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मंगलवार, 30 जुलाई 2013

संभाल

   एक दिन अपने बेटे के लिए मैं सौर मंडल का एक नमूना खरीद लाया; घर में पुर्ज़े जोड़कर उसे बनाने और लगाने के लिए मुझे सभी ग्रहों को छत से लटकाना था। यह करने के लिए कई बार सीढ़ी चढ़ने-उतरने से मैं थक गया और मुझे कुछ चक्कर भी आने लगे। यह कार्य पूरा होने के कुछ ही घण्टों में हमें कुछ गिरने की आवाज़ आई; जाकर देखा तो सौर मण्डल से बृहस्पति गृह टूट कर नीचे धरती पर गिरा पड़ा था!

   उस रात को जब मैं सोने के लिए लेटा तो मेरा ध्यान इस घटना की ओर गया और मैं सोचने लगा कि एक सौर मण्डल के नमूने को लगाने भर के लिए मुझे कितना परिश्रम करना पड़ा और फिर कितनी सरलता से सौर मण्डल के उस नमूने से एक गृह टूट कर गिर गया, लेकिन सदियों से हमारा सृष्टिकर्ता और उद्धारकर्ता प्रभु यीशु ना केवल हमारे सौर मण्डल को वरन इस सारी सृष्टि को बिना थके संभाले हुए है, "और वही सब वस्‍तुओं में प्रथम है, और सब वस्तुएं उसी में स्थिर रहती हैं" (कुलुस्सियों 1:17) और एक भी ग्रह या नक्षत्र अपनी निर्धारित दिशा से ज़रा भी इधर-उधर नहीं होता। प्रभु यीशु हमारे संसार और इस सृष्टि को अपने बनाए उन नियमों के द्वारा संभाले रहता है जिनको स्वाभाविक मान कर संसार हल्के में ले लेता है और उसके बारे में परवाह भी नहीं करता। प्रभु यीशु ही है जो अपनी सामर्थ से सब कुछ संभाले रहता है, "... और सब वस्‍तुओं को अपनी सामर्थ के वचन से संभालता है..." (इब्रानियों 1:3)। यह प्रभु यीशु की सामर्थ का उदाहरण है कि वह केवल अपने वचन के द्वारा ही सारी सृष्टि को संभाले रहता है और संचालित करता रहता है।

   यह सब अद्भुत तो है, लेकिन प्रभु यीशु केवल सौर मण्डल-तारों-नक्षत्रों को संभालने वाला ही नहीं है, वह हमारी, अर्थात संसार के प्रत्येक मनुष्य की हर बात कि जानकारी भी रखता है और सब का पालन-पोषण भी करता है: "जिस परमेश्वर ने पृथ्वी और उस की सब वस्‍तुओं को बनाया, वह स्वर्ग और पृथ्वी का स्‍वामी हो कर हाथ के बनाए हुए मन्‍दिरों में नहीं रहता। न किसी वस्तु का प्रयोजन रखकर मनुष्यों के हाथों की सेवा लेता है, क्योंकि वह तो आप ही सब को जीवन और स्‍वास और सब कुछ देता है" (प्रेरितों 17:24-25)।

   चाहे हमारा प्रभु हमें हर मांगी हुई अथवा ऐच्छित वस्तु ना भी दे, लेकिन फिर भी हम चाहे किसी भी परिस्थिति, तंगी, घटी, बीमारी आदि में क्यों ना हों, वह हर पल हर क्षण हमें संभाले रहता है, हमारी आवश्यकताओं को पूरा करता रहता है और हमारी देख-भाल करता रहता है और जो जिस समय हमारे लिए उपयुक्त और आवश्यक है वह उपलब्ध कराता है। उसने इस संसार में हमारे जितने भी दिन निर्धारित किए हैं, हम उसपर पूरा पूरा भरोसा रख सकते हैं कि वह जो सौर मण्डल, तारों, नक्षत्रों को बिना थके संभालता है और कुछ भी ज़रा सा भी इधर-उधर नहीं होने देता, वही उन सभी दिनों के पूरे होने तक उतनी ही परवाह और बारीकी से हमारी व्यक्तिगत संभाल भी करता रहेगा और फिर अनन्तकाल के लिए हम मसीही विश्वासियों को अपने निकट आनन्द की भरपूरी में रख लेगा। - जेनिफर बेन्सन शुल्ट


जो परमेश्वर सृष्टि को संभालता है, वही मुझे भी संभालता है।

और वही सब वस्‍तुओं में प्रथम है, और सब वस्तुएं उसी में स्थिर रहती हैं। - कुलुस्सियों 1:17 

बाइबल पाठ: कुलुस्सियों 1:14-23
Colossians 1:14 जिस में हमें छुटकारा अर्थात पापों की क्षमा प्राप्त होती है।
Colossians 1:15 वह तो अदृश्य परमेश्वर का प्रतिरूप और सारी सृष्‍टि में पहिलौठा है।
Colossians 1:16 क्योंकि उसी में सारी वस्‍तुओं की सृष्‍टि हुई, स्वर्ग की हो अथवा पृथ्वी की, देखी या अनदेखी, क्या सिंहासन, क्या प्रभुतांए, क्या प्रधानताएं, क्या अधिकार, सारी वस्तुएं उसी के द्वारा और उसी के लिये सृजी गई हैं।
Colossians 1:17 और वही सब वस्‍तुओं में प्रथम है, और सब वस्तुएं उसी में स्थिर रहती हैं।
Colossians 1:18 और वही देह, अर्थात कलीसिया का सिर है; वही आदि है और मरे हुओं में से जी उठने वालों में पहिलौठा कि सब बातों में वही प्रधान ठहरे।
Colossians 1:19 क्योंकि पिता की प्रसन्नता इसी में है कि उस में सारी परिपूर्णता वास करे।
Colossians 1:20 और उसके क्रूस पर बहे हुए लोहू के द्वारा मेल मिलाप कर के, सब वस्‍तुओं का उसी के द्वारा से अपने साथ मेल कर ले चाहे वे पृथ्वी पर की हों, चाहे स्वर्ग में की।
Colossians 1:21 और उसने अब उसकी शारीरिक देह में मृत्यु के द्वारा तुम्हारा भी मेल कर लिया जो पहिले निकाले हुए थे और बुरे कामों के कारण मन से बैरी थे।
Colossians 1:22 ताकि तुम्हें अपने सम्मुख पवित्र और निष्‍कलंक, और निर्दोष बनाकर उपस्थित करे।
Colossians 1:23 यदि तुम विश्वास की नेव पर दृढ़ बने रहो, और उस सुसमाचार की आशा को जिसे तुम ने सुना है न छोड़ो, जिस का प्रचार आकाश के नीचे की सारी सृष्‍टि में किया गया; और जिस का मैं पौलुस सेवक बना।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 51-53 
  • रोमियों 2