ई-मेल संपर्क / E-Mail Contact

इन संदेशों को ई-मेल से प्राप्त करने के लिए अपना ई-मेल पता इस ई-मेल पर भेजें / To Receive these messages by e-mail, please send your e-mail id to: rozkiroti@gmail.com

गुरुवार, 26 दिसंबर 2013

आराधना का उद्देश्य


   यदि आप लोगों को घबराने और चिंतित करने का अचूक उपाय जानना चाहते हैं तो वह है उनकी अर्थव्यवस्था पर आघात। यदि अर्थव्यवस्था की स्थिति ठीक नहीं है तो राजनेताओं की कुर्सी तक चली जाती है। कुछ ऐसा ही प्रेरित पौलुस के साथ भी हुआ, जिसके कारण उसे अपने विरुद्ध कानूनी कार्यवाही, शहर से खदेड़े जाने तथा जान तक के खतरे तक का सामना करना पड़ा।

   हुआ यूँ कि प्रेरित पौलुस इफिसुस में आकर "आराधनालय में जा कर तीन महीने तक निडर हो कर बोलता रहा, और परमेश्वर के राज्य के विषय में विवाद करता और समझाता रहा" (प्रेरितों 19:8)। दो वर्ष से भी अधिक तक पौलुस वहाँ प्रभु यीशु के सुसमाचार प्रचार करता रहा जिससे वहाँ प्रभु यीशु मसीह के बहुत से अनुयायी हो गए। क्योंकि पौलुस का प्रचार बहुत प्रभावी था और उसके प्रचार के कारण बहुत से लोगों ने समझ और जान लिया कि सच्चा परमेश्वर केवल एक ही है, और वह आत्मा है, कोई गढ़ी हुई मूर्ति नहीं, इस कारण इफिसुस की स्थानीय देवी अरतिमिस के मानने वालों की संख्या घटने लगी। इसका सीधा प्रभाव इफिसुस के सुनारों के धंधे पर पड़ने लगा क्योंकि उनकी आमदनी का मुख्य स्त्रोत था अरितमिस की चाँदी से बनी मूर्तियाँ। उन्होंने भाँप लिया कि यदि शीघ्र ही कुछ नहीं किया गया तो थोड़े ही समय में उनका धंधा बिलकुल चौपट हो जाएगा क्योंकि अरितमिस को मानने वाले बहुत कम ही रह जाएंगे। इस कारण उन्होंने स्थानीय लोगों को भड़का कर पौलुस और उसके साथियों के विरुद्ध बलवा करवा दिया।

   यह घटना हमें यह सोचने और जाँचने को बाध्य करती है कि परमेश्वर की उपासना करने का हमारा उद्देश्य क्या है? इफिसुस के सुनार अपनी देवी की उपासना में केवल इसलिए रुचि रखते थे क्योंकि उनकी आमदनी उस उपासना से जुड़ी थी। ऐसा ना हो कि कभी ऐसा हम मसीही विश्वासियों के लिए कहा जाए; हम मसीही विश्वासियों के लिए समस्त संसार के तथा अपने उद्धारकर्ता प्रभु यीशु की आराधना, उपासना का उद्देश्य कभी साँसारिक संपत्ति अर्जित करना ना बनने पाए। हमारी आराधाना, उपासना इस लिए हो क्योंकि प्रभु यीशु ने हम से प्रेम किया, हमारे पापों को अपने ऊपर लेकर हमारे लिए उनका दण्ड सहा और अपना बलिदान दे दिया और अपनी धार्मिकता हमें दे कर हमें परमेश्वर कि सनतान बना दिया।

   हम मसीही विश्वासियों की आराधना का उद्देश्य प्रभु यीशु के प्रति हमारा प्रेम, समर्पण और आदर हो ना कि संसार की नाशमान संपत्ति और यश आदि की प्राप्ति। - डेव ब्रैनन


परमेश्वर ने अपनी सन्तान को आशीषों से पहले ही भर दिया है; हमारी आराधना का उद्देश्य उन्हें प्राप्त करना कदापि नहीं है।

जिस परमेश्वर ने पृथ्वी और उस की सब वस्‍तुओं को बनाया, वह स्वर्ग और पृथ्वी का स्‍वामी हो कर हाथ के बनाए हुए मन्‍दिरों में नहीं रहता। न किसी वस्तु का प्रयोजन रखकर मनुष्यों के हाथों की सेवा लेता है, क्योंकि वह तो आप ही सब को जीवन और स्‍वास और सब कुछ देता है। - प्रेरितों 17:24-25

