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शनिवार, 29 जून 2013

परमेश्वर के अतिरिक्त

   अपनी पुस्तक Through the Valley of the Kwai में स्कॉटलैंड के एक सेना अधिकारी, 6 फुट 2 इन्च कद के एर्नेस्ट गौर्डन, ने दूसरे विश्वयुद्ध में कैदी बनाए जाने के अपने संस्मरण लिखे हैं। युद्ध बंदी बनाए जाने के समय गौर्डन एक नास्तिक था। बन्दीयों को रखने की दशा के कारण उसे मलेरिया, डिप्थीरिया, टायफाइड, बेरीबेरी, डाय्सेन्ट्री, शरीर के घाव आदि बिमारियों से होकर गुज़रना पड़ा। बिमारियों से उत्पन्न कमज़ोरी, कठिन परिश्रम और भोजन की कमी के कारण उसका वज़न शीघ्र ही घटकर 50 किलो से भी कम रह गया।

   युद्ध बन्दीयों के अस्पताल में व्याप्त गन्दगी के कारण गौर्डन ने आग्रह किया कि उसे एक ऐसे स्थान पर रखा जाए जहाँ कुछ सफाई होती है - वहाँ का मुर्दाघर। उस मुर्दाघर की ज़मीन पर लेटा हुआ वह प्रतिदिन अपनी मृत्यु की बाट जोहता था। लेकिन रोज़ एक साथी युद्ध बन्दी, डस्टी मिलर, उसके पास आकर उसके घावों को साफ करता, उसे आशा बन्धाता और मिलने वाले भोजन को स्वीकार करने के लिए समझाता, यहाँ तक कि डस्टी अपने भोजन में से भी गौर्डन को खाने के लिए दे देता। शांत और विनम्र स्वभाव का डस्टी उसकी मरहम-पट्टी करते समय गौर्डन से परमेश्वर में अपने दृढ़ विश्वास के बारे में बातें करता और बताता कि इस क्लेष में भी उसे एक अलौकिक आशा है।

   जिस आशा की बात परमेश्वर का वचन बाइबल करती है वह कोई अस्पष्ट, अनिश्चित, काल्पनिक आशावाद नहीं है। इसके विपरीत बाइबल में वर्णित आशा एक मज़बूत और निश्चयपूर्ण उम्मीद है कि जो कुछ परमेश्वर ने अपने वचन में वायदा किया है उसे वह अवश्य ही पूरा भी करेगा। बाइबल हमें यह भी सिखाती है कि परमेश्वर पर विश्वास करने और उसमें आशा बनाए रखने वालों के लिए क्लेष अकसर एक उत्प्रेरक का कार्य करते हैं और उनके चरित्र में धीरज तथा खराई को बढ़ाकर उन्हें और भी अधिक निखार देते हैं (रोमियों 5:3-4)।

   एक कठोर और कष्टदायक युद्ध बन्दीगृह में, 70 वर्ष पूर्व, एर्नेस्ट गौर्डन ने व्यक्तिगत अनुभव से परमेश्वर के वचन में दिया आशा का यह पाठ सीखा, और कल के उस नास्तिक का आज यह कहना है कि "सच्चा विश्वास वहीं पनपता और बढ़ता है जहाँ परमेश्वर के अतिरिक्त कोई आशा नहीं होती।" (रोमियों 8:24-25)। - सिंडी हैस कैस्पर


मसीह यीशु विश्वासी की आशा की अटूट और स्थिर चट्टान है।

आशा के द्वारा तो हमारा उद्धार हुआ है परन्तु जिस वस्तु की आशा की जाती है जब वह देखने में आए, तो फिर आशा कहां रही? क्योंकि जिस वस्तु को कोई देख रहा है उस की आशा क्या करेगा? परन्तु जिस वस्तु को हम नहीं देखते, यदि उस की आशा रखते हैं, तो धीरज से उस की बाट जोहते भी हैं। - रोमियों 8:24-25

बाइबल पाठ: रोमियों 5:1-5
Romans 5:1 ​सो जब हम विश्वास से धर्मी ठहरे, तो अपने प्रभु यीशु मसीह के द्वारा परमेश्वर के साथ मेल रखें।
Romans 5:2 जिस के द्वारा विश्वास के कारण उस अनुग्रह तक, जिस में हम बने हैं, हमारी पहुंच भी हुई, और परमेश्वर की महिमा की आशा पर घमण्ड करें।
Romans 5:3 केवल यही नहीं, वरन हम क्लेशों में भी घमण्ड करें, यही जानकर कि क्लेश से धीरज।
Romans 5:4 ओर धीरज से खरा निकलना, और खरे निकलने से आशा उत्पन्न होती है।
Romans 5:5 और आशा से लज्ज़ा नहीं होती, क्योंकि पवित्र आत्मा जो हमें दिया गया है उसके द्वारा परमेश्वर का प्रेम हमारे मन में डाला गया है।

एक साल में बाइबल: 
  • अय्युब 14-16 
  • प्रेरितों 9:22-43