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गुरुवार, 13 फ़रवरी 2014

समाधान


   दाऊद ने आह भरी, "और मैं ने कहा, भला होता कि मेरे कबूतर के से पंख होते तो मैं उड़ जाता और विश्राम पाता!" (भजन 55:6); यदि मैं दाउद के स्थान पर होता तो मैं भी कामना करता की कहीं दूर ऊँची पहाड़ियों पर या किसी ऊँची मीनार में जाकर बैठ जाऊँ। जब जीवन भारी हो जाता है तो मैं भी दाऊद के समान बचकर कहीं शान्त स्थान पर चले जाने को लालायित हो जाता हूँ।

   दाऊद ने इस भजन में अपनी परिस्थितियों के विषय में खुल कर लिखा है: झगड़े, शोषण और परेशानियाँ उसे चारों ओर से घेरे हुए थे, एक पुराने मित्र के धोखे ने उसे बड़ी विकट परिस्थिति में डाल दिया था (भजन 55:8-14)। भय, संकट, पीड़ा, कंपकंपाहट, चिंता आदि ने उसे अभिभूत कर दिया था (पद 4-5)। इन परिस्थितियों में वह बचकर कहीं उड़ जाने की इच्छा रखे तो यह कोई विचित्र बात नहीं है।

   लेकिन बच निकलना संभव नहीं था, उसे उन परिस्थितियों का सामना करना ही था। इसलिए उसने वह किया जो बुद्धिमानी की बात थी, उन विकट परिस्थितियों का सामना अपनी बुद्धि और सामर्थ से करने की बजाए, उसने उन परिस्थितियों को परमेश्वर को सौंप दिया जिससे परमेश्वर की सामर्थ से वह उनका सामना कर सके: "परन्तु मैं तो परमेश्वर को पुकारूंगा; और यहोवा मुझे बचा लेगा। सांझ को, भोर को, दोपहर को, तीनों पहर मैं दोहाई दूंगा और कराहता रहूंगा। और वह मेरा शब्द सुन लेगा" (भजन 55:16-17)।

   हमारी परिस्थितियाँ चाहे कुछ भी क्यों ना हों - एक बोझिल सेवकाई, कठिन विवाह बन्धन, बेरोज़गारी, गंभीर एकाकीपन, इत्यादि - हम उन सबको परमेश्वर को सौंप सकते हैं। जब उसने हमारे पापों का बोझ अपने ऊपर ले लिया तो क्या वह हमारे अन्य बोझों को नहीं लेगा? जब हम अपनी आत्मा के अनन्त स्थान के लिए उस पर भरोसा कर सकते हैं तो क्या अपनी वर्तमान परिस्थितियों के लिए नहीं कर सकते?

   दाऊद से सीखिए: "अपना बोझ यहोवा पर डाल दे वह तुझे सम्भालेगा; वह धर्मी को कभी टलने न देगा" (भजन 55:22)। - डेविड रोपर


क्योंकि परमेश्वर हमारी चिंता करता है इसलिए हम अपनी चिंताएं उसे सौंप सकते हैं।

हे सब परिश्रम करने वालों और बोझ से दबे लोगों, मेरे पास आओ; मैं तुम्हें विश्राम दूंगा। - मत्ती 11:28