बाइबल पाठ: प्रेरितों 19:23-41
Acts 19:23 उस समय उस पन्थ के विषय में बड़ा हुल्लड़ हुआ। 
Acts 19:24 क्योंकि देमेत्रियुस नाम का एक सुनार अरितमिस के चान्दी के मन्दिर बनवाकर कारीगरों को बहुत काम दिलाया करता था। 
Acts 19:25 उसने उन को, और, और ऐसी वस्‍तुओं के कारीगरों को इकट्ठे कर के कहा; हे मनुष्यो, तुम जानते हो, कि इस काम में हमें कितना धन मिलता है। 
Acts 19:26 और तुम देखते और सुनते हो, कि केवल इफिसुस ही में नहीं, वरन प्राय: सारे आसिया में यह कह कहकर इस पौलुस ने बहुत लोगों को समझाया और भरमाया भी है, कि जो हाथ की कारीगरी है, वे ईश्वर नहीं। 
Acts 19:27 और अब केवल इसी एक बात का ही डर नहीं, कि हमारे इस धन्‍धे की प्रतिष्‍ठा जाती रहेगी; वरन यह कि महान देवी अरितमिस का मन्दिर तुच्‍छ समझा जाएगा और जिसे सारा आसिया और जगत पूजता है उसका महत्‍व भी जाता रहेगा। 
Acts 19:28 वे यह सुनकर क्रोध से भर गए, और चिल्ला चिल्लाकर कहने लगे, इफिसयों की अरितमिस महान है! 
Acts 19:29 और सारे नगर में बड़ा कोलाहल मच गया और लोगों ने गयुस और अरिस्‍तरखुस मकिदुनियों को जो पौलुस के संगी यात्री थे, पकड़ लिया, और एकिचत्त हो कर रंगशाला में दौड़ गए। 
Acts 19:30 जब पौलुस ने लोगों के पास भीतर जाना चाहा तो चेलों ने उसे जाने न दिया। 
Acts 19:31 आसिया के हाकिमों में से भी उसके कई मित्रों ने उसके पास कहला भेजा, और बिनती की, कि रंगशाला में जा कर जोखिम न उठाना। 
Acts 19:32 सो कोई कुछ चिल्लाया, और कोई कुछ; क्योंकि सभा में बड़ी गड़बड़ी हो रही थी, और बहुत से लोग तो यह जानते भी नहीं थे कि हम किस लिये इकट्ठे हुए हैं। 
Acts 19:33 तब उन्होंने सिकन्‍दर को, जिसे यहूदियों ने खड़ा किया था, भीड़ में से आगे बढ़ाया, और सिकन्‍दर हाथ से सैन कर के लोगों के साम्हने उत्तर दिया चाहता था। 
Acts 19:34 परन्तु जब उन्होंने जान लिया कि वह यहूदी है, तो सब के सब एक शब्द से कोई दो घंटे तक चिल्लाते रहे, कि इफिसयों की अरितमिस महान है। 
Acts 19:35 तब नगर के मन्‍त्री ने लोगों को शान्‍त कर के कहा; हे इफिसयों, कौन नहीं जानता, कि इफिसयों का नगर बड़ी देवी अरितमिस के मन्दिर, और ज्यूस की ओर से गिरी हुई मूरत का टहलुआ है। 
Acts 19:36 सो जब कि इन बातों का खण्‍डन ही नहीं हो सकता, तो उचित्त है, कि तुम चुपके रहो; और बिना सोचे विचारे कुछ न करो। 
Acts 19:37 क्योंकि तुम इन मनुष्यों को लाए हो, जो न मन्दिर के लूटने वाले हैं, और न हमारी देवी के निन्‍दक हैं। 
Acts 19:38 यदि देमेत्रियुस और उसके साथी कारीगरों को किसी से विवाद हो तो कचहरी खुली हैं, और हाकिम भी हैं; वे एक दूसरे पर नालिश करें। 
Acts 19:39 परन्तु यदि तुम किसी और बात के विषय में कुछ पूछना चाहते हो, तो नियत सभा में फैसला किया जाएगा। 
Acts 19:40 क्योंकि आज के बलवे के कारण हम पर दोष लगाए जाने का डर है, इसलिये कि इस का कोई कारण नहीं, सो हम इस भीड़ के इकट्ठा होने का कोई उत्तर न दे सकेंगे। 
Acts 19:41 और यह कह के उसने सभा को विदा किया।

एक साल में बाइबल: 
  • हग्गै 1-2 
  • प्रकाशितवाक्य 17