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गुरुवार, 31 अक्तूबर 2013

अनपेक्षित

   जाने माने अमेरीकी अखबार, वॉशिंगटन पोस्ट के एक लेखक ने लोगों द्वारा पहचाने जाने के बारे में एक परीक्षण किया। उस लेखक ने एक बहुत प्रसिद्ध वायलिन वादक को राष्ट्रीय राजधानी के एक रेलवे स्टेशन पर एक प्रातः कुछ समय के लिए वायलिन बजाने को कहा। हज़ारों लोग उस वादक के सामने से निकल गए, केवल कुछ ही ने रुक कर उसका वायलिन वादन सुना, और लगभग 45 मिनिट के इस परीक्षण में कुल मिलाकर 32 डॉलर ही लोगों ने उसकी झोली में डाले। केवल दो दिन पहले ही यही वादक - जोशुआ बेल ने उसी 35 लाख डॉलर कीमत के वायलिन को बजाते हुए एक संगीत सभा में कार्यक्रम दिया था जहाँ उसका वायलिन वादन सुनने के लिए लोगों ने 100 डॉलर प्रति सीट का टिकिट खरीदा था और माँग इतनी थी कि सभी टिकिट बिक गए थे।

   किसी व्यक्ति का महान होते हुए भी पहचाने ना जाने कोई नयी बात नहीं है। यही प्रभु यीशु के साथ भी हुआ। प्रेरित यूहन्ना ने प्रभु यीशु के सम्बंध में उसकी जीवनी में लिखा: "वह जगत में था, और जगत उसके द्वारा उत्पन्न हुआ, और जगत ने उसे नहीं पहिचाना" (यूहन्ना 1:10)। जबकि उस समय के यहूदी लोग अपने मुक्तिदाता मसीहा की प्रतीक्षा में थे, फिर भी उन्होंने प्रभु यीशु के प्रति इतनी उदासीनता क्यों दिखाई? एक कारण था कि लोग मसीहा की आशा तो रखते थे किंतु विश्वास नहीं, इसलिए प्रभु यीशु का आगमन उनके लिए वैसे ही सर्वथा अनेपक्षित था, और वह भी एक गौशाला में जन्म लेने के द्वारा, जैसे लोग यह कलपना में भी नहीं सोच सकते कि इतना प्रसिद्ध वायलिन वादक एक रेलवे स्टेशन पर खड़े होकर वायलिन बजाता हुआ मिलेगा। अपने मुक्तिदाता के रूप में उन लोगों की अपेक्षा एक राजनैतिक नेता की थी जो उन्हें रोमी साम्राज्य से छुड़ाकर यहूदी राज्य पुनः स्थापित करके दे। वे एक आत्मिक व्यक्ति की तथा स्वर्ग के राज्य की बात करने वाले मसीहा की बाट तो कतई नहीं जोह रहे थे, जो आकर उनसे पापों की क्षमा और पश्चाताप की बात कहे।

   प्रथम ईसवीं के यहूदी लोगों की आँखें, परमेश्वर द्वारा प्रभु यीशु के इस पृथ्वी पर भेजे जाने के उद्देश्य के प्रति बिलकुल बन्द थीं; वे जगत के उद्धारकर्ता की उम्मीद में नहीं थे। लेकिन परमेश्वर का उद्देश्य प्रभु यीशु द्वारा कोई सांसारिक राज्य या सांसारिक गुट बनाने का ना तब था ना अब है। प्रभु यीशु केवल इसलिए आए कि संसार के सभी लोग अपने पापों से मुक्ति और उद्धार का मार्ग पा सकें (यूहन्ना 1:29), और आज भी उनके अनुयायियों द्वारा यही सुसमाचार प्रचार किया जाता है - संसार के राजनैतिक नेता का नहीं वरन सारे जगत के उद्धारकर्ता पर विश्वास द्वारा पापों की क्षमा और सेंत-मेंत उससे मिलने वाले उद्धार का।

   परमेश्वर का यह वरदान आपके लिए अनेपक्षित तो हो सकता है, लेकिन है अति अनिवार्य, और इस संसार से कूच करने के बाद फिर कभी उपलब्ध भी नहीं होगा। यदि आपने आज तक परमेश्वर के इस वरदान को ग्रहण नहीं किया है तो आज ही, अभी ही इसे ग्रहण कर लीजिए - सच्चे पश्चातापी मन से निकली एक छोटी प्रार्थना, "हे प्रभु यीशु मेरे पाप क्षमा कीजिए और मुझे अपनी शरण में ले लीजिए" आपके जीवन को, पृथ्वी के भी और पृथ्वी के बाद के भी, बदल देगी। - सी. पी. हिया


परमेश्वर ने मानव इतिहास में प्रभु यीशु के रूप में प्रवेश किया, जिससे संसार में सभी को अनन्त जीवन का वरदान मिल सके।

दूसरे दिन उसने यीशु को अपनी ओर आते देखकर कहा, देखो, यह परमेश्वर का मेम्ना है, जो जगत के पाप उठा ले जाता है। - यूहन्ना 1:29

बाइबल पाठ: यूहन्ना 1:6-13
John 1:6 एक मनुष्य परमेश्वर की ओर से आ उपस्थित हुआ जिस का नाम यूहन्ना था। 
John 1:7 यह गवाही देने आया, कि ज्योति की गवाही दे, ताकि सब उसके द्वारा विश्वास लाएं। 
John 1:8 वह आप तो वह ज्योति न था, परन्तु उस ज्योति की गवाही देने के लिये आया था। 
John 1:9 सच्ची ज्योति जो हर एक मनुष्य को प्रकाशित करती है, जगत में आने वाली थी। 
John 1:10 वह जगत में था, और जगत उसके द्वारा उत्पन्न हुआ, और जगत ने उसे नहीं पहिचाना। 
John 1:11 वह अपने घर आया और उसके अपनों ने उसे ग्रहण नहीं किया। 
John 1:12 परन्तु जितनों ने उसे ग्रहण किया, उसने उन्हें परमेश्वर के सन्तान होने का अधिकार दिया, अर्थात उन्हें जो उसके नाम पर विश्वास रखते हैं। 
John 1:13 वे न तो लोहू से, न शरीर की इच्छा से, न मनुष्य की इच्छा से, परन्तु परमेश्वर से उत्पन्न हुए हैं।

एक साल में बाइबल: 
  • यिर्मयाह 22-23 
  • तीतुस 1


बुधवार, 30 अक्तूबर 2013

झूठ का पिता

   मानवजाति पर शैतान का प्रभाव आरंभ हुआ उसके द्वारा हमारे आदि माता-पिता, आदम और हव्वा के मनों को परमेश्वर के विरुद्ध फेरने से। उसने उनसे यह परमेश्वर के बारे में झूठ बोलकर, तथा उनके मनों को इस झूठ पर विश्वास कर लेने के लिए बरगला कर संभव किया। शैतान ने अदन की वाटिका में आदम और हव्वा से परमेश्वर की भलाई, उसके वचन तथा उनके लिए उसकी भली योजनाओं के बारे में झूठ बोला (उत्पत्ति 3:1-6), और वे उसकी बातों पर विश्वास कर बैठे, पाप में गिर गए, जिसका प्रभाव आज भी मानव जाति पर बना हुआ है।

   शैतान आज भी यही हथकंडा हमें पाप में फंसाने और गिराने के लिए अपनाता है। प्रभु यीशु ने शैतान के विषय में कहा कि, "...वह तो आरम्भ से हत्यारा है, और सत्य पर स्थिर न रहा, क्योंकि सत्य उस में है ही नहीं: जब वह झूठ बोलता, तो अपने स्‍वभाव ही से बोलता है; क्योंकि वह झूठा है, वरन झूठ का पिता है" (यूहन्ना 8:44)। इसलिए यह कोई अनोखी बात नहीं है कि जैसे ही हम किसी परेशानी या विपरीत परिस्थिति में पड़ते हैं तो तुरंत ही शैतान हमारे कानों में परमेश्वर तथा हमारे प्रति परमेश्वर के प्रेम तथा देखभाल के विरुद्ध फुसफुसाना आरंभ कर देता है, और हमें उकसाता है कि हम परमेश्वर के विरुद्ध चलने लगें, उसपर सन्देह करने लगें। जब हम से परमेश्वर के वचन पर बने रहने को कहा जाता है, तो शैतान हमें परमेश्वर के वचन की सत्यता पर ही सन्देह करने को उकसाता है। जब प्रभु यीशु हमें कहता है कि हम पृथ्वी पर धन अर्जित ना करें (मत्ती 6:19), तो शैतान हमें कहता है कि पृथ्वी की धन-संपदा के बिना जीवन का आनन्द कहाँ, ज़िन्दगी के मज़े लेने हैं तो धन तो जमा करना ही पड़ेगा, ऐसे नहीं तो वैसे। वह हमें परमेश्वर की देखभाल और भलाई की योजनाओं पर सन्देह करवा कर निन्यान्वे के फेर में डाल देता है, जहाँ हम जायज़-नाजायाज़ सभी तरीकों से सांसारिक धन अर्जित करने में फंस जाते हैं, परमेश्वर से दूर हो जाते हैं और चाहे पृथ्वी पर धनी हो जाएं लेकिन स्वर्ग में कंगाल हो जाते हैं।

   हमारी समस्या यह है कि हम आदम और हव्वा ही के समान शैतान से बात करने लगते हैं, उसकी बातों में आ जाते हैं और उसके झूठ पर विश्वास करने लगते हैं। जैसे ही हम ऐसा करते हैं, वैसे ही परमेश्वर के प्रति अपनी वफादारी के साथ समझौता कर बैठते हैं, विश्वास से गिर जाते हैं; और शत्रु शैतान हमारा उपहास करते हुए अपने इसी पुराने हथियार द्वारा कोई नया शिकार करने की तलाश में निकल पड़ता है। हम पड़े रह जाते हैं पाप में गिरने से उत्पन अपनी दुर्दशा पर पश्चाताप करने, और इस बात के लिए दुखी होने के लिए कि हमने शैतान की बातों में आकर अपने सच्चे मित्र और वास्तविक शुभचिंतक पर अविश्वास किया, उससे दूर हो गए।

   ज़रा विचार कीजिए, आप किस की आवाज़ सुनने में लगे हुए हैं? कहीं उस झूठ के पिता ने आपको तो सच्चे परमेश्वर के विमुख नहीं कर दिया? - जो स्टोवैल


शैतान के झूठ की ताकत का एकमात्र तोड़ परमेश्वर के वचन का सत्य है।

परन्तु मैं डरता हूं कि जैसे सांप ने अपनी चतुराई से हव्‍वा को बहकाया, वैसे ही तुम्हारे मन उस सीधाई और पवित्रता से जो मसीह के साथ होनी चाहिए कहीं भ्रष्‍ट न किए जाएं। और यह कुछ अचम्भे की बात नहीं क्योंकि शैतान आप भी ज्योतिमर्य स्वर्गदूत का रूप धारण करता है। सो यदि उसके सेवक भी धर्म के सेवकों का सा रूप धरें, तो कुछ बड़ी बात नहीं परन्तु उन का अन्‍त उन के कामों के अनुसार होगा। 
 - 2 कुरिन्थियों 11:3, 14-15 

बाइबल पाठ: यूहन्ना 8:37-47
John 8:37 मैं जानता हूं कि तुम इब्राहीम के वंश से हो; तौभी मेरा वचन तुम्हारे हृदय में जगह नहीं पाता, इसलिये तुम मुझे मार डालना चाहते हो। 
John 8:38 मैं वही कहता हूं, जो अपने पिता के यहां देखा है; और तुम वही करते रहते हो जो तुमने अपने पिता से सुना है। 
John 8:39 उन्होंने उन को उत्तर दिया, कि हमारा पिता तो इब्राहीम है: यीशु ने उन से कहा; यदि तुम इब्राहीम के सन्तान होते, तो इब्राहीम के समान काम करते। 
John 8:40 परन्तु अब तुम मुझ ऐसे मनुष्य को मार डालना चाहते हो, जिसने तुम्हें वह सत्य वचन बताया जो परमेश्वर से सुना, यह तो इब्राहीम ने नहीं किया था। 
John 8:41 तुम अपने पिता के समान काम करते हो: उन्होंने उस से कहा, हम व्यभिचार से नहीं जन्मे; हमारा एक पिता है अर्थात परमेश्वर। 
John 8:42 यीशु ने उन से कहा; यदि परमेश्वर तुम्हारा पिता होता, तो तुम मुझ से प्रेम रखते; क्योंकि मैं परमेश्वर में से निकल कर आया हूं; मैं आप से नहीं आया, परन्तु उसी ने मुझे भेजा। 
John 8:43 तुम मेरी बात क्यों नहीं समझते? इसलिये कि मेरा वचन सुन नहीं सकते। 
John 8:44 तुम अपने पिता शैतान से हो, और अपने पिता की लालसाओं को पूरा करना चाहते हो। वह तो आरम्भ से हत्यारा है, और सत्य पर स्थिर न रहा, क्योंकि सत्य उस में है ही नहीं: जब वह झूठ बोलता, तो अपने स्‍वभाव ही से बोलता है; क्योंकि वह झूठा है, वरन झूठ का पिता है। 
John 8:45 परन्तु मैं जो सच बोलता हूं, इसीलिये तुम मेरी प्रतीति नहीं करते। 
John 8:46 तुम में से कौन मुझे पापी ठहराता है? और यदि मैं सच बोलता हूं, तो तुम मेरी प्रतीति क्यों नहीं करते? 
John 8:47 जो परमेश्वर से होता है, वह परमेश्वर की बातें सुनता है; और तुम इसलिये नहीं सुनते कि परमेश्वर की ओर से नहीं हो।

एक साल में बाइबल: 
  • यिर्मयाह 20-21 
  • 2 तीमुथियुस 4


मंगलवार, 29 अक्तूबर 2013

मीठा और स्वादिष्ट

   हाँलांकि मेरी पकाने की कला कुछ खास विकसित नहीं है, फिर भी मैं कभी-कभी एक अच्छा केक बना लेता हूँ, जबकि केक में पड़ने वाले सामान और उन के परस्पर के अनुपात का मुझे कुछ पता नहीं है। मैं तो बस पहले सही अनुपात में मिला कर डब्बे में बन्द करके बेचे गए केक के पाउडर को लेता हूँ, उसमें निर्देशानुसार अण्डे, घी और पानी डाल कर अच्छे से फेंट लेता हूँ और फिर उस मिश्रण को पकाने वाले डब्बे में डाल कर तन्दूर में निर्धारित समय के लिए रख देता हूँ; कुछ ही समय में मीठा और स्वादिष्ट केक तैयार हो जाता है!

