, किसी के साथ कोई बिगड़ी हुई बात सुधारने का कोई अवसर नहीं था, ना ही प्रभु यीशु के लिए फलवन्त होने का कोई नया अवसर उसे मिला। बस उसका प्रभु यीशु में विश्वास और उस विश्वास के अनुसार उसका जीवन ही उसके साथ थे, और आज हमारे साथ है।

   मेलिस्सा का सदा यह प्रयास रहा था कि वह ऐसा जीवन जीए जो उसके प्रभु को भावता हुआ हो - और उसका जीवन आज भी प्रभु के लिए फल ला रहा है। अभी हाल ही में मुझे एक ऐसे युवक के बारे में बताया गया जिसने एक खेल शिविर में मेलिस्सा की कहानी सुनी और फलस्वरूप प्रभु यीशु पर विश्वास कर के उसे अपने उद्धारकर्ता के रूप में ग्रहण कर लिया।

   हम सब अपने जीवनों से एक कहानी लिख रहे हैं - ऐसी कहानी जो आज भी दूसरों को प्रभावित कर रही है और हमारे बाद भी करती रहेगी। लेकिन क्या हम परमेश्वर की इच्छानुसार जीवन व्यतीत करने और अपने जीवनों की गवाही द्वारा उसे प्रसन्न रखने, उसे महिमा देने का भी प्रयास कर रहे हैं? हमारा बुलावा कब आ जाएगा, कोई नहीं जानता; इसलिए प्रति दिन उस बुलावे के लिए तैयार रहें, परमेश्वर की इच्छानुसार जीवन व्यतीत करते रहें। - डेव ब्रैनन


परमेश्वर के प्रति विश्वासयोग्य जीवन ही परमेश्वर के लिए फलवन्त जीवन हो सकता है।

उसी प्रकार तुम्हारा उजियाला मनुष्यों के साम्हने चमके कि वे तुम्हारे भले कामों को देखकर तुम्हारे पिता की, जो स्वर्ग में है, बड़ाई करें। - मत्ती 5:16

बाइबल पाठ: यूहन्ना 15:8-17
John 15:8 मेरे पिता की महिमा इसी से होती है, कि तुम बहुत सा फल लाओ, तब ही तुम मेरे चेले ठहरोगे। 
John 15:9 जैसा पिता ने मुझ से प्रेम रखा, वैसा ही मैं ने तुम से प्रेम रखा, मेरे प्रेम में बने रहो। 
John 15:10 यदि तुम मेरी आज्ञाओं को मानोगे, तो मेरे प्रेम में बने रहोगे: जैसा कि मैं ने अपने पिता की आज्ञाओं को माना है, और उसके प्रेम में बना रहता हूं। 
John 15:11 मैं ने ये बातें तुम से इसलिये कही हैं, कि मेरा आनन्द तुम में बना रहे, और तुम्हारा आनन्द पूरा हो जाए। 
John 15:12 मेरी आज्ञा यह है, कि जैसा मैं ने तुम से प्रेम रखा, वैसा ही तुम भी एक दूसरे से प्रेम रखो। 
John 15:13 इस से बड़ा प्रेम किसी का नहीं, कि कोई अपने मित्रों के लिये अपना प्राण दे। 
John 15:14 जो कुछ मैं तुम्हें आज्ञा देता हूं, यदि उसे करो, तो तुम मेरे मित्र हो। 
John 15:15 अब से मैं तुम्हें दास न कहूंगा, क्योंकि दास नहीं जानता, कि उसका स्‍वामी क्या करता है: परन्तु मैं ने तुम्हें मित्र कहा है, क्योंकि मैं ने जो बातें अपने पिता से सुनीं, वे सब तुम्हें बता दीं। 
John 15:16 तुम ने मुझे नहीं चुना परन्तु मैं ने तुम्हें चुना है और तुम्हें ठहराया ताकि तुम जा कर फल लाओ; और तुम्हारा फल बना रहे, कि तुम मेरे नाम से जो कुछ पिता से मांगो, वह तुम्हें दे। 
John 15:17 इन बातें की आज्ञा मैं तुम्हें इसलिये देता हूं, कि तुम एक दूसरे से प्रेम रखो।

एक साल में बाइबल: 
  • हग्गै 1-2