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रविवार, 31 अगस्त 2014

पलट


   बाइबल कॉलेज में मेरा एक मित्र था, बिल, जो एक बहुत ही घिनौने और पापमय जीवन से निकल कर मसीह यीशु में आया था। उसने अपने जीवन की एक घटना बताई: "मैं ब्रैन्डी पीते हुए सड़क पर गाड़ी चलाते हुए जा रहा था, और किसी दूसरे की पत्नी मेरे बगल में बैठी थी; मैंने देखा कि कुछ मसीही विश्वासी सड़क के किनारे खड़े हुए आने-जाने वाले लोगों को प्रभु यीशु में मिलने वाली पाप क्षमा और उद्धार के बारे में बता रहे थे। मैं उनके पास से होकर निकला और उनको संबोधित करते हुए ज़ोर से चिल्लाया, ’मूर्खों’। लेकिन इसके कुछ ही सप्ताह के बाद मैं एक चर्च में अपने घुटनों पर पड़ा प्रभु यीशु से अपने पापों की क्षमा माँग रहा था और उसे अपने जीवन का उद्धारकर्ता तथा प्रभु बनने का आग्रह कर रहा था।" बिल ने प्रभु यीशु पर विश्वास लाने के द्वारा अपने पुराने जीवन तथा आदतों से छुटकारा और प्रभु यीशु मसीह में एक नया जीवन प्राप्त किया था। यह उसके लिए एक जीवन बदलने वाला अनुभव था जिसने उसके मन और जीवन मार्ग की दिशा को बिलकुल पलट दिया।

   सच्चा पश्चाताप, जिसकी पहल परमेश्वर के पवित्र आत्मा के द्वारा होती है, जीवन मार्ग की दिशा को पलट देने वाला अनुभव है। अकसर हम देखते हैं कि इस बदलाव से पहले उस व्यक्ति द्वारा जितना अधिक विरोध प्रभु यीशु में उद्धार के सुसमाचार का होता है, उसके जीवन मार्ग की दिशा परिवर्तन उतनी ही चकित कर देन वाली होती है। जब दमिश्क के मार्ग पर तरशीश के शाऊल का सामना प्रभु यीशु से हुआ, तो वह मसीही विश्वासियों को सताने वाले शाऊल से पलट कर मसीह यीशु का प्रचारक पौलुस बन गया। उसके अन्दर आए इस परिवर्तन को देखकर बहुतेरों ने टिप्पणी करी: "...जो हमें पहिले सताता था, वह अब उसी धर्म का सुसमाचार सुनाता है, जिसे पहिले नाश करता था" (गलतियों 1:23)।

   सच्चे परिवर्तन का आरंभ सच्चे पश्चाताप से होता है, और वह मन, जीवन के दृष्टिकोण तथा जीवन की दिशा को बदल देता है। मसीह यीशु के अनुयायियों के लिए इसका अर्थ होता है पाप और साँसारिकता के जीवन से पलट कर मसीह यीशु की आज्ञाकारिता में उसे समर्पित जीवन व्यतीत करना।


पश्चाताप का अर्थ है पाप के प्रति इतना शर्मिंदा होना कि उसे बिलकुल छोड़ दें।

सो यदि कोई मसीह में है तो वह नई सृष्‍टि है: पुरानी बातें बीत गई हैं; देखो, वे सब नई हो गईं। - 2 कुरिन्थियों 5:17 

बाइबल पाठ: गलतियों 1:11-24
Galatians 1:11 हे भाइयो, मैं तुम्हें जताए देता हूं, कि जो सुसमाचार मैं ने सुनाया है, वह मनुष्य का सा नहीं। 
Galatians 1:12 क्योंकि वह मुझे मनुष्य की ओर से नहीं पहुंचा, और न मुझे सिखाया गया, पर यीशु मसीह के प्रकाश से मिला। 
Galatians 1:13 यहूदी मत में जो पहिले मेरा चाल चलन था, तुम सुन चुके हो; कि मैं परमेश्वर की कलीसिया को बहुत ही सताता और नाश करता था। 
Galatians 1:14 और अपने बहुत से जाति वालों से जो मेरी अवस्था के थे यहूदी मत में बढ़ता जाता था और अपने बाप दादों के व्यवहारों में बहुत ही उत्तेजित था। 
Galatians 1:15 परन्तु परमेश्वर की, जिसने मेरी माता के गर्भ ही से मुझे ठहराया और अपने अनुग्रह से बुला लिया, 
Galatians 1:16 जब इच्छा हुई, कि मुझ में अपने पुत्र को प्रगट करे कि मैं अन्यजातियों में उसका सुसमाचार सुनाऊं; तो न मैं ने मांस और लोहू से सलाह ली; 
Galatians 1:17 और न यरूशलेम को उन के पास गया जो मुझ से पहिले प्रेरित थे, पर तुरन्त अरब को चला गया: और फिर वहां से दमिश्क को लौट आया।
Galatians 1:18 फिर तीन बरस के बाद मैं कैफा से भेंट करने के लिये यरूशलेम को गया, और उसके पास पन्‍द्रह दिन तक रहा। 
Galatians 1:19 परन्तु प्रभु के भाई याकूब को छोड़ और प्रेरितों में से किसी से न मिला। 
Galatians 1:20 जो बातें मैं तुम्हें लिखता हूं, देखो परमेश्वर को उपस्थित जानकर कहता हूं, कि वे झूठी नहीं। 
Galatians 1:21 इस के बाद मैं सूरिया और किलिकिया के देशों में आया। 
Galatians 1:22 परन्तु यहूदिया की कलीसियाओं ने जो मसीह में थी, मेरा मुँह तो कभी नहीं देखा था। 
Galatians 1:23 परन्तु यही सुना करती थीं, कि जो हमें पहिले सताता था, वह अब उसी धर्म का सुसमाचार सुनाता है, जिसे पहिले नाश करता था। 
Galatians 1:24 और मेरे विषय में परमेश्वर की महिमा करती थीं।

एक साल में बाइबल: 
  • यिर्मयाह 43-46


शनिवार, 30 अगस्त 2014

सच्चा धन


   हम लोग छुट्टियाँ बिताने अलास्का गए हुए थे, और वहाँ फेयरबैंक्स के निकट प्रसिद्ध एल डोराडो सोने की खान देखने गए। उस स्थान पर हमें भ्रमण करवाने और जब वह खान आरंभ हुई थी तब लोगों द्वारा सोना निकालने के तरीकों को दिखाने के बाद, हम को एक तश्तरी, और कंकर-मिट्टी से भरा एक बोरा दिया गया जिसको छान कर हमें उसमें मिले सोने के कणों को खोजने का प्रयास करना था। बोरे में से कंकर-मिट्टी लेकर हम तश्तरी में डालने लगे और बहते पानी के नीचे उसे हिला-हिला कर निथारने लगे जिससे मिट्टी तो बह जाए पर सोने के भारी कण नीचे तश्तरी के तले पर बैठ जाएं। यद्यपि यह करने की विधि हमें विशेषज्ञों ने दिखाई और सिखाई थी, लेकिन हम कुछ खास करने नहीं पाए; कारण? इस डर से कि कहीं हम कुछ मूल्यवान ना गवाँ दें, हम व्यर्थ के कंकरों को फेंकने से बहुत हिचकिचा रहे थे।

   बाद में इस घटना के बारे में सोचते हुए मुझे बोध हुआ कि ऐसे ही हम कितनी ही व्यर्थ साँसारिक बातों को अपने जीवन में लगाए रहते हैं और इस कारण सच्चे मूल्य की अनेक बातों को पाने नहीं पाते। प्रभु यीशु के पास एक जवान व्यक्ति आया, जिसके जीवन में यह सत्य जाता था। उस व्यक्ति के लिए उसकी नाशमान साँसारिक धन-संपत्ति उसे मिलने वाले अविनाशी आत्मिक खज़ानों से अधिक मूल्यवान थी (लूका 18:18-30)। उसके इस रवैये को देख प्रभु यिशु ने टिप्पणी करी, "...धनवानों का परमेश्वर के राज्य में प्रवेश करना कैसा कठिन है" (पद 24)।

   धन अपने आप में बुरा नहीं है, लेकिन यदि धन को लेकर हमारा दृष्टिकोण सही नहीं है और धन का संचय ही हमारे जीवन का उद्देश्य बन गया है, तो फिर वह हमें सच्चे मूल्य की वस्तुओं को जमा करने से रोकेगा। संसार की नाशमान धन-संपत्ति जमा करने के प्रयास में समय गंवाना मूर्खता है, क्योंकि यह साँसारिक धन-संपत्ति नहीं वरन प्रभु यीशु मसीह में हमारा सच्चा विश्वास ही है जो हमें परीक्षाओं में सुरक्षित रखेगा और अन्ततः हमारे लिए प्रशंसा एवं आदर तथा हम में होकर परमेश्वर के लिए महिमा का कारण ठहरेगा (1 पतरस 1:7)।

   आज आपके लिए सच्चा धन क्या है; और आप उसे कहाँ जमा कर रहे हैं? कहीं नाशमान साँसारिक धन के पीछे आप अविनाशी खज़ाने गंवाने में तो नहीं लगे हैं? - जूली ऐकैरमैन लिंक


अपनी नज़रें प्रभु यीशु पर लगाए रखिए; तब साँसारिक धन-संपत्ति की चका-चौंध आपकी आँखों को आत्मिक खज़ानों के प्रति अन्धा करने नहीं पाएगी।

और यह इसलिये है कि तुम्हारा परखा हुआ विश्वास, जो आग से ताए हुए नाशमान सोने से भी कहीं, अधिक बहुमूल्य है, यीशु मसीह के प्रगट होने पर प्रशंसा, और महिमा, और आदर का कारण ठहरे। - 1 पतरस 1:7 

बाइबल पाठ: लूका 18:18-30
Luke 18:18 किसी सरदार ने उस से पूछा, हे उत्तम गुरू, अनन्‍त जीवन का अधिकारी होने के लिये मैं क्या करूं? 
Luke 18:19 यीशु ने उस से कहा; तू मुझे उत्तम क्यों कहता है? कोई उत्तम नहीं, केवल एक, अर्थात परमेश्वर।
Luke 18:20 तू आज्ञाओं को तो जानता है, कि व्यभिचार न करना, हत्या न करना, और चोरी न करना, झूठी गवाही न देना, अपने पिता और अपनी माता का आदर करना। 
Luke 18:21 उसने कहा, मैं तो इन सब को लड़कपन ही से मानता आया हूं। 
Luke 18:22 यह सुन, यीशु ने उस से कहा, तुझ में अब भी एक बात की घटी है, अपना सब कुछ बेच कर कंगालों को बांट दे; और तुझे स्वर्ग में धन मिलेगा, और आकर मेरे पीछे हो ले। 
Luke 18:23 वह यह सुनकर बहुत उदास हुआ, क्योंकि वह बड़ा धनी था। 
Luke 18:24 यीशु ने उसे देख कर कहा; धनवानों का परमेश्वर के राज्य में प्रवेश करना कैसा कठिन है? 
Luke 18:25 परमेश्वर के राज्य में धनवान के प्रवेश करने से ऊंट का सूई के नाके में से निकल जाना सहज है। 
Luke 18:26 और सुनने वालों ने कहा, तो फिर किस का उद्धार हो सकता है? 
Luke 18:27 उसने कहा; जो मनुष्य से नहीं हो सकता, वह परमेश्वर से हो सकता है। 
Luke 18:28 पतरस ने कहा; देख, हम तो घर बार छोड़कर तेरे पीछे हो लिये हैं। 
Luke 18:29 उसने उन से कहा; मैं तुम से सच कहता हूं, कि ऐसा कोई नहीं जिसने परमेश्वर के राज्य के लिये घर या पत्‍नी या भाइयों या माता पिता या लड़के-बालों को छोड़ दिया हो। 
Luke 18:30 और इस समय कई गुणा अधिक न पाए; और परलोक में अनन्त जीवन।

एक साल में बाइबल: 
  • यिर्मयाह 40-42


शुक्रवार, 29 अगस्त 2014

भरपेट


   एक मित्र ने, जो सिंगापुर में रहता है, एक पुराने चीनी अभिवादन के बारे में बताया। यह पूछने की बजाए कि "आप कैसे हैं?" लोग पूछते "क्या आपने भरपेट भोजन किया?" संभवतः यह अभिवादन उस समय आरंभ हुआ था जब लोगों के पास भोजन की कमी थी और बहुत से लोगों को यह पता नहीं होता था कि उन्हें अगला भोजन कब मिलेगा। जब भी भोजन उपलब्ध होता तब भरपेट भोजन कर लेने में ही बुद्धिमानी होती थी।

   प्रभु यीशु के 5000 से अधिक लोगों को दो मछली और पाँच रोटी से भरपेट भोजन कराने के पश्चात (यूहन्ना 6:1-13), वह भीड़ प्रभु यीशु के पीछे पीछे आई, क्योंकि उन्हें और भोजन मिलने की आशा थी (पद 24-26)। तब उस भीड़ से प्रभु यीशु ने कहा कि वे शारीरिक नहीं वरन आत्मिक भोजन के लिए मेहनत करें, उसकी लालसा रखें, जो उन्हें प्रभु यीशु से ही मिल सकता था: "नाशमान भोजन के लिये परिश्रम न करो, परन्तु उस भोजन के लिये जो अनन्त जीवन तक ठहरता है, जिसे मनुष्य का पुत्र तुम्हें देगा, क्योंकि पिता, अर्थात परमेश्वर ने उसी पर छाप कर दी है। ... यीशु ने उन से कहा, जीवन की रोटी मैं हूं: जो मेरे पास आएगा वह कभी भूखा न होगा और जो मुझ पर विश्वास करेगा, वह कभी प्यासा न होगा" (यूहन्ना 6:27; 35)।

   प्रभु यीशु के अनुयायी होने के नाते यह हमारा कर्तव्य है कि हम उनकी सहायाता करें जिनके पास शारीरिक भोजन नहीं है लेकिन उससे भी बढ़कर उन्हें उस आत्मिक भोजन के बारे में बताएं जो उन्हें भीतरी शान्ति, पाप क्षमा और अनन्त जीवन प्रदान कर सकता है, अर्थात प्रभु यीशु मसीह।

   जीवन की रोटी, प्रभु यीशु मसीह आज हमें निमंत्रण दे रहा है कि हम उसके पास आएं और अपनी आत्मा की हर भूख को उससे तृप्त करें, उससे भरपेट खाएं। - डेविड मैक्कैसलैंड


आत्मा की प्रत्येक भूख को केवल प्रभु यीशु ही तृप्त कर सकता है।

जीवन की रोटी जो स्वर्ग से उतरी मैं हूं। यदि कोई इस रोटी में से खाए, तो सर्वदा जीवित रहेगा और जो रोटी मैं जगत के जीवन के लिये दूंगा, वह मेरा मांस(शरीर) है। - यूहन्ना 6:51

