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शनिवार, 20 अप्रैल 2013

परमेश्वर की इच्छा


   एक युवक अनिश्चित भविष्य का सामना कर रहा था और समझ नहीं पा रहा था कि आता वर्ष उसके लिए कैसा होगा, अन्ततः अपनी निराशाओं और कुंठाओं में होकर वह इस निष्कर्ष पर पहुँचा कि परमेश्वर की इच्छा क्या है यह कोई नहीं जानता। क्या वह सही था? क्या भविष्य के बारे में अनिश्चित होने का तात्पर्य है परमेश्वर की इच्छा जान पाना संभव नहीं है?

   परमेश्वर की इच्छा जानने का तात्पर्य अधिकांश लोगों के लिए यह जान पाने तक ही सीमित होता है कि "भविष्य में हम किस स्थिति में होंगे?" यद्यपि परमेश्वर की इच्छा के संबंध में इस बात का अवश्य ही एक महत्वपूर्ण स्थान है, लेकिन परमेश्वर की इच्छा से संबंधित केवल यही सब कुछ नहीं है। परमेश्वर की इच्छा से संबंधित एक और तथा उतना ही महत्वपूर्ण भाग है परमेश्वर की प्रगट इच्छा का प्रतिदिन पालन करते रहना।

   परमेश्वर ने हमारे प्रतिदिन के जीवन के बारे में कई बातें हम पर प्रगट करी हैं; उसके प्रति हमारे दायित्वों के बारे में हम सब काफी कुछ जानते हैं; उदाहरणस्वरूप, परमेश्वर की इच्छा है कि हम मसीही विश्वासी:

- अपने देश के अच्छे और ईमानदार नागरिक बनें, और हमारा यह भला चरित्र मसीह विरोधियों के लिए एक चुनौती हो। (1 पतरस 2:15)

- हर बात में, चाहे वह कैसी भी क्यों ना हो, हम परमेश्वर का धन्यवाद करें। (1 थिस्सलुनीकियों 5:18)

- सदा पवित्रता में बने रहें और हर प्रकार के लुचपन तथा व्यभिचार से बचे रहें। (1 थिस्सलुनीकियों 4:13)

- सदा परमेश्वर के पवित्र आत्मा की आधीनता में रहें और चलें। (इफिसीयों 5:18)

- परमेश्वर की स्तुति आराधना करते रहें। (इफिसीयों 5:19)

- मेलजोल के साथ एक दूसरे के आधीन रहें। (इफिसीयों 5:21)

 जैसे जैसे हम परमेश्वर की इन तथा अन्य ऐसी विदित इच्छाओं के प्रति समर्पित एवं आज्ञाकारी होते जाएंगे, वैसे वैसे हम रोमियों 12:2 में दिए निर्देष: "और इस संसार के सदृश न बनो; परन्तु तुम्हारी बुद्धि के नये हो जाने से तुम्हारा चाल-चलन भी बदलता जाए, जिस से तुम परमेश्वर की भली, और भावती, और सिद्ध इच्छा अनुभव से मालूम करते रहो" के अनुसार अन्य बातों के लिए परमेश्वर की इच्छा को अपने अनुभवों से मालुम करते रहने वाले भी होते जाएंगे। जो जो परमेश्वर हम पर प्रगट करता जाता है यदि हम उस पर फिर आगे भी बने रहते हैं, और उस पर चलते रहते हैं तो परमेश्वर फिर और बातें भी हम पर प्रगट करता जाता है। जो परमेश्वर की विदित इच्छानुसार उसकी सहमति और स्वीकृति में बना रहता है, वह परमेश्वर से आते समय के लिए मार्गदर्शन भी पाता रहता है।

   यदि भविष्य के लिए परमेश्वर की इच्छा जाननी है तो वर्तमान में उसकी प्रगट इच्छा की आज्ञाकारिता में रहना भी अनिवार्य है। - डेव ब्रैनन


यदि हम प्रतिदिन परमेश्वर से प्रेम करें और उसके आज्ञाकारी रहें तो वह स्वतः ही भविष्य की परतें भी हम पर खोलता चला जाएगा।

और इस संसार के सदृश न बनो; परन्तु तुम्हारी बुद्धि के नये हो जाने से तुम्हारा चाल-चलन भी बदलता जाए, जिस से तुम परमेश्वर की भली, और भावती, और सिद्ध इच्छा अनुभव से मालूम करते रहो। (रोमियों 12:2)

बाइबल पाठ: इफिसीयों 5:15-21
Ephesians 5:15 इसलिये ध्यान से देखो, कि कैसी चाल चलते हो; निर्बुद्धियों की नाईं नहीं पर बुद्धिमानों की नाईं चलो।
Ephesians 5:16 और अवसर को बहुमोल समझो, क्योंकि दिन बुरे हैं।
Ephesians 5:17 इस कारण निर्बुद्धि न हो, पर ध्यान से समझो, कि प्रभु की इच्छा क्या है?
Ephesians 5:18 और दाखरस से मतवाले न बनो, क्योंकि इस से लुचपन होता है, पर आत्मा से परिपूर्ण होते जाओ।
Ephesians 5:19 और आपस में भजन और स्‍तुतिगान और आत्मिक गीत गाया करो, और अपने अपने मन में प्रभु के साम्हने गाते और कीर्तन करते रहो।
Ephesians 5:20 और सदा सब बातों के लिये हमारे प्रभु यीशु मसीह के नाम से परमेश्वर पिता का धन्यवाद करते रहो।
Ephesians 5:21 और मसीह के भय से एक दूसरे के आधीन रहो।

एक साल में बाइबल: 
  • 2 शमूएल 9-11 
  • लूका 15:11-32