ई-मेल संपर्क / E-Mail Contact

इन संदेशों को ई-मेल से प्राप्त करने के लिए अपना ई-मेल पता इस ई-मेल पर भेजें / To Receive these messages by e-mail, please send your e-mail id to: rozkiroti@gmail.com

शुक्रवार, 26 अप्रैल 2013

कल्पना से बाहर


   जब कभी मैं और मेरी पत्नि कहीं छुट्टियाँ बिताने जाने की योजना बनाते हैं तो हम उस स्थान के बारे में अधिक से अधिक जानकारी एकत्रित करते हैं, वहाँ से संबंधित नक्शों और चित्रों का अध्ययन करते हैं और फिर उन बातों को प्रत्यक्ष देखने के रोमांच से भरे वहाँ पहुँचने की प्रतीक्षा में रहते हैं। जो लोग मसीही विश्वासी हैं, उनका भी एक गन्तव्य स्थान है - स्वर्ग, जहाँ वे अनन्त काल तक अपने प्रभु और उद्धारकर्ता मसीह यीशु के साथ रहेंगे।

   लेकिन मुझे यह कुछ विचित्र सा लगता है कि बहुतेरे मसीही विश्वासी स्वर्ग पहुँचने और वहाँ के बारे में जानने में अधिक रुचि नहीं लेते। ऐसा क्यों? संभवतः इसलिए क्योंकि हम स्वर्ग को अधिक समझ नहीं पाते। हम वहाँ चोखे सोने से बनी सड़कों और मोतियों से बने द्वारों की बात तो करते हैं, किन्तु वास्तव में वह कैसा स्थान है और वहाँ हम क्या कुछ देखने पाएंगे, किन किन से मिलने पाएंगे, क्या कुछ करेंगे आदि बातें स्वर्ग के बारे में हमारी उत्सुकता को जगाने नहीं पातीं।

   मेरे विचार से स्वर्ग के बारे में कही गई बातों में से सबसे गहन प्रेरित पौलुस द्वारा फिलिप्पियों की मण्डली को लिखी पत्री के एक पद में मिलती है; पौलुस ने कहा: "... जी तो चाहता है कि कूच कर के मसीह के पास जा रहूं, क्योंकि यह बहुत ही अच्छा है" (फिलिप्पियों 1:23)। जब मेरे 8 वर्षीय पोते ने स्वर्ग के बारे में मुझ से पूछा तो मैंने उसे यही उत्तर दिया। अपने उत्तर को देने से पहले मैंने उससे पूछा, "तुम्हारे जीवन में सबसे रोमांचक बात कौन सी है?" उसने अपने कंप्यूटर पर खेले जाने वाले खेलों के बारे में बताना आरंभ किया और कंप्यूटर पर वह क्या कुछ कर लेता है। तब मैंने उससे कहा, स्वर्ग इन सबसे भी कहीं अधिक अच्छा और रोमांचकारी है। उसने थोड़ा सा सोच कर उत्तर दिया, "दादा, इस की तो कल्पना भी करना कठिन है।"

   आप अपने जीवन में किस बात की आशा रखते हैं? क्या है जो आपको उत्तेजित करता है? क्या है जिसकी कल्पना मात्र भी आपको रोमांचित कर देती है? वह जो कुछ भी हो, स्वर्ग उससे भी कहीं बढकर है - चाहे यह बात कल्पना से बाहर ही क्यों ना हो! - जो स्टोवैल


आप जितना स्वर्ग की प्रतीक्षा में रहेंगे, पृथ्वी की इच्छाएं उतनी ही कम होती जाएंगी।

क्योंकि मैं दोनों के बीच अधर में लटका हूं; जी तो चाहता है कि कूच कर के मसीह के पास जा रहूं, क्योंकि यह बहुत ही अच्छा है। - फिलिप्पियों 1:23

बाइबल पाठ: फिलिप्पियों 1:19-26
Philippians 1:19 क्योंकि मैं जानता हूं, कि तुम्हारी बिनती के द्वारा, और यीशु मसीह की आत्मा के दान के द्वारा इस का प्रतिफल मेरा उद्धार होगा।
Philippians 1:20 मैं तो यही हार्दिक लालसा और आशा रखता हूं, कि मैं किसी बात में लज्ज़ित न होऊं, पर जैसे मेरे प्रबल साहस के कारण मसीह की बड़ाई मेरी देह के द्वारा सदा होती रही है, वैसा ही अब भी हो चाहे मैं जीवित रहूं या मर जाऊं।
Philippians 1:21 क्योंकि मेरे लिये जीवित रहना मसीह है, और मर जाना लाभ है।
Philippians 1:22 पर यदि शरीर में जीवित रहना ही मेरे काम के लिये लाभदायक है तो मैं नहीं जानता, कि किस को चुनूं।
Philippians 1:23 क्योंकि मैं दोनों के बीच अधर में लटका हूं; जी तो चाहता है कि कूच कर के मसीह के पास जा रहूं, क्योंकि यह बहुत ही अच्छा है।
Philippians 1:24 परन्तु शरीर में रहना तुम्हारे कारण और भी आवश्यक है।
Philippians 1:25 और इसलिये कि मुझे इस का भरोसा है सो मैं जानता हूं कि मैं जीवित रहूंगा, वरन तुम सब के साथ रहूंगा जिस से तुम विश्वास में दृढ़ होते जाओ और उस में आनन्‍दित रहो।
Philippians 1:26 और जो घमण्‍ड तुम मेरे विषय में करते हो, वह मेरे फिर तुम्हारे पास आने से मसीह यीशु में अधिक बढ़ जाए।

एक साल में बाइबल: 
  • 2 शमूएल 23-24 
  • लूका 19:1-27