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गुरुवार, 18 जुलाई 2013

विजयी

   भजनकार "अहंकारियों के अपमान" से बहुत आहत और परेशान हो गया था (भजन 123:4); संभवतः आप भी हो गए हों। आपके पड़ौस के, दफतर के, या कक्षा के लोग शायद आपके मसीही विश्वास का उपहास करते हों और मसीह यीशु का अनुकरण करने के आपके निर्णय को ठट्ठों में उड़ाते हों। लाठी और पत्थर तो केवल हमारे शरीरों को ही घाव देते और हमारी हड्डियाँ ही तोड़ते हैं, लेकिन शब्दों के घाव और भी गहरे तथा पीड़ादायक होते हैं, और उन उपहास करने वालों के शब्द-बाणों ने आपको गहरे और पीड़ादायक घाव दे रखे हों।

   ऐसे अहंकारियों के उपहास का प्रत्युत्तर देने के दो तरीके हो सकते हैं; या तो हम उन के समान हो जाएं और ईंट का जवाब पत्थर से देने लगें, अन्यथा उनके इस उपहास को अपने लिए आदर की बात और सही मार्ग पर होने का प्रमाण समझें! परमेश्वर का वचन भी हमें यही, दूसरा विकल्प ही सिखाता है: "फिर यदि मसीह के नाम के लिये तुम्हारी निन्‍दा की जाती है, तो धन्य हो; क्योंकि महिमा का आत्मा, जो परमेश्वर का आत्मा है, तुम पर छाया करता है" (1 पतरस 4:14)। हमारे लिए थोड़े समय के लिए यह निन्दा सहना, अनन्तकाल तक क्लेष सहने से कहीं उत्तम है।

   मसीह यीशु ने अपने चेलों को सिखाया "परन्तु मैं तुम से यह कहता हूं, कि अपने बैरियों से प्रेम रखो और अपने सताने वालों के लिये प्रार्थना करो" (मत्ती 5:44); इसलिए पहला विकल्प - उपहास का वैसा ही प्रत्युत्तर देना, और "ईंट का जवाब पत्थर से देना" हम मसीही विश्वासीयों के लिए नहीं है। इसके विपरीत परमेश्वर का वचन हमें निर्देश देता है कि "अपने सताने वालों को आशीष दो; आशीष दो श्राप न दो" (रोमियों 12:14)। ऐसा करने से ही हम बुराई पर विजयी होने पाएंगे अन्यथा अपना पलटा आप लेने से तो हम बुराई को और बढ़ावा ही देंगे, उसे मिटाने नहीं पाएंगे - क्या मानव जति के इतिहास में आज तक कभी किसी युद्ध या बदले में किए गए वार ने किसी समस्या का अन्त किया है? जो भी समाधान निकले हैं वे आपसी समझौते और परस्पर एक दूसरे को आदर देने से ही संभव हुए हैं, पलटा लेने से नहीं।

   परमेश्वर हमारी हर परिस्थिति को जानता है और वह हर बात में हमारे लिए भलाई भी उत्पन्न करता है। लोगों के उपहास और निन्दा के द्वारा भी: "हे मेरे भाइयों, जब तुम नाना प्रकार की परीक्षाओं में पड़ो तो इसको पूरे आनन्द की बात समझो, यह जान कर, कि तुम्हारे विश्वास के परखे जाने से धीरज उत्पन्न होता है। पर धीरज को अपना पूरा काम करने दो, कि तुम पूरे और सिद्ध हो जाओ और तुम में किसी बात की घटी न रहे" (याकूब 1:2-4)। जब हमारे प्रभु और उद्धारकर्ता को भी इन बातों का सामना करना पड़ा तो हम जो उसके अनुयायी हैं, इन सब से कैसे बच कर रह सकते हैं? लेकिन जैसे मसीह यीशु के लिए, वैसे ही हम मसीही विश्वासियों के लिए भी ये दुख आदर और आशीष का कारण ही बनेंगे: "सो जब कि मसीह ने शरीर में हो कर दुख उठाया तो तुम भी उस ही मनसा को धारण कर के हथियार बान्‍ध लो क्योंकि जिसने शरीर में दुख उठाया, वह पाप से छूट गया। ताकि भविष्य में अपना शेष शारीरिक जीवन मनुष्यों की अभिलाषाओं के अनुसार नहीं वरन परमेश्वर की इच्छा के अनुसार व्यतीत करो" (1 पतरस 4:1-2)।

   बिना युद्ध भूमि में जाए विजय प्राप्त नहीं होती; लेकिन अपने प्रत्येक संतान से परमेश्वर का यह वायदा भी है कि हमें केवल युद्ध भूमि में जाकर खड़ा ही होना है, युद्ध परमेश्वर का है और विजयी सामर्थ भी वही देगा। इसलिए, "बुराई से न हारो परन्तु भलाई से बुराई का जीत लो" (रोमियों 12:21)। - डेविड रोपर


जब औरों के व्यवहार से आप अपने आप को आहत और अपमानित अनुभव करें तो मसीह यीशु की ओर देखिए।

हमारा जीव सुखी लोगों के ठट्ठों से, और अहंकारियों के अपमान से बहुत ही भर गया है। - भजन 123:4 

बाइबल पाठ: रोमियों 12:9-21
Romans 12:9 प्रेम निष्कपट हो; बुराई से घृणा करो; भलाई में लगे रहो।
Romans 12:10 भाईचारे के प्रेम से एक दूसरे पर दया रखो; परस्पर आदर करने में एक दूसरे से बढ़ चलो।
Romans 12:11 प्रयत्न करने में आलसी न हो; आत्मिक उन्माद में भरो रहो; प्रभु की सेवा करते रहो।
Romans 12:12 आशा में आनन्दित रहो; क्लेश में स्थिर रहो; प्रार्थना में नित्य लगे रहो।
Romans 12:13 पवित्र लोगों को जो कुछ अवश्य हो, उस में उन की सहायता करो; पहुनाई करने में लगे रहो।
Romans 12:14 अपने सताने वालों को आशीष दो; आशीष दो श्राप न दो।
Romans 12:15 आनन्द करने वालों के साथ आनन्द करो; और रोने वालों के साथ रोओ।
Romans 12:16 आपस में एक सा मन रखो; अभिमानी न हो; परन्तु दीनों के साथ संगति रखो; अपनी दृष्टि में बुद्धिमान न हो।
Romans 12:17 बुराई के बदले किसी से बुराई न करो; जो बातें सब लोगों के निकट भली हैं, उन की चिन्ता किया करो।
Romans 12:18 जहां तक हो सके, तुम अपने भरसक सब मनुष्यों के साथ मेल मिलाप रखो।
Romans 12:19 हे प्रियो अपना पलटा न लेना; परन्तु क्रोध को अवसर दो, क्योंकि लिखा है, पलटा लेना मेरा काम है, प्रभु कहता है मैं ही बदला दूंगा।
Romans 12:20 परन्तु यदि तेरा बैरी भूखा हो तो उसे खाना खिला; यदि प्यासा हो, तो उसे पानी पिला; क्योंकि ऐसा करने से तू उसके सिर पर आग के अंगारों का ढेर लगाएगा।
Romans 12:21 बुराई से न हारो परन्तु भलाई से बुराई का जीत लो।

एक साल में बाइबल: 
  • भजन 20-22 
  • प्रेरितों 21:1-17