बाइबल पाठ: भजन 55:1-23
Psalms 55:1 हे परमेश्वर, मेरी प्रार्थना की ओर कान लगा; और मेरी गिड़गिड़ाहट से मुंह न मोड़! 
Psalms 55:2 मेरी ओर ध्यान देकर, मुझे उत्तर दे; मैं चिन्ता के मारे छटपटाता हूं और व्याकुल रहता हूं। 
Psalms 55:3 क्योंकि शत्रु कोलाहल और दुष्ट उपद्रव कर रहें हैं; वे मुझ पर दोषारोपण करते हैं, और क्रोध में आकर मुझे सताते हैं।
Psalms 55:4 मेरा मन भीतर ही भीतर संकट में है, और मृत्यु का भय मुझ में समा गया है। 
Psalms 55:5 भय और कंपकपी ने मुझे पकड़ लिया है, और भय के कारण मेरे रोंए रोंए खड़े हो गए हैं। 
Psalms 55:6 और मैं ने कहा, भला होता कि मेरे कबूतर के से पंख होते तो मैं उड़ जाता और विश्राम पाता! 
Psalms 55:7 देखो, फिर तो मैं उड़ते उड़ते दूर निकल जाता और जंगल में बसेरा लेता, 
Psalms 55:8 मैं प्रचण्ड बयार और आन्धी के झोंके से बचकर किसी शरण स्थान में भाग जाता।
Psalms 55:9 हे प्रभु, उन को सत्यानाश कर, और उनकी भाषा में गड़बड़ी डाल दे; क्योंकि मैं ने नगर में उपद्रव और झगड़ा देखा है। 
Psalms 55:10 रात दिन वे उसकी शहरपनाह पर चढ़कर चारों ओर घूमते हैं; और उसके भीतर दुष्टता और उत्पात होता है। 
Psalms 55:11 उसके भीतर दुष्टता ने बसेरा डाला है; और अन्धेर, अत्याचार और छल उसके चौक से दूर नहीं होते।
Psalms 55:12 जो मेरी नामधराई करता है वह शत्रु नहीं था, नहीं तो मैं उसको सह लेता; जो मेरे विरुद्ध बड़ाई मारता है वह मेरा बैरी नहीं है, नहीं तो मैं उस से छिप जाता। 
Psalms 55:13 परन्तु वह तो तू ही था जो मेरी बराबरी का मनुष्य मेरा परममित्र और मेरी जान पहचान का था। 
Psalms 55:14 हम दोनों आपस में कैसी मीठी मीठी बातें करते थे; हम भीड़ के साथ परमेश्वर के भवन को जाते थे। 
Psalms 55:15 उन को मृत्यु अचानक आ दबाए; वे जीवित ही अधोलोक में उतर जाएं; क्योंकि उनके घर और मन दोनों में बुराइयां और उत्पात भरा है।
Psalms 55:16 परन्तु मैं तो परमेश्वर को पुकारूंगा; और यहोवा मुझे बचा लेगा। 
Psalms 55:17 सांझ को, भोर को, दोपहर को, तीनों पहर मैं दोहाई दूंगा और कराहता रहूंगा। और वह मेरा शब्द सुन लेगा। 
Psalms 55:18 जो लड़ाई मेरे विरुद्ध मची थी उस से उसने मुझे कुशल के साथ बचा लिया है। उन्होंने तो बहुतों को संग ले कर मेरा साम्हना किया था। 
Psalms 55:19 ईश्वर जो आदि से विराजमान है यह सुनकर उन को उत्तर देगा। ये वे हैं जिन में कोई परिवर्तन नहीं और उन में परमेश्वर का भय है ही नहीं।
Psalms 55:20 उसने अपने मेल रखने वालों पर भी हाथ छोड़ा है, उसने अपनी वाचा को तोड़ दिया है। 
Psalms 55:21 उसके मुंह की बातें तो मक्खन सी चिकनी थी परन्तु उसके मन में लड़ाई की बातें थीं; उसके वचन तेल से अधिक नरम तो थे परन्तु नंगी तलवारें थीं।
Psalms 55:22 अपना बोझ यहोवा पर डाल दे वह तुझे सम्भालेगा; वह धर्मी को कभी टलने न देगा।
Psalms 55:23 परन्तु हे परमेश्वर, तू उन लोगों को विनाश के गड़हे में गिरा देगा; हत्यारे और छली मनुष्य अपनी आधी आयु तक भी जीवित न रहेंगे। परन्तु मैं तुझ पर भरोसा रखे रहूंगा।

एक साल में बाइबल: 
  • गिनती 28-30