   यह मुझे सिखाता है कि सही अनुपात में सही सामग्री का एक साथ होना तथा उनके उपयोग के लिए सही निर्देशों का मिलना और उनका पालन करना एक अच्छे परिणाम के लिए कितना आवश्यक है। इस से मुझे प्रभु यीशु द्वारा दी गई सबसे महान आज्ञा (मत्ती 22:36-38) और सुसमाचार प्रचार के लिए महान सेवकाई (मत्ती 28:19-20) के बीच का संबंध समझने में भी सहायता मिलती है।

   जब प्रभु यीशु ने अपने चेलों से कहा कि वे जाकर सारे संसार में सुसमाचार प्रचार करें और लोगों को चेला बनाएं, तो उन्होंने इस कार्य के करने में चेलों को किसी अशिष्ट व्यवहार या बेपरवाह होने की कोई छूट नहीं दी। प्रभु द्वारा, सुसमाचार प्रचार कि आज्ञा देने से पहले चेलों के सामने सबसे बड़ी आज्ञा को रखना - कि वे परमेश्वर से अपने सारे मन, प्राण और बुद्धि के साथ प्रेम रखें और इसके साथ ही यह कहना कि साथ ही वे अपने पड़ौसी से अपने समान प्रेम रखें (मत्ती 22:37-39) उनकी नज़र में परमेश्वर और मनुष्यों के प्रति व्यवहार के परस्पर तालमेल की अनिवार्यता को दिखाता है। परमेश्वर के वचन बाइबल के संपूर्ण नए नियम खण्ड में हम प्रभु यीशु द्वारा दिए गए व्यवहार के इसी नमूने को अनेक स्थानों पर भिन्न रीति से व्यक्त किया हुआ पाते हैं, प्रेम के अध्याय 1 कुरिन्थियों 13 में भी।

   दूसरों के साथ प्रभु यीशु में समस्त संसार के सभी लोगों के लिए सेंत-मेंत मिलने वाली पापों की क्षमा और उद्धार के सुसमाचार को जब हम संसार के लोगों के साथ बाँटते हैं, तो हमें भी इसी नमूने और इसकी दोनों मुख्य ’सामग्रियों’, सुसमाचार की सच्चाई तथा आवश्यकता एवं परमेश्वर द्वार सृजे गए संसार के सभी लोगों के लिए परमेश्वर के प्रेम का प्रगटिकरण, के एक साथ होने और सही अनुपात में होने का विशेष ध्यान रखना चाहिए; साथ ही यह ध्यान भी रखना चाहिए कि इन्हें ठीक रीति से पकाना केवल परमेश्वर के प्रेम की गर्मी से ही संभव है। यदि सामग्री सही होगी, सही अनुपात में होगी और प्रभु यीशु के निर्देशानुसार प्रयोग करी जाएगी तो, नतीजा भी मीठा और स्वादिष्ट होगा। - डेविड मैक्कैसलैंड


उन्हीं की साक्षी सबसे प्रभावी होती है जो अपने जीवन से परमेश्वर के प्रेम और सुसमाचार की साक्षी देते हैं।

पर मसीह को प्रभु जान कर अपने अपने मन में पवित्र समझो, और जो कोई तुम से तुम्हारी आशा के विषय में कुछ पूछे, तो उसे उत्तर देने के लिये सर्वदा तैयार रहो, पर नम्रता और भय के साथ। - 1 पतरस 3:15

बाइबल पाठ: मत्ती 22:34-39; मत्ती 28:16-20
Matthew 22:34 जब फरीसियों ने सुना, कि उसने सदूकियों का मुंह बन्‍द कर दिया; तो वे इकट्ठे हुए। 
Matthew 22:35 और उन में से एक व्यवस्थापक ने परखने के लिये, उस से पूछा। 
Matthew 22:36 हे गुरू; व्यवस्था में कौन सी आज्ञा बड़ी है? 
Matthew 22:37 उसने उस से कहा, तू परमेश्वर अपने प्रभु से अपने सारे मन और अपने सारे प्राण और अपनी सारी बुद्धि के साथ प्रेम रख। 
Matthew 22:38 बड़ी और मुख्य आज्ञा तो यही है। 
Matthew 22:39 और उसी के समान यह दूसरी भी है, कि तू अपने पड़ोसी से अपने समान प्रेम रख। 

Matthew 28:16 और ग्यारह चेले गलील में उस पहाड़ पर गए, जिसे यीशु ने उन्हें बताया था। 
Matthew 28:17 और उन्होंने उसके दर्शन पाकर उसे प्रणाम किया, पर किसी किसी को सन्‍देह हुआ। 
Matthew 28:18 यीशु ने उन के पास आकर कहा, कि स्वर्ग और पृथ्वी का सारा अधिकार मुझे दिया गया है। 
Matthew 28:19 इसलिये तुम जा कर सब जातियों के लोगों को चेला बनाओ और उन्हें पिता और पुत्र और पवित्रआत्मा के नाम से बपतिस्मा दो। 
Matthew 28:20 और उन्हें सब बातें जो मैं ने तुम्हें आज्ञा दी है, मानना सिखाओ: और देखो, मैं जगत के अन्‍त तक सदैव तुम्हारे संग हूं।

एक साल में बाइबल: 
  • यिर्मयाह 18-19 
  • 2 तीमुथियुस 3


सोमवार, 28 अक्तूबर 2013

क्या मैं?

   हाल ही मैं मैने अपने एक मनपसन्द भजन, भजन 131 को एक बार फिर पढ़ा। इस छोटे से, केवल तीन पद वाले भजन को पहले मैं इस बात को मानने के लिए प्रोत्साहित करने वाला समझता था कि रहस्यमय बातें परमेश्वर के चरित्र का एक अंग हैं। पहले यह भजन मुझे शांत बने रहने के लिए उकसाता था, क्योंकि जो कुछ परमेश्वर इस सृष्टि में कर रहा है वह मेरी समझ के बाहर है और मैं इस विषय में परेशान रहने से इन बातों को समझ तो सकता नहीं। लेकिन अब की बार इस भजन को पढ़ने से मेरे समक्ष भजनकार दाऊद की शांत आत्मा का एक अन्य पहलु सामने आया: ना केवल मैं यह समझ पाने में असमर्थ हूँ कि परमेश्वर सृष्टि में क्या कर रहा है वरन मैं वह भी समझ पाने मे असमर्थ हूँ जो परमेश्वर मेरे जीवन में कर रहा है; और ना ही प्रयास करने से कुछ बनने वाला है।

   दाऊद इस भजन में एक समानता का उल्लेख करता है, एक दूध छुड़ाया बच्चा जो पहले बेचैन रहता था लेकिन अब उसे समझ है कि माँ की सुरक्षा होते हुए उसे किसी बात के लिए बेचैन रहने की आवश्यकता नहीं है और एक व्यक्ति जिसने भी यही पाठ सीख लिया है कि परमेश्वर में बने रहने के बाद बेचैन रहने और फड़फड़ाने की कोई आवश्यकता नहीं है। अब यह भजन मेरे लिए हर परिस्थिति में और हर बात के लिए परमेश्वर पर भरोसा बनाए रख कर दीनता, धीरज और सहनशीलता सीखने की बुलाहट है, चाहे उन बातों के लिए परमेश्वर के कारण मेरी समझ में आएं अथवा ना आएं, क्योंकि ईश्वरीय ज्ञान और तर्क मेरी सीमित मानवीय बुद्धि से परे हैं, लेकिन मैं यह भी जानता हूँ कि परमेश्वर सदा मेरे साथ है और केवल मेरी भलाई ही चाहता है।

   यदि मैं बेचैन और परेशान होकर प्रश्न करूँ, "मुझे यह यह पीड़ा क्यूँ?" "मेरे लिए यह व्यथा क्यूँ?" तो परमेश्वर पिता का उत्तर हो सकता है, "मेरे बच्चे शांत होकर और मुझे पर भरोसा रखकर अभी इसे स्वीकार कर लो, क्योंकि मैं समझाऊँ भी तो तुम अभी इसे समझ नहीं पाओगे। बस केवल विश्वास रखो कि जो हो रहा है तुम्हारे भले ही के लिए है, तुम्हारी सामर्थ से बाहर नहीं है और उसमें मैं भी तुम्हारे साथ हूँ (1 कुरिन्थियों 10:13)।

   इन विचारों के साथ मैंने दाऊद के उदाहरण को आधार बना कर अपने आप से पूछा: "क्या मैं, अपनी इन परिस्थितियों में, परमेश्वर पर विश्वास बनाए रखता हूँ?" (पद 3); "विश्वास और धीरज के साथ, बिना बेचैन हुए या फड़फड़ाए, बिना परमेश्वर की बुद्धिमता पर प्रश्नचिन्ह लगाए क्या मैं उसकी योजना और समय की प्रतीक्षा कर सकता हूँ?" "क्या मैं अपने साथ घटित होने वाली हर परिस्थिति में उस पर अपना विश्वास दृढ़ और स्थिर बनाए रख सकता हूँ, उसकी सिद्ध और भली इच्छा के मेरे जीवन में पूरे होने तक?" - डेविड रोपर


अनिश्चितता और रहस्य से भरे इस संसार में यह जानना शांतिदायक है कि परमेश्वर सब कुछ जानता है और वह अपने बच्चों के भले के लिए सब कुछ नियंत्रित करता है।

तुम किसी ऐसी परीक्षा में नहीं पड़े, जो मनुष्य के सहने से बाहर है: और परमेश्वर सच्चा है: वह तुम्हें सामर्थ से बाहर परीक्षा में न पड़ने देगा, वरन परीक्षा के साथ निकास भी करेगा; कि तुम सह सको। - 1 कुरिन्थियों 10:13

बाइबल पाठ: भजन 131
Psalms 131:1 हे यहोवा, न तो मेरा मन गर्व से और न मेरी दृष्टि घमण्ड से भरी है; और जो बातें बड़ी और मेरे लिये अधिक कठिन हैं, उन से मैं काम नहीं रखता। 
Psalms 131:2 निश्चय मैं ने अपने मन को शान्त और चुप कर दिया है, जैसे दूध छुड़ाया हुआ लड़का अपनी मां की गोद में रहता है, वैसे ही दूध छुड़ाए हुए लड़के के समान मेरा मन भी रहता है।
Psalms 131:3 हे इस्राएल, अब से ले कर सदा सर्वदा यहोवा ही पर आशा लगाए रह! 

एक साल में बाइबल: 
  • यिर्मयाह 15-17 
  • 2 तीमुथियुस 2


रविवार, 27 अक्तूबर 2013

बोल

   शैला मैक्नाईट ने एक कंपनी में नौकरी के लिए आवेदन दिया; कंपनी की जानकारी लेते समय उसे यह जानकर अचरज हुआ कि उस कंपनी की नीतियों में से एक थी बकवाद के प्रति शून्य सहनशीलता। उस कंपनी के कर्मचारियों को एक दूसरे से बातचीत कर के किसी भी विवादास्पद बात को स्पष्ट कर लेने के लिए प्रोत्साहित किया जाता था; सहकर्मियों की पीठ पीछे कानाफूसी और बकवाद कंपनी में बिलकुल स्वीकार नहीं थी। यदि कोई कर्मचारी ऐसा करते हुए पकड़ा जाता तो पहले तो उसे डाँट के साथ चेतावनी दी जाती; और यदि वे फिर भी ऐसा करते रहते तो उन्हें नौकरी से बर्खास्त कर दिया जाता।

   किसी कंपनी के द्वारा ऐसी कोई कार्यनीति लागू करने से हज़ारों वर्ष पहले परमेश्वर ने इन बातों के प्रति अपनी शून्य सहनशीलता अपने लोगों के लिए अपने वचन में दर्ज करवा दी थी (लैव्यवस्था 19:16)। व्यर्थ बातचीत जो जानबूझ कर अथवा मूर्खतापूर्ण कारणों से किसी अन्य व्यक्ति के बारे में अफवाह या बातें फैलाए बिलकुल मना थी, परमेश्वर के लोगों में बिलकुल मना थी।

   राजा सुलेमान ने अपने नीतिवचनों में इस विषय पर कुछ अति महत्वपूर्ण बातें कही और बताया कि दूसरों के बारे में बुरा बोलने के क्या-क्या अनर्थकारी परिणाम हो सकते हैं: ऐसा करना विश्वासघात है (नीतिवचन 11:13); अच्छे मित्रों में फूट डाल देता है (नीतिवचन 16:28; 17:9); व्यर्थ बातें बोलने वाले को शर्मसार करता है, उसकी बदनामी होती है (नीतिवचन 25:9-10); और लगातार झगड़ों के अंगारों को सुलगाए रखने का कार्य करता है (नीतिवचन 26:20-22)।

   हमें परमेश्वर से प्रार्थना में माँगना चाहिए कि हमें ऐसी प्रवृति दे कि हम किसी के बारे में कोई हानिकारक बोल बोलने से बचे रहें। परमेश्वर हमारे मुँह पर पहरा बैठाए कि हम जब बोलें तो दूसरों के लिए भला ही बोलें, उनके बारे में कोई अनर्थकारी बात हमारे मुँह से ना निकले। - मार्विन विलियम्स


बकवाद और कानाफूसी को रोकना है तो उसे नज़रन्दाज़ करना सीखिए।

जैसे लकड़ी न होने से आग बुझती है, उसी प्रकार जहां कानाफूसी करने वाला नहीं वहां झगड़ा मिट जाता है। - नीतिवचन 26:20

बाइबल पाठ: लैव्यवस्था 19:11-18
Leviticus 19:11 तुम चोरी न करना, और एक दूसरे से न तो कपट करना, और न झूठ बोलना। 
Leviticus 19:12 तुम मेरे नाम की झूठी शपथ खाके अपने परमेश्वर का नाम अपवित्र न ठहराना; मैं यहोवा हूं। 
Leviticus 19:13 एक दूसरे पर अन्धेर न करना, और न एक दूसरे को लूट लेना। और मजदूर की मजदूरी तेरे पास सारी रात बिहान तक न रहने पाए। 
Leviticus 19:14 बहिरे को शाप न देना, और न अन्धे के आगे ठोकर रखना; और अपने परमेश्वर का भय मानना; मैं यहोवा हूं। 
Leviticus 19:15 न्याय में कुटिलता न करना; और न तो कंगाल का पक्ष करना और न बड़े मनुष्यों का मुंह देखा विचार करना; उस दूसरे का न्याय धर्म से करना। 
Leviticus 19:16 लूतरा बन के अपने लोगों में न फिरा करना, और एक दूसरे के लोहू बहाने की युक्तियां न बान्धना; मैं यहोवा हूं। 
Leviticus 19:17 अपने मन में एक दूसरे के प्रति बैर न रखना; अपने पड़ोसी को अवश्य डांटना नहीं, तो उसके पाप का भार तुझ को उठाना पड़ेगा। 
Leviticus 19:18 पलटा न लेना, और न अपने जाति भाइयों से बैर रखना, परन्तु एक दूसरे से अपने समान प्रेम रखना; मैं यहोवा हूं।

एक साल में बाइबल: 
  • यिर्मियाह 12-14 
  • 2 तीमुथियुस 1


शनिवार, 26 अक्तूबर 2013

उन्नति के अवसर

   क्या किसी यात्रा के समय आप कभी किसी हवाईआड्डे पर फंसे हैं? वह भी 24 घंटों के लिए? और एक ऐसे स्थान पा जहाँ की भाषा आप नहीं जानते? तथा घर एवं संबंधियों से चार हज़ार मील दूर?

