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शनिवार, 9 मार्च 2013

आशीषों की कुंजी


   यदि ऐसा कोई प्रश्न है जो सदियों से सारे विश्व में बना हुआ है तो संभवतः वह होगा: "क्या हम पहुँच गए?" अनेक पीढ़ीयों से बच्चों ने यह प्रश्न अपने अभिभावकों से किया है, फिर व्यस्क हो जाने पर अपने बच्चों को इस प्रश्न का उत्तर समझने में सहायता करी है। सभी उस समय की प्रतीक्षा में रहते हैं जब वे अपने लक्ष्य तक पहुँचेंगे - वह चाहे यात्रा हो, चाहे जीवन यात्रा, या फिर किसी कार्य का संपन्न होना।

   जब भी मैं परमेश्वर के वचन बाइबल में मूसा की लिखी पुस्तकों को पढ़ता हूँ तो सोचता हूँ कि कितनी बार मूसा से इसत्राएलियों ने से इसी प्रश्न को पूछा होगा? उन्हें मिस्त्र के दासत्व से छुड़ाकर ले चलने से पहले मूसा ने इस्त्राएलियों को यह आश्वासन दिया था कि परमेश्वर की योजना है "कि उन्हें मिस्रियों के वश से छुड़ाऊं, और उस देश से निकाल कर एक अच्छे और बड़े देश में जिस में दूध और मधु की धारा बहती हैं" ले जाए (निर्गमन 3:8)। परमेश्वर उन्हें मिस्त्र के दासत्व से निकाल कर तो ले आया किंतु उस वाचा किए हुए देश में पहुँचने से पहले उन्हें 40 वर्ष तक बियाबान में भटकना पड़ा। यह कोई साधारण भटकना नहीं था, वे मार्ग नहीं भूले थे, वरन इस भटकने के पीछे एक उद्देश्य था। परमेश्वर उन्हें इस वाचा के देश के किनारे तक ले आया था किंतु अपने मन के भय और अपनी अनाज्ञाकारिता के कारण इस्त्राएल ने उस देश में प्रवेश नहीं किया, वरन परमेश्वर के विरुद्ध बोले और वापस मिस्त्र लौटने का प्रयास किया। वे परमेश्वर की आज्ञाकारिता के लिए तैयार नहीं थे। इसत्राएल को 400 वर्ष की मिस्त्र की ग़ुलामी के बाद अपने मन, व्यवहार और विचार परमेश्वर के अनुरूप करने थे। यह कार्य उस ४० वर्ष की यात्रा में हुआ (व्यवस्थाविवरण 8:2, 15-18)। साथ ही, इन 40 वर्षों में उस बलवाई और अनाज्ञाकारी पीढ़ी के लोग जाते रहे (गिनती 32:13)। इस यात्रा के बाद इस्त्राएली सहर्ष और सामर्थ के साथ वाचा किए हुए देश में प्रवेश करने पाए और आज तक वहाँ बने हुए हैं।

   हमें अपने जीवन काल में कई बार लगता है कि हम ऐसे ही भटक रहे हैं, हमें अपना लक्ष्य सूझ नहीं पड़ता। कई बार हम भी परमेश्वर से पूछते हैं, "क्या हम पहुँच गए?"; "अभी और कितना समय लगेगा?" ऐसे में यह स्मरण रखना लाभकारी रहेगा कि परमेश्वर के उद्देश्यों के लिए केवल लक्ष्य ही नहीं यात्रा भी महत्वपूर्ण है। वह यात्रा के अनुभवों के द्वारा हमें नम्र करता है, हमें तैयार करता है, हमें परखता है और हमारे मनों की दशा हम पर प्रकट करता है। अन्ततः जब हम उस आशीष के लिए तैयार हो जाते हैं तब ही वह उसे हमारे जीवनों में आने देता है।

   परमेश्वर की आज्ञाकारिता में हो जाना और अपने मन, व्यवहार और विचार को परमेश्वर के वचन के अनुरूप करना ही आशीषों को पा लेने की कुंजी है। - जूली ऐकैरमैन लिंक


केवल गन्तव्य ही नहीं यात्रा भी महत्वपूर्ण है।

और स्मरण रख कि तेरा परमेश्वर यहोवा उन चालीस वर्षों में तुझे सारे जंगल के मार्ग में से इसलिये ले आया है, कि वह तुझे नम्र बनाए, और तेरी परीक्षा कर के यह जान ले कि तेरे मन में क्या क्या है, और कि तू उसकी आज्ञाओं का पालन करेगा वा नहीं। - व्यवस्थाविवरण 8:2