बाइबल पाठ: यूहन्ना 6:24-35
John 6:24 सो जब भीड़ ने देखा, कि यहां न यीशु है, और न उसके चेले, तो वे भी छोटी छोटी नावों पर चढ़ के यीशु को ढूंढ़ते हुए कफरनहूम को पहुंचे। 
John 6:25 और झील के पार उस से मिलकर कहा, हे रब्बी, तू यहां कब आया? 
John 6:26 यीशु ने उन्हें उत्तर दिया, कि मैं तुम से सच सच कहता हूं, तुम मुझे इसलिये नहीं ढूंढ़ते हो कि तुम ने अचम्भित काम देखे, परन्तु इसलिये कि तुम रोटियां खाकर तृप्‍त हुए। 
John 6:27 नाशमान भोजन के लिये परिश्रम न करो, परन्तु उस भोजन के लिये जो अनन्त जीवन तक ठहरता है, जिसे मनुष्य का पुत्र तुम्हें देगा, क्योंकि पिता, अर्थात परमेश्वर ने उसी पर छाप कर दी है। 
John 6:28 उन्होंने उस से कहा, परमेश्वर के कार्य करने के लिये हम क्या करें? 
John 6:29 यीशु ने उन्हें उत्तर दिया; परमेश्वर का कार्य यह है, कि तुम उस पर, जिसे उसने भेजा है, विश्वास करो। 
John 6:30 तब उन्होंने उस से कहा, फिर तू कौन का चिन्ह दिखाता है कि हम उसे देखकर तेरी प्रतीति करें, तू कौन सा काम दिखाता है? 
John 6:31 हमारे बाप दादों ने जंगल में मन्ना खाया; जैसा लिखा है; कि उसने उन्हें खाने के लिये स्वर्ग से रोटी दी। 
John 6:32 यीशु ने उन से कहा, मैं तुम से सच सच कहता हूं कि मूसा ने तुम्हें वह रोटी स्वर्ग से न दी, परन्तु मेरा पिता तुम्हें सच्ची रोटी स्वर्ग से देता है। 
John 6:33 क्योंकि परमेश्वर की रोटी वही है, जो स्वर्ग से उतरकर जगत को जीवन देती है। 
John 6:34 तब उन्होंने उस से कहा, हे प्रभु, यह रोटी हमें सर्वदा दिया कर। 
John 6:35 यीशु ने उन से कहा, जीवन की रोटी मैं हूं: जो मेरे पास आएगा वह कभी भूखा न होगा और जो मुझ पर विश्वास करेगा, वह कभी प्यासा न होगा।

एक साल में बाइबल: 
  • यिर्मयाह 37-39


गुरुवार, 28 अगस्त 2014

जोश और आनन्द


   ग्यारह वर्ष पहले, आज ही के दिन, हमारा एक अच्छा मित्र दोपहर के भोजन के अवकाश में हल्की दौड़ लगाने के लिए बाहर गया, और फिर लौट कर वापस नहीं आया। कर्ट डी हॉन, जो उस समय इस पुस्तिका, Our Daily Bread के प्रबन्धन संपादक थे, उस धूप की चमक और गर्मी से भरे गुरुवार की दोपहर को हृदय-आघात का शिकार हो गए। हम में से जिन लोगों ने उनके साथ तब कार्य किया था, आज भी उनकी यादगार में उनकी कुछ निशानियाँ रखे हुए हैं।

   उदाहरणस्वरूप, मेरे दफ्तर की एक दीवार पर मैंने कर्ट से मुझे मिला अन्तिम ज्ञापन फ्रेम करके लगा रखा है। वह आज भी मुझे उनके संपादक के रूप में पूरी देख-रेख से कार्य करने की प्रवृति को याद दिलाता है - सदा इस प्रयास में संलग्न कि परमेश्वर का वचन भलि-भाँति तथा बिल्कुल सही रीति से प्रस्तुत किया जाए। मेरी एक अन्य सहयोगी ने वह कागज़ की गेंद लगा रखी है जो कर्ट ने उसकी ओर हंसी-मज़ाक करते हुए उछाली थी; वह गेंद स्मरण दिलाती है कि मुस्तैदी के साथ कार्य करते हुए भी कर्ट जीवन का आनन्द लेते रहने में कितना विश्वास रखता था।

   जब कभी हम कर्ट के बारे में बात करते हैं, हमें एहसास होता है कि हमें उनकी कमी कितनी अखरती है। हम उनके सुखद व्यक्तित्व के साथ उनकी उत्तमता प्राप्त करने की लालसा को स्मरण करते हैं। वे बड़ी मेहनत के साथ कार्य करते थे और जीवन से प्रेम करते थे। वे परमेश्वर के वचन को खराई के साथ सिखाने तथा जीवन को आनन्द के साथ जीने में विश्वास रखते थे।

   कर्ट तथा उनके जीवन के उदाहरणों को स्मरण करना तरोताज़गी भी देता है और चुनौती भी। वह हमें स्मरण दिलाता है कि हमारे प्रत्येक कार्य एवं बात को लोग देख रहे हैं और आँकलन कर रहे हैं कि हम प्रभु यीशु के लिए आनन्द के साथ हमारी निर्धारित सेवकाई कर रहे हैं कि नहीं (इफिसियों 2:10)। कर्ट के समान ही, जोश और आनन्द, क्या ये दो शब्द प्रभु यीशु के लिए आपकी भी सेवकाई को परिभाषित करते हैं? - डेव ब्रैनन


चिर स्थाई आनन्द के लिए प्रभु यीशु को सदा सर्वोपरि रखें।

क्योंकि हम उसके बनाए हुए हैं; और मसीह यीशु में उन भले कामों के लिये सृजे गए जिन्हें परमेश्वर ने पहिले से हमारे करने के लिये तैयार किया। - इफिसियों 2:10

बाइबल पाठ: भजन 100
Psalms 100:1 हे सारी पृथ्वी के लोगों यहोवा का जयजयकार करो! 
Psalms 100:2 आनन्द से यहोवा की आराधना करो! जयजयकार के साथ उसके सम्मुख आओ! 
Psalms 100:3 निश्चय जानो, कि यहोवा ही परमेश्वर है। उसी ने हम को बनाया, और हम उसी के हैं; हम उसकी प्रजा, और उसकी चराई की भेड़ें हैं।
Psalms 100:4 उसके फाटकों से धन्यवाद, और उसके आंगनों में स्तुति करते हुए प्रवेश करो, उसका धन्यवाद करो, और उसके नाम को धन्य कहो! 
Psalms 100:5 क्योंकि यहोवा भला है, उसकी करूणा सदा के लिये, और उसकी सच्चाई पीढ़ी से पीढ़ी तक बनी रहती है।

एक साल में बाइबल: 
  • यिर्मयाह 33-36


बुधवार, 27 अगस्त 2014

नया सामान्य


   एक पास्टर ने, जिसने शारीरिक एवं मानसिक रीति से घायल होने वालों को सांत्वना और शान्ति प्रदान करने का प्रशिक्षण लिया था, टिप्पणी करी कि घायल लोगों के लिए सबसे बड़ी चुनौती उस समय की चोट या हानि का दुख नहीं होता। इसकी बजाए, उनके लिए सबसे बड़ी चुनौती होती है आगे आने वाले जीवन के साथ ताल-मेल बैठाना। जो पहले उनके लिए सामान्य होता था, वह अब नहीं रहा, इसलिए जो उनकी सहायता कर रहे हैं उन्हें उन आहत व्यक्तियों को एक नया सामान्य बैठाने में सहायक होना पड़ता है।

   हो सकता है कि यह नया सामान्य वहाँ हो जहाँ अब वे पहले के समान स्वस्थ एवं हृष्ट-पुष्ट नहीं रह सकते, या किसी निकट संबंधी का साथ जाता रहा हो, या किसी सन्तोषजनक नौकरी से हाथ धोना पड़ा हो, या किसी प्रीय जन की मृत्यु का विछोह हो, इत्यादि। ऐसी हानि के दुख की गंभीरता लोगों को पहले के जीवन से एक अलग ही प्रकार का जीवन व्यतीत करने पर मजबूर करती है, चाहे वह नया जीवन जीना उन्हें कितना भी नापसन्द क्यों ना हो।

   जिस व्यक्ति के समक्ष यह नया सामान्य आता है, उसके लिए यह समझ बैठना कि कोई भी उसकी परिस्थिति भली-भाँति नहीं समझ सकता, साधारण बात है। लेकिन यह सत्य नहीं है; प्रभु यीशु के हम मनुष्यों के साथ आकर जीवन व्यतीत करने के उद्देश्यों में से एक था हमारे जीवन और दुखों को व्यक्तिगत अनुभवों से जानना, जो उसकी वर्तमान सेवकाई में सहायक है। परमेश्वर के वचन बाइबल में इब्रानियों की पत्री का लेखक प्रभु यीशु के विषय में लिखता है: "क्योंकि हमारा ऐसा महायाजक नहीं, जो हमारी निर्बलताओं में हमारे साथ दुखी न हो सके; वरन वह सब बातों में हमारी नाईं परखा तो गया, तौभी निष्‍पाप निकला" (इब्रानियों 4:15)।

   हमारे उद्धारकर्ता प्रभु यीशु ने पवित्रता का एक सिद्ध जीवन जीया, लेकिन वह पाप में पड़े संसार के लोगों के दुखों को भी जानता था। उसने हम लोगों के समान ही दुख उठाया, तिरिस्कृत हुआ, पीड़ा सही। इसलिए आज जब मैं और आप ऐसे अन्धकार भरे समयों से होकर निकलते हैं तो वह हमें सान्तवना और अपनी शान्ति देने तथा एक नये सामान्य को बनाने में सहायता करने के लिए तैयार एवं उपलब्ध है। - बिल क्राउडर


दुख के सागर में प्रभु यीशु आशा की स्थिर चट्टान है।

क्योंकि जब उसने परीक्षा की दशा में दुख उठाया, तो वह उन की भी सहायता कर सकता है, जिन की परीक्षा होती है। - इब्रानियों 2:18 

बाइबल पाठ: इब्रानियों 4:9-16
Hebrews 4:9 सो जान लो कि परमेश्वर के लोगों के लिये सब्त का विश्राम बाकी है। 
Hebrews 4:10 क्योंकि जिसने उसके विश्राम में प्रवेश किया है, उसने भी परमेश्वर की नाईं अपने कामों को पूरा कर के विश्राम किया है। 
Hebrews 4:11 सो हम उस विश्राम में प्रवेश करने का प्रयत्न करें, ऐसा न हो, कि कोई जन उन की नाईं आज्ञा न मान कर गिर पड़े। 
Hebrews 4:12 क्योंकि परमेश्वर का वचन जीवित, और प्रबल, और हर एक दोधारी तलवार से भी बहुत चोखा है, और जीव, और आत्मा को, और गांठ गांठ, और गूदे गूदे को अलग कर के, वार पार छेदता है; और मन की भावनाओं और विचारों को जांचता है। 
Hebrews 4:13 और सृष्‍टि की कोई वस्तु उस से छिपी नहीं है वरन जिस से हमें काम है, उस की आंखों के साम्हने सब वस्तुएं खुली और बेपरदा हैं।
Hebrews 4:14 सो जब हमारा ऐसा बड़ा महायाजक है, जो स्‍वर्गों से हो कर गया है, अर्थात परमेश्वर का पुत्र यीशु; तो आओ, हम अपने अंगीकार को दृढ़ता से थामें रहे। 
Hebrews 4:15 क्योंकि हमारा ऐसा महायाजक नहीं, जो हमारी निर्बलताओं में हमारे साथ दुखी न हो सके; वरन वह सब बातों में हमारी नाईं परखा तो गया, तौभी निष्‍पाप निकला। 
Hebrews 4:16 इसलिये आओ, हम अनुग्रह के सिंहासन के निकट हियाव बान्‍धकर चलें, कि हम पर दया हो, और वह अनुग्रह पाएं, जो आवश्यकता के समय हमारी सहायता करे।

एक साल में बाइबल: 
  • यिर्मयाह 30-32


मंगलवार, 26 अगस्त 2014

उपलब्ध


   मेरे पिता को पेपर मिल से उनकी सेवा-निवृति के समय उपहार में एक बाइबल दी गई थी। वह बाइबल देवदार की लकड़ी से बने एक विशेष डिब्बे में रखी गई थी जिस पर छापा हुआ था "पवित्र बाइबल"। उस समय मेरी उम्र 12 वर्ष की थी, और उस बाइबल को लेकर मेरे अन्दर कौतहूल रहता था। मुझे लगता था कि उस पर लिखे "पवित्र" से तात्पर्य है कि मैं उसके योग्य नहीं हूँ। लेकिन फिर भी अपनी जिज्ञासा शान्त करने के लिए मैंने उस डिब्बे में झांक कर, उस बाइबल को खोल कर उसे देखा। बाइबल के मध्य में क्रूस पर लटकाए हुए यीशु की तस्वीर थी जिसके साथ यूहन्ना 3:16 के शब्द लिखे हुए थे। तस्वीर के ऊपर लाल रंग की पारदर्शी पन्नी लगी हुई थी, जो मेरी समझ के अनुसार बहे हुए रक्त के कारण उसकी मृत्यु को दर्शाती थी।

   कभी कभी, जब और कोई ध्यान नहीं दे रहा होता था, तब मैं धीरे से उस बाइबल के डिब्बे को पुस्तकों की ताक से निकाल कर, बाइबल को खोलकर देखती, क्रूस पर लटके हुए यीशु पर विचार करती कि यह व्यक्ति कौन है और ऐसे क्यों मरा और सोचती कि क्या उसका प्रेम मेरे लिए भी था या मेरे जैसे लोग, जिनके जीवन में पाप है, उसके प्रेम की सीमा से परे थे?