   ऐसा हाल ही में मेरे एक मित्र जौन के साथ हुआ; और इस घटना के लिए उसकी प्रतिक्रीय से हम बहुत कुछ सीख सकते हैं। जबकि हम में से अधिकांशतः इस असुविधा को असहनीय पाते, मेरे मित्र ने इस अनपेक्षित विलम्ब में परमेश्वर के हाथ को देखा। अपने कार्यक्रम में आई इस रुकावट के समय को वह अपने साथ के अन्य यात्रियों के साथ संबंध बनाने में उपयोग करने लगा। उसे कुछ मसीही विश्वासी यात्री मिले जो भारत से थे, और उनसे बात-चीत करते समय जौन को उनकी मसीही सेवकाई के बारे में जानने का अवसर मिला। क्योंकि जौन के कार्य और रुचि उनकी सेवकाई के समान ही थी, इसलिए उन लोगों ने जौन को निमंत्रण दिया कि वह भारत आए और उनके साथ कुछ समय एक परियोजना में कार्य करे।

   हमें कितनी ही बार विलम्ब, योजनाओं के परिवर्तन या पुनःनिर्धारण आदि का सामना करना पड़ता है, किन्तु अकसर हम इन बातों को नकारात्मक रीति से लेते हैं, कुंठित होते हैं, खिसिया जाते हैं। लेकिन यह भी हो सकता है कि परमेश्वर हमारा मार्ग बदल रहा है जिससे हम कुछ अलग, कुछ नया कर सकें और उसके लिए उपयोगी हो सकें। परमेश्वर के वचन बाइबल में प्रेरितों 16 में उल्लेखित प्रेरित पौलुस की फिलिप्पी की यात्रा को स्मरण कीजिए। पौलुस मकिदूनिया परमेश्वर से मिले दर्शन के कारण परमेश्वर की सेवकाई करने गया था (पद 9-10)। उसे क्या पता था कि वहाँ वह बन्दीगृह में डाला जाएगा। लेकिन उसका बन्दीगृह में डाला जाना भी परमेश्वर द्वारा निर्धारित था, क्योंकि वहाँ वह बन्‍दीगृह के दारोगा तथा उसके परिवार के उद्धार पाने के लिए उपयोग हुआ (पद 25-34)।

   परमेश्वर हमारे जीवन की असुविधाओं को भी अपने कार्यों, अपनी महिमा और हमारी उन्नति के अवसर बना सकता है, यदि हम प्रत्येक परिस्थिति को परमेश्वरीय प्रयोजन के रूप में देखने वाले हों। - डेव ब्रैनन


परमेश्वर अवरोधों को भी उन्नति के अवसर बना सकता है।

आधी रात के लगभग पौलुस और सीलास प्रार्थना करते हुए परमेश्वर के भजन गा रहे थे, और बन्‍धुए उन की सुन रहे थे। - प्रेरितों 16:25

बाइबल पाठ: प्रेरितों 16:9-34
Acts 16:9 और पौलुस ने रात को एक दर्शन देखा कि एक मकिदुनी पुरूष खड़ा हुआ, उस से बिनती कर के कहता है, कि पार उतरकर मकिदुनिया में आ; और हमारी सहायता कर। 
Acts 16:10 उसके यह दर्शन देखते ही हम ने तुरन्त मकिदुनिया जाना चाहा, यह समझ कर, कि परमेश्वर ने हमें उन्हें सुसमाचार सुनाने के लिये बुलाया है।
Acts 16:11 सो त्रोआस से जहाज खोल कर हम सीधे सुमात्राके और दूसरे दिन नियापुलिस में आए। 
Acts 16:12 वहां से हम फिलिप्पी में पहुंचे, जो मकिदुनिया प्रान्‍त का मुख्य नगर, और रोमियों की बस्‍ती है; और हम उस नगर में कुछ दिन तक रहे। 
Acts 16:13 सब्त के दिन हम नगर के फाटक के बाहर नदी के किनारे यह समझ कर गए, कि वहां प्रार्थना करने का स्थान होगा; और बैठ कर उन स्‍त्रियों से जो इकट्ठी हुई थीं, बातें करने लगे। 
Acts 16:14 और लुदिया नाम थुआथीरा नगर की बैंजनी कपड़े बेचने वाली एक भक्त स्त्री सुनती थी, और प्रभु ने उसका मन खोला, ताकि पौलुस की बातों पर चित्त लगाए। 
Acts 16:15 और जब उसने अपने घराने समेत बपतिस्मा लिया, तो उसने बिनती की, कि यदि तुम मुझे प्रभु की विश्वासिनी समझते हो, तो चल कर मेरे घर में रहो; और वह हमें मनाकर ले गई।
Acts 16:16 जब हम प्रार्थना करने की जगह जा रहे थे, तो हमें एक दासी मिली जिस में भावी कहने वाली आत्मा थी; और भावी कहने से अपने स्‍वामियों के लिये बहुत कुछ कमा लाती थी। 
Acts 16:17 वह पौलुस के और हमारे पीछे आकर चिल्लाने लगी कि ये मनुष्य परमप्रधान परमेश्वर के दास हैं, जो हमें उद्धार के मार्ग की कथा सुनाते हैं। 
Acts 16:18 वह बहुत दिन तक ऐसा ही करती रही, परन्तु पौलुस दु:खित हुआ, और मुंह फेर कर उस आत्मा से कहा, मैं तुझे यीशु मसीह के नाम से आज्ञा देता हूं, कि उस में से निकल जा और वह उसी घड़ी निकल गई।
Acts 16:19 जब उसके स्‍वामियों ने देखा, कि हमारी कमाई की आशा जाती रही, तो पौलुस और सीलास को पकड़ कर चौक में प्राधानों के पास खींच ले गए। 
Acts 16:20 और उन्हें फौजदारी के हाकिमों के पास ले जा कर कहा; ये लोग जो यहूदी हैं, हमारे नगर में बड़ी हलचल मचा रहे हैं। 
Acts 16:21 और ऐसे व्यवहार बता रहे हैं, जिन्हें ग्रहण करना या मानना हम रोमियों के लिये ठीक नहीं। 
Acts 16:22 तब भीड़ के लोग उन के विरोध में इकट्ठे हो कर चढ़ आए, और हाकिमों ने उन के कपड़े फाड़कर उतार डाले, और उन्हें बेंत मारने की आज्ञा दी। 
Acts 16:23 और बहुत बेंत लगवा कर उन्हें बन्‍दीगृह में डाला; और दारोगा को आज्ञा दी, कि उन्हें चौकसी से रखे। 
Acts 16:24 उसने ऐसी आज्ञा पाकर उन्हें भीतर की कोठरी में रखा और उन के पांव काठ में ठोक दिए। 
Acts 16:25 आधी रात के लगभग पौलुस और सीलास प्रार्थना करते हुए परमेश्वर के भजन गा रहे थे, और बन्‍धुए उन की सुन रहे थे। 
Acts 16:26 कि इतने में एकाएक बड़ा भुईंडोल हुआ, यहां तक कि बन्‍दीगृह की नेंव हिल गईं, और तुरन्त सब द्वार खुल गए; और सब के बन्‍धन खुल पड़े। 
Acts 16:27 और दारोगा जाग उठा, और बन्‍दीगृह के द्वार खुले देखकर समझा कि बन्‍धुए भाग गए, सो उसने तलवार खींचकर अपने आप को मार डालना चाहा। 
Acts 16:28 परन्तु पौलुस ने ऊंचे शब्द से पुकारकर कहा; अपने आप को कुछ हानि न पहुंचा, क्योंकि हम सब यहां हैं। 
Acts 16:29 तब वह दीया मंगवा कर भीतर लपक गया, और कांपता हुआ पौलुस और सीलास के आगे गिरा। 
Acts 16:30 और उन्हें बाहर लाकर कहा, हे साहिबो, उद्धार पाने के लिये मैं क्या करूं? 
Acts 16:31 उन्होंने कहा, प्रभु यीशु मसीह पर विश्वास कर, तो तू और तेरा घराना उद्धार पाएगा।
Acts 16:32 और उन्होंने उसको, और उसके सारे घर के लोगों को प्रभु का वचन सुनाया। 
Acts 16:33 और रात को उसी घड़ी उसने उन्हें ले जा कर उन के घाव धोए, और उसने अपने सब लोगों समेत तुरन्त बपतिस्मा लिया। 
Acts 16:34 और उसने उन्हें अपने घर में ले जा कर, उन के आगे भोजन रखा और सारे घराने समेत परमेश्वर पर विश्वास कर के आनन्द किया।

एक साल में बाइबल: 
  • यिर्मियाह 9-11 
  • 1 तीमुथियुस 6


शुक्रवार, 25 अक्तूबर 2013

खरा न्याय

   प्रकाशन में मेरा एक पूर्व सहकर्मी लगभग एक वर्ष तक इसी भय में जीता और कार्य करता रहा कि बस अब उसकी नौकरी गई। ऐसा इसलिए क्योंकि उस विभाग में आया एक नया अधिकारी, अनजाने कारणों से मेरे मित्र की व्यक्तिगत फाईल में उसके विरुद्ध नकारात्मक बातें भरता जा रहा था। फिर एक दिन ऐसा आया जब मेरे मित्र को लगा कि बस आज तो मेरी नौकरी गई ही समझो; उस दिन नौकरी तो गई, लेकिन मेरे मित्र की नहीं वरन उस अधिकारी की जो मेरे मित्र के विरुद्ध कार्य कर रहा था।

   एक ऐसी ही घटना हम परमेश्वर के वचन बाइबल के पुराने नियम नामक खण्ड में एस्तेर की पुस्तक में दर्ज पाते हैं। जब इस्त्राएलियों को बन्धुआ बनाकर बेबिलोन ले जाया गया, तो मोर्देकै नामक एक इस्त्राएली ऐसी ही परिस्थिति में आ पड़ा। उस समय के राजा क्षयर्ष का सबसे चहेता अधिकारी हमान राजा की उस पर बनी हुई कृपादृष्टि के कारण घमण्ड में ऐसा फूल गया कि उसने रीति बना दी की प्रत्येक अधिकारी उसके सामने झुक कर दण्डवत करे। लेकिन मोरदकै परमेश्वर को छोड़ किसी अन्य के आगे झुकना और दण्डवत करना स्वीकार नहीं करता था (एस्तेर 3:1-2)। मोरदकै के इस रवैये से हमान क्रोधित हो उठा और उसने मोरदकै सहित सभी इस्त्राएलियों को मार डालने का षड़यंत्र रच डाला। हमान ने राजा क्षयर्ष को मना लिया कि वह एक राजाज्ञा पर हस्ताक्षर करे जिसमें एक विशेष दिन राज्य के सभी लोगों को उनके इलाके में पाए जाने वाले इस्त्राएलियों को घात करने की खुली छूट दी गई (एस्तेर 3:5-6), और उसने यह राजाज्ञा सारे राज्य में सुनवा दी। मोरदकै के लिए हमान ने अपने घर में एक ऊँचा फांसी का स्थान बनवाया जिससे सब उसकी मृत्यु को देख सकें (एस्तेर 5:14)। लेकिन परमेश्वर के लोग इस्त्राएली, उपवास और प्रार्थना में लग गए और परिस्थितियों ने नाटकीय मोड़ लिया; राजा द्वारा मोर्दकै को हमान के हाथों सम्मानित करवाया गया, तथा फिर और भी नाटकीय घटनाक्रम में हमान राजा की नज़रों से एकदम गिर गया और उस पर राजा की ओर से मृत्यु दण्ड की आज्ञा सुना दी गई तथा इस्त्राएलियों को अपना बचाव करने की छूट दे दी गई। राजा की आज्ञा के अन्तर्गत घमण्डी हमान को उसी फांसी के स्थान पर लटका दिया गया जो उसने मोर्दकै के लिए बनवाया था (एस्तेर 7:9-10; 8)।

   यह सच है कि हर किसी को इस नाटकीय रूप में न्याय तो नहीं मिलता, लेकिन यह भी सच है कि परमेश्वर का वचन हमें आश्वस्त करता है कि परमेश्वर एक दिन सबका न्याय अवश्य चुकाएगा (रोमियों 12:19)। हम मसीही विश्वसियों को परमेश्वर से निर्देश है कि उसके खरे न्याय की प्रतीक्षा करते हुए हमें अपना पलटा आप नहीं लेना है वरन इस कार्य को उसके हाथ में ही छोड़ देना है। हमारा कर्तव्य है अपने और जगत के उद्धारकर्ता प्रभु यीशु के जीवन और शिक्षाओं को संसार के सामने अपने जीवन से प्रगट करते रहना; हमारा प्रतिफल परमेश्वर के हाथों में सुरक्षित है। - जूली ऐकैर्मैन लिंक


