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सोमवार, 27 मई 2013

मार्गदर्शक


   15वीं तथा 16वीं शताबदी में जब बड़ी समुद्री यात्राओं द्वारा संसार की खोज हो रही थी, तो समुद्री जहाज़ों ने कई विषम यात्राएं करीं, खतरनाक तटों से होकर गुज़रे और विशाल समुद्रों को पार किया। इन जहाज़ों के पोतचालक यात्रा में सहायता के लिए विभिन्न नौचालन विधियों का प्रयोग करते थे, जिनमें से एक थी एक विशेष पुस्तक का उपयोग, जिसे ’रटर’ कहते थे। रटर उस ओर से निकलने वाले पूर्व नाविकों और पोतचालकों के अनुभवों, परिस्थितियों, घटनाओं और सामने आई बाधाओं का लिखित विवरण होता था। उन से पहले उस ओर से निकल चुके नाविकों के इस विवरण के सहारे वर्तमान नाविक उन्हीं खतरों से बचने के उपाय करते थे। यह अनेक बातों में उनके लिए बहुत सहायक होता था।

   मसीही विश्वास का जीवन भी सांसारिकता के खतरनाक गहरे समुद्रों से होकर निकलने वाली एक विषम यात्रा के समान ही है और हर मसीही विश्वासी को जीवन की परिस्थितियों से सुरक्षित होकर निकलने के लिए मार्गदर्शन की आवश्यकता होती है। हम मसीही विश्वासियों को यह मार्गदर्शन मिलता है परमेश्वर के वचन बाइबल से - इस विषम जीवन यात्रा में बाइबल ही हमारा आत्मिक ’रटर’ है जो हमें खतरों से आगाह करता है तथा उनसे पार पाने का मार्ग देता है। अपने बाइबल अध्ययन में जब हम किसी खण्ड पर मनन करते और उसके अर्थ तथा अपने जीवन के लिए उसकी व्यावाहरिकता को समझते हैं, हम साथ ही परमेश्वर की अपने बच्चों के साथ सदा बनी रहने वाली उपस्थिति और सहायता को भी देखते हैं और सीखते हैं कि कैसे वह उन्हें उन कठिन परिस्थितियों से ना केवल सुरक्षित वरन आशीश के साथ भी निकालता लाया है और यह हमारे विश्वास को बढ़ाता है, हमें स्थिरता देता है।

   जीवन की कठिनाईयाँ केवल बाहरी परिस्थितियों और घटनाओं से ही नहीं आतीं; अनेक बार हमारी कठिनाईयाँ पाप करने या उसमें आनन्द लेने की हमारी प्रवृति से भी उपजती हैं। परमेश्वर का वचन बाइबल हमें ना केवल बाहरी परिस्थितियों से आने वाले खतरों में बचाव के लिए मार्गदर्शन देने में सक्षम है, वरन हमारे अन्दर की कमज़ोरियों और प्रवृतियों से उत्पन्न होने वाली परिस्थितियों और खतरों से भी बचने का मार्गदर्शन उतनी ही कुशलता से देता है। इसीलिए बाइबल में एक भजनकार ने लिखा है: "मेरे पैरों को अपने वचन के मार्ग पर स्थिर कर, और किसी अनर्थ बात को मुझ पर प्रभुता न करने दे" (भजन 119:133)।

   जब आप बाइबल की शिक्षाओं पर मनन करेंगे, तो साथ ही आपको स्मरण आएगा के कैसे बीते समयों में परमेश्वर ने आपकी देखभाल करी है, आपको सुरक्षित रखा है, आपका मार्गदर्शन किया है। ये बीते अनुभव, और उसके आत्मिक ’रटर’ बाइबल की शिक्षाएं आपके लिए इस बात का भी निश्चय बनेंगे कि परमेश्वर का वही संरक्षण और सुरक्षा आपके लिए आगे भी वैसे ही उपलब्ध रहेगी - हर समय, हर बात के लिए, और ये शिक्षाएं आपको अपने अन्दर की बातों के कारण भी गिरने से बचाती रहेंगी।

   परमेश्वर का कोटि-कोटि धन्यवाद हो उसके इस सहजता से उपलब्ध आत्मिक ’रटर’ के लिए, उसके जीवते सच्चे और खरे वचन के लिए। - डेनिस फिशर


परमेश्वर के वचन के मार्गदर्शन और उसकी पवित्र आत्मा के संरक्षण यह सुनिश्चित करते हैं कि कोई मसीही विश्वासी भटकेगा नहीं।

जवान अपनी चाल को किस उपाय से शुद्ध रखे? तेरे वचन के अनुसार सावधान रहने से। मैं ने तेरे वचन को अपने हृदय में रख छोड़ा है, कि तेरे विरुद्ध पाप न करूं। - भजन 119:9, 11 

बाइबल पाठ: भजन 119:129-136
Psalms 119:129 तेरी चितौनियां अनूप हैं, इस कारण मैं उन्हें अपने जी से पकड़े हुए हूं।
Psalms 119:130 तेरी बातों के खुलने से प्रकाश होता है; उस से भोले लोग समझ प्राप्त करते हैं।
Psalms 119:131 मैं मुंह खोल कर हांफने लगा, क्योंकि मैं तेरी आज्ञाओं का प्यासा था।
Psalms 119:132 जैसी तेरी रीति अपने नाम की प्रीति रखने वालों से है, वैसे ही मेरी ओर भी फिर कर मुझ पर अनुग्रह कर।
Psalms 119:133 मेरे पैरों को अपने वचन के मार्ग पर स्थिर कर, और किसी अनर्थ बात को मुझ पर प्रभुता न करने दे।
Psalms 119:134 मुझे मनुष्यों के अन्धेर से छुड़ा ले, तब मैं तेरे उपदेशों को मानूंगा।
Psalms 119:135 अपने दास पर अपने मुख का प्रकाश चमका दे, और अपनी विधियां मुझे सिखा।
Psalms 119:136 मेरी आंखों से जल की धारा बहती रहती है, क्योंकि लोग तेरी व्यवस्था को नहीं मानते।

एक साल में बाइबल: 
  • 2 इतिहास 1-3 
  • यूहन्ना 10:1-23