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गुरुवार, 29 अगस्त 2013

दृष्टिकोण

   अनेक बार यह प्रश्न किया जाता है: "अरे भई आप समस्या का भाग हैं या समस्या के समाधान का?" चाहे यह प्रश्न किसी व्यावासयिक चर्चा में उठे या पारिवारिक विचार-विमर्श में, या फिर किसी चर्च समिति की बैठक में, या अन्य किसी भी गोष्ठी में, इस प्रश्न के पूछने वाले का भाव रोशपूर्ण और तात्पर्य यह जानने का प्रयास करना होता है कि जिस व्यक्ति से यह प्रश्न किया जा रहा है उसने वह बात वैसे क्यों करी या कही जिस के कारण यह प्रश्न उठा। और अधिकाँशतः इस प्रश्न का कोई सीधा या स्पष्ट उत्तर भी नहीं होता क्योंकि उत्तर का वाजिब होना उत्तर सुनने वाले के दृष्टिकोण पर निर्धर करता है।

   यदि हम उन इस्त्राएलियों में होते जो 400 वर्ष की ग़ुलामी के बाद मिस्त्र से निकल कर जा रहे थे, तो हमारे दृष्टिकोण से निसन्देह मिस्त्र का अधिपति, फिरौन, समस्या ही का भाग होता - और वह था भी। लेकिन परमेश्वर का दृष्टिकोण भिन्न था।

   इस्त्राएलियों को समझ नहीं आया जब परमेश्वर ने उन्हें वापस मिस्त्र देश की ओर मुड़कर अपने डेरे लाल समुद्र के किनारे लगाने को कहा, जिससे फिरौन द्वारा उन पर हमला करना सरल हो गया (निर्गमन 14:1-3)। फिरौन को सेना सहित हमले के लिए आता देखकर इस्त्राएलियों ने समझा कि बस अब उनका अन्त आ गया और वे अत्यंत घबरा गए; लेकिन परमेश्वर का उत्तर था कि इस विकट और जान-लेवा दिखने वाली परिस्थिति में भी फिरौन और उसकी सेना के द्वारा उसे महिमा और आदर मिलेगा, तथा "तब मिस्री जान लेंगे कि मैं यहोवा हूं" (निर्गमन 14:4, 17-18), और अन्ततः ऐसा ही हुआ।

   जब हम यह समझ ना पाएं कि क्यों परमेश्वर हमारे जीवनों में ऐसी कठिन परिस्थितयाँ आने देता है जिनसे हम अपने को खतरे में तथा परिस्थितियों से अभिभूतित अनुभव करते हैं, तो यह ध्यान रखना सदा सहायक होता है कि हर बात और परिस्थिति के द्वारा परमेश्वर केवल हमारी भलाई ही चाहता है और हर बात के द्वारा वह अपनी महिमा करवा सकता है। जब हम मसीही विश्वासियों का दृष्टिकोण भी परमेश्वर के दृष्टिकोण के समान ही होगा, तो हम पूरे मन और विश्वास के साथ हर परिस्थिति में यह प्रार्थना कर सकेंगे: "हे पिता, इस परिस्थिति में भी मैं आप पर अपना विश्वास बनाए रखूँ और आपको आदर तथा महिमा देने वाला हो सकूँ"। तब परिस्थितियाँ हमें विचिलित करने वाली नहीं रहेंगी, परमेश्वर कि अद्भुत शांति हमारे जीवनों में बनी रहेगी और हमारे जीवन परमेश्वर के लिए और भी अधिक उपयोगी तथा एक गवाही हो जाएंगे। - डेविड मैक्कैसलैंड


विश्वास हमें वह स्वीकार करने में सहायता करता है जिसे हम बुद्धि से समझ नहीं पाते।

तब मैं फिरौन के मन को कठोर कर दूंगा, और वह उनका पीछा करेगा, तब फिरौन और उसकी सारी सेना के द्वारा मेरी महिमा होगी; और मिस्री जान लेंगे कि मैं यहोवा हूं। और उन्होंने वैसा ही किया। -निर्गमन 14:4

