ई-मेल संपर्क / E-Mail Contact

इन संदेशों को ई-मेल से प्राप्त करने के लिए अपना ई-मेल पता इस ई-मेल पर भेजें / To Receive these messages by e-mail, please send your e-mail id to: rozkiroti@gmail.com

शुक्रवार, 21 मार्च 2014

जीवनी के शब्द


   मैं अपने कॉलेज के छात्रों को संक्षिप्त जीवनी लिखने के विचार को समझाने के लिए कोई रोचक और उपयुक्त उदाहरण ढूँढ रहा था, और मुझे यह विचार मिला: "एक संक्षिप्त वाक्य में जीवनी लिखो।" जब प्रसिद्ध लेखक और पुलिट्ज़र पुरुस्कार विजेता एर्नेस्ट हेमिंगवे से यह कहा गया तो उन्होंने यह मार्मिक वाक्य लिखा: "बिकाऊ हैं: कभी प्रयोग ना हो सकीं छोटे बच्चे की जूतियाँ।" इस वाक्य के पीछे छुपी दुख भरी गाथा की कलपना कर पाना कोई कठिन कार्य नहीं है।

   इस बात पर सोचते हुए मुझे विचारा आया कि क्या परमेश्वर के वचन बाइबल में भी किसी के लिए ऐसे ही संक्षिप्त शब्दों में ’एक वाक्य की जीवनी’ लिखी होगी? जब मैंने खोजना आरंभ किया तो मैं चकित हो गया कि परमेश्वर के लिए उपयोगी और समर्पित कई लोगों के लिए बाइबल में ऐसी संक्षिप्त जीवनी पहले से ही लिखी हुई है। उदाहरणस्वरूप दाऊद के लिए परमेश्वर ने कहा: "मेरे मन के अनुसार व्यक्ति" (1 शमूएल 13:14; प्रेरितों 13:22)। प्रेरित पौलुस ने अपने लिए लिखा, "परमेश्वर की इच्छा से यीशु मसीह का प्रेरित" (इफिसियों 1:1) तथा तिमुथियुस के लिए लिखा, "विश्वास में मेरा सच्चा पुत्र" (1 तिमुथियुस 1:1)। प्रभु यीशु की माता मरियम के लिए लिखा गया, "प्रभु की दासी" (लूका 2:38) और प्रभु यीशु के लिए लिखा गया है "देहधारी हुआ और हमारे बीच में निवास किया" (यूहन्ना 1:14)।

   परमेश्वर के वचन बाइबल में आए इन उदाहरणों के संदर्भ में हमें आज अपने बारे यह विचार गंभीरता से करना चाहिए कि यदि हमारी जीवनी भी ऐसे ही एक संक्षिप्त वाक्य में लिखी जाए, तो वह क्या होगी? वह जीवनी वाक्य स्कारात्मक होगा या नकारात्मक? क्या लेखक कहेगा, "उस व्यक्ति से प्रेम करना सरल नहीं था" या कहेगा "अपने प्रभु के लिए चमकने वाली ज्योति"? यदि स्वयं आप से ही अपनी संक्षिप्त एक वाक्य की जीवनी लिखने को कहा जाए तो आप अपने जीवनी के शब्द क्या लिखेंगे? - डेव ब्रैनन


मेरी जीवनी: "पहले खोया हुआ था, अब खोजा हुआ तथा अनन्तकाल के लिए प्रभु यीशु का धन्यवादी हूँ।"

यीशु ने उस से कहा, मार्ग और सच्चाई और जीवन मैं ही हूं; बिना मेरे द्वारा कोई पिता के पास नहीं पहुंच सकता। - यूहन्ना 14:6

बाइबल पाठ: यूहन्ना 1:1-14
John 1:1 आदि में वचन था, और वचन परमेश्वर के साथ था, और वचन परमेश्वर था। 
John 1:2 यही आदि में परमेश्वर के साथ था। 
John 1:3 सब कुछ उसी के द्वारा उत्पन्न हुआ और जो कुछ उत्पन्न हुआ है, उस में से कोई भी वस्तु उसके बिना उत्पन्न न हुई। 
John 1:4 उस में जीवन था; और वह जीवन मुनष्यों की ज्योति थी। 
John 1:5 और ज्योति अन्धकार में चमकती है; और अन्धकार ने उसे ग्रहण न किया। 
John 1:6 एक मनुष्य परमेश्वर की ओर से आ उपस्थित हुआ जिस का नाम यूहन्ना था। 
John 1:7 यह गवाही देने आया, कि ज्योति की गवाही दे, ताकि सब उसके द्वारा विश्वास लाएं। 
John 1:8 वह आप तो वह ज्योति न था, परन्तु उस ज्योति की गवाही देने के लिये आया था। 
John 1:9 सच्ची ज्योति जो हर एक मनुष्य को प्रकाशित करती है, जगत में आनेवाली थी। 
John 1:10 वह जगत में था, और जगत उसके द्वारा उत्पन्न हुआ, और जगत ने उसे नहीं पहिचाना। 
John 1:11 वह अपने घर आया और उसके अपनों ने उसे ग्रहण नहीं किया। 
John 1:12 परन्तु जितनों ने उसे ग्रहण किया, उसने उन्हें परमेश्वर के सन्तान होने का अधिकार दिया, अर्थात उन्हें जो उसके नाम पर विश्वास रखते हैं। 
John 1:13 वे न तो लोहू से, न शरीर की इच्छा से, न मनुष्य की इच्छा से, परन्तु परमेश्वर से उत्पन्न हुए हैं। 
John 1:14 और वचन देहधारी हुआ; और अनुग्रह और सच्चाई से परिपूर्ण हो कर हमारे बीच में डेरा किया, और हम ने उस की ऐसी महिमा देखी, जैसी पिता के एकलौते की महिमा।

एक साल में बाइबल: 
  • 1 शमूएल 25-28