   अनेकों वर्ष पश्चात मैंने सन्देश सुना कि कैसे परमेश्वर ने प्रभु यीशु में होकर अपने से मेल मिलाप करने और अपने प्रेम को उपलब्ध कराने के लिए प्रभु यीशु को बलिदान होने के लिए भेजा। परमेश्वर के वचन बाइबल में रोमियों 5:1-2 में लिखा है: "सो जब हम विश्वास से धर्मी ठहरे, तो अपने प्रभु यीशु मसीह के द्वारा परमेश्वर के साथ मेल रखें। जिस के द्वारा विश्वास के कारण उस अनुग्रह तक, जिस में हम बने हैं, हमारी पहुंच भी हुई, और परमेश्वर की महिमा की आशा पर घमण्ड करें।" तब मैंने भी प्रभु यीशु पर विश्वास किया, उससे अपने पापों की क्षमा माँगी, अपना जीवन उसे समर्पित किया और अनन्त काल के लिए उद्धार प्राप्त किया।

   हम सब के लिए यह बड़े धन्यवाद कि बात है कि कोई भी मनुष्य परमेश्वर, उसके प्रेम और उसके वचन बाइबल की सीमा से बाहर नहीं है; ये अद्भुत खज़ाने संसार के प्रत्येक व्यक्ति के लिए, वो चाहे कोई भी और कैसा भी क्यों ना हो, सेंत-मेंत उपलब्ध हैं। आज, समय रहते, परमेश्वर से पापों की क्षमा और उद्धार प्राप्त कर लीजिए - ये मेरे और आपके जैसे पापी लोगों के लिए ही हैं। ऐनी सेटास


बाइबल हम मनुष्यों के लिए परमेश्वर का प्रेम-पत्र है।

क्योंकि परमेश्वर ने जगत से ऐसा प्रेम रखा कि उसने अपना एकलौता पुत्र दे दिया, ताकि जो कोई उस पर विश्वास करे, वह नाश न हो, परन्तु अनन्त जीवन पाए। - यूहन्ना 3:16

बाइबल पाठ: रोमियों 5:1-8
Romans 5:1 सो जब हम विश्वास से धर्मी ठहरे, तो अपने प्रभु यीशु मसीह के द्वारा परमेश्वर के साथ मेल रखें। 
Romans 5:2 जिस के द्वारा विश्वास के कारण उस अनुग्रह तक, जिस में हम बने हैं, हमारी पहुंच भी हुई, और परमेश्वर की महिमा की आशा पर घमण्ड करें। 
Romans 5:3 केवल यही नहीं, वरन हम क्लेशों में भी घमण्ड करें, यही जानकर कि क्लेश से धीरज। 
Romans 5:4 ओर धीरज से खरा निकलना, और खरे निकलने से आशा उत्पन्न होती है। 
Romans 5:5 और आशा से लज्ज़ा नहीं होती, क्योंकि पवित्र आत्मा जो हमें दिया गया है उसके द्वारा परमेश्वर का प्रेम हमारे मन में डाला गया है। 
Romans 5:6 क्योंकि जब हम निर्बल ही थे, तो मसीह ठीक समय पर भक्तिहीनों के लिये मरा। 
Romans 5:7 किसी धर्मी जन के लिये कोई मरे, यह तो र्दुलभ है, परन्तु क्या जाने किसी भले मनुष्य के लिये कोई मरने का भी हियाव करे। 
Romans 5:8 परन्तु परमेश्वर हम पर अपने प्रेम की भलाई इस रीति से प्रगट करता है, कि जब हम पापी ही थे तभी मसीह हमारे लिये मरा।

एक साल में बाइबल: 
  • यिर्मयाह 27-29


सोमवार, 25 अगस्त 2014

संचालक


   वायुयान की यात्रा का सबसे अधिक जोखिम भरा समय होता है वायुयान को सुरक्षित धरती पर उतारने का। जैसे जैसे वायुयान उतरने के लिए धरती के समीप आता जाता है, उसके आस-पास अन्य वायुयानों की संख्या बढ़ती जाती है, उसके उड़ने की सामान्य ऊँचाई 30,000 फीट के मौसम की अपेक्षा नीचे का मौसम अधिक खराब हो सकता है, तथा जहाँ उसे उतरना है उस हवाई अड्डे की हवाई पट्टी पर अन्य वायुयान हो सकते हैं। इसलिए वायुयान के चालक हवाई अड्डे पर रहने वाले वायुयान संचालकों पर निर्भर रहते हैं कि उन्हें सुरक्षित उतार लाएं। यदि वे संचालक ना हों तो उन वायुयानों का सुरक्षित उतर पाना संभव नहीं है और अव्यवस्था तथा हादसों का होना अवश्यंभावी है। इसलिए ज़रा उस समय की घबराहट की कल्पना कीजिए जब यात्रियों से भरे एक वायुयान के चालक ने यान उतारते समय हवाई अड्डे पर संचालक से संपर्क साधने का प्रयास किया और उसे कोई उत्तर नहीं मिला। अन्ततः मालुम पड़ा कि वह संचालक उपस्थित तो था परन्तु सो गया था, जिससे उस वायुयान और उसके यात्रियों की जान बहुत जोखिम में आ गई थी। अच्छा समाचार यह है कि वह वायुयान बिना किसी प्रकार के कोई नुकसान के सुरक्षित उतारा जा सका।

   हम मसीही विश्वासियों के लिए इससे भी बेहतर और अच्छी खबर यह है कि हमारा परमेश्वर प्रभु यीशु, जो समस्त सृष्टि की प्रत्येक बात को संचालित करता है, वह ना कभी ऊँघता है और ना सोता है। अपने स्वर्गीय स्थान से वह संसार के प्रत्येक जन एवं उनकी हर एक बात, हर एक परिस्थिति पर नज़र बनाए रखता है; हमारे साथ क्या हो रहा है और क्या होने जा रहा है, उससे कुछ छुपा नहीं है। इसीलिए परमेश्वर के वचन बाइबल में भजनकार ने कहा है: "मुझे सहायता यहोवा की ओर से मिलती है, जो आकाश और पृथ्वी का कर्ता है वह तेरे पांव को टलने न देगा, तेरा रक्षक कभी न ऊंघेगा" (भजन 121:2-3)।

   आप परमेश्वर प्रभु यीशु पर भरोसा रख सकते हैं - वह आपके जीवन की हर बात, हर परिस्थिति, हर घटना, हर आवश्यकता को भली-भांति जानता है। वह ही आपके जीवन की सभी बातों को बिना रुके या थके संचालित करता रहता है जिससे सब बातें मिलकर आपके लिए भलाई उत्पन्न करें तथा परमेश्वर कि महिमा होने पाए। अपने जीवन को उसे पूर्णतयः समर्पित कर दें, तथा निश्चिंत होकर अपने जीवन का संचालन उसके हाथों में छोड़ दीजिए। - जो स्टोवैल


क्योंकि हमारा प्रभु यीशु कभी ऊँघता या सोता नहीं, इसलिए हम निश्चिंत रह सकते हैं।

और हम जानते हैं, कि जो लोग परमेश्वर से प्रेम रखते हैं, उन के लिये सब बातें मिलकर भलाई ही को उत्पन्न करती है; अर्थात उन्हीं के लिये जो उस की इच्छा के अनुसार बुलाए हुए हैं। - रोमियों 8:28

बाइबल पाठ: भजन 121
Psalms 121:1 मैं अपनी आंखें पर्वतों की ओर लगाऊंगा। मुझे सहायता कहां से मिलेगी? 
Psalms 121:2 मुझे सहायता यहोवा की ओर से मिलती है, जो आकाश और पृथ्वी का कर्ता है।
Psalms 121:3 वह तेरे पांव को टलने न देगा, तेरा रक्षक कभी न ऊंघेगा। 
Psalms 121:4 सुन, इस्राएल का रक्षक, न ऊंघेगा और न सोएगा।
Psalms 121:5 यहोवा तेरा रक्षक है; यहोवा तेरी दाहिनी ओर तेरी आड़ है। 
Psalms 121:6 न तो दिन को धूप से, और न रात को चांदनी से तेरी कुछ हानि होगी।
Psalms 121:7 यहोवा सारी विपत्ति से तेरी रक्षा करेगा; वह तेरे प्राण की रक्षा करेगा। 
Psalms 121:8 यहोवा तेरे आने जाने में तेरी रक्षा अब से ले कर सदा तक करता रहेगा।

एक साल में बाइबल: 
  • यिर्मयाह 24-26


रविवार, 24 अगस्त 2014

जोखिम


   संसार भर में जब सन 2010 में आर्थिक संकट गहराता जा रहा था, विश्व में अनेक स्थानों पर कारोबार करने वाले एक बैंकिंग व्यवसायसंघ के उच्च प्रबन्धकों की, ग्राहकों को धोखा देने के लिए जाँच करी गई। वे लोग यह जानते हुए भी कि उन ग्राहकों के निवेश अवश्य ही असफल हो जाएंगे, ग्राहकों को यह आश्वासन देकर धोखा देते रहे कि उनके निवेश किए हुए धन से उन्हें बहुत पैसा वापस मिलने वाला है; और जब वह निवेश विफल हुआ तब उन निवेश करने वाले ग्राहकों के पास कुछ नहीं बचा।

   धोखा देना कोई नई बात नहीं है। प्रभु यीशु ने शैतान के लिए कहा, "...वह तो आरम्भ से हत्यारा है, और सत्य पर स्थिर न रहा, क्योंकि सत्य उस में है ही नहीं: जब वह झूठ बोलता, तो अपने स्‍वभाव ही से बोलता है; क्योंकि वह झूठा है, वरन झूठ का पिता है" (यूहन्ना 8:44)। हमारी आत्माओं का शत्रु, शैतान हमें फुसलाना चाहता है कि वर्तमान के लिए ही जीएं जबकि वह जानता है कि इसका परिणाम अनन्त मृत्यु एवं कभी ना पल्टी जा सकने वाली हानि है।

   इसके विपरीत, प्रभु यीशु ने कभी अपने चेलों से सांसारिक समृद्धि से भरा हुआ सरल जीवन मिलने का कोई वायदा नहीं किया, वरन उनसे कहा कि वे आत्म-बलिदान का जीवन जीने और उसके साथ तथा उसके नाम के लिए दुख उठाने को तैयार रहें। चेलों को यह समझाने के बाद कि वह मारा जाएगा और फिर तीसरे दिन मृतकों में से जी उठेगा, प्रभु यीशु ने उनसे कहा, "यदि कोई मेरे पीछे आना चाहे, तो अपने आप से इन्कार करे और प्रति दिन अपना क्रूस उठाए हुए मेरे पीछे हो ले। क्योंकि जो कोई अपना प्राण बचाना चाहेगा वह उसे खोएगा, परन्तु जो कोई मेरे लिये अपना प्राण खोएगा वही उसे बचाएगा" (लूका 9:23-24)।

   आज हर बात के लिए दो आवाज़ें हैं जो हमसे कहती हैं कि अपने जीवन का निवेश कहाँ करें, एक प्रभु यीशु की और दूसरी शैतान की। धारणाओं, प्रथाओं, सुनी-सुनाई बातों, प्रमाण रहित दावों या अन्ध-विश्वास के अनुसार नहीं वरन भली भाँति देख परख कर तथा सभी दावों सच्चाई की जाँच कर के ही निर्णय लें तथा अपने जीवन का निवेश करें। गलत बात में निवेश करना बहुत जोखिम भरा है, और उस गलत निवेश की हानि को पलटने का फिर कोई साधन है ही नहीं। - डेविड मैक्कैसलैंड


यदि हम जीवते एवं सच्चे परमेश्वर के सत्यों को थामे रहेंगे तो शैतान के धोखों में फंसने नहीं पाएंगे।

पर जितने मसीह यीशु में भक्ति के साथ जीवन बिताना चाहते हैं वे सब सताए जाएंगे। - 2 तिमुथियुस 3:12

बाइबल पाठ: लूका 9:18-27
Luke 9:18 जब वह एकान्‍त में प्रार्थना कर रहा था, और चेले उसके साथ थे, तो उसने उन से पूछा, कि लोग मुझे क्या कहते हैं? 
Luke 9:19 उन्होंने उत्तर दिया, युहन्ना बपतिस्मा देनेवाला, और कोई कोई एलिय्याह, और कोई यह कि पुराने भविष्यद्वक्ताओं में से कोई जी उठा है। 
Luke 9:20 उसने उन से पूछा, परन्तु तुम मुझे क्या कहते हो? पतरस ने उत्तर दिया, परमेश्वर का मसीह। 
Luke 9:21 तब उसने उन्हें चिताकर कहा, कि यह किसी से न कहना। 
Luke 9:22 और उसने कहा, मनुष्य के पुत्र के लिये अवश्य है, कि वह बहुत दुख उठाए, और पुरिनए और महायाजक और शास्त्री उसे तुच्‍छ समझकर मार डालें, और वह तीसरे दिन जी उठे। 
Luke 9:23 उसने सब से कहा, यदि कोई मेरे पीछे आना चाहे, तो अपने आप से इन्कार करे और प्रति दिन अपना क्रूस उठाए हुए मेरे पीछे हो ले। 
Luke 9:24 क्योंकि जो कोई अपना प्राण बचाना चाहेगा वह उसे खोएगा, परन्तु जो कोई मेरे लिये अपना प्राण खोएगा वही उसे बचाएगा। 
Luke 9:25 यदि मनुष्य सारे जगत को प्राप्त करे, और अपना प्राण खो दे, या उस की हानि उठाए, तो उसे क्या लाभ होगा? 
Luke 9:26 जो कोई मुझ से और मेरी बातों से लजाएगा; मनुष्य का पुत्र भी जब अपनी, और अपने पिता की, और पवित्र स्वर्ग दूतों की, महिमा सहित आएगा, तो उस से लजाएगा। 
Luke 9:27 मैं तुम से सच कहता हूं, कि जो यहां खड़े हैं, उन में से कोई कोई ऐसे हैं कि जब तक परमेश्वर का राज्य न देख लें, तब तक मृत्यु का स्‍वाद न चखेंगे।

एक साल में बाइबल: 
  • यिर्मयाह 21-23


शनिवार, 23 अगस्त 2014

चित्रण


   एक दिन मेरे बेटे ने, जो अभी छोटा सा बच्चा ही है, एक पेन पकड़ा और अपने पिता का चित्र बनाया। उस बच्चे ने एक गोले में दो आँखें, एक नाक, दो कान बनाए तथा उस गोले के नीचे दो लंबी लकीरें बना दीं, जो उसके अनुसार मेरे पति की टाँगें थीं। उस चित्र को देखकर यद्यपि मैं उसे प्रयास करने के लिए अच्छे अंक दे दूँगी लेकिन उसका वह चित्र मेरे पति का वास्तविक चित्रण नहीं है; उस चित्र में उनकी नीली आँखें, भरोसेमन्द मुस्कुराहट, बालों पर चांदी की सी चमक कहीं दिखाई नहीं देती, लेकिन मेरे बेटे की नज़रों में वह चित्र अपने पिता का चित्रण है।

   परमेश्वर की सन्तान होने के नाते, हम भी कई बार ऐसे ही परमेश्वर के ऐसे चित्रण करते हैं जो सही नहीं होते; खासकर तब जब परमेश्वर हमारे अन्दर कोई सुधार लाने का प्रयास कर रहा हो। जब परमेश्वर हमारे जीवनों में से कोई पापमय बात निकालकर हमें सुधारने के प्रयास कर रहा होता है तब कई बार वह हमें प्रेमरहित और बेपरवाह प्रतीत होता है, क्योंकि अनुशासन अकसर दुखदाई होता है (इब्रानियों 12:11) और हम यह मान बैठते हैं कि परमेश्वर का यह सुधार उसके कोप और परिणामस्वरूप उसके प्रतिशोध का प्रगटिकरण है। जबकि उसका यह सुधार हमारे प्रति उसके प्रेम और परवाह का प्रमाण है। परमेश्वर के वचन बाइबल में लिखा है, "क्योंकि प्रभु, जिस से प्रेम करता है, उस की ताड़ना भी करता है; और जिसे पुत्र बना लेता है, उसको कोड़े भी लगाता है" (इब्रानियों 12:6)। वह इसलिए हमारी ताड़ना करता है जिससे हम उसकी पवित्रता के संभागी बन सकें और उसकी धार्मिकता से मिलने वाली शांति को अनुभव कर सकें (पद 10, 11)।