परमेश्वर का न्याय अवश्यंभावी है, खरा है, पक्षपात रहित है। उसके भय में जीवन बिताएं।

हे प्रियो अपना पलटा न लेना; परन्तु क्रोध को अवसर दो, क्योंकि लिखा है, पलटा लेना मेरा काम है, प्रभु कहता है मैं ही बदला दूंगा। - रोमियों 12:19

बाइबल पाठ: एस्तेर 3:1-11; 7:1-10
Esther 3:1 इन बातों के बाद राजा क्षयर्ष ने अगामी हम्मदाता के पुत्र हामान को उच्च पद दिया, और उसको महत्व देकर उसके लिये उसके साथी हाकिमों के सिंहासनों से ऊंचा सिंहासन ठहराया। 
Esther 3:2 और राजा के सब कर्मचारी जो राजभवन के फाटक में रहा करते थे, वे हामान के साम्हने झुककर दण्डवत किया करते थे क्योंकि राजा ने उसके विषय ऐसी ही आज्ञा दी थी; परन्तु मोर्दकै न तो झुकता था और न उसको दण्डवत करता था। 
Esther 3:3 तब राजा के कर्मचारी जो राजभवन के फाटक में रहा करते थे, उन्होंने मोर्दकै से पूछा, 
Esther 3:4 तू राजा की आज्ञा क्यों उलंघन करता है? जब वे उस से प्रतिदिन ऐसा ही कहते रहे, और उसने उनकी एक न मानी, तब उन्होंने यह देखने की इच्छा से कि मोर्दकै की यह बात चलेगी कि नहीं, हामान को बता दिया; उसने तो उन को बता दिया था कि मैं यहूदी हूँ। 
Esther 3:5 जब हामान ने देखा, कि मोर्दकै नहीं झुकता, और न मुझ को दण्डवत करता है, तब हामान बहुत ही क्रोधित हुआ। 
Esther 3:6 उसने केवल मोर्दकै पर हाथ चलाना अपनी मर्यादा के नीचे जाना। क्योंकि उन्होंने हामान को यह बता दिया था, कि मोर्दकै किस जाति का है, इसलिये हामान ने क्षयर्ष के साम्राज्य में रहने वाले सारे यहूदियों को भी मोर्दकै की जाति जानकर, विनाश कर डालने की युक्ति निकाली। 
Esther 3:7 राजा क्षयर्ष के बारहवें वर्ष के नीसान नाम पहिले महीने में, हामान ने अदार नाम बारहवें महीने तक के एक एक दिन और एक एक महीने के लिये “पूर” अर्थात चिट्ठी अपने साम्हने डलवाई। 
Esther 3:8 और हामान ने राजा क्षयर्ष से कहा, तेरे राज्य के सब प्रान्तों में रहने वाले देश देश के लोगों के मध्य में तितर बितर और छिटकी हुई एक जाति है, जिसके नियम और सब लोगों के नियमों से भिन्न हैं; और वे राजा के कानून पर नहीं चलते, इसलिये उन्हें रहने देना राजा को लाभदायक नहीं है। 
Esther 3:9 यदि राजा को स्वीकार हो तो उन्हें नष्ट करने की आज्ञा लिखी जाए, और मैं राजा के भणडारियों के हाथ में राजभणडार में पहुंचाने के लिये, दस हजार किक्कार चान्दी दूंगा। 
Esther 3:10 तब राजा ने अपनी अंगूठी अपने हाथ से उतार कर अगागी हम्मदाता के पुत्र हामान को, जो यहूदियों का बैरी था दे दी। 
Esther 3:11 और राजा ने हामान से कहा, वह चान्दी तुझे दी गई है, और वे लोग भी, ताकि तू उन से जैसा तेरा जी चाहे वैसा ही व्यवहार करे। 

Esther 7:1 सो राजा और हामान एस्तेर रानी की जेवनार में आगए। 
Esther 7:2 और राजा ने दूसरे दिन दाखमधु पीते-पीते एस्तेर से फिर पूछा, हे एस्तेर रानी! तेरा क्या निवेदन है? वह पूरा किया जाएगा। और तू क्या मांगती है? मांग, और आधा राज्य तक तुझे दिया जाएगा। 
Esther 7:3 एस्तेर रानी ने उत्तर दिया, हे राजा! यदि तू मुझ पर प्रसन्न है, और राजा को यह स्वीकार हो, तो मेरे निवेदन से मुझे, और मेरे मांगने से मेरे लोगों को प्राणदान मिले। 
Esther 7:4 क्योंकि मैं और मेरी जाति के लोग बेच डाले गए हैं, और हम सब विध्वंसघात और नाश किए जाने वाले हैं। यदि हम केवल दास-दासी हो जाने के लिये बेच डाले जाते, तो मैं चुप रहती; चाहे उस दशा में भी वह विरोधी राजा की हानि भर न सकता। 
Esther 7:5 तब राजा क्षयर्ष ने एस्तेर रानी से पूछा, वह कौन है? और कहां है जिसने ऐसा करने की मनसा की है? 
Esther 7:6 एस्तेर ने उत्तर दिया है कि वह विरोधी और शत्रु यही दुष्ट हामान है। तब हामान राजा-रानी के साम्हने भयभीत हो गया। 
Esther 7:7 राजा तो जलजलाहट में आ, मधु पीने से उठ कर, राजभवन की बारी में निकल गया; और हामान यह देखकर कि राजा ने मेरी हानि ठानी होगी, एस्तेर रानी से प्राणदान मांगने को खड़ा हुआ। 
Esther 7:8 जब राजा राजभवन की बारी से दाखमधु पीने के स्थान में लौट आया तब क्या देखा, कि हामान उसी चौकी पर जिस पर एस्तेर बैठी है पड़ा है; और राजा ने कहा, क्या यह घर ही में मेरे साम्हने ही रानी से बरबस करना चाहता है? राजा के मुंह से यह वचन निकला ही था, कि सेवकों ने हामान का मुंह ढांप दिया। 
Esther 7:9 तब राजा के साम्हने उपस्थित रहने वाले खोजों में से हर्वोना नाम एक ने राजा से कहा, हामान के यहां पचास हाथ ऊंचा फांसी का एक खम्भा खड़ा है, जो उसने मोर्दकै के लिये बनवाया है, जिसने राजा के हित की बात कही थी। राजा ने कहा, उसको उसी पर लटका दो। 
Esther 7:10 तब हामान उसी खम्भे पर जो उसने मोर्दकै के लिये तैयार कराया था, लटका दिया गया। इस पर राजा की जलजलाहट ठंडी हो गई।

एक साल में बाइबल: 
  • यिर्मियाह 6-8 
  • 1 तीमुथियुस 5


गुरुवार, 24 अक्तूबर 2013

क्लेष, सेवकाई और प्रतिफल

   परमेश्वर के वचन बाइबल में परमेश्वर के एक महान नबी यिर्मयाह को, आम तौर से ’विलाप करना वाला नबी’ की संज्ञा भी दी जाती है। यिर्मयाह संभवतः एक संवेदनशील और उदास स्वभाव का व्यक्ति था, जिसका हृदय उसके लोगों इस्त्राएल द्वारा परमेश्वर की लगातार अनाज्ञाकारिता तथा उसके दुषपरिणामों के कारण टूट गया और उसकी उदासी और भी अधिक बढ़ गई। विलाप करने की उसकी क्षमता अद्भुत थी; इस्त्राएल की दुर्दशा को देखकर वह कहता है: "भला होता, कि मेरा सिर जल ही जल, और मेरी आंखें आँसुओं का सोता होतीं, कि मैं रात दिन अपने मारे हुए लोगों के लिये रोता रहता" (यिर्मियाह 9:1)।

   यद्यपि यिर्मियाह अपने राष्ट्र के पाप और उसके परिणाम के लिए शोकित था, लेकिन इस्त्राएल के लोगों ने उसके इस दुख को नहीं समझा, वरन परमेश्वर के न्याय की चेतावनी देने के लिए उसे ही सताया गया; यहां तक कि इस्त्राएल को परमेश्वर की ओर लौटने और पापों से पश्चाताप करने की उसकी पुकार के लिए एक बार उसे दलदल से भरे एक अन्धे कुएं में कैद कर दिया गया (यिर्मियाह 38:6)। परमेश्वर की आज्ञाकारिता में चलने और परमेश्वर के सन्देश को लोगों तक पहुँचाने के उसके प्रयासों का प्रतिफल उसे इस प्रकार दिया गया। लेकिन उन परिस्थितियों में भी परमेश्वर ने उसे नहीं छोड़ा, और ना ही यिर्मियाह ने परमेश्वर पर या अपनी सेवकाई शक किया; वह निराश अवश्य हुआ, लेकिन उसने परमेश्वर में अपने विश्वास को टलने नहीं दिया और पीछे नहीं हटा।

   कभी कभी अपने परमेश्वर की सेवकाई करने और उसकी आज्ञाकरिता में बने रहने के प्रयासों में हमें दुखदायी परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है, हमें गलत समझा जाता है, सताया जाता है और हमारे दिल भी टूटते हैं। ऐसे में हम यिर्मियाह के जीवन और उसकी सहनशीलता से पाठ सीख सकते हैं। यिर्मियाह को अपनी परमेश्वर से मिली बुलाहट और सेवकाई पर इतना दृढ़ विश्वास था कि कोई परिस्थिति, कोई प्रयास उसे इस सेवकाई को करने से डिगा नहीं सका; वह कहता है: "यदि मैं कहूं, मैं उसकी चर्चा न करूंगा न उसके नाम से बोलूंगा, तो मेरे हृदय की ऐसी दशा होगी मानो मेरी हड्डियों में धधकती हुई आग हो, और मैं अपने को रोकते रोकते थक गया पर मुझ से रहा नहीं जाता" (यिर्मियाह 20:9)।

   केवल यिर्मियाह का ही यह हाल नहीं था। परमेश्वर के प्रत्येक नबी और जन को सताया गया, गलत समझा गया, तिरिस्कृत किया गया, और कईयों को उनकी सेवकाई के लिए मार भी डाला गया; यहाँ तक कि प्रभु यीशु को भी इन्हीं बातों का सामना करना पड़ा। परन्तु ये सभी अपने विश्वास और अपनी सेवकाई में अडिग खड़े रहे, परमेश्वर द्वारा दी गई ज़िम्मेदारी को भरसक निभाते रहे, और आज सारे संसार में आदर के पात्र हैं, परमेश्वर के वचन में स्थान पाते हैं, तथा हमारे लिए प्रेर्णा और मार्गदर्शन का स्त्रोत हैं।

   क्या परमेश्वर की सेवकाई में आपको निराशाओं और कठिन परिस्थितियों का सामना करना पड़ रहा है? क्या आपका मन भी दुखी है, हृदय टूट रहा है? हियाव रखिए, इन परिस्थितियों का सामना करने वाले ना तो आप पहले और ना ही अकेले जन हैं। आश्वस्त रहिए, जैसे परमेश्वर ने यिर्मियाह और अपने अन्य लोगों को नहीं छोड़ा, आपको भी नहीं छोड़ेगा; जैसे उन्होंने अपनी सेवकाई पूरी कर के एक बड़ा प्रतिफल पाया, आपके लिए भी परमेश्वर की ओर से एक बड़ा प्रतिफल रखा हुआ है (2 तीमुथियुस 4:8)। परमेश्वर से प्रार्थना कीजिए और अपने हृदय के लिए ताज़गी एवं सामर्थ मांगिए तथा उसकी पवित्र आत्मा की सहायता से, हरेक निराशा और सताव के बावजूद, अपनी सेवकाई को पूरा करने में लगे रहिए। अन्ततः, सेवकाई पूरा करने पर जो प्रतिफल मिलेगा, उसके सामने आज के ये दुख कुछ भी नहीं हैं (2 कुरिन्थियों 4:17)। - डेनिस फिशर


मसीह यीशु की कोई भी सेवकाई बिना प्रतिफल या महत्वहीन नहीं है।

इसलिये हम हियाव नहीं छोड़ते; यद्यपि हमारा बाहरी मनुष्यत्‍व नाश भी होता जाता है, तौभी हमारा भीतरी मनुष्यत्‍व दिन प्रतिदिन नया होता जाता है। क्योंकि हमारा पल भर का हल्का सा क्‍लेश हमारे लिये बहुत ही महत्‍वपूर्ण और अनन्त महिमा उत्पन्न करता जाता है। - 2 कुरिन्थियों 4:16-17

बाइबल पाठ: यिर्मियाह 20:7-13
Jeremiah 20:7 हे यहोवा, तू ने मुझे धोखा दिया, और मैं ने धोखा खाया; तू मुझ से बलवन्त है, इस कारण तू मुझ पर प्रबल हो गया। दिन भर मेरी हंसी होती है; सब कोई मुझ से ठट्ठा करते हैं। 
Jeremiah 20:8 क्योंकि जब मैं बातें करता हूँ, तब मैं जोर से पुकार पुकारकर ललकारता हूँ कि उपद्रव और उत्पात हुआ, हां उत्पात! क्योंकि यहोवा का वचन दिन भर मेरे लिये निन्दा और ठट्ठा का कारण होता रहता है। 
Jeremiah 20:9 यदि मैं कहूं, मैं उसकी चर्चा न करूंगा न उसके नाम से बोलूंगा, तो मेरे हृदय की ऐसी दशा होगी मानो मेरी हड्डियों में धधकती हुई आग हो, और मैं अपने को रोकते रोकते थक गया पर मुझ से रहा नहीं जाता। 
Jeremiah 20:10 मैं ने बहुतों के मुंह से अपना अपवाद सुना है। चारों ओर भय ही भय है! मेरी जान पहचान के सब जो मेरे ठोकर खाने की बाट जोहते हैं, वे कहते हैं, उसके दोष बताओ, तब हम उनकी चर्चा फैला देंगे। कदाचित वह धोखा खाए, तो हम उस पर प्रबल हो कर, उस से बदला लेंगे। 
Jeremiah 20:11 परन्तु यहोवा मेरे साथ है, वह भयंकर वीर के समान है; इस कारण मेरे सताने वाले प्रबल न होंगे, वे ठोकर खाकर गिरेंगे। वे बुद्धि से काम नहीं करते, इसलिये उन्हें बहुत लज्जित होना पड़ेगा। उनका अपमान सदैव बना रहेगा और कभी भूला न जाएगा। 
Jeremiah 20:12 हे सेनाओं के यहोवा, हे धर्मियों के परखने वाले और हृदय और मन के ज्ञाता, जो बदला तू उन से लेगा, उसे मैं देखूं, क्योंकि मैं ने अपना मुक़द्दमा तेरे ऊपर छोड़ दिया है। 
Jeremiah 20:13 यहोवा के लिये गाओ; यहोवा की स्तुति करो! क्योंकि वह दरिद्र जन के प्राण को कुकमिर्यों के हाथ से बचाता है।

एक साल में बाइबल: 
  • यिर्मियाह 3-5 
  • 1 तीमुथियुस 4


बुधवार, 23 अक्तूबर 2013

मेरा अच्छा रक्षक

   एक इतवार के दिन, चर्च में आराधना आरंभ होने के पहले के समय में, ऑर्गन बजाने वाला व्यक्ति एक ऐसे गीत की धुन बजा रहा था जो मेरे लिए नया था। मैंने स्तुति गीत की पुस्तक में से उस गीत को खोला, और पाया कि उस गीत का शीर्षक था, "The Lord My Shepherd Guards Me Well" ("प्रभु मेरा चरवाहा मेरा अच्छा रक्षक है"); वह परमेश्वर के वचन के एक बहुत ही जाने-पहचाने खण्ड, भजन 23, को लेकर गीत के रूप में लिखा गया था तथा भजन 23 की बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति था.

