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गुरुवार, 1 मई 2014

कुंजियाँ


   "वह बनिए जो परमेश्वर की आपके लिए इच्छा है और आप संसार में हलचल मचा देंगे" - सीयना की सन्त कैथरीन द्वारा कहे इन शब्दों के साथ लण्डन के बिशप ने राजकुमार विलियम और केट मिडलटन को उनके विवाह का सन्देश देना आरंभ किया। टेलिविज़न पर इस विवाह को देखने वाले दर्शक बिश्प द्वारा उन दोनों के चुनाव को लेकर बहुत प्रभावित हुए, कि उन दोनों ने "उस उदार परमेश्वर के समक्ष अपना विवाह संपन्न कराने का निर्णय लिया जिसने जगत से ऐसा प्रेम किया कि अपने आप को प्रभु यीशु के रूप में जगत के लिए दे दिया।" इसके बाद बिशप ने इस नव दंपति को परस्पर एक ऐसा प्रेम ढूंढ़ते रहने की सलाह दी जिसका केंद्र बिंदु स्वार्थ से परे है।

   इस सन्देश के बाद वधु के भाई ने परमेश्वर के वचन बाइबल में से रोमियों 12:1-2 पढ़ा: "इसलिये हे भाइयों, मैं तुम से परमेश्वर की दया स्मरण दिला कर बिनती करता हूं, कि अपने शरीरों को जीवित, और पवित्र, और परमेश्वर को भावता हुआ बलिदान कर के चढ़ाओ: यही तुम्हारी आत्मिक सेवा है। और इस संसार के सदृश न बनो; परन्तु तुम्हारी बुद्धि के नये हो जाने से तुम्हारा चाल-चलन भी बदलता जाए, जिस से तुम परमेश्वर की भली, और भावती, और सिद्ध इच्छा अनुभव से मालूम करते रहो"।

   यह राजसी विवाह हम - विवाहित अथवा अविवाहित, सब को दो महान सत्य स्मरण दिलाता है: 
   1. प्रभु यीशु के बलिदान में परमेश्वर का जगत के प्रति महान प्रेम का प्रगटिकरण।
   2. परमेश्वर की इच्छा कि हम जीवन का सबसे महान आनन्द और अनन्त काल के लिए लाभदायक जीवन परिवर्तन प्रभु यीशु मसीह में होकर परमेश्वर के साथ अपने सही संबंध बनाने के द्वारा प्राप्त करें।

   यही दो सत्य वह कुंजियाँ हैं जो हमें परमेश्वर कि इच्छा के अनुसार व्यक्ति बनाने का मार्ग खोलती हैं। - डेविड मैक्कैसलैंड


परमेश्वर को संपूर्ण रीति से संपर्ण करने के द्वारा ही हम परमेश्वर कि इच्छा के अनुसार व्यक्ति बनने पाते हैं।

हे यहोवा के प्रेमियों, बुराई से घृणा करो; वह अपने भक्तों के प्राणों की रक्षा करता, और उन्हें दुष्टों के हाथ से बचाता है। - भजन 97:10

बाइबल पाठ: रोमियों 12:9-18
Romans 12:9 प्रेम निष्कपट हो; बुराई से घृणा करो; भलाई में लगे रहो। 
Romans 12:10 भाईचारे के प्रेम से एक दूसरे पर दया रखो; परस्पर आदर करने में एक दूसरे से बढ़ चलो। 
Romans 12:11 प्रयत्न करने में आलसी न हो; आत्मिक उन्माद में भरो रहो; प्रभु की सेवा करते रहो। 
Romans 12:12 आशा में आनन्दित रहो; क्लेश में स्थिर रहो; प्रार्थना में नित्य लगे रहो। 
Romans 12:13 पवित्र लोगों को जो कुछ अवश्य हो, उस में उन की सहायता करो; पहुनाई करने में लगे रहो। 
Romans 12:14 अपने सताने वालों को आशीष दो; आशीष दो श्राप न दो। 
Romans 12:15 आनन्द करने वालों के साथ आनन्द करो; और रोने वालों के साथ रोओ। 
Romans 12:16 आपस में एक सा मन रखो; अभिमानी न हो; परन्तु दीनों के साथ संगति रखो; अपनी दृष्टि में बुद्धिमान न हो। 
Romans 12:17 बुराई के बदले किसी से बुराई न करो; जो बातें सब लोगों के निकट भली हैं, उन की चिन्ता किया करो। 
Romans 12:18 जहां तक हो सके, तुम अपने भरसक सब मनुष्यों के साथ मेल मिलाप रखो।

एक साल में बाइबल: 
  • 2 इतिहास 26-29