   आज यदि आप परमेश्वर के अनुशासन का सामना कर रहे हैं, तो स्मरण रखिए, वह ना तो आप को क्रोधित तेवर दिखा रहा है और ना ही आप की ओर प्रतिशोध का हाथ हिला रहा है। उसका चित्रण एक क्रोधी और प्रतिशोधपूर्ण दिव्य व्यक्तित्व के रूप में नहीं वरन एक ऐसे प्रेमी पिता के रूप में कीजिए जो सप्रेम अपने बच्चों को सुधारने में प्रयत्नशील रहता है। - जेनिफर बेन्सन शुल्ट


परमेश्वर के अनुशासन का हाथ, उसके प्रेम का प्रमाण है।

मैं जिन जिन से प्रीति रखता हूं, उन सब को उलाहना और ताड़ना देता हूं, इसलिये सरगर्म हो, और मन फिरा। - प्रकाशितवाक्य 3:19

बाइबल पाठ: इब्रानियों 12:1-11
Hebrews 12:1 इस कारण जब कि गवाहों का ऐसा बड़ा बादल हम को घेरे हुए है, तो आओ, हर एक रोकने वाली वस्तु, और उलझाने वाले पाप को दूर कर के, वह दौड़ जिस में हमें दौड़ना है, धीरज से दौड़ें। 
Hebrews 12:2 और विश्वास के कर्ता और सिद्ध करने वाले यीशु की ओर ताकते रहें; जिसने उस आनन्द के लिये जो उसके आगे धरा था, लज्ज़ा की कुछ चिन्‍ता न कर के, क्रूस का दुख सहा; और सिंहासन पर परमेश्वर के दाहिने जा बैठा। 
Hebrews 12:3 इसलिये उस पर ध्यान करो, जिसने अपने विरोध में पापियों का इतना वाद-विवाद सह लिया कि तुम निराश हो कर हियाव न छोड़ दो। 
Hebrews 12:4 तुम ने पाप से लड़ते हुए उस से ऐसी मुठभेड़ नहीं की, कि तुम्हारा लोहू बहा हो। 
Hebrews 12:5 और तुम उस उपदेश को जो तुम को पुत्रों की नाईं दिया जाता है, भूल गए हो, कि हे मेरे पुत्र, प्रभु की ताड़ना को हलकी बात न जान, और जब वह तुझे घुड़के तो हियाव न छोड़। 
Hebrews 12:6 क्योंकि प्रभु, जिस से प्रेम करता है, उस की ताड़ना भी करता है; और जिसे पुत्र बना लेता है, उसको कोड़े भी लगाता है। 
Hebrews 12:7 तुम दुख को ताड़ना समझकर सह लो: परमेश्वर तुम्हें पुत्र जान कर तुम्हारे साथ बर्ताव करता है, वह कौन सा पुत्र है, जिस की ताड़ना पिता नहीं करता? 
Hebrews 12:8 यदि वह ताड़ना जिस के भागी सब होते हैं, तुम्हारी नहीं हुई, तो तुम पुत्र नहीं, पर व्यभिचार की सन्तान ठहरे! 
Hebrews 12:9 फिर जब कि हमारे शारीरिक पिता भी हमारी ताड़ना किया करते थे, तो क्या आत्माओं के पिता के और भी आधीन न रहें जिस से जीवित रहें। 
Hebrews 12:10 वे तो अपनी अपनी समझ के अनुसार थोड़े दिनों के लिये ताड़ना करते थे, पर यह तो हमारे लाभ के लिये करता है, कि हम भी उस की पवित्रता के भागी हो जाएं। 
Hebrews 12:11 और वर्तमान में हर प्रकार की ताड़ना आनन्द की नहीं, पर शोक ही की बात दिखाई पड़ती है, तौभी जो उसको सहते सहते पक्के हो गए हैं, पीछे उन्हें चैन के साथ धर्म का प्रतिफल मिलता है।

एक साल में बाइबल: 
  • यिर्मयाह 17-20


शुक्रवार, 22 अगस्त 2014

उद्गम और अन्त


   वैज्ञानिक सदियों से "सब कुछ के सिद्धांत" की खोज में लगे हैं जिससे सृष्टि तथा उसकी प्रत्येक वस्तु के आरंभ एवं रचना के बारे में जाना जा सके। एक भौतिक शास्त्री, ब्रायन ग्रीन को लगता है कि उन्होंने वह आधारभूत सिद्धांत पा लिया है; उन्होंने इस बात को लेकर एक पुस्तक लिखी है "The Elegant Universe: Superstrings, Hidden Dimensions, and the Quest for the Ultimate Theory"। ग्रीन द्वारा प्रतिपादित "लड़ी सिद्धांत" एक जटिल परिकल्पना है जो यह प्रस्तावित करती है कि अपने सबसे सूक्षम स्तर पर प्रत्येक वस्तु कंप्यामान लड़ीयों या धागों के मिश्रण से बनी है। उन्होंने अपने इस सिद्धांत के लिए कहा है: "एक ऐसा सैद्धांतिक ढाँचा जिसमें संसार की मूल रचना की प्रत्येक बात को समझा पाने की क्षमता है"।

   अनेक अन्य वैज्ञानिकों, जैसे न्यूटन, आईंस्टाईन, हौकिंग्स आदि ने भी अपने जीवन का एक बड़ा भाग यह समझने में लगा दिया है कि यह सृष्टि कार्य कैसे करती है - और इसके लिए उन्होंने अनेक विलक्षण सिद्धांत प्रतिपादित किए हैं। लेकिन वास्तविकता यही है कि अभी तक कोई भी सिद्धांत इस गुथी को पूर्णतयः सुल्झा नहीं पाया है, सभी में कोई ना कोई कमी है, और सभी किसी ना किसी बात पर आकर विफल हो जाते हैं। किसी भी सिद्धांत के पूर्णतयः सफल होने के लिए अनिवार्य है कि वह सृष्टिकर्ता परमेश्वर से आरंभ हो तथा उसी पर अंत भी हो।

   परमेश्वर का वचन बाइबल प्रभु यीशु के संदर्भ में बताती है: "क्योंकि उसी में सारी वस्‍तुओं की सृष्‍टि हुई, स्वर्ग की हो अथवा पृथ्वी की, देखी या अनदेखी, क्या सिंहासन, क्या प्रभुतांए, क्या प्रधानताएं, क्या अधिकार, सारी वस्तुएं उसी के द्वारा और उसी के लिये सृजी गई हैं" (कुलुस्सियों 1:16)। बाइबल के यूहन्ना रचित सुसमाचार के आरंभिक पद हमें बताते हैं कि प्रभु यीशु में होकर ही इस सृष्टि की रचना हुई और उसके बिना किसी चीज़ का कोई अस्तित्व नहीं है।

   इसीलिए जब हम इस संसार और उसकी चीज़ों पर विचार करते हैं तो यशायाह भविष्यद्वक्ता के साथ कह सकते हैं: "...सेनाओं का यहोवा पवित्र, पवित्र, पवित्र है; सारी पृथ्वी उसके तेज से भरपूर है" (यशायाह 6:3)। परमेश्वर, जो सारी सृष्टि की प्रत्येक वस्तु का उद्गम और अन्त है, के पवित्र नाम की महिमा युगानुयुग होती रहे! - डेव एग्नर


समस्त सृष्टि परमेश्वर की ओर संकेत कर रही है।

आकाश ईश्वर की महिमा वर्णन कर रहा है; और आकशमण्डल उसकी हस्तकला को प्रगट कर रहा है। - भजन 19:1

बाइबल पाठ: यूहन्ना 1:1-13
John 1:1 आदि में वचन था, और वचन परमेश्वर के साथ था, और वचन परमेश्वर था। 
John 1:2 यही आदि में परमेश्वर के साथ था। 
John 1:3 सब कुछ उसी के द्वारा उत्पन्न हुआ और जो कुछ उत्पन्न हुआ है, उस में से कोई भी वस्तु उसके बिना उत्पन्न न हुई। 
John 1:4 उस में जीवन था; और वह जीवन मुनष्यों की ज्योति थी। 
John 1:5 और ज्योति अन्धकार में चमकती है; और अन्धकार ने उसे ग्रहण न किया। 
John 1:6 एक मनुष्य परमेश्वर की ओर से आ उपस्थित हुआ जिस का नाम यूहन्ना था। 
John 1:7 यह गवाही देने आया, कि ज्योति की गवाही दे, ताकि सब उसके द्वारा विश्वास लाएं। 
John 1:8 वह आप तो वह ज्योति न था, परन्तु उस ज्योति की गवाही देने के लिये आया था। 
John 1:9 सच्ची ज्योति जो हर एक मनुष्य को प्रकाशित करती है, जगत में आनेवाली थी। 
John 1:10 वह जगत में था, और जगत उसके द्वारा उत्पन्न हुआ, और जगत ने उसे नहीं पहिचाना। 
John 1:11 वह अपने घर आया और उसके अपनों ने उसे ग्रहण नहीं किया। 
John 1:12 परन्तु जितनों ने उसे ग्रहण किया, उसने उन्हें परमेश्वर के सन्तान होने का अधिकार दिया, अर्थात उन्हें जो उसके नाम पर विश्वास रखते हैं। 
John 1:13 वे न तो लोहू से, न शरीर की इच्छा से, न मनुष्य की इच्छा से, परन्तु परमेश्वर से उत्पन्न हुए हैं।

एक साल में बाइबल: 
  • यिर्मयाह 13-16


गुरुवार, 21 अगस्त 2014

शिक्षक


   इंटरनैट पर सोशल नेटवर्क बढ़ रहे हैं। ब्लॉग्स, ट्विटर, ई-मेल, वेब लिंक्स इत्यादि लोगों को आपस में संपर्क में लाने और रखने के अति प्रचलित माध्यम बन गए हैं। लोग, शारीरिक रूप से चाहे कितनी भी दूरी पर क्यों ना रहते हों, वे इन इंटरनैट पर उपलब्ध इन माध्यमों से परस्पर संपर्क कर सकते हैं, एक दूसरे से परामर्श ले-दे सकते हैं, एक दूसरे के साथ अपनी बात बाँट सकते हैं। ये माध्यम आत्मिक शिक्षाओं के प्रसार एवं प्रचार का भी सश्कत ज़रिया हैं।

   लेकिन इन सब बातों के लिए आमने-सामने मिलना और चर्चा करना भी अति मूल्यवान होता है। विशेषकर जब आत्मिक बातों में किसी परिपक्व विश्वासी के साथ चर्चा करने और मार्गदर्शन पाने की बात आती है, या कोई किसी का शिक्षक बनता है, तो यह प्रत्यक्ष भेंट एवं संवाद अच्छा रहता है। परमेश्वर के वचन बाइबल में हम इसके अनेक उदाहरण पाते हैं: एलीशा ने एलिय्याह का अनुसरण किया (1 राजा 19:21), पौलुस ने तिमुथियुस को विश्वास में अपना सच्चा पुत्र मानकर उसका मार्गदर्शन और शिक्षण किया (1 तिमुथियुस 1:2)। पौलुस ने तिमुथियुस को यह भी निर्देश दिए कि जैसे उसने तिमुथियुस सिखाया है, वैसे ही वह भी अन्य लोगों को सिखाए, जो फिर औरों को सिखाएं और इस रीति से यह श्रंखला बनी रहे, बढ़ती रहे (2 तिमुथियुस 2:2)। मूसा ने माता-पिता को दायित्व दिया कि वे अपने बच्चों को परमेश्वर की शिक्षा सदा देते रहें, "और तू इन्हें अपने बाल-बच्चों को समझाकर सिखाया करना, और घर में बैठे, मार्ग पर चलते, लेटते, उठते, इनकी चर्चा किया करना" (व्यवस्थाविवरण 6:7)। हमारे सर्वोत्तम शिक्षक, प्रभु यीशु मसीह ने भी अपने बारह चेलों की नियुक्ति के द्वारा हमें सिखाया है कि शिक्षण कैसे किया जाए - व्यक्तिगत संपर्क तथा निर्देशन के द्वारा: "तब उसने बारह पुरूषों को नियुक्त किया, कि वे उसके साथ साथ रहें, और वह उन्हें भेजे, कि प्रचार करें" (मरकुस 3:14); और इसी कार्य को ऐसे ही आगे बढ़ाने के निर्देश अपने चेलों को दिए (मत्ती 28:18-20)।

   इन परिच्छेदों से हम देखते हैं कि विभिन्न परिस्थितियों में भी प्रत्यक्ष व्यक्तिगत संपर्क ही एक दूसरे को उभारने, सिखाने और आत्मिक जीवन में उन्नति करने का सर्वोत्तम माध्यम है: "जैसे लोहा लोहे को चमका देता है, वैसे ही मनुष्य का मुख अपने मित्र की संगति से चमकदार हो जाता है" (नीतिवचन 27:17)। जीवन यात्रा में ऐसे अनेक अवसर आते हैं जब हम एक समझदार एवं परिपक्व व्यक्तित्व से सीख सकते हैं, मार्गदर्शन ले सकते हैं; या ऐसे ही हम भी किसी के शिक्षक बन सकते हैं। इसीलिए परमेश्वर का वचन हमें निर्देश देता है कि एक दुसरे से मिलना ना छोड़ें, वरन इसमें बढ़ते जाएं (इब्रानियों 10:25)। - डेनिस फिशर


परमेश्वर हमें जहाँ ले जाना चाहता है, वहाँ पहुँचने के लिए हमें एक दूसरे के साथ की आवश्यकता है।

और एक दूसरे के साथ इकट्ठा होना ने छोड़ें, जैसे कि कितनों की रीति है, पर एक दूसरे को समझाते रहें; और ज्यों ज्यों उस दिन को निकट आते देखो, त्यों त्यों और भी अधिक यह किया करो। - इब्रानियों 10:25

बाइबल पाठ: मत्ती 28:18-20; 2 तिमुथियुस 2:1-2
Matthew 28:18 यीशु ने उन के पास आकर कहा, कि स्वर्ग और पृथ्वी का सारा अधिकार मुझे दिया गया है। 
Matthew 28:19 इसलिये तुम जा कर सब जातियों के लोगों को चेला बनाओ और उन्हें पिता और पुत्र और पवित्रआत्मा के नाम से बपतिस्मा दो। 
Matthew 28:20 और उन्हें सब बातें जो मैं ने तुम्हें आज्ञा दी है, मानना सिखाओ: और देखो, मैं जगत के अन्‍त तक सदैव तुम्हारे संग हूं।

2 Timothy 2:1 इसलिये हे मेरे पुत्र, तू उस अनुग्रह से जो मसीह यीशु में है, बलवन्‍त हो जा। 
2 Timothy 2:2 और जो बातें तू ने बहुत गवाहों के साम्हने मुझ से सुनी हैं, उन्हें विश्वासी मनुष्यों को सौंप दे; जो औरों को भी सिखाने के योग्य हों।