   भजन 23 सदा ही परमेश्वर से प्रेम करने वाले लोगों के लिए एक प्रीय भजन और कठिन समयों में शांति तथा आश्वासन का भजन रहा है। राजा दाऊद द्वारा, अपने अनुभवों के आधार पर लिखा यह भजन परमेश्वर की लगातार बनी रहने वाली देखभाल और उसके प्रेम को बताता है:
यहोवा मेरा चरवाहा है, मुझे कुछ घटी न होगी। 
वह मुझे हरी हरी चराइयों में बैठाता है; 
वह मुझे सुखदाई जल के झरने के पास ले चलता है; 
वह मेरे जी में जी ले आता है। 
धर्म के मार्गो में वह अपने नाम के निमित्त मेरी अगुवाई करता है। 
चाहे मैं घोर अन्धकार से भरी हुई तराई में हो कर चलूं, 
तौभी हानि से न डरूंगा, क्योंकि तू मेरे साथ रहता है; 
तेरे सोंटे और तेरी लाठी से मुझे शान्ति मिलती है।
तू मेरे सताने वालों के साम्हने मेरे लिये मेज बिछाता है; 
तू ने मेरे सिर पर तेल मला है, मेरा कटोरा उमण्ड रहा है। 
निश्चय भलाई और करूणा जीवन भर मेरे साथ साथ बनी रहेंगी; 
और मैं यहोवा के धाम में सर्वदा वास करूंगा।
हम चाहे कितनी ही बार या किसी भी परिस्थिति में भजन 23 को पढ़ें, उसका सन्देश परमेश्वर की हमारे प्रति देखभाल और प्रेम को एक नई ताज़गी के साथ प्रस्तुत करता है।

   भजन 23 में व्यक्त यह छवि उन लोगों के लिए नई नहीं थी जिन्होंने प्रभु यीशु को यह कहते हुए सुना: "अच्छा चरवाहा मैं हूं; अच्छा चरवाहा भेड़ों के लिये अपना प्राण देता है। मज़दूर जो न चरवाहा है, और न भेड़ों का मालिक है, भेड़िए को आते हुए देख, भेड़ों को छोड़कर भाग जाता है, और भेड़िय़ा उन्हें पकड़ता और तित्तर-बित्तर कर देता है। वह इसलिये भाग जाता है कि वह मजदूर है, और उसको भेड़ों की चिन्‍ता नहीं। अच्छा चरवाहा मैं हूं; जिस तरह पिता मुझे जानता है, और मैं पिता को जानता हूं" (यूहन्ना 10:11-14)। भाड़े पर रखे हुए मज़दूर की अपेक्षा, जो खतरे को देखकर भेड़ों को छोड़कर भाग खड़ा होता है, चरवाहा भेड़ों के साथ ही बना रहता है और उनकी रक्षा करता है।

   यदि आप प्रभु यीशु से पापों की क्षमा और उद्धार प्राप्त करके उसके जन, अर्थात उसकी भेड़ बन गए हैं तो विश्वास रखिए कि आज आप किसी भी परिस्थिति का सामना क्यों ना कर रहे हों, प्रभु यीशु आपको नाम से जानता है, आपकी क्षमता को जानता है, आपकी परिस्थिति को जानता है और वह आपका साथ कभी नहीं छोड़ेगा, वह आपको हर खतरे में से सुरक्षित निकाल कर लेकर आएगा। आप भी निश्चिंत होकर, पूरे विश्वास के साथ कह सकते हैं, "प्रभु मेरा चरवाहा मेरा अच्छा रक्षक है"। - डेविड मैक्कैसलैंड


वह मेमना जो हमारे पापों की क्षमा और उद्धार के लिए बलिदान हुआ, वही आज हमारा मार्गदर्शक चरवाहा और रक्षक है।

इसी तरह मैं अपनी भेड़ों को जानता हूं, और मेरी भेड़ें मुझे जानती हैं, और मैं भेड़ों के लिये अपना प्राण देता हूं। - यूहन्ना 10:15

बाइबल पाठ: यूहन्ना 10:7-15
John 10:7 तब यीशु ने उन से फिर कहा, मैं तुम से सच सच कहता हूं, कि भेड़ों का द्वार मैं हूं। 
John 10:8 जितने मुझ से पहिले आए; वे सब चोर और डाकू हैं परन्तु भेड़ों ने उन की न सुनी। 
John 10:9 द्वार मैं हूं: यदि कोई मेरे द्वारा भीतर प्रवेश करे तो उद्धार पाएगा और भीतर बाहर आया जाया करेगा और चारा पाएगा। 
John 10:10 चोर किसी और काम के लिये नहीं परन्तु केवल चोरी करने और घात करने और नष्‍ट करने को आता है। मैं इसलिये आया कि वे जीवन पाएं, और बहुतायत से पाएं। 
John 10:11 अच्छा चरवाहा मैं हूं; अच्छा चरवाहा भेड़ों के लिये अपना प्राण देता है। 
John 10:12 मजदूर जो न चरवाहा है, और न भेड़ों का मालिक है, भेड़िए को आते हुए देख, भेड़ों को छोड़कर भाग जाता है, और भेड़िय़ा उन्हें पकड़ता और तित्तर बित्तर कर देता है। 
John 10:13 वह इसलिये भाग जाता है कि वह मजदूर है, और उसको भेड़ों की चिन्‍ता नहीं। 
John 10:14 अच्छा चरवाहा मैं हूं; जिस तरह पिता मुझे जानता है, और मैं पिता को जानता हूं। 
John 10:15 इसी तरह मैं अपनी भेड़ों को जानता हूं, और मेरी भेड़ें मुझे जानती हैं, और मैं भेड़ों के लिये अपना प्राण देता हूं।

एक साल में बाइबल: 
  • यिर्मियाह 1-2 
  • 1 तीमुथियुस 3


मंगलवार, 22 अक्तूबर 2013

फिर मिलेंगे!

   मेरे दादा को किसी को विदा करते समय ’गुडबाय’ कहना बिलकुल पसन्द नहीं था; उनका मानना था कि ’गुडबाय’ शब्द बहुत निर्णायक और अन्तिम सा लगता है। इसलिए जब हम उनके साथ अपने पारिवारिक मिलन के समय के बाद वापस जाने के लिए यात्रा पर निकलते तो वे अपने घर के सामने खड़े होकर हाथ हिलाते हुए कहते, ’फिर मिलेंगे’। उनका विदा करने का सभी लोगों के लिए सदा ही यही तरीका रहता था।

   हम मसीही विश्वासियों को भी कभी किसी प्रीय जन को ’गुडबाय’ कहने की आवश्यकता नहीं है, यदि उस प्रीय जन ने भी मसीह यीशु को अपना उद्धारकर्ता स्वीकार किया और उससे मिलने वाली पापों की क्षमा का विश्वास किया है। परमेश्वर का वचन बाइबल हम से यह अटल प्रतिज्ञा करती है कि हम मसीही विश्वासी, इस पृथ्वी के जीवन के बाद, अपने मसीही विश्वासी प्रीय जनों से पुनः फिर मिलेंगे।

   प्रेरित पौलुस ने थिस्सुलुनीकियों के विश्वासियों को लिखे अपने पत्र में संसार से अन्तिम विदाई लेने वाले उनके प्रीय जनों के विषय में उन्हें समझाया, "हे भाइयों, हम नहीं चाहते, कि तुम उनके विषय में जो सोते हैं, अज्ञान रहो; ऐसा न हो, कि तुम औरों की नाईं शोक करो जिन्हें आशा नहीं" (1 थिस्सुलुनीकियों 4:13), क्योंकि जब मसीह यीशु वापस आएगा, तब सभी मसीही विश्वासी अपनी कब्रों से जाग उठेंगे और उस समय संसार में जीवित विश्वासियों के संग, प्रभु से मिलने हवा में उठा लिए जाएंगे, "क्योंकि हम प्रभु के वचन के अनुसार तुम से यह कहते हैं, कि हम जो जीवित हैं, और प्रभु के आने तक बचे रहेंगे तो सोए हुओं से कभी आगे न बढ़ेंगे। क्योंकि प्रभु आप ही स्वर्ग से उतरेगा; उस समय ललकार, और प्रधान दूत का शब्द सुनाई देगा, और परमेश्वर की तुरही फूंकी जाएगी, और जो मसीह में मरे हैं, वे पहिले जी उठेंगे। तब हम जो जीवित और बचे रहेंगे, उन के साथ बादलों पर उठा लिये जाएंगे, कि हवा में प्रभु से मिलें, और इस रीति से हम सदा प्रभु के साथ रहेंगे" (1 थिस्सुलुनीकियों 4:15-17)। हमें यह आश्वासन है कि हम सब मसीही विश्वासी एक साथ स्वर्ग में अपने प्रभु यीशु के साथ होंगे और वहाँ "वह उन की आंखों से सब आंसू पोंछ डालेगा; और इस के बाद मृत्यु न रहेगी, और न शोक, न विलाप, न पीड़ा रहेगी; पहिली बातें जाती रहीं" (प्रकाशितवाक्य 21:4)।

   मसीही विश्वासियों को यह धन्य आशा है कि वे एक दिन अपने विश्वासी प्रीय जनों और अपने प्रभु यीशु, दोनों के साथ होंगे और अनन्त काल तक साथ रहेंगे। इसीलिए प्रेरित पौलुस ने कहा, "सो इन बातों से एक दूसरे को शान्‍ति दिया करो" (1 थिस्सुलुनीकियों 4:18)। आज किसी को सांत्वना दें, प्रोत्साहित करें, मसीह यीशु में मिलने वाली इस अनुपम धन्य आशा के विषय में बताएं, जो संसार से अन्तिम विदाई के विषय हमें भी ’गुडबाय’ नहीं वरन ’फिर मिलेंगे’ कहने की प्रेर्णा देती है। - जेनिफर बेन्सन शुल्ट


मृत्यु पर परमेश्वर के लोग ’अलविदा’ नहीं कहते, वे कहते हैं, ’फिर मिलेंगे’!

हे भाइयों, हम नहीं चाहते, कि तुम उनके विषय में जो सोते हैं, अज्ञान रहो; ऐसा न हो, कि तुम औरों की नाईं शोक करो जिन्हें आशा नहीं। - 1 थिस्सुलुनीकियों 4:13

बाइबल पाठ: 1 थिस्सुलुनीकियों 4:13-18
1 Thessalonians 4:13 हे भाइयों, हम नहीं चाहते, कि तुम उनके विषय में जो सोते हैं, अज्ञान रहो; ऐसा न हो, कि तुम औरों की नाईं शोक करो जिन्हें आशा नहीं। 
1 Thessalonians 4:14 क्योंकि यदि हम प्रतीति करते हैं, कि यीशु मरा, और जी भी उठा, तो वैसे ही परमेश्वर उन्हें भी जो यीशु में सो गए हैं, उसी के साथ ले आएगा। 
1 Thessalonians 4:15 क्योंकि हम प्रभु के वचन के अनुसार तुम से यह कहते हैं, कि हम जो जीवित हैं, और प्रभु के आने तक बचे रहेंगे तो सोए हुओं से कभी आगे न बढ़ेंगे। 
1 Thessalonians 4:16 क्योंकि प्रभु आप ही स्वर्ग से उतरेगा; उस समय ललकार, और प्रधान दूत का शब्द सुनाई देगा, और परमेश्वर की तुरही फूंकी जाएगी, और जो मसीह में मरे हैं, वे पहिले जी उठेंगे। 
1 Thessalonians 4:17 तब हम जो जीवित और बचे रहेंगे, उन के साथ बादलों पर उठा लिये जाएंगे, कि हवा में प्रभु से मिलें, और इस रीति से हम सदा प्रभु के साथ रहेंगे। 
1 Thessalonians 4:18 सो इन बातों से एक दूसरे को शान्‍ति दिया करो। 

एक साल में बाइबल: 
  • यशायाह 65-66 
  • 1 तीमुथियुस 2


सोमवार, 21 अक्तूबर 2013

एक एक जन

   क्वेकर जॉन वूलमैन अमेरिका में एक मसीही प्रचारक थे जो स्थान स्थान पर जाकर मसीह यीशु का प्रचार करते थे। वे एक ऐसे व्यक्ति भी थे जिन्होंने उस समय के उपनिवेशी अमेरिका में रंग-भेद और दासत्व के अन्त के लिए अभियान चला रखा था। वे दासों के मालिकों से मिलते और उन्हें दास प्रथा के अन्तर्गत किसी मनुष्य को संपत्ति के समान रखने, बेचने और खरीदने में निहित अन्याय तथा अमानवीयता के बारे में समझाते। यद्यपि वुलमैन दास प्रथा को पूरी रीति से समाप्त तो नहीं कर सके लेकिन वे कई स्वामियों को मना सके कि वे दासों को मुक्त कर दें। उनकी यह सफलता व्यक्तिगत रीति से एक-एक जन से अनुनय करने के कारण थी।

