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शुक्रवार, 22 अगस्त 2014

उद्गम और अन्त


   वैज्ञानिक सदियों से "सब कुछ के सिद्धांत" की खोज में लगे हैं जिससे सृष्टि तथा उसकी प्रत्येक वस्तु के आरंभ एवं रचना के बारे में जाना जा सके। एक भौतिक शास्त्री, ब्रायन ग्रीन को लगता है कि उन्होंने वह आधारभूत सिद्धांत पा लिया है; उन्होंने इस बात को लेकर एक पुस्तक लिखी है "The Elegant Universe: Superstrings, Hidden Dimensions, and the Quest for the Ultimate Theory"। ग्रीन द्वारा प्रतिपादित "लड़ी सिद्धांत" एक जटिल परिकल्पना है जो यह प्रस्तावित करती है कि अपने सबसे सूक्षम स्तर पर प्रत्येक वस्तु कंप्यामान लड़ीयों या धागों के मिश्रण से बनी है। उन्होंने अपने इस सिद्धांत के लिए कहा है: "एक ऐसा सैद्धांतिक ढाँचा जिसमें संसार की मूल रचना की प्रत्येक बात को समझा पाने की क्षमता है"।

   अनेक अन्य वैज्ञानिकों, जैसे न्यूटन, आईंस्टाईन, हौकिंग्स आदि ने भी अपने जीवन का एक बड़ा भाग यह समझने में लगा दिया है कि यह सृष्टि कार्य कैसे करती है - और इसके लिए उन्होंने अनेक विलक्षण सिद्धांत प्रतिपादित किए हैं। लेकिन वास्तविकता यही है कि अभी तक कोई भी सिद्धांत इस गुथी को पूर्णतयः सुल्झा नहीं पाया है, सभी में कोई ना कोई कमी है, और सभी किसी ना किसी बात पर आकर विफल हो जाते हैं। किसी भी सिद्धांत के पूर्णतयः सफल होने के लिए अनिवार्य है कि वह सृष्टिकर्ता परमेश्वर से आरंभ हो तथा उसी पर अंत भी हो।

   परमेश्वर का वचन बाइबल प्रभु यीशु के संदर्भ में बताती है: "क्योंकि उसी में सारी वस्‍तुओं की सृष्‍टि हुई, स्वर्ग की हो अथवा पृथ्वी की, देखी या अनदेखी, क्या सिंहासन, क्या प्रभुतांए, क्या प्रधानताएं, क्या अधिकार, सारी वस्तुएं उसी के द्वारा और उसी के लिये सृजी गई हैं" (कुलुस्सियों 1:16)। बाइबल के यूहन्ना रचित सुसमाचार के आरंभिक पद हमें बताते हैं कि प्रभु यीशु में होकर ही इस सृष्टि की रचना हुई और उसके बिना किसी चीज़ का कोई अस्तित्व नहीं है।

   इसीलिए जब हम इस संसार और उसकी चीज़ों पर विचार करते हैं तो यशायाह भविष्यद्वक्ता के साथ कह सकते हैं: "...सेनाओं का यहोवा पवित्र, पवित्र, पवित्र है; सारी पृथ्वी उसके तेज से भरपूर है" (यशायाह 6:3)। परमेश्वर, जो सारी सृष्टि की प्रत्येक वस्तु का उद्गम और अन्त है, के पवित्र नाम की महिमा युगानुयुग होती रहे! - डेव एग्नर


समस्त सृष्टि परमेश्वर की ओर संकेत कर रही है।

आकाश ईश्वर की महिमा वर्णन कर रहा है; और आकशमण्डल उसकी हस्तकला को प्रगट कर रहा है। - भजन 19:1

बाइबल पाठ: यूहन्ना 1:1-13
John 1:1 आदि में वचन था, और वचन परमेश्वर के साथ था, और वचन परमेश्वर था। 
John 1:2 यही आदि में परमेश्वर के साथ था। 
John 1:3 सब कुछ उसी के द्वारा उत्पन्न हुआ और जो कुछ उत्पन्न हुआ है, उस में से कोई भी वस्तु उसके बिना उत्पन्न न हुई। 
John 1:4 उस में जीवन था; और वह जीवन मुनष्यों की ज्योति थी। 
John 1:5 और ज्योति अन्धकार में चमकती है; और अन्धकार ने उसे ग्रहण न किया। 
John 1:6 एक मनुष्य परमेश्वर की ओर से आ उपस्थित हुआ जिस का नाम यूहन्ना था। 
John 1:7 यह गवाही देने आया, कि ज्योति की गवाही दे, ताकि सब उसके द्वारा विश्वास लाएं। 
John 1:8 वह आप तो वह ज्योति न था, परन्तु उस ज्योति की गवाही देने के लिये आया था। 
John 1:9 सच्ची ज्योति जो हर एक मनुष्य को प्रकाशित करती है, जगत में आनेवाली थी। 
John 1:10 वह जगत में था, और जगत उसके द्वारा उत्पन्न हुआ, और जगत ने उसे नहीं पहिचाना। 
John 1:11 वह अपने घर आया और उसके अपनों ने उसे ग्रहण नहीं किया। 
John 1:12 परन्तु जितनों ने उसे ग्रहण किया, उसने उन्हें परमेश्वर के सन्तान होने का अधिकार दिया, अर्थात उन्हें जो उसके नाम पर विश्वास रखते हैं। 
John 1:13 वे न तो लोहू से, न शरीर की इच्छा से, न मनुष्य की इच्छा से, परन्तु परमेश्वर से उत्पन्न हुए हैं।

एक साल में बाइबल: 
  • यिर्मयाह 13-16