एक साल में बाइबल: 
  • यिर्मयाह 9-12


बुधवार, 20 अगस्त 2014

ध्यान


   हम अकसर अपने मित्रों एवं सहकर्मियों से कुछ ना कुछ प्रशंसा या पुरुस्कार की आशा रखते हैं - पीठ पर शाबाशी की थपथपाहट, प्रशंसा के कुछ शब्द या ताली बजाना, कोई मेडल मिलना, इत्यादि। लेकिन प्रभु यीशु के अनुसार इनसे कहीं अधिक महत्वपूर्ण और बहुमूल्य पुरुस्कार हम मसीही विश्वासियों के लिए, इस पार्थिव जीवन के उपरांत स्वर्ग में प्रतीक्षा कर रहे हैं। यह संभव है कि सबसे महत्वपूर्ण मानवीय कार्य गुप्त में किए जाएं और सिवाय परमेश्वर के उनके बारे में कोई भी ना जानता हो; क्योंकि हमारी वास्तविकता का आँकलन परमेश्वर से है, इसलिए हमारे वास्तविक पुरुस्कार भी परमेश्वर से ही हैं। संक्षेप में, प्रभु यीशु तथा परमेश्वर के वचन बाइबल का हम मसीही विश्वासियों के लिए सन्देश यह है कि हमें किसी मनुष्य के लिए नहीं वरन परमेश्वर के लिए जीना चाहिए (कुलुस्सियों 3:23-24)।

   प्रभु यीशु ने अपने चेलों को इसके बारे में समझाया कि पृथ्वी के अपने जीवन और कार्यों के द्वारा वे पृथ्वी के बाद के अपने जीवन के लिए "स्वर्ग में धन" एकत्रित कर रहे हैं (मत्ती 6:20), एक ऐसा बड़ा खज़ाना जो इस पृथ्वी पर होने वाले उनके किसी भी दुख-तकलीफ की बहुतायत से भरपाई कर देगा। परमेश्वर के वचन बाइबल के पुराने नियम खण्ड में उस आने वाले जीवन के बारे में कुछ संकेत मिलते हैं, लेकिन प्रभु यीशु ने इसके बारे में बहुत स्पष्ट शिक्षा दी है; वह जीवन एक ऐसे स्थान पर होगा जहाँ "...धर्मी अपने पिता के राज्य में सूर्य की नाईं चमकेंगे..." (मत्ती 13:43)।

   प्रभु यीशु के पृथ्वी के जीवन काल के समय के यहूदी लोग इस पार्थिव जीवन में ही, अपनी व्यक्तिगत सुख-समृद्धि एवं राजनैतिक सामर्थ को अपने प्रति परमेश्वर के समर्थन का चिन्ह मानते थे। लेकिन प्रभु यीशु ने अपनी इस शिक्षा के साथ उनका ध्यान इस पृथ्वी के जीवन की बजाए पृथ्वी के बाद के जीवन की ओर केंद्रित किया (मत्ती 6) तथा प्रयास किया कि वे इस पृथ्वी की सफलताओं को गौण परन्तु आने वाले जीवन के लिए सफल होने को महत्वपूर्ण माने, उस आने वाले जीवन में ही निवेश करें। प्रभु यीशु ने चिताया, इस संसार के जीवन की सफलताओं के मानकों को तो ज़ंग लग सकता है, कोई कीड़ा उन्हें खराब कर सकता है, चोर उन्हें चुरा सकता है (मत्ती 6:20), परन्तु स्वर्ग में एकत्रित धन के क्षय होने का कोई खतरा नहीं है, वह अनन्त काल के लिए हमारे नाम पर रखा हुआ है, और हमारे लिए उपलब्ध रहेगा।

   आज मेरा और आपका ध्यान किस पर है, हम किस के लिए कार्य कर रहे हैं - पार्थिव एवं नाश्मान समृद्धि, या फिर परमेश्वर तथा अनन्त काल की आशीष? - फिलिप यैन्सी


अनन्त काल के पुरुस्कार पृथ्वी पर मिलने वाली मान्यता पर निर्भर नहीं हैं।

और जो कुछ तुम करते हो, तन मन से करो, यह समझ कर कि मनुष्यों के लिये नहीं परन्तु प्रभु के लिये करते हो। क्योंकि तुम जानते हो कि तुम्हें इस के बदले प्रभु से मीरास मिलेगी: तुम प्रभु मसीह की सेवा करते हो। - कुलुस्सियों 3:23-24

बाइबल पाठ: मत्ती 6:1-4, 19-21
Matthew 6:1 सावधान रहो! तुम मनुष्यों को दिखाने के लिये अपने धर्म के काम न करो, नहीं तो अपने स्‍वर्गीय पिता से कुछ भी फल न पाओगे। 
Matthew 6:2 इसलिये जब तू दान करे, तो अपने आगे तुरही न बजवा, जैसा कपटी, सभाओं और गलियों में करते हैं, ताकि लोग उन की बड़ाई करें, मैं तुम से सच कहता हूं, कि वे अपना फल पा चुके। 
Matthew 6:3 परन्तु जब तू दान करे, तो जो तेरा दाहिना हाथ करता है, उसे तेरा बांया हाथ न जानने पाए। 
Matthew 6:4 ताकि तेरा दान गुप्‍त रहे; और तब तेरा पिता जो गुप्‍त में देखता है, तुझे प्रतिफल देगा।

Matthew 6:19 अपने लिये पृथ्वी पर धन इकट्ठा न करो; जहां कीड़ा और काई बिगाड़ते हैं, और जहां चोर सेंध लगाते और चुराते हैं। 
Matthew 6:20 परन्तु अपने लिये स्वर्ग में धन इकट्ठा करो, जहां न तो कीड़ा, और न काई बिगाड़ते हैं, और जहां चोर न सेंध लगाते और न चुराते हैं। 
Matthew 6:21 क्योंकि जहां तेरा धन है वहां तेरा मन भी लगा रहेगा।

एक साल में बाइबल:
  • यिर्मयाह 6-8


मंगलवार, 19 अगस्त 2014

हेमन


   मुझे हेमन पर अचरज होता है। हेमन एक कवि था जिसने परमेश्वर के वचन बाइबल का भजन 88 लिखा था। उसके इस भजन में हम पाते हैं कि उसके लिए जीवन का अर्थ था क्लेष, इतना क्लेष कि वह दुख से तंग आ गया था! उस का विलाप था, "क्योंकि मेरा प्राण क्लेश में भरा हुआ है, और मेरा प्राण अधोलोक के निकट पहुंचा है" (भजन 88:3)।

   जब हेमन ने पीछे मुड़कर देखा तो उसे अपना खराब स्वास्थ्य और दुर्भाग्य स्मरण हो आया। जब अपने चारों ओर देखा तो अपने को मुसीबत में पड़ा और तिरिस्कृत पाया। और जब ऊपर की ओर देखा तो कोई सांत्वना नहीं मिली। उसने शिकायत करी, मैं अकेला हूँ (पद 5), अंधकार में हूँ (पद 6), सताया हुआ हूँ (पद 7), त्यागा हुआ हूँ (पद 14) अधमुआ हूँ (पद 15)। उसे आशा की कोई किरण दिखाई नहीं दे रही थी और ना ही अपने दुख का कोई समाधान मिल रहा था।

   हेमन की इस ईमानदारी से मेरे मन को सांत्वना मिलती है। मुझे समझ नहीं आता कि वे कैसे मसीही विश्वासी हैं जो कभी संघर्ष नहीं करने का दावा करते हैं। मैं यह मान सकता हूँ कि एक संतुलन होना आवश्यक है; ऐसे जन के पास कोई नहीं रहना चाहेगा जो हर समय अपने दुखों के बारे में ही बताता रहे और रोता रहे, लेकिन मुझे यह जानकर सांत्वना मिलती है कि संघर्ष करने वाला मैं ही अकेला नहीं हूँ, मेरे समान ही अन्य लोगों को भी संघर्ष करना पड़ता है, और उनके अनुभव मेरे लिए मार्गदर्शन कर सकते हैं।

   लेकिन हेमन में इस स्पष्टवादिता से बढ़ कर भी कुछ और है जो और भी अधिक अनुसरण के योग्य है - परमेश्वर में उसका अटल, अविचिलित विश्वास। इतनी समस्याओं में होने के बावजूद हेमन परमेश्वर से लिपटा ही रहा, दिन रात उसी की दोहाई देता रहा (पद 1, 9, 13)। उसने प्रार्थना करना नहीं छोड़ा; उसने हार नहीं मानी। संभवतः हेमन ने उस समय एहसास नहीं किया, लेकिन उसने परमेश्वर की करुणा, विश्वासयोग्यता और धार्मिकता की गवाही भी दी (पद 11, 12)।

   मुझे हेमन जैसे लोग अच्छे लगते हैं। वे परमेश्वर में मेरे विश्वास को दृढ़ करते हैं और मुझे स्मरण दिलाते हैं कि मैं प्रार्थना करना कभी नहीं छोड़ूँ। - डेविड रोपर


प्रार्थना ही वह भूमि हैं जिसमें आशा सबसे अच्छी पनपती है।

परन्तु जो यहोवा की बाट जोहते हैं, वे नया बल प्राप्त करते जाएंगे, वे उकाबों की नाईं उड़ेंगे, वे दौड़ेंगे और श्रमित न होंगे, चलेंगे और थकित न होंगे। - यशायाह 40:31

बाइबल पाठ: भजन 88
Psalms 88:1 हे मेरे उद्धारकर्ता परमेश्वर यहोवा, मैं दिन को और रात को तेरे आगे चिल्लाता आया हूं। 
Psalms 88:2 मेरी प्रार्थना तुझ तक पहुंचे, मेरे चिल्लाने की ओर कान लगा! 
Psalms 88:3 क्योंकि मेरा प्राण क्लेश में भरा हुआ है, और मेरा प्राण अधोलोक के निकट पहुंचा है। 
Psalms 88:4 मैं कबर में पड़ने वालों में गिना गया हूं; मैं बलहीन पुरूष के समान हो गया हूं। 
Psalms 88:5 मैं मुर्दों के बीच छोड़ा गया हूं, और जो घात हो कर कबर में पड़े हैं, जिन को तू फिर स्मरण नहीं करता और वे तेरी सहायता रहित हैं, उनके समान मैं हो गया हूं। 
Psalms 88:6 तू ने मुझे गड़हे के तल ही में, अन्धेरे और गहिरे स्थान में रखा है। 
Psalms 88:7 तेरी जलजलाहट मुझी पर बनी हुई है, और तू ने अपने सब तरंगों से मुझे दु:ख दिया है; 
Psalms 88:8 तू ने मेरे पहिचान वालों को मुझ से दूर किया है; और मुझ को उनकी दृष्टि में घिनौना किया है। मैं बन्दी हूं और निकल नहीं सकता; 
Psalms 88:9 दु:ख भोगते भोगते मेरी आंखे धुन्धला गई। हे यहोवा मैं लगातार तुझे पुकारता और अपने हाथ तेरी ओर फैलाता आया हूं। 
Psalms 88:10 क्या तू मुर्दों के लिये अदभुत काम करेगा? क्या मरे लोग उठ कर तेरा धन्यवाद करेंगे? 
Psalms 88:11 क्या कबर में तेरी करूणा का, और विनाश की दशा में तेरी सच्चाई का वर्णन किया जाएगा? 
Psalms 88:12 क्या तेरे अदभुत काम अन्धकार में, वा तेरा धर्म विश्वासघात की दशा में जाना जाएगा? 
Psalms 88:13 परन्तु हे यहोवा, मैं ने तेरी दोहाई दी है; और भोर को मेरी प्रार्थना तुझ तक पहुंचेगी। 
Psalms 88:14 हे यहोवा, तू मुझ को क्यों छोड़ता है? तू अपना मुख मुझ से क्यों छिपाता रहता है? 
Psalms 88:15 मैं बचपन ही से दु:खी वरन अधमुआ हूं, तुझ से भय खाते मैं अति व्याकुल हो गया हूं। 
Psalms 88:16 तेरा क्रोध मुझ पर पड़ा है; उस भय से मैं मिट गया हूं। 
Psalms 88:17 वह दिन भर जल की नाईं मुझे घेरे रहता है; वह मेरे चारों ओर दिखाई देता है। 
Psalms 88:18 तू ने मित्र और भाईबन्धु दोनों को मुझ से दूर किया है; और मेरे जान-पहिचान वालों को अन्धकार में डाल दिया है।

एक साल में बाइबल: 
  • यिर्मयाह 3-5


सोमवार, 18 अगस्त 2014

दायित्व


   टेक्सस रेंजर बेसबॉल टीम के खिलाड़ी जोश हैमिलटन ने शराब और नशीले पदार्थों की लत पड़ जाने का सामना किया, और उससे निकल कर आया। इसलिए जब उसकी टीम ने अपनी श्रंखला में जीत प्राप्त करी तो उसे खेल के बाद होने वाली पार्टी के बारे में चिंता हुई, क्योंकि नशे की आदत से बाहर निकल कर सामान्य जीवन जीने का प्रयास करने वाले व्यक्ति के लिए शराब की बाढ़ में सम्मिलित होना अच्छा नहीं होता। लेकिन खेल के बाद की पार्टी में कुछ अनूठा और भला हो गया; उसके टीम के बाकी सदस्यों ने, उसकी स्थिति का ध्यान रखते हुए पार्टी में शराब रखी ही नहीं ताकि जोश हैमिलटन भी उस पार्टी में निसंकोच सम्मिलित हो सके। एक दूसरे के प्रति अपने दायित्व निभाने और दूसरों की आवश्यकताओं को अपनी आवश्यकताओं से ऊपर रखने का कैसा अद्भुत उदाहरण।

   प्रेरित पौलुस का भी यही तात्पर्य था जब उसने फिलिप्पी के मसीही विश्वासियों से कहा कि वे दूसरों को अपने से बढ़ कर समझें (फिलिप्पियों 2:3-4)। मसीह यीशु में विश्वास लाने के द्वारा वे सब एक ही परिवार के अंग बन गए थे, एक दूसरे के साथ एक विशेष बन्धन में बंध गए थे। इसलिए एक दूसरे के प्रति उनके रवैये को इस बन्धन को व्यावाहरिक रीति से प्रगट करने वाला होना था: परस्पर प्रेम में एकता, एक दूसरे की सेवा, एक दूसरे की सहायता के द्वारा। इस प्रकार के व्यवहार के द्वारा ही हम मसीह यीशु के व्यवहार को सामान्य मसीही जीवन में दिखाने पाते हैं।

   जोश हैमिलटन की टीम के सदस्यों के समान, हम मसीही विश्वासियों का दायित्व है कि हम एक दूसरे के बोझ बाँटें; जब हम निस्वार्थ होकर अपने पड़ौसी से प्रेम रखते हैं, हम परमेश्वर के प्रति अपने प्रेम को प्रदर्शित करते हैं। - मार्विन विलियम्स


