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मंगलवार, 8 जनवरी 2013

शुद्ध विवेक


   पैदल चलकर पूरे संसार की यात्रा करने वाली प्रथम महिला होने की उपलब्धि से मिला आनन्द फेयोना कैम्पबेल के लिए थोड़े ही समय का था। ख्याति और प्रशंसा पाने के बावजूद ऐसा कुछ था जो उसे परेशान करता रहता था और वह उस से इतनी परेशान रहने लगी कि मानसिक असन्तुलन के कगार पर आ गई। आखिर वह क्या था जो उसे इतना परेशान किए हुए था? वह था उसका अपना विवेक!

   अन्ततः फेयोना ने कुबूल किया कि पैदल चल कर सारे संसार की यात्रा करने वाली प्रथम महिला होने का उसका दावा सच्चा नहीं था; उसने बेईमानी की थी। अपनी इस यात्रा के दौरान उसने गिनिस बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स द्वारा इस बारे में दिए गए निर्देषों का उल्लंघन किया था - अपनी यात्रा में एक स्थान पर उसने कुछ दूरी पैदल नहीं वरन एक ट्रक में बैठकर तय करी थी। अपने विवेक को शांत और शुद्ध करने के लिए फेयोना को अपनी यात्रा के प्रयोजकों को अपने इस धोखे से अवगत कराना पड़ा।

   परमेश्वर ने संसार के प्रत्येक जन को एक विवेक दिया है जो गलती करने पर उसे दोषी ठहराता है। परमेश्वर के वचन बाइबल में प्रेरित पौलुस रोमियों की अपनी पत्री में लिखता है "...उन के विवेक भी गवाही देते हैं, और उन की चिन्ताएं परस्पर दोष लगाती, या उन्हें निर्दोष ठहराती है" (रोमियों २:१५)। मसीह यीशु के अनुयायियों के लिए, आत्मिक कमज़ोरियों के होते हुए भी सही दिशा में चलते रहने के लिए विवेक की बातों पर ध्यान देना बहुत आवश्यक है। हम मसीही विश्वासियों के लिए पाप का अंगीकार करके उससे पश्चाताप करना और फिर से मसीह यीशु के मार्ग पर लौट आना मसीही विश्वास के जीवन में बढ़ने का एक अभिन्न अंग होना चाहिए (१ यूहन्ना १:९; लैव्यवस्था ६:२-५)।

   प्रेरित पौलुस ने अपने जीवन से विवेक को शुद्ध रखते हुए मसीही जीवन यात्रा में बढ़ने का अच्छा नमूना दिया है: "इस से मैं आप भी यतन करता हूं, कि परमेश्वर की, और मनुष्यों की ओर मेरा विवेक सदा निर्दोष रहे" (प्रेरितों २४:१६)। जब भी उसका विवेक उसे दोषी ठहराता था या उससे कोई गलती होती थी तो अपनी गलतियों के अंगीकार और पश्चाताप करते रहने के द्वारा वह परमेश्वर के सामने अपनी गलतियों की सूची लंबी नहीं होने देता था; इस से उसका विवेक शुद्ध और शांत रहता था और उसका मसीही जीवन तथा परमेश्वर के लिए सेवकाई खरी और प्रभावी।

   क्या आपका विवेक किसी बात के लिए आप को कचोट रहा है? पौलुस के उदाहरण का अनुसरण करें, पापों का अंगीकार और उन से पश्चाताप करें; एक शुद्ध विवेक के साथ जीवन व्यतीत करें। - डेनिस फिशर


यदि परमेश्वर का वचन आप के विवेक का मार्गदर्शक होगा, तो आपका विवेक आपको सदा सही दिशा में ही लेकर जाएगा।

क्योंकि हम अपने विवेक की इस गवाही पर घमण्‍ड करते हैं, कि जगत में और विशेष कर के तुम्हारे बीच हमारा चरित्र परमेश्वर के योग्य ऐसी पवित्रता और सच्चाई सहित था, जो शारीरिक ज्ञान से नहीं, परन्तु परमेश्वर के अनुग्रह के साथ था। - २ कुरिन्थियों १:१२

बाइबल पाठ: १ यूहन्ना १:१-१०
1John 1:1  उस जीवन के वचन के विषय में जो आदि से था, जिसे हम ने सुना, और जिसे अपनी आंखों से देखा, वरन जिसे हम ने ध्यान से देखा; और हाथों से छूआ।
1John 1:2  (यह जीवन प्रगट हुआ, और हम ने उसे देखा, और उस की गवाही देते हैं, और तुम्हें उस अनन्त जीवन का समाचार देते हैं, जो पिता के साथ था, और हम पर प्रगट हुआ)।
1John 1:3  जो कुछ हम ने देखा और सुना है उसका समाचार तुम्हें भी देते हैं, इसलिये कि तुम भी हमारे साथ सहभागी हो; और हमारी यह सहभागिता पिता के साथ, और उसके पुत्र यीशु मसीह के साथ है।
1John 1:4  और ये बातें हम इसलिये लिखते हैं, कि हमारा आनन्द पूरा हो जाए।
1John 1:5  जो समाचार हम ने उस से सुना, और तुम्हें सुनाते हैं, वह यह है; कि परमेश्वर ज्योति है: और उस में कुछ भी अन्धकार नहीं।
1John 1:6  यदि हम कहें, कि उसके साथ हमारी सहभागिता है, और फिर अन्धकार में चलें, तो हम झूठे हैं: और सत्य पर नहीं चलते।
1John 1:7  पर यदि जैसा वह ज्योति में है, वैसे ही हम भी ज्योति में चलें, तो एक दूसरे से सहभागिता रखते हैं; और उसके पुत्र यीशु का लोहू हमें सब पापों से शुद्ध करता है।
1John 1:8  यदि हम कहें, कि हम में कुछ भी पाप नहीं, तो अपने आप को धोखा देते हैं: और हम में सत्य नहीं।
1John 1:9  यदि हम अपने पापों को मान लें, तो वह हमारे पापों को क्षमा करने, और हमें सब अधर्म से शुद्ध करने में विश्वासयोग्य और धर्मी है।
1John 1:10  यदि कहें कि हम ने पाप नहीं किया, तो उसे झूठा ठहराते हैं, और उसका वचन हम में नहीं है।

एक साल में बाइबल: 
  • उत्पत्ति २०-२२ 
  • मत्ती ६:१९-३४