बाइबल पाठ: निर्गमन 14:1-18
Exodus 14:1 यहोवा ने मूसा से कहा,
Exodus 14:2 इस्राएलियों को आज्ञा दे, कि वे लौटकर मिगदोल और समुद्र के बीच पीहहीरोत के सम्मुख, बालसपोन के साम्हने अपने डेरे खड़े करें, उसी के साम्हने समुद्र के तट पर डेरे खड़े करें।
Exodus 14:3 तब फिरौन इस्राएलियों के विषय में सोचेगा, कि वे देश के उलझनों में बझे हैं और जंगल में घिर गए हैं।
Exodus 14:4 तब मैं फिरौन के मन को कठोर कर दूंगा, और वह उनका पीछा करेगा, तब फिरौन और उसकी सारी सेना के द्वारा मेरी महिमा होगी; और मिस्री जान लेंगे कि मैं यहोवा हूं। और उन्होंने वैसा ही किया।
Exodus 14:5 जब मिस्र के राजा को यह समाचार मिला कि वे लोग भाग गए, तब फिरौन और उसके कर्मचारियों का मन उनके विरुद्ध पलट गया, और वे कहने लगे, हम ने यह क्या किया, कि इस्राएलियों को अपनी सेवकाई से छुटकारा देकर जाने दिया?
Exodus 14:6 तब उसने अपना रथ जुतवाया और अपनी सेना को संग लिया।
Exodus 14:7 उसने छ: सौ अच्छे से अच्छे रथ वरन मिस्र के सब रथ लिये और उन सभों पर सरदार बैठाए।
Exodus 14:8 और यहोवा ने मिस्र के राजा फिरौन के मन को कठोर कर दिया। सो उसने इस्राएलियों का पीछा किया; परन्तु इस्राएली तो बेखटके निकले चले जाते थे।
Exodus 14:9 पर फिरौन के सब घोड़ों, और रथों, और सवारों समेत मिस्री सेना ने उनका पीछा कर के उन्हें, जो पीहहीरोत के पास, बालसपोन के साम्हने, समुद्र के तीर पर डेरे डाले पड़े थे, जा लिया।
Exodus 14:10 जब फिरौन निकट आया, तब इस्राएलियों ने आंखे उठा कर क्या देखा, कि मिस्री हमारा पीछा किए चले आ रहे हैं; और इस्राएली अत्यन्त डर गए, और चिल्लाकर यहोवा की दोहाई दी।
Exodus 14:11 और वे मूसा से कहने लगे, क्या मिस्र में कबरें न थीं जो तू हम को वहां से मरने के लिये जंगल में ले आया है? तू ने हम से यह क्या किया, कि हम को मिस्र से निकाल लाया?
Exodus 14:12 क्या हम तुझ से मिस्र में यही बात न कहते रहे, कि हमें रहने दे कि हम मिस्रियों की सेवा करें? हमारे लिये जंगल में मरने से मिस्रियों की सेवा करनी अच्छी थी।
Exodus 14:13 मूसा ने लोगों से कहा, डरो मत, खड़े खड़े वह उद्धार का काम देखो, जो यहोवा आज तुम्हारे लिये करेगा; क्योंकि जिन मिस्रियों को तुम आज देखते हो, उन को फिर कभी न देखोगे।
Exodus 14:14 यहोवा आप ही तुम्हारे लिये लड़ेगा, इसलिये तुम चुपचाप रहो।
Exodus 14:15 तब यहोवा ने मूसा से कहा, तू क्यों मेरी दोहाई दे रहा है? इस्राएलियों को आज्ञा दे कि यहां से कूच करें।
Exodus 14:16 और तू अपनी लाठी उठा कर अपना हाथ समुद्र के ऊपर बढ़ा, और वह दो भाग हो जाएगा; तब इस्राएली समुद्र के बीच हो कर स्थल ही स्थल पर चले जाएंगे।
Exodus 14:17 और सुन, मैं आप मिस्रियों के मन को कठोर करता हूं, और वे उनका पीछा कर के समुद्र में घुस पड़ेंगे, तब फिरौन और उसकी सेना, और रथों, और सवारों के द्वारा मेरी महिमा होगी, तब मिस्री जान लेंगे कि मैं यहोवा हूं।
Exodus 14:18 और जब फिरौन, और उसके रथों, और सवारों के द्वारा मेरी महिमा होगी, तब मिस्री जान लेंगे कि मैं यहोवा हूं।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 126-128 
  • 1 कुरिन्थियों 10:19-33