मसीह के प्रति प्रेम, मसीह के समान व्यवहार से प्रगट होता है।

कोई अपनी ही भलाई को न ढूंढे, वरन औरों की। - 1 कुरिन्थियों 10:24 

बाइबल पाठ: फिलिप्पियों 2:1-11
Philippians 2:1 सो यदि मसीह में कुछ शान्‍ति और प्रेम से ढाढ़स और आत्मा की सहभागिता, और कुछ करूणा और दया है। 
Philippians 2:2 तो मेरा यह आनन्द पूरा करो कि एक मन रहो और एक ही प्रेम, एक ही चित्त, और एक ही मनसा रखो। 
Philippians 2:3 विरोध या झूठी बड़ाई के लिये कुछ न करो पर दीनता से एक दूसरे को अपने से अच्छा समझो। 
Philippians 2:4 हर एक अपनी ही हित की नहीं, वरन दूसरों की हित की भी चिन्‍ता करे। 
Philippians 2:5 जैसा मसीह यीशु का स्‍वभाव था वैसा ही तुम्हारा भी स्‍वभाव हो। 
Philippians 2:6 जिसने परमेश्वर के स्‍वरूप में हो कर भी परमेश्वर के तुल्य होने को अपने वश में रखने की वस्तु न समझा। 
Philippians 2:7 वरन अपने आप को ऐसा शून्य कर दिया, और दास का स्‍वरूप धारण किया, और मनुष्य की समानता में हो गया। 
Philippians 2:8 और मनुष्य के रूप में प्रगट हो कर अपने आप को दीन किया, और यहां तक आज्ञाकारी रहा, कि मृत्यु, हां, क्रूस की मृत्यु भी सह ली। 
Philippians 2:9 इस कारण परमेश्वर ने उसको अति महान भी किया, और उसको वह नाम दिया जो सब नामों में श्रेष्ठ है। 
Philippians 2:10 कि जो स्वर्ग में और पृथ्वी पर और जो पृथ्वी के नीचे हैं; वे सब यीशु के नाम पर घुटना टेकें। 
Philippians 2:11 और परमेश्वर पिता की महिमा के लिये हर एक जीभ अंगीकार कर ले कि यीशु मसीह ही प्रभु है।

एक साल में बाइबल: 
  • यिर्मयाह 1-2


रविवार, 17 अगस्त 2014

वे देख रहे हैं


   व्यावासयिक फुटबॉल के एक खिलाड़ी की टीम पिछले कुछ स्पताहों से लगातार हारती चली जा रही थी। एक रिपोर्टर ने उस खिलाड़ी से पूछा कि जब उसकी टीम ऐसे हारती चली जा रही है, तो क्या है जो उसे प्रेरित करता है कि वह मेहनत से खेले और अपना सर्वोत्तम दे? उसने उत्तर दिया, "मेरे पिता मेरा खेल देखते हैं, मेरी माता मेरा खेल देखती हैं। इसलिए विश्वास रखो मैं खेल में अपना सर्वोत्तम ही दूँगा।" उस खिलाड़ी ने पहचाना था कि खेल में हार-जीत से भी बढ़कर कुछ है - लोग उसे देख रहे हैं, उसके खेल से उसका आँकलन कर रहे हैं, यह उसके लिए अपना सर्वोत्तम देने की प्रेरणा के लिए काफी था।

   प्रभु यीशु ने अपने पहाड़ी सन्देश के आरंभिक भाग में इसी सत्य को अपने चेलों के सामने रखा। हमें अपने जीवन इस एहसास के साथ व्यतीत करने चाहिएं कि लोग हमें देख रहे हैं, और हमारा जीवन उनके लिए हमारे परमेश्वर की गवाही हैं। प्रभु यीशु ने कहा, "उसी प्रकार तुम्हारा उजियाला मनुष्यों के साम्हने चमके कि वे तुम्हारे भले कामों को देखकर तुम्हारे पिता की, जो स्वर्ग में हैं, बड़ाई करें" (मत्ती 5:16)। हमारे जीवन का उजियाला कैसे चमकता है?
  • हमारी प्रतिदिन की परिस्थितियों और कार्यों में प्रभु यीशु के मन और चरित्र को प्रदर्शित करने के द्वारा।
  • जैसे प्रभु यीशु ने उपेक्षित और तिरिस्कृत लोगों के प्रति संवेदना एवं सहानुभूति दिखाई, वैसे ही हमारे भी ऐसों के प्रति यही भावना दिखाने के द्वारा।
  • प्रभु यीशु के समान ही अपने स्वर्गीय पिता परमेश्वर के नाम और प्रतिष्ठा के प्रति चिन्तित रहने के द्वारा।

   लोग तो हम मसीही विश्वासियों को देख ही रहे हैं; प्रश्न यह है कि उन्हें हम में दिखाई क्या दे रहा है? - बिल क्राउडर


अपनी ज्योति को चमकने दें - फिर चाहे आप कोने में जलने वाली मोमबत्ती हों, या पहाड़ी पर स्थित दीपस्तंभ!

पर तुम एक चुना हुआ वंश, और राज-पदधारी याजकों का समाज, और पवित्र लोग, और (परमेश्वर की) निज प्रजा हो, इसलिये कि जिसने तुम्हें अन्धकार में से अपनी अद्भुत ज्योति में बुलाया है, उसके गुण प्रगट करो। - 1 पतरस 2:9

बाइबल पाठ: मत्ती 5:13-16
Matthew 5:13 तुम पृथ्वी के नमक हो; परन्तु यदि नमक का स्‍वाद बिगड़ जाए, तो वह फिर किस वस्तु से नमकीन किया जाएगा? फिर वह किसी काम का नहीं, केवल इस के कि बाहर फेंका जाए और मनुष्यों के पैरों तले रौंदा जाए। 
Matthew 5:14 तुम जगत की ज्योति हो; जो नगर पहाड़ पर बसा हुआ है वह छिप नहीं सकता। 
Matthew 5:15 और लोग दिया जलाकर पैमाने के नीचे नहीं परन्तु दीवट पर रखते हैं, तब उस से घर के सब लोगों को प्रकाश पहुंचता है। 
Matthew 5:16 उसी प्रकार तुम्हारा उजियाला मनुष्यों के साम्हने चमके कि वे तुम्हारे भले कामों को देखकर तुम्हारे पिता की, जो स्वर्ग में हैं, बड़ाई करें।

एक साल में बाइबल: 
  • यशायाह 64-66


शनिवार, 16 अगस्त 2014

जुड़े हुए


   मेरी पत्नि घर पर अपने लैपटॉप कंप्यूटर पर कार्य कर रही थी; उसका ध्यान लैप्टॉप की बैट्री की दशा दिखाने वाले सूचक पर गया, जो दिखा रहा था कि बैट्री लगभग समाप्त हो चुकी थी और कंप्यूटर अब बस बन्द होने वाला था। उसे यह अटपटा लगा क्योंकि उसने लैपटॉप को बिजली के प्लग से जोड़ा था, इसलिए लैपटॉप को बैट्री पर नहीं घर की बिजली से चलना था। उसने लैपटॉप के तार का मुआयना किया तो पाया कि लैपटॉप का तार एक्स्टेन्शन तार में तो जुड़ा था, पर एक्स्टेन्शन का तार मेन सॉकेट प्लग से जुड़ा हुआ नहीं था, इस कारण लैपटॉप को घर की बिजली से कोई करंट नहीं मिल रहा था और वह बैट्री पर चलते हुए अब बस बन्द होने को था। यह देखकर उसने मुस्कुराते हुए मेरी ओर देखा और कहा, इसमें कहीं ना कहीं कोई आत्मिक सन्देश छिपा है।

   उसके यह कहने पर मुझे परमेश्वर के वचन बाइबल में यशायाह नबी की पुस्तक से परमेश्वर की सामर्थ के संबंध में एक परिच्छेद स्मरण हो आया: यशायाह 40:27-31। इस परिच्छेद में यशायाह सच्चे और कभी ना समाप्त होने वाले ऊर्जा के स्त्रोत, परमेश्वर के विषय में बताता है, जिसमें से हमें सामर्थ प्राप्त करते रहना है। वह उन से, जिनकी सामर्थ क्षीण होती जा रही है कहता है कि वे परमेश्वर की बाट जोहें, उससे जुड़े रहें जिससे वे नया बल प्राप्त करते जाएं (पद 29-31)।

   प्रभु यीशु ने भी अपने चेलों से दाख की लता का उदाहरण देते हुए कहा कि वे लता की डालियों के समान, लता के तने अर्थात उससे सदा जुड़े रहें जिससे सदा उसकी सामर्थ उनमें प्रवाहित होती रहे (यूहन्ना 15:4-5)। प्रभु यीशु का यह कथन यशायाह द्वारा लिखित उपरोक्त परिच्छेद के अन्तिम भाग के समानन्तर ही है।

   जब कभी हम अपने आप को थका हुआ और व्यथित पाते हैं, तो यह जाँच लेना आवश्यक है कि क्या हम सामर्थ के अपने स्त्रोत से वास्तव में जुड़े हुए हैं कि नहीं। क्योंकि हमारी अपनी सामर्थ तो क्षणिक है, परन्तु परमेश्वर की सामर्थ कभी समाप्त नहीं होगी, हमारे जीवनों को सदा कार्यकारी बनाए रखेगी। - रैण्डी किलगोर


इस सृष्टि के सृजनहार में सामर्थ की कोई घटी नहीं है।

मत डर, क्योंकि मैं तेरे संग हूं, इधर उधर मत ताक, क्योंकि मैं तेरा परमेश्वर हूं; मैं तुझे दृढ़ करूंगा और तेरी सहायता करूंगा, अपने धर्ममय दाहिने हाथ से मैं तुझे सम्हाले रहूंगा। - यशायाह 41:10

बाइबल पाठ: यशायाह 40:27-31
Isaiah 40:27 हे याकूब, तू क्यों कहता है, हे इस्राएल तू क्यों बोलता है, मेरा मार्ग यहोवा से छिपा हुआ है, मेरा परमेश्वर मेरे न्याय की कुछ चिन्ता नहीं करता? 
Isaiah 40:28 क्या तुम नहीं जानते? क्या तुम ने नहीं सुना? यहोवा जो सनातन परमेश्वर और पृथ्वी भर का सिरजनहार है, वह न थकता, न श्रमित होता है, उसकी बुद्धि अगम है। 
Isaiah 40:29 वह थके हुए को बल देता है और शक्तिहीन को बहुत सामर्थ देता है। 
Isaiah 40:30 तरूण तो थकते और श्रमित हो जाते हैं, और जवान ठोकर खाकर गिरते हैं; 
Isaiah 40:31 परन्तु जो यहोवा की बाट जोहते हैं, वे नया बल प्राप्त करते जाएंगे, वे उकाबों की नाईं उड़ेंगे, वे दौड़ेंगे और श्रमित न होंगे, चलेंगे और थकित न होंगे।

एक साल में बाइबल: 
  • यशायाह 61-63


शुक्रवार, 15 अगस्त 2014

इच्छाएं और योजनाएं


   सन 1960 में, जिस माध्यमिक स्कूल में मैं विद्यार्थी था, सभी विद्यार्थियों ने प्रतिभा से संबंधित एक प्रोजैक्ट में भाग लिया। कई दिनों तक हम परीक्षाएं देते रहे जो हमारे शैक्षिक विषयों के सम्बंध में हमारे रुझान को जाँचती थीं। इसके अतिरिक्त हम से कहा गया कि भविष्य को लेकर हम अपनी योजनाएं, इच्छाएं और आशाएं भी बताएं। इस प्रोजैक्ट में भाग लेने वाले केवल हम ही नहीं थे वरन इसमें सारे अमेरिका से 1300 स्कूल और 400,000 विद्यार्थी भाग ले रहे थे। यद्यपि हम में से कोई नहीं जानता था कि आगे चलकर हमारा जीवन क्या दिशा या मोड़ ले लेगा, तो भी हम अपनी सोच के अनुसार अपने भविष्य का विचार कर रहे थे, योजना बना रहे थे।

   यही बात परमेश्वर के वचन बाइबल के एक नायक तरशीश के निवासी शाऊल के लिए भी सच थी। एक जवान व्यक्ति के रूप में उसके जीवन का लक्ष्य था मसीही विश्वासियों का नाश करना (प्रेरितों 7:58-8:3; गलतियों 1:13)। लेकिन यही घोर मसीह विरोधी शाऊल, प्रभु यीशु से एक ही साक्षात्कार के बाद, मसीह यीशु का अनुयायी और प्रेरित पौलुस बन गया और मसीही विश्वासियों को गिनती तथा विश्वास में बढ़ाने में पूरे जी-जान से सक्रीय हो गया। जब वह यरुशलेम की ओर जा रहा था, जहाँ वह जानता था कि उसे बन्दी बनाया जाएगा और बहुत कष्ट उठाने पड़ेंगे, उसने उसके कठिन भविष्य को लेकर चिंतित हो रहे अपने मित्रों से कहा, "परन्तु मैं अपने प्राण को कुछ नहीं समझता: कि उसे प्रिय जानूं, वरन यह कि मैं अपनी दौड़ को, और उस सेवाकाई को पूरी करूं, जो मैं ने परमेश्वर के अनुग्रह के सुसमाचार पर गवाही देने के लिये प्रभु यीशु से पाई है" (प्रेरितों 20:24)।

   जब हमारे जीवन का लक्ष्य परमेश्वर को महिमा देना होता है, तब परमेश्वर हमारे हर कदम पर हमारा मार्गदर्शन करता है और सुरक्षा देता है। हमारी इच्छाएं और योजनाएं जो भी हों, जब हम उन्हें परमेश्वर के हाथों में छोड़ देते हैं, तब हमारी हर बात का नियंत्रण, निर्धारण और परिणाम परमेश्वर की ओर से ही होता है, फिर हमें चाहे सफलता मिले या असफलता, सब हमारी भलाई के लिए ही होगा। - डेविड मैक्कैसलैंड


अपना मसीही जीवन वैसे ही जीते रहें जैसे उसे आरंभ किया था - मसीह यीशु पर विश्वास के साथ।

और हम जानते हैं, कि जो लोग परमेश्वर से प्रेम रखते हैं, उन के लिये सब बातें मिलकर भलाई ही को उत्पन्न करती है; अर्थात उन्हीं के लिये जो उस की इच्छा के अनुसार बुलाए हुए हैं। - रोमियों 8:28

