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शुक्रवार, 14 जून 2013

नियम

   सभी अभिभावक यह भलि-भांति जानते हैं कि घर के नियम घरवालों की भलाई के लिए होते हैं; उनका पालन घर में शांति बनाए रखता है और आपसी प्रेम को बढ़ावा देता है। वे यह भी जानते हैं कि नियम भिन्न प्रकार के होते हैं; कुछ बच्चों द्वारा पालन किए जाने और उनकी भलाई के लिए होते हैं, कुछ व्यसकों द्वारा पालन किए जाने और उनकी भलाई के लिए होते हैं और कुछ ऐसे जो घर के सभी लोगों पर समान रूप से लागू होते हैं। लेकिन अन्ततः सभी नियम घर की उन्नति और मर्यादा को बनाए रखने के लिए होते हैं। हमारे सृष्टिकर्ता परमेश्वर पिता ने भी हमारे लिए कुछ नियम बनाकर दिए हैं। इसलिए नहीं कि वह हमें बन्धनों में बांध कर रखना चाहता है, वरन इसलिए कि हम आपस में प्रेम, सहृदयता और परस्पर आदर के साथ रह सकें और एक दूसरे की उन्नति में सहायक हो सकें। परमेश्वर हमें भलि-भांति जानता है और यह भी कि मानव समाज सर्वोत्तम रीति से किस प्रकार कार्य कर सकता है; उसके ये नियम इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए बनाए गए हैं।

   परमेश्वर के सभी नियमों का संक्षिप्त किंतु संपूर्ण संकलन है परमेश्वर के वचन बाइबल में दी गई "दस आज्ञाएं"। जब मैंने इन दस आज्ञाओं को इस दृष्टिकोण से देखना आरंभ किया कि ये परमेश्वर द्वारा मेरी भलाई के लिए दी गई आज्ञाएं हैं, तो मैं इनकी व्यावाहरिकता और उपयोगिता को एक नवीन रीति से समझने पाया। मैंने पाया कि ये दस आज्ञाएं मनुष्य के परमेश्वर के साथ संबंध तथा मनुष्य के परस्पर एवं सामाजिक संबंधों और दायित्वों को बड़े स्पष्ट रूप में बताते हैं। हमारे जीवन की ऐसी कोई बात नहीं है जो इन दस आज्ञाओं की सीमाओं से बाहर हो। हमारे जीवन का हर पहलु इनके द्वारा निर्धारित होता है और इनका पालन हमारे अपने उत्थान के लिए सहायक एवं सामाजिक उत्थान में हमें उपयोगी बनाता है।

   ये आज्ञाऐं हमें परमेश्वर के प्रति सही दृष्टिकोण रखने तथा उसे अपने जीवनों में उचित स्थान एवं वास्तविक आदर देना सिखाती हैं। इनसे हमें कार्य तथा विश्राम का सही सामंजस्य बनाए रखने की शिक्षा मिलती है और ये हमें अपने परिवार तथा अपने समाज के प्रति सही व्यवहार रखना सिखाती हैं। ये आज्ञाऐं मनुष्य की मनोवृति को जानते और पहचानते हुए, मनुष्य को हर एक बुराई से बच कर चलने का मार्ग दिखाती हैं। इन आज्ञाओं को मानने से इन्कार करना प्रत्येक का अपना निर्णय है, लेकिन इनका पालन हर रीति से जीवन को आशीशित और समृद्ध बनाता है। ये आज्ञाऐं पृथ्वी पर जीवन को अर्थपूर्ण और सुचारु बनाती हैं और हमें एक शांतिप्रीय और स्वस्थ समाज बनने के लिए प्रेरित करती हैं जो परमेश्वर की आधीनता में परमेश्वर की महिमा के लिए कार्य करता है।


भला होता कि तेरी विधियों के मानने के लिये मेरी चालचलन दृढ़ हो जाए! तब मैं तेरी सब आज्ञाओं की ओर चित्त लगाए रहूंगा, और मेरी आशा न टूटेगी। - भजन 119:5-6

और परमेश्वर का प्रेम यह है, कि हम उस की आज्ञाओं को मानें; और उस की आज्ञाएं कठिन नहीं। - 1 यूहन्ना 5:3

बाइबल पाठ: - निर्गमन 20:1-17
Exodus 20:1 तब परमेश्वर ने ये सब वचन कहे,
(1) Exodus 20:2 कि मैं तेरा परमेश्वर यहोवा हूं, जो तुझे दासत्व के घर अर्थात मिस्र देश से निकाल लाया है।
Exodus 20:3 तू मुझे छोड़ दूसरों को ईश्वर कर के न मानना।
(2) Exodus 20:4 तू अपने लिये कोई मूर्ति खोदकर न बनाना, न किसी कि प्रतिमा बनाना, जो आकाश में, वा पृथ्वी पर, वा पृथ्वी के जल में है।
Exodus 20:5 तू उन को दण्डवत न करना, और न उनकी उपासना करना; क्योंकि मैं तेरा परमेश्वर यहोवा जलन रखने वाला ईश्वर हूं, और जो मुझ से बैर रखते है, उनके बेटों, पोतों, और परपोतों को भी पितरों का दण्ड दिया करता हूं,
Exodus 20:6 और जो मुझ से प्रेम रखते और मेरी आज्ञाओं को मानते हैं, उन हजारों पर करूणा किया करता हूं।
(3) Exodus 20:7 तू अपने परमेश्वर का नाम व्यर्थ न लेना; क्योंकि जो यहोवा का नाम व्यर्थ ले वह उसको निर्दोष न ठहराएगा।
(4) Exodus 20:8 तू विश्रामदिन को पवित्र मानने के लिये स्मरण रखना।
Exodus 20:9 छ: दिन तो तू परिश्रम कर के अपना सब काम काज करना;
Exodus 20:10 परन्तु सातवां दिन तेरे परमेश्वर यहोवा के लिये विश्रामदिन है। उस में न तो तू किसी भांति का काम काज करना, और न तेरा बेटा, न तेरी बेटी, न तेरा दास, न तेरी दासी, न तेरे पशु, न कोई परदेशी जो तेरे फाटकों के भीतर हो।
Exodus 20:11 क्योंकि छ: दिन में यहोवा ने आकाश, और पृथ्वी, और समुद्र, और जो कुछ उन में है, सब को बनाया, और सातवें दिन विश्राम किया; इस कारण यहोवा ने विश्रामदिन को आशीष दी और उसको पवित्र ठहराया।
(5) Exodus 20:12 तू अपने पिता और अपनी माता का आदर करना, जिस से जो देश तेरा परमेश्वर यहोवा तुझे देता है उस में तू बहुत दिन तक रहने पाए।
(6) Exodus 20:13 तू खून न करना।
(7) Exodus 20:14 तू व्यभिचार न करना।
(8) Exodus 20:15 तू चोरी न करना।
(9) Exodus 20:16 तू किसी के विरुद्ध झूठी साक्षी न देना।
(10) Exodus 20:17 तू किसी के घर का लालच न करना; न तो किसी की स्त्री का लालच करना, और न किसी के दास-दासी, वा बैल गदहे का, न किसी की किसी वस्तु का लालच करना।

एक साल में बाइबल: 
  • एज़्रा 9-10 
  • प्रेरितों 1