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रविवार, 12 जनवरी 2014

मार्गदर्शक


   मेरी सहेली एन्ना के साथ एक बात अकसर होती रहती है, लोग उसके पास आकर अपने गन्तव्य स्थान को जाने के लिए उससे मार्ग की जानकारी लेते रहते हैं। उसके साथ ऐसा केवल उसके इलाके में ही नहीं होता, जब वह किसी विदेश यात्रा पर होती है तब भी उस विदेश में लोग उसके पास इसी उद्देश्य से आते रहते हैं। एन्ना सोचती है कि ऐसा इस कारण होता है क्योंकि वह लोगों को विश्वासयोग्य और इमानदार लगती है। मेरा विचार है कि शायद यह इसलिए होता है क्योंकि उसके हाव-भाव से यह प्रगट होता है कि वह भली भाँति जानती है कि वह कहाँ है और कहाँ जा रही है। हमारी एक अन्य सहेली का मानना है कि शायद इसका कारण यह है कि एन्ना में खोए हुओं को आकर्षित करने का गुण है।

   आत्मिक रीति से देखा जाए तो यह तीनों ही गुण हम मसीही विश्वासियों में पाए जाने चाहिएं। मसीही विश्वासी होने के नाते हमारे जीवनों का निश्चित उद्देश्य और दिशा है, हम भली भाँति जानते हैं कि हमारा गन्तव्य स्थान क्या है, हम कहीं अनिश्चितता में भटक नहीं रहे हैं वरन हम जानते हैं कि हम वहाँ कैसे पहुँचेंगे। ये सभी बातें हमें परमेश्वर की बुलाहट के अनुसार कार्य करने का भरोसा देती हैं, और जब लोग हमारे जीवनों में यह विश्वास देखते हैं तो जो भटका हुआ अनुभव करते हैं वे भी मार्गदर्शन के लिए हमारी ओर आकर्षित होते हैं।

   परमेश्वर ने कभी मनुष्य को अकेला नहीं छोड़ा है, परमेश्वर ने सदा ही अपनी उपस्थिति इस पृथ्वी पर बनाई रखी है जिससे जो मनुष्य उसे खोजना चाहते हैं वे उस तक पहुँच सकें। इस संसार को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए परमेश्वर की पहली ज्योति इस्त्राएल राष्ट्र था (यशायाह 42:6) और इस्त्राएल के महान राजा सुलेमान ने प्रार्थना करी कि परमेश्वर का महान नाम लोगों को परमेश्वर की ओर आकर्षित करे (1 राजा 8:41-43)। इस्त्राएल राष्ट्र की ज्योति की पराकाष्ठता प्रभु यीशु थे जो जगत की ज्योति बनकर आए थे (यूहन्ना 9:5)। और अब प्रभु यीशु ने यह कार्य अपने अनुयायियों, अर्थात हम मसीही विश्वासियों को सौंप रखा है कि वे जगत की ज्योति हों (मत्ती 5:14) जिससे संसार के लोग परमेश्वर तक पहुँचने का मार्गदर्शन पा सकें।
   इस लिए यह हम मसीही विश्वासियों का कर्तव्य है कि संसार के लोगों के लिए सच्चे परमेश्वर से मेल-मिलाप कर लेने के मार्गदर्शक बनें (2 कुरिन्थियों 5:18)। विचार कीजिए, क्या परमेश्वर का यह उद्देश्य आपके जीवन से पूरा हो रहा है? - जूली ऐकैरमैन लिंक


दूसरों को पाप के अन्धकार से बाहर निकालने के लिए उन पर अपने जीवन की ज्योति को प्रगट करें।

मैं जगत में ज्योति हो कर आया हूं ताकि जो कोई मुझ पर विश्वास करे, वह अन्धकार में न रहे। - यूहन्ना 12:46

बाइबल पाठ: 2 कुरिन्थियों 5:12-21
2 Corinthians 5:12 हम फिर भी अपनी बड़ाई तुम्हारे साम्हने नहीं करते वरन हम अपने विषय में तुम्हें घमण्‍ड करने का अवसर देते हैं, कि तुम उन्हें उत्तर दे सको, जो मन पर नहीं, वरन दिखवटी बातों पर घमण्‍ड करते हैं।
2 Corinthians 5:13 यदि हम बेसुध हैं, तो परमेश्वर के लिये; और यदि चैतन्य हैं, तो तुम्हारे लिये हैं। 
2 Corinthians 5:14 क्योंकि मसीह का प्रेम हमें विवश कर देता है; इसलिये कि हम यह समझते हैं, कि जब एक सब के लिये मरा तो सब मर गए। 
2 Corinthians 5:15 और वह इस निमित्त सब के लिये मरा, कि जो जीवित हैं, वे आगे को अपने लिये न जीएं परन्तु उसके लिये जो उन के लिये मरा और फिर जी उठा। 
2 Corinthians 5:16 सो अब से हम किसी को शरीर के अनुसार न समझेंगे, और यदि हम ने मसीह को भी शरीर के अनुसार जाना था, तौभी अब से उसको ऐसा नहीं जानेंगे। 
2 Corinthians 5:17 सो यदि कोई मसीह में है तो वह नई सृष्‍टि है: पुरानी बातें बीत गई हैं; देखो, वे सब नई हो गईं। 
2 Corinthians 5:18 और सब बातें परमेश्वर की ओर से हैं, जिसने मसीह के द्वारा अपने साथ हमारा मेल-मिलाप कर लिया, और मेल-मिलाप की सेवा हमें सौंप दी है। 
2 Corinthians 5:19 अर्थात परमेश्वर ने मसीह में हो कर अपने साथ संसार का मेल मिलाप कर लिया, और उन के अपराधों का दोष उन पर नहीं लगाया और उसने मेल मिलाप का वचन हमें सौंप दिया है। 
2 Corinthians 5:20 सो हम मसीह के राजदूत हैं; मानो परमेश्वर हमारे द्वारा समझाता है: हम मसीह की ओर से निवेदन करते हैं, कि परमेश्वर के साथ मेल मिलाप कर लो। 
2 Corinthians 5:21 जो पाप से अज्ञात था, उसी को उसने हमारे लिये पाप ठहराया, कि हम उस में हो कर परमेश्वर की धामिर्कता बन जाएं।

एक साल में बाइबल: 
  • उत्पत्ति 37-39