बाइबल पाठ: प्रेरितों 20:16-24
Acts 20:16 क्योंकि पौलुस ने इफिसुस के पास से हो कर जाने की ठानी थी, कि कहीं ऐसा न हो, कि उसे आसिया में देर लगे; क्योंकि वह जल्दी करता था, कि यदि हो सके, तो उसे पिन्‍तेकुस का दिन यरूशलेम में कटे।
Acts 20:17 और उसने मीलेतुस से इफिसुस में कहला भेजा, और कलीसिया के प्राचीनों को बुलवाया। 
Acts 20:18 जब वे उस के पास आए, तो उन से कहा, तुम जानते हो, कि पहिले ही दिन से जब मैं आसिया में पहुंचा, मैं हर समय तुम्हारे साथ किस प्रकार रहा। 
Acts 20:19 अर्थात बड़ी दीनता से, और आंसू बहा बहाकर, और उन परीक्षाओं में जो यहूदियों के षडयन्‍त्र के कारण मुझ पर आ पड़ी; मैं प्रभु की सेवा करता ही रहा। 
Acts 20:20 और जो जो बातें तुम्हारे लाभ की थीं, उन को बताने और लोगों के साम्हने और घर घर सिखाने से कभी न झिझका। 
Acts 20:21 वरन यहूदियों और यूनानियों के साम्हने गवाही देता रहा, कि परमेश्वर की ओर मन फिराना, और हमारे प्रभु यीशु मसीह पर विश्वास करना चाहिए। 
Acts 20:22 और अब देखो, मैं आत्मा में बन्‍धा हुआ यरूशलेम को जाता हूं, और नहीं जानता, कि वहां मुझ पर क्या क्या बीतेगा 
Acts 20:23 केवल यह कि पवित्र आत्मा हर नगर में गवाही दे देकर मुझ से कहता है, कि बन्‍धन और क्‍लेश तेरे लिये तैयार हैं। 
Acts 20:24 परन्तु मैं अपने प्राण को कुछ नहीं समझता: कि उसे प्रिय जानूं, वरन यह कि मैं अपनी दौड़ को, और उस सेवाकाई को पूरी करूं, जो मैं ने परमेश्वर के अनुग्रह के सुसमाचार पर गवाही देने के लिये प्रभु यीशु से पाई है।

एक साल में बाइबल: 
  • यशायाह 58-60


गुरुवार, 14 अगस्त 2014

योग्य


   हमारी एक मित्र अकसर तसमानिया के होबार्ट शहर जाया करती थी और हम सोचते थे कि ऐसा क्या है जिसके कारण वह बार बार होबार्ट जाती रहती है। हाल ही में उसने हमें निमंत्रण दिया कि हम भी उसके साथ वहाँ पर कुछ समय व्यतीत करें। हम हवाई आडे से निकल कर एक पुल पर से होकर निकले, फिर शहर और उसके आस-पास बसी हुई बस्ती से निकलने लगे - यात्रा में कुछ भी अनूठा या आकर्षक नहीं था, परन्तु हम आगे की ओर बढ़ते रहे। फिर चढ़ाई आरंभ हो गई, कुछ तीव्र मोड़ों और खड़ी चढ़ाई के पश्चात हमें नीचे का समुद्र तट दिखाई देने लगा, लेकिन उसमें भी कुछ विशेष बात नहीं थी।

   अन्ततः एक खड़ी ढाल वाली चढ़ाई पर चढ़कर हम अपने गन्तव्य पर पहुँच गए, और वहाँ से जो नीचे के शहर तथा इलाके का नज़ारा था वह स्तब्ध कर देने वाला था। हवाई अड्डे से निकल कर जिस पुल पर से हो कर हम आए थे, वह भी हमें दिखाई दे रहा था; अब वह नीरस नहीं वरन बहुत सुन्दर दिख रहा था! अब हम समझ पाए कि हमारी वह मित्र यहाँ अकसर क्यों आती रहती थी।

   परमेश्वर के वचन बाइबल में इब्रानियों की पत्री के 11वें अध्याय में अनेक विश्वास के योद्धाओं के नाम दर्ज हैं। उन सभी के जीवन में कई "तीखे मोड़ और चढ़ाईयाँ" तथा नीरस परिस्थितियाँ आईं। लेकिन वे सभी अपनी विश्वास यात्रा में आगे बढ़ते ही रहे, ना रुके और ना वापस लौटे। उनका गन्तव्य? स्वर्ग, वह स्थिर नेव वाला नगर - "...जिस का रचने वाला और बनाने वाला परमेश्वर है" (इब्रानियों 11:10)।

   एस्तेर केर रश्तोई ने अपने स्तुति गीत, "When We See Christ" (जब हम मसीह को देखेंगे) में स्वर्ग की ओर मसीही विश्वासी की यात्रा के विषय में लिखा है:
   यह सब उस पल के योग्य होगा, जब हम मसीह को देखेंगे
   जीवन की कठिनाईयाँ कितनी छोटी लगेंगी, जब हम मसीह को देखेंगे
   उसके चेहरे की एक झलक से ही सारे दुख जाते रहेंगे
   इसलिए बहादुरी से जीवन दौड़ को दौड़ो, जब तक कि हम मसीह को देखें

   आज चाहे आपका मसीही विश्वास का जीवन सामान्य हो चाहे कठिन, आगे की ओर बढ़ते ही रहें। अपनी यात्रा के अन्त में आकर आप उस अद्भुत स्थान को देखने पाएंगे जो परमेश्वर ने आप के लिए तैयार किया है, और इस जीवन की हर बात उस पल के योग्य होगी। - सी. पी. हिया


स्वर्ग के आनन्द पृथ्वी की कठिनाईयों की भरपाई से भी अधिक होंगे।

सो जब तुम मसीह के साथ जिलाए गए, तो स्‍वर्गीय वस्‍तुओं की खोज में रहो, जहां मसीह वर्तमान है और परमेश्वर के दाहिनी ओर बैठा है। पृथ्वी पर की नहीं परन्तु स्‍वर्गीय वस्‍तुओं पर ध्यान लगाओ। - कुलुस्सियों 3:1-2

बाइबल पाठ: इब्रानियों 11:8-16
Hebrews 11:8 विश्वास ही से इब्राहीम जब बुलाया गया तो आज्ञा मानकर ऐसी जगह निकल गया जिसे मीरास में लेने वाला था, और यह न जानता था, कि मैं किधर जाता हूं; तौभी निकल गया। 
Hebrews 11:9 विश्वास ही से उसने प्रतिज्ञा किए हुए देश में जैसे पराए देश में परदेशी रह कर इसहाक और याकूब समेत जो उसके साथ उसी प्रतिज्ञा के वारिस थे, तम्बूओं में वास किया। 
Hebrews 11:10 क्योंकि वह उस स्थिर नेव वाले नगर की बाट जोहता था, जिस का रचने वाला और बनाने वाला परमेश्वर है। 
Hebrews 11:11 विश्वास से सारा ने आप बूढ़ी होने पर भी गर्भ धारण करने की सामर्थ पाई; क्योंकि उसने प्रतिज्ञा करने वाले को सच्चा जाना था। 
Hebrews 11:12 इस कारण एक ही जन से जो मरा हुआ सा था, आकाश के तारों और समुद्र के तीर के बालू की नाईं, अनगिनित वंश उत्पन्न हुआ।
Hebrews 11:13 ये सब विश्वास ही की दशा में मरे; और उन्होंने प्रतिज्ञा की हुई वस्तुएं नहीं पाईं; पर उन्हें दूर से देखकर आनन्‍दित हुए और मान लिया, कि हम पृथ्वी पर परदेशी और बाहरी हैं। 
Hebrews 11:14 जो ऐसी ऐसी बातें कहते हैं, वे प्रगट करते हैं, कि स्‍वदेश की खोज में हैं। 
Hebrews 11:15 और जिस देश से वे निकल आए थे, यदि उस की सुधि करते तो उन्हें लौट जाने का अवसर था। 
Hebrews 11:16 पर वे एक उत्तम अर्थात स्‍वर्गीय देश के अभिलाषी हैं, इसी लिये परमेश्वर उन का परमेश्वर कहलाने में उन से नहीं लजाता, सो उसने उन के लिये एक नगर तैयार किया है।

एक साल में बाइबल: 
  • यशायाह 55-57


बुधवार, 13 अगस्त 2014

दीवार


   "दीवार"; पूर्वी जर्मनी के निवासियों के लिए 13 अगस्त 1961 को खड़ी करी गई देश को दो भागों में विभाजित करने वाली बाधा की पहचान कराने के लिए बस यही शब्द काफी था। यह तिथि कॉन्क्रीट की उस मज़बूत दीवार के निर्माण को आरंभ किए जाने की तिथि थी जो जर्मनी के पूर्वी और पश्चिमी भाग को पृथक करती थी। अन्ततः वह दीवार अभेद्य हो गई, उसकी रक्षा के लिए सशस्त्र सैनिक बल और काँटेदार तार की बाड़ लगा दी गई। किंतु सन 1989 में वह दीवार गिरा दी गई, और देश के दोनों भाग फिर से मिलकर एक हो गए।

   एक अन्य दीवार है, मानव जाति और परमेश्वर के बीच खड़ी मनुष्य के पाप की दीवार। इस दीवार का निर्माण अदन की वाटिका में हमारे आदि माता-पिता, आदम और हव्वा, द्वारा परमेश्वर की अनाज्ञाकारिता के कारण संसार में हुए पाप के प्रवेश से हुआ, और तब से परमेश्वर की अवहेलना, उसकी अनाज्ञाकारिता और मनुष्य का पाप इस दीवार को बनाए हुए हैं। लेकिन परमेश्वर ने स्वयं ही पहल करके पाप में गिरे मनुष्यों को अपने से मेल-मिलाप करने का मार्ग तैयार करके दिया है।

   प्रभु यीशु के कलवरी के क्रूस पर समस्त मानव जाति के सभी पापों के लिए दिए गए बलिदान और उसके मृतकों में से पुनरुत्थान के द्वारा हम मनुष्यों का परमेश्वर से मेल-मिलाप हो पाना संभव हो गया है (2 कुरिन्थियों 5:17-21)। अब जो कोई भी, स्वेच्छा तथा साधारण विश्वास से प्रभु यीशु के क्रूस पर किए गए कार्य को ग्रहण करता है और उससे पापों की क्षमा माँगता है, उसके पाप क्षमा हो जाते हैं, उसके लिए परमेश्वर से पृथक करने वाली पाप की दीवार गिर जाती है और उसका मेल-मिलाप परमेश्वर से हो जाता है। प्रभु यीशु द्वारा क्रूस पर किए गए इस महान कार्य द्वारा ना केवल हमारा मेल परमेश्वर से हो जाता है, वरन मानव जाति को परस्पर विभाजित करने वाली दीवारें भी ढह जाती हैं; अब यहूदी तथा गैर-यहूदी, दास तथा स्वतंत्र, पुरुष तथा स्त्री आदि में कोई विभाजन शेष नहीं रहता (गलतियों 3:28)।

   संभव है आज अनिश्चय की दीवार आपको प्रभु यीशु के पक्ष में निर्णय लेने से रोक रही हो; इस दीवार को परमेश्वर से मिलने वाली पापों की क्षमा और उद्धार की आशीष से आपको वंचित ना रखने दीजिए। अपने अविश्वास की दीवार को गिरा कर प्रभु यीशु की ओर हाथ बढ़ाईए और अनन्त आशीष के संभागी हो जाईए। - सिंडी हैस कैस्पर


बाइबल, पाप में मनुष्य की पूर्ण बरबादी तथा मसीह यीशु में उसकी पूर्ण बहाली का अभिलेख है। - बार्नहाउस

सो जब हम विश्वास से धर्मी ठहरे, तो अपने प्रभु यीशु मसीह के द्वारा परमेश्वर के साथ मेल रखें। जिस के द्वारा विश्वास के कारण उस अनुग्रह तक, जिस में हम बने हैं, हमारी पहुंच भी हुई, और परमेश्वर की महिमा की आशा पर घमण्ड करें। - रोमियों 5:1-2

बाइबल पाठ: इफिसियों 2:13-18
Ephesians 2:13 पर अब तो मसीह यीशु में तुम जो पहिले दूर थे, मसीह के लोहू के द्वारा निकट हो गए हो। 
Ephesians 2:14 क्योंकि वही हमारा मेल है, जिसने दोनों को एक कर लिया: और अलग करने वाली दीवार को जो बीच में थी, ढा दिया। 
Ephesians 2:15 और अपने शरीर में बैर अर्थात वह व्यवस्था जिस की आज्ञाएं विधियों की रीति पर थीं, मिटा दिया, कि दोनों से अपने में एक नया मनुष्य उत्पन्न कर के मेल करा दे। 
Ephesians 2:16 और क्रूस पर बैर को नाश कर के इस के द्वारा दानों को एक देह बनाकर परमेश्वर से मिलाए।
Ephesians 2:17 और उसने आकर तुम्हें जो दूर थे, और उन्हें जो निकट थे, दानों को मेल-मिलाप का सुसमाचार सुनाया। 
Ephesians 2:18 क्योंकि उस ही के द्वारा हम दोनों की एक आत्मा में पिता के पास पंहुच होती है।

एक साल में बाइबल: 
  • यशायाह 52-54


मंगलवार, 12 अगस्त 2014

सन्देह और विश्वास


   क्या एक मसीही विश्वासी जो अपने विश्वास की बातों को लेकर कभी-कभी सन्देह में पड़ जाता है, प्रभु यीशु की सेवकाई प्रभावी रीति से करने पाएगा? कुछ लोगों का मानना है कि परिपक्व एवं विश्वास में उन्नति करते रहने वाले मसीही विश्वासी कभी भी अपने विश्वास की बातों पर कोई सन्देह नहीं करते। किंतु जिस प्रकार हम ऐसे अनुभवों से होकर निकलते हैं जो हमारे विश्वास को बढ़ाते हैं, वैसे ही हम कभी कभी ऐसे अनुभवों से होकर भी निकल सकते हैं जो अस्थायी तौर पर हमारे मनों में सन्देह उत्पन्न कर सकते हैं।

   प्रभु यीशु के एक चेले, थोमा को प्रभु यीशु के मृतकों में से जी उठने के समाचार पर एकाएक विश्वास नहीं हुआ: "जब और चेले उस से कहने लगे कि हम ने प्रभु को देखा है: तब उसने उन से कहा, जब तक मैं उस के हाथों में कीलों के छेद न देख लूं, और कीलों के छेदों में अपनी उंगली न डाल लूं, और उसके पंजर में अपना हाथ न डाल लूं, तब तक मैं प्रतीति नहीं करूंगा" (यूहन्ना 20:25)। प्रभु यीशु मसीह ने इस अविश्वास के लिए थोमा की भर्त्सना नहीं करी, वरन उसके सामने वही प्रमाण प्रस्तुत किया जो थोमा को चाहिए था। मृतकों से जी उठे अपने प्रभु को सप्रमण प्रत्यक्ष देखकर थोमा उसके सामने झुक गया और, "यह सुन थोमा ने उत्तर दिया, हे मेरे प्रभु, हे मेरे परमेश्वर!" (यूहन्ना 20:28)। 

   इस घटना के पश्चात परमेश्वर के वचन बाइबल में थोमा का कोई उल्लेख नहीं मिलता है। परन्तु मसीही मण्डली, अर्थात चर्च का इतिहास बताता है कि थोमा भारत आया, और दक्षिण भारत में ही बस गया। उसने प्रभु यीशु में मिलने वाली पाप क्षमा तथा उद्धार का प्रचार किया, अनेक आश्चर्यकर्म किए, चर्च स्थापित किए, और उसके द्वारा स्थापित चर्चों में से कुछ आज भी सक्रीय हैं, और थोमा द्वारा स्थापित किए जाने का दावा करते हैं।