   परमेश्वर के वचन बाइबल में प्रेरित पौलुस द्वारा फिलेमौन को लिखी पत्री में भी हम व्यक्तिगत रीति से करे गए निवेदन का प्रभाव देखते हैं। फिलेमौन नामक व्यक्ति के पास ओनिसिमस नामक एक दास था, जो अपने स्वामी के पास से भाग निकला था। ओनिसिमस पौलुस के संपर्क में आया और पौलुस की सेवकाई द्वारा मसीही विश्वास में आ गया। अब पौलुस उसे वापस उसके स्वामी फिलेमौन के पास भेज रहा था, जिससे फिलेमौन और ओनेसिमुस के मतभेद दूर हो जाएं और वे प्रभु यीशु में मिलने वाली स्वतंत्रता और आनन्द के सहभागी हो जाएं। पौलुस ने फिलेमौन को लिखा: "क्योंकि क्या जाने वह तुझ से कुछ दिन तक के लिये इसी कारण अलग हुआ कि सदैव तेरे निकट रहे। परन्तु अब से दास की नाईं नहीं, वरन दास से भी उत्तम, अर्थात भाई के समान रहे जो शरीर में भी और विशेष कर प्रभु में भी मेरा प्रिय हो" (फिलेमौन 1:15-16)। हम यह तो नहीं जानते कि ओनेसिमुस दासत्व से मुक्त हो सका कि नहीं, परन्तु मसीह यीशु में लाए गए विश्वास के द्वारा अब उसका स्तर बदल गया था, उसके स्वामी के साथ उसका संबंध बदल गया था। अब मसीह यीशु में होकर वह अपने स्वामी का सहविश्वासी भाई था, उसी के समान मसीह यीशु का विश्वासी और मसीह यीशु की विश्वासी मण्डली का समान-स्तरीय सदस्य था। पौलुस भी व्यक्तिगत प्रयासों द्वारा ही संसार पर प्रभाव डाल रहा था।

   प्रभु यीशु मसीह में सेंत-मेंत मिलने वाली पापों की क्षमा तथा उद्धार, और सबको बिना किसी भेद-भाव के समान रूप से परमेश्वर की सन्तान होने का दर्जा मिलना जीवन को बदल देता है। पाप क्षमा तथा उद्धार का यह सुसमाचार जीवनों, संबंधों और परिस्थितियों को प्रभावित करने और बदलने की सामर्थ रखता है। शैतान इस बात को भली-भांति जानता है इसीलिए इस सुसमाचार और मसीही विश्वास के प्रचार में इतने रोड़े अटकाता है, और प्रचारकों पर अत्याचार लाता है। बूँद-बूँद से भी घड़ा भरता है; जॉन वुलमैन और पौलुस के समान ही मसीही विश्वास के सुसमाचार द्वारा संसार पर व्यक्तिगत सम्पर्क तथा अनुनय के द्वारा प्रभाव डालने वाले बनें। हर जन महत्वपूर्ण है; एक एक जन करके ही सही, संसार प्रभु यीशु और उद्धार को तो जानेगा। - डेनिस फिशर


किसी दूसरे के लिए आपके द्वारा हो सकने वाला सबसे भला कार्य है उसे सत्य से परिचित कराना।

परन्तु अब से दास की नाईं नहीं, वरन दास से भी उत्तम, अर्थात भाई के समान रहे जो शरीर में भी और विशेष कर प्रभु में भी मेरा प्रिय हो। - फिलेमौन1:16

बाइबल पाठ: फिलेमौन 1:12-21
Philemon 1:12 उसी को अर्थात जो मेरे हृदय का टुकड़ा है, मैं ने उसे तेरे पास लौटा दिया है। 
Philemon 1:13 उसे मैं अपने ही पास रखना चाहता था कि तेरी ओर से इस कैद में जो सुसमाचार के कारण है, मेरी सेवा करे। 
Philemon 1:14 पर मैं ने तेरी इच्छा बिना कुछ भी करना न चाहा कि तेरी यह कृपा दबाव से नहीं पर आनन्द से हो। 
Philemon 1:15 क्योंकि क्या जाने वह तुझ से कुछ दिन तक के लिये इसी कारण अलग हुआ कि सदैव तेरे निकट रहे। 
Philemon 1:16 परन्तु अब से दास की नाईं नहीं, वरन दास से भी उत्तम, अर्थात भाई के समान रहे जो शरीर में भी और विशेष कर प्रभु में भी मेरा प्रिय हो। 
Philemon 1:17 सो यदि तू मुझे सहभागी समझता है, तो उसे इस प्रकार ग्रहण कर जैसे मुझे। 
Philemon 1:18 और यदि उसने तेरी कुछ हानि की है, या उस पर तेरा कुछ आता है, तो मेरे नाम पर लिख ले। 
Philemon 1:19 मैं पौलुस अपने हाथ से लिखता हूं, कि मैं आप भर दूंगा; और इस के कहने की कुछ आवश्यकता नहीं, कि मेरा कर्ज जो तुझ पर है वह तू ही है। 
Philemon 1:20 हे भाई यह आनन्द मुझे प्रभु में तेरी ओर से मिले: मसीह में मेरे जी को हरा भरा कर दे। 
Philemon 1:21 मैं तेरे आज्ञाकारी होने का भरोसा रखकर, तुझे लिखता हूं और यह जानता हूं, कि जो कुछ मैं कहता हूं, तू उस से कहीं बढ़कर करेगा। 

एक साल में बाइबल: 
  • यशायाह 62-64 
  • 1 तीमुथियुस 1


रविवार, 20 अक्तूबर 2013

संभालने वाला

   कठिन समयों में हमारा दृष्टिकोण बदल सकता है, इस बात को मुझे हाल में हुई एक वार्तालाप ने स्मरण दिलाया। मैं और मेरी पत्नि, एक हमारे ही समान दुखियारी माँ से बातचीत कर रहे थे; जैसा हमारे साथ हुआ था, वैसे ही उस महिला की बेटी की भी किशोरावस्था में अनायास ही, बिना किसी चेतावनी के मृत्यु हो गई थी। उस महिला ने हमें बताया कि उन्हें अपने बेटी की कमी बहुत खलती है, और उन्होंने परमेश्वर से कहा कि इस दुख के कारण उनको लगता है कि उनका परमेश्वर में विश्वास छूट ही चला है और वे उसे बस मानो ऊँगली के नाखूनों के सहारे ही थामे हुई हैं। तब उन्हें महसूस हुआ कि परमेश्वर उन्हें कह रहा है कि उसका संभालने वाला हाथ उन के साथ है और उसने उन्हें थामा हुआ है। वे निश्चिन्त होकर अपने आप को उसके संभालने वाले हाथों में छोड़ दें, परमेश्वर उन्हें थामे और उठाए रखेगा - यह दृष्टिकोण रखना कितना अधिक उत्तम और भला है।

   यह हमें स्मरण दिलाता है कि जब परेशानियाँ आएं और हमें लगे कि अब शायद हम परमेश्वर के प्रति अपने विश्वास को और थामे नहीं रह सकते, तब भी हमारा विश्वास में बने रहना हमारी सामर्थ पर नहीं वरन परमेश्वर के सम्भालने वाले हाथ पर निर्भर है और उसका सहारा तथा उसकी सहायता उसके बच्चों के प्रति सदा बनी रहती है। परमेश्वर के वचन बाइबल में भजनकार ने कहा, "मनुष्य की गति यहोवा की ओर से दृढ़ होती है, और उसके चलन से वह प्रसन्न रहता है; चाहे वह गिरे तौभी पड़ा न रह जाएगा, क्योंकि यहोवा उसका हाथ थामे रहता है" (भजन 37:23-24); तथा, "मेरा मन तेरे पीछे पीछे लगा चलता है; और मुझे तो तू अपने दाहिने हाथ से थाम रखता है" (भजन 63:8)।

   जब कठिन समयों में हम अपने विश्वास को अपने ही प्रयासों से थामे रहने तथा किसी ना किसी प्रकार परमेश्वर से लिपटे रहने के प्रयासों में इतने व्यस्त हो जाते हैं कि परमेश्वर द्वारा हमें सदा थामे रहने की प्रतिज्ञा को भूल बैठते हैं, तब हमें स्मरण रखना चाहिए कि हमारा विश्वास में स्थिर बने रहना हमारे ऊँगुली के नाखूनों की ताकत पर नहीं वरन परमेश्वर के संभालने वाले हाथ और हमारे प्रति परमेश्वर के प्रेम पर निर्भर है, और उसका वायदा है कि "...मैं तुझे कभी न छोडूंगा, और न कभी तुझे त्यागूंगा" (इब्रानियों 13:5)। - डेव ब्रैनन


परमेश्वर के हाथ द्वारा संभाले हुए से अधिक सुरक्षित और कोई नहीं है।

यहोवा सब गिरते हुओं को संभालता है, और सब झुके हुओं को सीधा खड़ा करता है। - भजन145:14

बाइबल पाठ: भजन 37:23-34
Psalms 37:23 मनुष्य की गति यहोवा की ओर से दृढ़ होती है, और उसके चलन से वह प्रसन्न रहता है; 
Psalms 37:24 चाहे वह गिरे तौभी पड़ा न रह जाएगा, क्योंकि यहोवा उसका हाथ थामे रहता है।
Psalms 37:25 मैं लड़कपन से ले कर बुढ़ापे तक देखता आया हूं; परन्तु न तो कभी धर्मी को त्यागा हुआ, और न उसके वंश को टुकड़े मांगते देखा है। 
Psalms 37:26 वह तो दिन भर अनुग्रह कर कर के ऋण देता है, और उसके वंश पर आशीष फलती रहती है।
Psalms 37:27 बुराई को छोड़ भलाई कर; और तू सर्वदा बना रहेगा। 
Psalms 37:28 क्योंकि यहोवा न्याय से प्रीति रखता; और अपने भक्तों को न तजेगा। उनकी तो रक्षा सदा होती है, परन्तु दुष्टों का वंश काट डाला जाएगा। 
Psalms 37:29 धर्मी लोग पृथ्वी के अधिकारी होंगे, और उस में सदा बसे रहेंगे।
Psalms 37:30 धर्मी अपने मुंह से बुद्धि की बातें करता, और न्याय का वचन कहता है। 
Psalms 37:31 उसके परमेश्वर की व्यवस्था उसके हृदय में बनी रहती है, उसके पैर नहीं फिसलते।
Psalms 37:32 दुष्ट धर्मी की ताक में रहता है। और उसके मार डालने का यत्न करता है। 
Psalms 37:33 यहोवा उसको उसके हाथ में न छोड़ेगा, और जब उसका विचार किया जाए तब वह उसे दोषी न ठहराएगा।
Psalms 37:34 यहोवा की बाट जोहता रह, और उसके मार्ग पर बना रह, और वह तुझे बढ़ाकर पृथ्वी का अधिकारी कर देगा; जब दुष्ट काट डाले जाएंगे, तब तू देखेगा।

एक साल में बाइबल: 
  • यशायाह 59-61 
  • 2 थिस्सुलुनीकियों 3


शनिवार, 19 अक्तूबर 2013

निवेश

   जेसन बॉन कॉलेज में पढ़ने वाला छात्र था जब उसने गॉल्फ के एक खेल में विजयी शॉट मारकर दस लाख अमेरीकी डॉलर जीते। जब कि दूसरे लोग उस धन को उड़ा देते, जेसन ने एक योजनागत तरीके से उसका उपयोग किया। क्योंकि जेसन एक व्यवासायिक गोल्फ खिलाड़ी बनना चाहता था, उसने उस धन का निवेश और अधिक अच्छा गोल्फ खेल सकने का प्रशिक्षण पाने में किया। वह धन उसके भविष्य के लिए निवेश बना, ऐसा निवेश जिसने उसे बड़ा प्रतिफल दिया जब जेसन ने सन 2005 की पी.जी.ए. टूर प्रतियोगिता को जीत लिया। बजाए धन को तत्काल मौज मस्ती में उड़ा देने के, उस धन का भविष्य के लिए निवेश करना जेसन का एक बुद्धिमता पूर्ण निर्णय था।

   एक प्रकार से यही प्रभु यीशु भी हमें करने के लिए कहता है - बुद्धिमता से निवेश। परमेश्वर ने हमें समय, योग्यताएं और अवसर प्रदान किए हैं; इनका उपयोग करना उसने हमारे हाथों में छोड़ दिया है। अब यह हमारे लिए चुनौती है कि हम किस प्रकार से इन संसाधनों का इस्तेमाल करते हैं - दीर्घ कालीन प्रतिफलों के निवेश के लिए या अल्प कालीन लाभ पाने के लिए। प्रभु यीशु ने मत्ती 6:20 में कहा, "परन्तु अपने लिये स्वर्ग में धन इकट्ठा करो, जहां न तो कीड़ा, और न काई बिगाड़ते हैं, और जहां चोर न सेंध लगाते और न चुराते हैं" - प्रभु यीशु आश्वस्त करता है कि ये ही वे सुरक्षित धन और निवेश हैं जो कभी नष्ट नहीं होंगे, जो हमारे लिए सदा लाभकारी रहेंगे।

   परमेश्वर द्वारा आपको सेंत-मेंत दिए गए संसाधनों पर विचार कीजिए: योग्यताएं, समय, अवसर, ज्ञान आदि - ये सब पार्थिव एवं सीमित तो हैं, लेकिन यदि इस पृथ्वी पर आप इनका निवेश अनन्त पर ध्यान केन्द्रित करके करेंगे, तो इन नाशमान बातों के प्रभाव अविनाशी होंगे। आपका लक्ष्य क्या है - केवल वर्तमान या अनन्त कालीन निवेश?