बाइबल पाठ: व्यवस्थाविवरण 8
Deuteronomy 8:1 जो जो आज्ञा मैं आज तुझे सुनाता हूं उन सभों पर चलने की चौकसी करना, इसलिये कि तुम जीवित रहो और बढ़ते रहो, और जिस देश के विषय में यहोवा ने तुम्हारे पूर्वजों से शपथ खाई है उस में जा कर उसके अधिकारी हो जाओ।
Deuteronomy 8:2 और स्मरण रख कि तेरा परमेश्वर यहोवा उन चालीस वर्षों में तुझे सारे जंगल के मार्ग में से इसलिये ले आया है, कि वह तुझे नम्र बनाए, और तेरी परीक्षा कर के यह जान ले कि तेरे मन में क्या क्या है, और कि तू उसकी आज्ञाओं का पालन करेगा वा नहीं।
Deuteronomy 8:3 उसने तुझ को नम्र बनाया, और भूखा भी होने दिया, फिर वह मन्ना, जिसे न तू और न तेरे पुरखा ही जानते थे, वही तुझ को खिलाया; इसलिये कि वह तुझ को सिखाए कि मनुष्य केवल रोटी ही से नहीं जीवित रहता, परन्तु जो जो वचन यहोवा के मुंह से निकलते हैं उन ही से वह जीवित रहता है।
Deuteronomy 8:4 इन चालीस वर्षों में तेरे वस्त्र पुराने न हुए, और तेरे तन से भी नहीं गिरे, और न तेरे पांव फूले।
Deuteronomy 8:5 फिर अपने मन में यह तो विचार कर, कि जैसा कोई अपने बेटे को ताड़ना देता है वैसे ही तेरा परमेश्वर यहोवा तुझ को ताड़ना देता है।
Deuteronomy 8:6 इसलिये अपने परमेश्वर यहोवा की आज्ञाओं का पालन करते हुए उसके मार्गों पर चलना, और उसका भय मानते रहना।
Deuteronomy 8:7 क्योंकि तेरा परमेश्वर यहोवा तुझे एक उत्तम देश में लिये जा रहा है, जो जल की नदियों का, और तराइयों और पहाड़ों से निकले हुए गहिरे गहिरे सोतों का देश है।
Deuteronomy 8:8 फिर वह गेहूं, जौ, दाखलताओं, अंजीरों, और अनारों का देश है; और तेलवाली जलपाई और मधु का भी देश है।
Deuteronomy 8:9 उस देश में अन्न की महंगी न होगी, और न उस में तुझे किसी पदार्थ की घटी होगी; वहां के पत्थर लोहे के हैं, और वहां के पहाड़ों में से तू तांबा खोदकर निकाल सकेगा।
Deuteronomy 8:10 और तू पेट भर खाएगा, और उस उत्तम देश के कारण जो तेरा परमेश्वर यहोवा तुझे देगा उसका धन्य मानेगा।
Deuteronomy 8:11 इसलिये सावधान रहना, कहीं ऐसा न हो कि अपने परमेश्वर यहोवा को भूलकर उसकी जो जो आज्ञा, नियम, और विधि, मैं आज तुझे सुनाता हूं उनका मानना छोड़ दे;
Deuteronomy 8:12 ऐसा न हो कि जब तू खाकर तृप्त हो, और अच्छे अच्छे घर बनाकर उन में रहने लगे,
Deuteronomy 8:13 और तेरी गाय-बैलों और भेड़-बकरियों की बढ़ती हो, और तेरा सोना, चांदी, और तेरा सब प्रकार का धन बढ़ जाए,
Deuteronomy 8:14 तब तेरे मन में अहंकार समा जाए, और तू अपने परमेश्वर यहोवा को भूल जाए, जो तुझ को दासत्व के घर अर्थात मिस्र देश से निकाल लाया है,
Deuteronomy 8:15 और उस बड़े और भयानक जंगल में से ले आया है, जहां तेज विष वाले सर्प और बिच्छू हैं, और जलरहित सूखे देश में उसने तेरे लिये चकमक की चट्ठान से जल निकाला,
Deuteronomy 8:16 और तुझे जंगल में मन्ना खिलाया, जिसे तुम्हारे पुरखा जानते भी न थे, इसलिये कि वह तुझे नम्र बनाए, और तेरी परीक्षा कर के अन्त में तेरा भला ही करे।
Deuteronomy 8:17 और कहीं ऐसा न हो कि तू सोचने लगे, कि यह सम्पत्ति मेरे ही सामर्थ्य और मेरे ही भुजबल से मुझे प्राप्त हुई।
Deuteronomy 8:18 परन्तु तू अपने परमेश्वर यहोवा को स्मरण रखना, क्योंकि वही है जो तुझे सम्पति प्राप्त करने का सामर्थ्य इसलिये देता है, कि जो वाचा उसने तेरे पूर्वजों से शपथ खाकर बान्धी थी उसको पूरा करे, जैसा आज प्रगट है।
Deuteronomy 8:19 यदि तू अपने परमेश्वर यहोवा को भूलकर दूसरे देवताओं के पीछे हो लेगा, और उसकी उपासना और उन को दण्डवत करेगा, तो मैं आज तुम को चिता देता हूं कि तुम नि:सन्देह नष्ट हो जाओगे।
Deuteronomy 8:20 जिन जातियों को यहोवा तुम्हारे सम्मुख से नष्ट करने पर है, उन्ही की नाईं तुम भी अपने परमेश्वर यहोवा का वचन न मानने के कारण नष्ट हो जाओगे।

एक साल में बाइबल: 

  • व्यवस्थाविवरण 8-10 
  • मरकुस 11:19-33