   जीवन में उठने वाले सन्देहों को जीवन का भाग मत बनने दीजिए। परमेश्वर के समक्ष अपने सन्देहों को रखिए, उससे अपने सन्देह के निवारण का मार्ग पूछिए, और परमेश्वर को अपनी गहरी पहिचान आप पर प्रगट करने का अवसर दीजिए और फिर अपने सन्देह से ऊपर उठकर अपने विश्वास को फिर से स्थिर कीजिए और आप परमेश्वर के लिए उपयोगी होने पाएंगे तथा उसके लिए महान कार्य करने पाएंगे। - डेनिस फिशर


अपने सन्देहों पर सन्देह और विश्वास पर विश्वास करना सीखिए।

और यह भी जानते हैं, कि परमेश्वर का पुत्र आ गया है और उसने हमें समझ दी है, कि हम उस सच्चे को पहचानें, और हम उस में जो सत्य है, अर्थात उसके पुत्र यीशु मसीह में रहते हैं: सच्चा परमेश्वर और अनन्त जीवन यही है। - 1 यूहन्ना 5:20

बाइबल पाठ: यूहन्ना 20:24-31
John 20:24 परन्तु बारहों में से एक व्यक्ति अर्थात थोमा जो दिदुमुस कहलाता है, जब यीशु आया तो उन के साथ न था। 
John 20:25 जब और चेले उस से कहने लगे कि हम ने प्रभु को देखा है: तब उसने उन से कहा, जब तक मैं उस के हाथों में कीलों के छेद न देख लूं, और कीलों के छेदों में अपनी उंगली न डाल लूं, और उसके पंजर में अपना हाथ न डाल लूं, तब तक मैं प्रतीति नहीं करूंगा।
John 20:26 आठ दिन के बाद उस के चेले फिर घर के भीतर थे, और थोमा उन के साथ था, और द्वार बन्‍द थे, तब यीशु ने आकर और बीच में खड़ा हो कर कहा, तुम्हें शान्‍ति मिले। 
John 20:27 तब उसने थोमा से कहा, अपनी उंगली यहां लाकर मेरे हाथों को देख और अपना हाथ लाकर मेरे पंजर में डाल और अविश्वासी नहीं परन्तु विश्वासी हो। 
John 20:28 यह सुन थोमा ने उत्तर दिया, हे मेरे प्रभु, हे मेरे परमेश्वर! 
John 20:29 यीशु ने उस से कहा, तू ने तो मुझे देखकर विश्वास किया है, धन्य वे हैं जिन्हों ने बिना देखे विश्वास किया।
John 20:30 यीशु ने और भी बहुत चिन्ह चेलों के साम्हने दिखाए, जो इस पुस्‍तक में लिखे नहीं गए। 
John 20:31 परन्तु ये इसलिये लिखे गए हैं, कि तुम विश्वास करो, कि यीशु ही परमेश्वर का पुत्र मसीह है: और विश्वास कर के उसके नाम से जीवन पाओ।

एक साल में बाइबल: 
  • यशायाह 49-51


सोमवार, 11 अगस्त 2014

थके और प्यासे


   मोआब की पहाड़ियों से उस वाचा की हुई भूमि की वह पहली झलक मेरे लिए बहुत निराशाजनक थी। मुझे लग रहा था कि यरदन नदी के पूर्वी तट के दृश्य की अपेक्षा यहाँ का दृश्य बहुत भिन्न होगा, लेकिन मुझे कुछ खास फर्क नज़र नहीं आया। मैंने अपनी गाईड से पूछा, "जब मिस्त्र की गुलामी से निकलकर इस्त्राएली यहाँ पहली बार आए थे तब क्या यह इलाका इससे भिन्न दिखता था?" उसने उत्तर दिया, "नहीं! यह हज़ारों से वर्षों से ऐसा ही दिखाई देता रहा है।" उससे मैंने अपने प्रश्न को दूसरे शब्दों में पूछा, "जब वे इस्त्राएली यहाँ पहुँचे, तब उन्होंने क्या देखा होगा?" उस गाईड का उत्तर था, "संसार का सबसे बड़ा मरुद्दयान!"

   तब मैं समझ गई। मैंने बंजर मरुभूमि की यहाँ तक की यात्रा एक आरामदायक वातानुकूलित बस में बैठकर जिसमें पीने के पानी की ठंडी बोतलें बहुतायत से उपलब्ध थीं करी थी, मेरे लिए पीने लायक मीठे पानी का स्त्रोत, वह मरूद्दयान कोई विशेष बात नहीं थी। लेकिन वे इस्त्राएली एक तपते हुए बंजर मरुभूमि में वर्षों पैदल यात्रा करते रहे थे; उनके लिए दूर से ही फीकी सी हरियाली दिखाने वाला यह स्थान जीवनदायक जल उपलब्ध होने का आश्वासन रहा होगा। वे जब यहाँ पहुँचे थे, तब थक कर चूर थे, जबकि मैं आराम से थी। उन्हें यहाँ पहुँचने में 40 कठिन वर्ष लगे थे, मुझे केवल 4 घंटे।

   जीवनदायक जल के सोते वाले उस मरुद्दयान के समान ही परमेश्वर की भलाई भी कभी कभी सूखे और कठिन स्थानों में ही मिलती है। मैं सोचती हूँ, हम कितनी ही दफा अपने प्रति परमेश्वर की देख-रेख तथा भलाई को देख नहीं पाते क्योंकि हमारी आत्मिक इन्द्रियाँ सुख-विलास के साधनों ने कुन्द कर दी हैं। इसलिए परमेश्वर की यह भलाईयाँ हमें तब ही दिखाई देती हैं जब जीवन यात्रा में हम थके और प्यासे होते हैं। परमेश्वर हमारी यह थकावट और प्यास यूँ ही बनाए रखे जिससे हम उसके प्रति तथा हमारे लिए उसकी भलाईयों के प्रति संवेदन शील होकर सदा ही उसके धन्यवादी तथा उसको समर्पित बने रहें। - जूली ऐकैरमैन लिंक


प्रभु यीशु ही वह जीवन जल का सोता है जो प्यासी आत्मा को तृप्त कर सकता है।

फिर पर्व के अंतिम दिन, जो मुख्य दिन है, यीशु खड़ा हुआ और पुकार कर कहा, यदि कोई प्यासा हो तो मेरे पास आकर पीए। - यूहन्ना 7:37

बाइबल पाठ: यहोशु 3:1-11
Joshua 3:1 बिहान को यहोशू सबेरे उठा, और सब इस्राएलियों को साथ ले शित्तीम से कूच कर यरदन के किनारे आया; और वे पार उतरने से पहिले वहीं टिक गए। 
Joshua 3:2 और तीन दिन के बाद सरदारों ने छावनी के बीच जा कर 
Joshua 3:3 प्रजा के लोगों को यह आज्ञा दी, कि जब तुम को अपने परमेश्वर यहोवा की वाचा का सन्दूक और उसे उठाए हुए लेवीय याजक भी देख पड़ें, तब अपने स्थान से कूच कर के उसके पीछे पीछे चलना, 
Joshua 3:4 परन्तु उसके और तुम्हारे बीच में दो हजार हाथ के अटकल अन्तर रहे; तुम सन्दूक के निकट न जाना। ताकि तुम देख सको, कि किस मार्ग से तुम को चलना है, क्योंकि अब तक तुम इस मार्ग पर हो कर नहीं चले। 
Joshua 3:5 फिर यहोशू ने प्रजा के लोगों से कहा, तुम अपने आप को पवित्र करो; क्योंकि कल के दिन यहोवा तुम्हारे मध्य में आश्चर्यकर्म करेगा। 
Joshua 3:6 तब यहोशू ने याजकों से कहा, वाचा का सन्दूक उठा कर प्रजा के आगे आगे चलो। तब वे वाचा का सन्दूक उठा कर आगे आगे चले। 
Joshua 3:7 तब यहोवा ने यहोशू से कहा, आज के दिन से मैं सब इस्राएलियों के सम्मुख तेरी प्रशंसा करना आरम्भ करूंगा, जिस से वे जान लें कि जैसे मैं मूसा के संग रहता था वैसे ही मैं तेरे संग भी हूं। 
Joshua 3:8 और तू वाचा के सन्दूक के उठाने वाले याजकों को यह आज्ञा दे, कि जब तुम यरदन के जल के किनारे पहुंचो, तब यरदन में खड़े रहना।
Joshua 3:9 तब यहोशू ने इस्राएलियों से कहा, कि पास आकर अपने परमेश्वर यहोवा के वचन सुनो। 
Joshua 3:10 और यहोशू कहने लगा, कि इस से तुम जान लोगे कि जीवित ईश्वर तुम्हारे मध्य में है, और वह तुम्हारे सामहने से नि:सन्देह कनानियों, हित्तियों, हिव्वियों, परिज्जियों, गिर्गाशियों, एमोरियों, और यबूसियों को उनके देश में से निकाल देगा। 
Joshua 3:11 सुनो, पृथ्वी भर के प्रभु की वाचा का सन्दूक तुम्हारे आगे आगे यरदन में जाने पर है।

एक साल में बाइबल: 
  • यशायाह 46-48


रविवार, 10 अगस्त 2014

उद्देश्य


   लैक्लैन मेक्युएरी सन 1810-1821 तक न्यू साऊथ वेल्स के राज्यपाल रहे थे; उनके शासन करने का तरीका ऐसा था कि उस नए बसाए गए स्थान में सब को यह लगता था कि सभी निवासियों का समानता का एक ही स्तर है। वे ऊँच-नीच में विश्वास नहीं रखते थे और ना ही किसी को असमानता या अलग होने का व्यवहार करने देते थे। जब "संभ्रांत" लोगों (अर्थात उन्होंने जो स्वतः ही आकर वहाँ बसने लगे थे, जो शासन से संबंधित लोग थे या जो सेना से थे), ने "मुक्त किए हुए" लोगों (अर्थात देश निकाला मिले हुए लोग जिन्हें कुछ शर्तों पर बाहर रहने की अनुमति मिली थी), के समुदाय से अपने आप को अलग रखने का प्रयास किया तब राज्यपाल लैक्लैन मेक्युएरी ने इस बात पर बल दिया कि सबको बिना किसी भेद-भाव के एक साथ ही रहना है और समाज में किसी के साथ कोई ऊँच-नीच का व्यवहार नहीं होगा।

   परमेश्वर के वचन बाइबल में भी हम पाते हैं कि प्रभु यीशु मसीह ने समाज के द्वारा तिरस्कृत चुँगी लेने वाले व्यक्ति ज़क्कई में रुचि दिखाई और उसे भी समस्त संसार के उद्धार की अपनी योजना में बराबरी से सम्मिलित किया (लूका 19:1-10)। अपने व्यवसाय के कारण अपने ही यहूदी समाज से अलग किए हुए और घृणा के पात्र ज़क्कई के मन में तीव्र लालसा थी कि वह एक बार प्रभु यीशु को देखे। लेकिन नाटा होने के कारण वह भीड़ से घिरे हुए प्रभु यीशु को देख नहीं पाता था; इसलिए वह प्रभु यीशु के मार्ग में लगे एक वृक्ष पर चढ़ गया कि प्रभु यीशु की एक झलक देख सके। जब प्रभु यीशु उस वृक्ष के नीचे पहुँचे तो उन्होंने रुककर ज़क्कई को नीचे बुलाया, उससे प्रेम का व्यवहार किया और उसके घर जाकर भोजन भी किया। प्रभु यीशु से मिले इस प्रेम-व्यवहार ने ज़क्कई का जीवन बदल दिया; उसने अपने पापों का सार्वजनिक अंगीकार किया, उनके लिए पश्चाताप किया और जिनसे उसने बेईमानी से लिया था, उन्हें सब लौटा देने का वायदा किया। उस दिन ज़क्कई के घर उद्धार आया।

   प्रभु यीशु का उद्देश्य बहुत साधारण था - बिना किसी भी भेद-भाव के, पाप में खोए हुओं को ढूंढ़ना और उन्हें पाप क्षमा तथा उद्धार पाने की परमेश्वर की योजना प्रस्तुत करना, चाहे उनका सामाजिक स्तर कुछ भी क्यों ना हो। प्रभु यीशु के अनुयायी होने के कारण आज हम मसीही विश्वासियों को भी प्रभु यीशु ने यही उद्देश्य सौंपा है - सारे संसार में सभी के लिए पाप क्षमा और उद्धार की परमेश्वर की योजना का समाचार सभी को देना (मत्ती 28:18-20)।


जो मसीह यीशु का उद्देश्य था वही मसीह यीशु के अनुयायियों का भी है।

यीशु ने उन के पास आकर कहा, कि स्वर्ग और पृथ्वी का सारा अधिकार मुझे दिया गया है। इसलिये तुम जा कर सब जातियों के लोगों को चेला बनाओ और उन्हें पिता और पुत्र और पवित्रआत्मा के नाम से बपतिस्मा दो। और उन्हें सब बातें जो मैं ने तुम्हें आज्ञा दी है, मानना सिखाओ: और देखो, मैं जगत के अन्‍त तक सदैव तुम्हारे संग हूं। - मत्ती 28:18-20

बाइबल पाठ: लूका 19:1-10
Luke 19:1 वह यरीहो में प्रवेश कर के जा रहा था। 
Luke 19:2 और देखो, ज़क्कई नाम एक मनुष्य था जो चुंगी लेने वालों का सरदार और धनी था। 
Luke 19:3 वह यीशु को देखना चाहता था कि वह कौन सा है परन्तु भीड़ के कारण देख न सकता था। क्योंकि वह नाटा था। 
Luke 19:4 तब उसको देखने के लिये वह आगे दौड़कर एक गूलर के पेड़ पर चढ़ गया, क्योंकि वह उसी मार्ग से जाने वाला था। 
Luke 19:5 जब यीशु उस जगह पहुंचा, तो ऊपर दृष्टि कर के उस से कहा; हे ज़क्कई झट उतर आ; क्योंकि आज मुझे तेरे घर में रहना अवश्य है। 
Luke 19:6 वह तुरन्त उतर कर आनन्द से उसे अपने घर को ले गया। 
Luke 19:7 यह देख कर सब लोगे कुड़कुड़ा कर कहने लगे, वह तो एक पापी मनुष्य के यहां जा उतरा है। 
Luke 19:8 ज़क्कई ने खड़े हो कर प्रभु से कहा; हे प्रभु, देख मैं अपनी आधी सम्पत्ति कंगालों को देता हूं, और यदि किसी का कुछ भी अन्याय कर के ले लिया है तो उसे चौगुना फेर देता हूं। 
Luke 19:9 तब यीशु ने उस से कहा; आज इस घर में उद्धार आया है, इसलिये कि यह भी इब्राहीम का एक पुत्र है। 
Luke 19:10 क्योंकि मनुष्य का पुत्र खोए हुओं को ढूंढ़ने और उन का उद्धार करने आया है।

एक साल में बाइबल: 
  • यशायाह 43-45