   उस भविष्य में निवेश करें जो संसार के प्रत्येक जन के लिए अवश्यंभावी है, परमेश्वर के न्याय सिंहासन के सामने जिस भविष्य का सामना प्रत्येक को करना ही है। प्रभु यीशु के निर्देषों के अनुसार किया गया आपका निवेश ना केवल आपके अनन्त भविष्य को प्रभावित करेगा वरन प्रतिदिन के जीवन के प्रति आपके दृष्टिकोण को भी बदल देगा। - बिल क्राउडर


संसार के सबसे धनवान व्यक्ति वे ही हैं जिन्होंने स्वर्ग के लिए अपने जीवन निवेश किए हैं।

परन्तु अपने लिये स्वर्ग में धन इकट्ठा करो, जहां न तो कीड़ा, और न काई बिगाड़ते हैं, और जहां चोर न सेंध लगाते और न चुराते हैं। - मत्ती 6:20

बाइबल पाठ: मत्ती 6:19-24
Matthew 6:19 अपने लिये पृथ्वी पर धन इकट्ठा न करो; जहां कीड़ा और काई बिगाड़ते हैं, और जहां चोर सेंध लगाते और चुराते हैं। 
Matthew 6:20 परन्तु अपने लिये स्वर्ग में धन इकट्ठा करो, जहां न तो कीड़ा, और न काई बिगाड़ते हैं, और जहां चोर न सेंध लगाते और न चुराते हैं। 
Matthew 6:21 क्योंकि जहां तेरा धन है वहां तेरा मन भी लगा रहेगा।
Matthew 6:22 शरीर का दिया आंख है: इसलिये यदि तेरी आंख निर्मल हो, तो तेरा सारा शरीर भी उजियाला होगा। 
Matthew 6:23 परन्तु यदि तेरी आंख बुरी हो, तो तेरा सारा शरीर भी अन्धियारा होगा; इस कारण वह उजियाला जो तुझ में है यदि अन्धकार हो तो वह अन्धकार कैसा बड़ा होगा। 
Matthew 6:24 कोई मनुष्य दो स्‍वामियों की सेवा नहीं कर सकता, क्योंकि वह एक से बैर ओर दूसरे से प्रेम रखेगा, वा एक से मिला रहेगा और दूसरे को तुच्‍छ जानेगा; “तुम परमेश्वर और धन दोनों की सेवा नहीं कर सकते”।

एक साल में बाइबल: 
  • यशायाह 56-58 
  • 2 थिस्सुलुनीकियों 2


शुक्रवार, 18 अक्तूबर 2013

सहानुभूति

   मेरा एक मित्र है जो अपने घर से ही कार्य करता है और उसने अपने घर के एक कमरे को अपना कार्यालय बना रखा है। एक शाम वह कुछ आवश्यक कार्य कर रहा था, उसकी 4 वर्षीय बेटी भी वहीं पर खेल रही थी। वह बच्ची कभी मेज़ की दराज़ खींचती और अन्दर के सामान को निकाल कर बाहर फैला देती, कभी भिन्न चिज़ों को इधर-उधर बिखेरती, उसके चारों ओर चक्कर लगाती और शोर मचाती रही। मेरा मित्र यह सब सहता रहा और चुपचाप अपना कार्य करता रहा।

   अचानक ही मेज़ की एक दराज़ बन्द करते हुए उस बच्ची की ऊँगली दब गई और वह चिल्लाकर रो पड़ी। मेरे मित्र ने खिसिए हुए स्वर में कहा, "बस! अब बहुत हो गया!" और उस बच्ची को उठाकर कमरे से बाहर ले गया और दरवाज़ा बन्द कर लिया। बाद में बच्ची की माँ ने बच्ची को अपने कमरे में रोते हुए पाया। माँ ने उससे पूछा, "क्या तुम्हारी ऊँगली अभी भी दुख रही है?" बच्ची ने रोते हुए उत्तर दिया, "नहीं"; माँ ने फिर पूछा, "तो फिर तुम रो क्यों रही हो?" बच्ची ने रोते हुए ही उत्तर दिया, "क्योंकि जब मेरी ऊँगली पर चोट आई तो पापा ने ’हाय’ नहीं कहा।"

   अनेक बार हमें बस इतना ही तो चाहिए होता है - कोई हमारी पीड़ा को समझे और हमसे दो शब्द सहानुभूति के कहे। कोई ऐसा जन जो करुणा और दया के साथ हमारी तकलीफों में हमारे साथ प्रतिक्रीया करे; जो हमारे लिए ’हाय’ कहने वाला हो। प्रभु यीशु में हमारे पास एक ऐसा जन है। प्रभु यीशु हमारी हर पीड़ा को समझता है, हम से सहानुभूति रखता है और हमसे इतना प्रेम रखता है कि हमारे पापों से छुड़ाए जाने के लिए उसने उन पापों को अपने ऊपर ले लिया और अपने प्राण बलिदान कर दिए जिससे हम पापों के दण्ड से बच जाएं और उद्धार पाएं।

   अब वह हमसे आशा रखता है कि जैसे वह हमारे प्रति अनुग्रहकारी और सहानुभूतिपूर्ण रहा, हम भी दूसरों के साथ ऐसा ही प्रेमपूर्ण व्यवहार दिखाएं और उनके दुखों में उन्हें शान्ति और सांत्वना देने वाले लोग हों। अपने उद्धारकर्ता के प्रति यह हम मसीही विश्वासियों का कर्तव्य है। - डेविड रोपर


हमारी परीक्षाओं के शोर को परमेश्वर की दिलासा की धीमी से आवाज़ भी शान्त कर देती है।

यहोवा अनुग्रहकारी और दयालु, विलम्ब से क्रोध करने वाला और अति करूणामय है। - भजन145:8

बाइबल पाठ: इफिसियों 5:1-10
Ephesians 5:1 इसलिये प्रिय, बालकों की नाईं परमेश्वर के सदृश बनो। 
Ephesians 5:2 और प्रेम में चलो; जैसे मसीह ने भी तुम से प्रेम किया; और हमारे लिये अपने आप को सुखदायक सुगन्‍ध के लिये परमेश्वर के आगे भेंट कर के बलिदान कर दिया। 
Ephesians 5:3 और जैसा पवित्र लोगों के योग्य है, वैसा तुम में व्यभिचार, और किसी प्रकार अशुद्ध काम, या लोभ की चर्चा तक न हो। 
Ephesians 5:4 और न निर्लज्ज़ता, न मूढ़ता की बातचीत की, न ठट्ठे की, क्योंकि ये बातें सोहती नहीं, वरन धन्यवाद ही सुना जाएं। 
Ephesians 5:5 क्योंकि तुम यह जानते हो, कि किसी व्यभिचारी, या अशुद्ध जन, या लोभी मनुष्य की, जो मूरत पूजने वाले के बराबर है, मसीह और परमेश्वर के राज्य में मीरास नहीं। 
Ephesians 5:6 कोई तुम्हें व्यर्थ बातों से धोखा न दे; क्योंकि इन ही कामों के कारण परमेश्वर का क्रोध आज्ञा ने मानने वालों पर भड़कता है। 
Ephesians 5:7 इसलिये तुम उन के सहभागी न हो। 
Ephesians 5:8 क्योंकि तुम तो पहले अन्धकार थे परन्तु अब प्रभु में ज्योति हो, सो ज्योति की सन्तान की नाईं चलो। 
Ephesians 5:9 (क्योंकि ज्योति का फल सब प्रकार की भलाई, और धामिर्कता, और सत्य है)। 
Ephesians 5:10 और यह परखो, कि प्रभु को क्या भाता है।

एक साल में बाइबल: 
  • यशायाह 53-55 
  • 2 थिस्सुलुनीकियों 1


गुरुवार, 17 अक्तूबर 2013

सदगुण

   न्यूयॉर्क के ब्रौंक्स इलाके के एक कॉलेज फुटबॉल प्रशिक्षक, क्लेटन हैन्ड्रिक-होम्स, ने मैरिटाईम कॉलेज की टीम को चरित्र के सदगुणों के साथ प्रशिक्षित किया। उन्होंने खिलाड़ियों की कमीज़ पर खिलाड़ियों के नाम के स्थान पर कुछ शब्द लिखवाए, जैसे परिवार, आदर, जवाबदेही, चरित्र आदि। प्रत्येक खेल से पहले क्लेटन अपनी टीम से कहते कि उन शब्दों से संबंधित सदगुण के सिद्धांतों के अनुसार खेल खेलें।

   परमेश्वर के वचन बाइबल में भी प्रेरित पतरस ने कुछ मसीही सदगुणों की सूची दी (2 पतरस 1:5-7), जिसे मसीही विश्वासियों को अपने विश्वास के साथ जोड़ लेना चाहिए। सुची के सदगुण इस प्रकार हैं:
  • सदगुण - नेक आचरण से परिपूर्ण जीवन के साथ परमेश्वर के उद्देश्य पूरे करने के लिए।
  • समझ - परमेश्वर के वचन के अध्ययन द्वारा झूठी शिक्षाओं से बचे रहने की सूझ-बूझ।
  • संयम - परमेश्वर को अपने जीवन में इतना आदर देना कि हर प्रत्युत्तर परमेश्वर कि महिमा के लिए हो।
  • धीरज - परमेश्वर पर ऐसा भरोसा बनाए रखना कि प्रत्येक परिस्थिति में अन्ततः भलाई ही होने के आशावान बने रहें।
  • भक्ति - जीवन के प्रत्येक संबंध में परमेश्वर को आदर देना।
  • भाईचारा - मसीही सहविश्वासियों के प्रति स्नेहपूर्ण व्यवहार बनाए रखना।
  • प्रेम - दूसरों की भलाई के लिए त्याग का भाव रखना।


हम मसीही विश्वासियों को चाहिए कि इन सदगुणों को अपने जीवन में ना केवल बनाए रखें वरन उन्हें बढ़ाते रहें और अपने जीवन का अभिन्न अंग बनाए रखें। - ऐनी सेटास


सदगुणपूर्ण आचरण की कुँजी ईश्वरीय सदगुणों का सतत अभ्यास है।

क्योंकि उसके ईश्वरीय सामर्थ ने सब कुछ जो जीवन और भक्ति से सम्बन्‍ध रखता है, हमें उसी की पहचान के द्वारा दिया है, जिसने हमें अपनी ही महिमा और सद्गुण के अनुसार बुलाया है। - 2 पतरस 1:3

बाइबल पाठ: 2 पतरस 1:1-11
2 Peter 1:1 शमौन पतरस की और से जो यीशु मसीह का दास और प्रेरित है, उन लोगों के नाम जिन्होंने हमारे परमेश्वर और उद्धारकर्ता यीशु मसीह की धामिर्कता से हमारा सा बहुमूल्य विश्वास प्राप्त किया है। 
2 Peter 1:2 परमेश्वर के और हमारे प्रभु यीशु की पहचान के द्वारा अनुग्रह और शान्‍ति तुम में बहुतायत से बढ़ती जाए। 
2 Peter 1:3 क्योंकि उसके ईश्वरीय सामर्थ ने सब कुछ जो जीवन और भक्ति से सम्बन्‍ध रखता है, हमें उसी की पहचान के द्वारा दिया है, जिसने हमें अपनी ही महिमा और सद्गुण के अनुसार बुलाया है। 
2 Peter 1:4 जिन के द्वारा उसने हमें बहुमूल्य और बहुत ही बड़ी प्रतिज्ञाएं दी हैं: ताकि इन के द्वारा तुम उस सड़ाहट से छूट कर जो संसार में बुरी अभिलाषाओं से होती है, ईश्वरीय स्‍वभाव के समभागी हो जाओ। 
2 Peter 1:5 और इसी कारण तुम सब प्रकार का यत्‍न कर के, अपने विश्वास पर सद्गुण, और सद्गुण पर समझ। 
2 Peter 1:6 और समझ पर संयम, और संयम पर धीरज, और धीरज पर भक्ति। 
2 Peter 1:7 और भक्ति पर भाईचारे की प्रीति, और भाईचारे की प्रीति पर प्रेम बढ़ाते जाओ। 
2 Peter 1:8 क्योंकि यदि ये बातें तुम में वर्तमान रहें, और बढ़ती जाएं, तो तुम्हें हमारे प्रभु यीशु मसीह के पहचानने में निकम्मे और निष्‍फल न होने देंगी। 
2 Peter 1:9 और जिस में ये बातें नहीं, वह अन्‍धा है, और धुन्‍धला देखता है, और अपने पूर्वकाली पापों से धुल कर शुद्ध होने को भूल बैठा है। 
2 Peter 1:10 इस कारण हे भाइयों, अपने बुलाए जाने, और चुन लिये जाने को सिद्ध करने का भली भांति यत्‍न करते जाओ, क्योंकि यदि ऐसा करोगे, तो कभी भी ठोकर न खाओगे। 
2 Peter 1:11 वरन इस रीति से तुम हमारे प्रभु और उद्धारकर्ता यीशु मसीह के अनन्त राज्य में बड़े आदर के साथ प्रवेश करने पाओगे।

एक साल में बाइबल: 
  • यशायाह 50-52 
  • 1 थिस्सुलुनीकियों 5


बुधवार, 16 अक्तूबर 2013

सफल

   प्रसिद्ध बास्केटबॉल प्रशिक्षक जौन वुडेन ने प्रशिक्षण प्राप्त करने वाली टीम के लिए एक रोचक नियम बना रखा था; जब कभी कोई खिलाड़ी अंक बनाता तो उसे उस खिलाड़ी को धन्यवाद करना होता था जिसकी सहायता से अंक बनाने का अवसर उसे मिला। जब वे हाई-स्कूल में प्रशिक्षण दिया करते थे तो एक खिलाड़ी ने उनसे पूछा, "क्या ऐसा करने से खेल का बहुत समय व्यर्थ नहीं चला जाएगा?" उनका उत्तर था, "मैं तुम्हें हर बार खेल रोक कर उस खिलाड़ी के पास जाकर धन्यवाद करते रहने को नहीं कह रहा हूँ, केवल उसकी ओर देखकर अपना सिर हिलाकर उसकी सहायता के लिए आभारी होना ही काफी होगा।"

   बास्केटबॉल कोर्ट पर विजयी होने के लिए यह आवश्यक था कि सभी खिलाड़ी अपने आप को एक ही दल के अंग के रूप में देखें और इसी मनोवृति के साथ खेलें, ना कि स्वतंत्र खेलने वाले लोगों के झुंड जैसे। इसके लिए उनका एक दुसरे के साथ बन्धे रहना, एक दूसरे के प्रति धन्यवादी रहना बहुत आवश्यक था, तब ही वे एक साथ मिलकर एक दूसरे के पूरक होकर एक टीम के रूप में जीत सकते थे। जयवंत होने के लिए भिन्नता में एकता रखने की यह शिक्षा परमेश्वर के वचन बाइबल की शिक्षा पर आधारित है।

