ई-मेल संपर्क / E-Mail Contact

इन संदेशों को ई-मेल से प्राप्त करने के लिए अपना ई-मेल पता इस ई-मेल पर भेजें / To Receive these messages by e-mail, please send your e-mail id to: rozkiroti@gmail.com

बुधवार, 3 अप्रैल 2013

परीक्षण


   हर साल मैं अपने सालाना स्वास्थ्य-परीक्षण के लिए अपने डॉक्टर के पास जाता हूँ और वह मेरे शरीर को टटोलकर, दबाकर, एक्स-रे, रक्त-जाँच, ई.सी.जी. तथा अन्य परीक्षणों के द्वारा मेरी जाँच करता है। यह समय चिन्ता और आशंकाओं का होता है, क्योंकि मैं नहीं जानता कि परीक्षणों का नतीजा क्या दिखाएगा और डॉक्टर क्या बताएगा, लेकिन फिर भी इसे करवाना आवश्यक होता है जिससे मैं अपने शरीर के स्वास्थ होने की स्थिति जान सकूँ और आगे के लिए वे निर्णय ले सकूँ, जो बढ़ती मेरी उम्र के लिए लाभदायक हों।

   यही बात आत्मिक जीवन में भी लागू होती है, विशेषकर एक मसीही विश्वासी के लिए। हम मसीही विश्वासीयों को कुछ कुछ समय बाद रुककर अपने मन और जीवन की जाँच कर लेना ज़रूरी है जिससे हम किसी अनुचित बात को अपने जीवन में पलने बढ़ने ना दें। इस आत्मिक जाँच का एक स्थान है प्रभु भोज के समय प्रभु की मेज़ के सम्मुख। प्रेरित पौलुस ने कुरिन्थियों की मण्डली के मसीही विश्वासीयों को इसके बारे में लिखा और समझाया क्योंकि उनमें से बहुतेरे अयोग्य रीति से प्रभु की मेज़ में भाग ले रहे थे। पौलुस ने कहा, "इसलिये मनुष्य अपने आप को जांच ले और इसी रीति से इस रोटी में से खाए, और इस कटोरे में से पीए" (1 कुरिन्थियों 11:28)।

   प्रभु यीशु की मृत्यु द्वारा हमें पापों से मिली क्षमा और उसकी मृत्यु के महत्व तथा परिणामों को स्मरण करना और साथ में उसकी उपस्थिति में अपने आप को जाँचना, हमारा अपने आप से संबंधित विचारों और व्यवहार को बड़ी गहराई और गंभीरता से स्पष्ट कर देता है। जब हम परीक्षण के लिए अपने मन खोलकर प्रभु के सामने आते हैं तो प्रभु हमें हमारे जीवन की वो बातें दिखाता है जो मसीही जीवन के लिए असंगत और अनुचित हैं। इस गहन परीक्षण और अपनी वासत्विक आत्मिक दशा की पहचान के बाद हम पश्चाताप के साथ प्रभु की ओर मुड़ सकते हैं अपनी गलतीयों के लिए उससे क्षमा मांगकर सामर्थ पा सकते हैं, मार्गदर्शन पा सकते हैं और आते समय के लिए तैयार हो सकते हैं। प्रभु की मेज़ का यही उद्देश्य है - कि मनुष्य अपने आप को जाँच ले। 

   प्रभु नहीं चाहता कि हम अपने जीवनों में गलतीयों और पापों का बोझ लेकर उनके दुषपरिणामों को भोगते हुए आगे बढ़ें। इसीलिए उसने यह प्रयोजन किया ताकि उसके जन कभी अपनी आशीषों से वंचित ना होने पाएं। प्रभु भोज में सम्मिलित होने का समय आत्म-परीक्षण का समय है जहाँ से प्रभु हमें स्वस्थ और सामर्थी होके आगे बढ़ने और कार्य करने के लिए भेजना चाहता है। - बिल क्राउडर


प्रभु के सम्मुख आत्म-परीक्षण करने से किसी मसीही विश्वासी को बचना नहीं चाहिए।

पर हर एक अपने ही काम को जांच ले, और तब दूसरे के विषय में नहीं परन्तु अपने ही विषय में उसको घमण्‍ड करने का अवसर होगा। - गलतियों 6:4

बाइबल पाठ: 1 कुरिन्थियों 11:23-32
1 Corinthians 11:23 क्योंकि यह बात मुझे प्रभु से पहुंची, और मैं ने तुम्हें भी पहुंचा दी; कि प्रभु यीशु ने जिस रात वह पकड़वाया गया रोटी ली।
1 Corinthians 11:24 और धन्यवाद कर के उसे तोड़ी, और कहा; कि यह मेरी देह है, जो तुम्हारे लिये है: मेरे स्मरण के लिये यही किया करो।
1 Corinthians 11:25 इसी रीति से उसने बियारी के पीछे कटोरा भी लिया, और कहा; यह कटोरा मेरे लोहू में नई वाचा है: जब कभी पीओ, तो मेरे स्मरण के लिये यही किया करो।
1 Corinthians 11:26 क्योंकि जब कभी तुम यह रोटी खाते, और इस कटोरे में से पीते हो, तो प्रभु की मृत्यु को जब तक वह न आए, प्रचार करते हो।
1 Corinthians 11:27 इसलिये जो कोई अनुचित रीति से प्रभु की रोटी खाए, या उसके कटोरे में से पीए, वह प्रभु की देह और लोहू का अपराधी ठहरेगा।
1 Corinthians 11:28 इसलिये मनुष्य अपने आप को जांच ले और इसी रीति से इस रोटी में से खाए, और इस कटोरे में से पीए।
1 Corinthians 11:29 क्योंकि जो खाते-पीते समय प्रभु की देह को न पहिचाने, वह इस खाने और पीने से अपने ऊपर दण्‍ड लाता है।
1 Corinthians 11:30 इसी कारण तुम में से बहुत से निर्बल और रोगी हैं, और बहुत से सो भी गए।
1 Corinthians 11:31 यदि हम अपने आप में जांचते, तो दण्‍ड न पाते।
1 Corinthians 11:32 परन्तु प्रभु हमें दण्‍ड देकर हमारी ताड़ना करता है इसलिये कि हम संसार के साथ दोषी न ठहरें।

एक साल में बाइबल: 
  • न्यायीयों 19-21 
  • लूका 7:31-50