   प्रेरित पौलुस ने कुरिन्थुस की मसीही मण्डली को समझाया कि वे सब मसीह यीशु में एक देह होकर कार्य करें। वे सब एक ही देह के भिन्न अंगों के समान हैं और सब एक साथ मिलकर ही देह की उन्नति और स्वास्थ्य का कारण हो सकते हैं। कोई भी एक अंग किसी अन्य से अधिक महत्वपूर्ण नहीं और ना ही कोई अंग किसी अन्य से गौण। प्रत्येक का देह में अपना विशिष्ट स्थान है, और प्रत्येक अपने कार्य के लिए देह के लिए आवश्यक है। यदि एक भी अंग ठीक से कार्य नहीं करेगा तो सारी देह पर इसका दुषप्रभाव आएगा।

   क्या किसी चर्च मण्डली के पास्टर की, या किसी बाइबल अधय्यन की, या किसी अन्य मसीही कार्य योजना की सफलता केवल किसी एक व्यक्ति ही के कारण है? क्या उस प्रमुख दिखने वाले व्यक्ति के पीछे अन्य कई सहायक जन नहीं होते? क्या उनका योगदान इसलिए नज़रंदाज़ होना चाहिए क्योंकि वे प्रकट में सामने नहीं आए? चाहे टीम चर्च की हो, चाहे परिवार हो चाहे कोई संस्था, जब तक उसके सब लोग एक साथ मिलकर अपनी अपनी ज़िम्मेदारियों को भरसक नहीं निभाएंगे, सफलता तो दूर, सुचारू रीति से कार्य करना भी असंभव हो जाएगा।

   जौन वुडेन का नियम और प्रेरित पौलुस द्वारा कु्रिन्थुस की मण्डली को लिखे निर्देश दोनों एक ही सिद्धांत पर आधारित हैं - आगे बढ़ने के लिए हमें एक दुसरे की सहायता की आवश्यकता रहती है, कोई भी अकेले ही आगे नहीं बढ़ सकता, सफल नहीं हो सकता। परमेश्वर द्वारा प्रदान किए गए अपने वरदानों, गुणों और योग्यताओं को परमेश्वर की मण्डली की बढ़ोतरी के लिए, उसे मज़बूत बनाने के लिए और मण्डली से परमेश्वर के उद्देश्यों की पूर्ति के लिए मिलजुल कर प्रयोग करें। - सिंडी हैस कैस्पर


मसीह यीशु की देह अर्थात उसकी मण्डली में व्यर्थ अथवा महत्वहीन अंग कोई नहीं है।

इसलिये कि देह में एक ही अंग नहीं, परन्तु बहुत से हैं। - 1 कुरिन्थियों 12:14

बाइबल पाठ: 1 कुरिन्थियों 12:12-26
1 Corinthians 12:12 क्योंकि जिस प्रकार देह तो एक है और उसके अंग बहुत से हैं, और उस एक देह के सब अंग, बहुत होने पर भी सब मिलकर एक ही देह हैं, उसी प्रकार मसीह भी है। 
1 Corinthians 12:13 क्योंकि हम सब ने क्या यहूदी हो, क्या युनानी, क्या दास, क्या स्‍वतंत्र एक ही आत्मा के द्वारा एक देह होने के लिये बपतिस्मा लिया, और हम सब को एक ही आत्मा पिलाया गया। 
1 Corinthians 12:14 इसलिये कि देह में एक ही अंग नहीं, परन्तु बहुत से हैं। 
1 Corinthians 12:15 यदि पांव कहे कि मैं हाथ नहीं, इसलिये देह का नहीं, तो क्या वह इस कारण देह का नहीं? 
1 Corinthians 12:16 और यदि कान कहे; कि मैं आंख नहीं, इसलिये देह का नहीं, तो क्या वह इस कारण देह का नहीं? 
1 Corinthians 12:17 यदि सारी देह आंख ही होती तो सुनना कहां से होता? यदि सारी देह कान ही होती तो सूंघना कहां होता? 
1 Corinthians 12:18 परन्तु सचमुच परमेश्वर ने अंगो को अपनी इच्छा के अनुसार एक एक कर के देह में रखा है। 
1 Corinthians 12:19 यदि वे सब एक ही अंग होते, तो देह कहां होती? 
1 Corinthians 12:20 परन्तु अब अंग तो बहुत से हैं, परन्तु देह एक ही है। 
1 Corinthians 12:21 आंख हाथ से नहीं कह सकती, कि मुझे तेरा प्रयोजन नहीं, और न सिर पांवों से कह सकता है, कि मुझे तुम्हारा प्रयोजन नहीं। 
1 Corinthians 12:22 परन्तु देह के वे अंग जो औरों से निर्बल देख पड़ते हैं, बहुत ही आवश्यक हैं। 
1 Corinthians 12:23 और देह के जिन अंगो को हम आदर के योग्य नहीं समझते हैं उन्‍ही को हम अधिक आदर देते हैं; और हमारे शोभाहीन अंग और भी बहुत शोभायमान हो जाते हैं। 
1 Corinthians 12:24 फिर भी हमारे शोभायमान अंगो को इस का प्रयोजन नहीं, परन्तु परमेश्वर ने देह को ऐसा बना दिया है, कि जिस अंग को घटी थी उसी को और भी बहुत आदर हो। 
1 Corinthians 12:25 ताकि देह में फूट न पड़े, परन्तु अंग एक दूसरे की बराबर चिन्‍ता करें। 
1 Corinthians 12:26 इसलिये यदि एक अंग दु:ख पाता है, तो सब अंग उसके साथ दु:ख पाते हैं; और यदि एक अंग की बड़ाई होती है, तो उसके साथ सब अंग आनन्द मनाते हैं।

एक साल में बाइबल: 
  • यशायाह 47-49 
  • 1 थिस्सुलुनीकियों 4


मंगलवार, 15 अक्तूबर 2013

कृतज्ञ एवं धन्यवादी

   डेव रैन्डल्ट वह व्यक्ति थे जिनके लिए मैं कह सकता हूँ कि उनके कारण मेरा जीवन ऐसा बदला जो फिर कभी वापस लौट नहीं सकता। डेव अक्टूबर 2010 में अपने प्रभु के पास, अपने स्वर्गीय घर चले गए। जब मैं कॉलेज के दिनों में प्रभु यीशु का नया अनुयायी ही था, तब मैं डेव के संपर्क में आया और तब से ही वे मेरे परामर्शदाता और मुझे उभारने, सिखाने वाले बन गए। उन्होंने ना केवल मुझे में अपने समय का निवेश किया, वरन मुझे मसीही सेवकाई में सीखने और बढ़ने के अवसर देकर मेरे लिए अपने ऊपर जोखिम भी आने दिया। डेव प्रभु की ओर से माध्यम थे कि मैं छात्रावस्था में ही प्रचार कर सकूँ और कॉलेज के संगीत दल के साथ यात्राएं कर सकूँ। परिणामस्वरूप उन्होंने मेरे जीवन को परमेश्वर के वचन का शिक्षक होने के लिए ढाला और तैयार किया। मैं प्रसन्न हूँ कि इन सब बातों के लिए मैं कई बार उन्हें धन्यवाद दे सका।

   जैसे मैं डेव के प्रति अपने जीवन में आए प्रभावों के लिए कृतज्ञ और धन्यवादी हूँ, प्रेरित पौलुस भी अपने सहकर्मी अक्वीला और प्रिसका के प्रति कृतज्ञ और धन्यवादी था, जो उसके साथ प्रभु यीशु की सेवा करते थे। पौलुस ने उनके विषय में लिखा, "उन्होंने मेरे प्राण के लिये अपना ही सिर दे रखा था और केवल मैं ही नहीं, वरन अन्यजातियों की सारी कलीसियाएं भी उन का धन्यवाद करती हैं" (रोमियों 16:4)।

   आपके जीवन में भी कई लोग होंगे जिन्होंने आपको उन्नति के अवसर देने के लिए अपने ऊपर जोखिम लिए होंगे, या जिन्होंने आत्मिक रीति से आपको प्रभावित किया होगा, आपको संवारा और बढ़ाया होगा। संभवतः कोई पास्टर, या मसीही सेवकाई के अगुवे, या कोई मित्रगण अथवा परिवारजन ने अपने आपको आपके जीवन में व्यय किया जिससे आप मसीह यीशु में अपनी जीवन यात्रा में बेहतर रीति से आगे बढ़ सकें। आपके सांसारिक जीवन में भी आगे बढ़ने और उन्नति करने, आपको उचित अवसर मिलने तथा उन अवसरों का योग्य रीति से प्रयोग करने के लिए आपको प्रोत्साहित करने में भी कई लोग सम्मिलित रहे होंगे। महत्वपूर्ण प्रश्न यह है, अवसर रहते क्या आपने उनके प्रति अपनी कृतज्ञता और धन्यवाद को उन पर प्रकट किया है?

   कौन कब जीवन का हिसाब देने के लिए बुला लिया जाएगा, कोई नहीं जानता। शायद कल आपके पास यह अवसर ना रहे। आज ही, अवसर रहते, अपने कृतज्ञ और धन्यवादी होने को उन लोगों पर प्रकट करें, जिन्होंने अपने जीवन आपके जीवन को संवारने में निवेश किए हैं। - बिल क्राउडर


जिन्होंने आपको बनाने में योगदान दिया है, उनके प्रति सदा कृतज्ञ एवं धन्यवादी रहें।

उन्होंने मेरे प्राण के लिये अपना ही सिर दे रखा था और केवल मैं ही नहीं, वरन अन्यजातियों की सारी कलीसियाएं भी उन का धन्यवाद करती हैं। - रोमियों 16:4

बाइबल पाठ: रोमियों 16:1-16
Romans 16:1 मैं तुम से फीबे की, जो हमारी बहिन और किंख्रिया की कलीसिया की सेविका है, बिनती करता हूं। 
Romans 16:2 कि तुम जैसा कि पवित्र लोगों को चाहिए, उसे प्रभु में ग्रहण करो; और जिस किसी बात में उसको तुम से प्रयोजन हो, उस की सहायता करो; क्योंकि वह भी बहुतों की वरन मेरी भी उपकारिणी हुई है। 
Romans 16:3 प्रिसका और अक्विला को जो मसीह यीशु में मेरे सहकर्मी हैं, नमस्कार। 
Romans 16:4 उन्होंने मेरे प्राण के लिये अपना ही सिर दे रखा था और केवल मैं ही नहीं, वरन अन्यजातियों की सारी कलीसियाएं भी उन का धन्यवाद करती हैं। 
Romans 16:5 और उस कलीसिया को भी नमस्कार जो उन के घर में है। मेरे प्रिय इपैनितुस को जो मसीह के लिये आसिया का पहिला फल है, नमस्कार। 
Romans 16:6 मरियम को जिसने तुम्हारे लिये बहुत परिश्रम किया, नमस्कार। 
Romans 16:7 ​अन्द्रुनीकुस और यूनियास को जो मेरे कुटम्बी हैं, और मेरे साथ कैद हुए थे, और प्रेरितों में नामी हैं, और मुझ से पहिले मसीह में हुए थे, नमस्कार। 
Romans 16:8 अम्पलियातुस को, जो प्रभु में मेरा प्रिय है, नमस्कार। 
Romans 16:9 उरबानुस को, जो मसीह में हमारा सहकर्मी है, और मेरे प्रिय इस्तखुस को नमस्कार। 
Romans 16:10 अपिल्लेस को जो मसीह में खरा निकला, नमस्कार। अरिस्तुबुलुस के घराने को नमस्कार। 
Romans 16:11 मेरे कुटुम्बी हेरोदियोन को नमस्कार। नरकिस्सुस के घराने के जो लोग प्रभु में हैं, उन को नमस्कार। 
Romans 16:12 त्रूफैना और त्रूफोसा को जो प्रभु में परिश्रम करती हैं, नमस्कार। प्रिया परसिस को जिसने प्रभु में बहुत परिश्रम किया, नमस्कार। 
Romans 16:13 रूफुस को जो प्रभु में चुना हुआ है, और उस की माता को जो मेरी भी है, दोनों को नमस्कार। 
Romans 16:14 असुंक्रितुस और फिलगोन और हिर्मास ओर पत्रुबास और हर्मेस और उन के साथ के भाइयों को नमस्कार। 
Romans 16:15 फिलुलुगुस और यूलिया और नेर्युस और उस की बहिन, और उलुम्पास और उन के साथ के सब पवित्र लोगों को नमस्कार।
Romans 16:16 आपस में पवित्र चुम्बन से नमस्कार करो तुम को मसीह की सारी कलीसियाओं की ओर से नमस्कार।

एक साल में बाइबल: 
  • यशायाह 45-46 
  • 1 थिस्सुलुनीकियों 3


सोमवार, 14 अक्तूबर 2013

परिवर्तित

   टेलिविज़न पर प्रसारित होने वाला एक कार्यक्रम मुझे पसन्द है। उस कार्यक्रम के एक खंड में दो महिलाओं को चुना जाता है और फिर 3 घंटे तक बड़ी तैयारी के साथ उनके केश संवारे जाते हैं, उनका श्रृंगार किया जाता है, उन्हें नई वेशभूषा पहनाई जाती है। इस सब से उन के रूप में होने वाला परिवर्तन अकसर नाटकीय होता है। इस सब के बाद जब उन महिलाओं को परदे के पीछे से उपस्थित दर्शकों के सामने लाया जाता है तो वे अपनी आँखों पर एकाएक विश्वास नहीं कर पाते। कभी कभी उन महिलाओं के परिवार जनों और मित्रगणों की आंखों से, उस रूपांतर को देखकर, आँसू बहने लगते हैं। यह सब हो जाने के बाद ही उन महिलाओं को अपने आप को दर्पण में देखने दिया जाता है; कुछ तो इतनी अचंभित हो जाती हैं कि वे अपने आप को दर्पण में देखती ही रह जाती हैं, उन्हें विश्वास ही नहीं हो पाता कि वे वास्तव में अपने आप को ही देख रही हैं। लेकिन सबसे रोचक बात होती है जब उन महिलाओं से कहा जाता है कि वे चल कर जाएं और दर्शकों में बैठे अपने परिवार या मित्रगणों के साथ जाकर बैठ जाएं।

   जैसे ही वे महिलाएं चलना आरंभ करती हैं, उनका रुपांतर से पहले का स्वरूप प्रकट होने लगता है, क्योंकि अपने नई वेशभूषा और नए जूतों में चलना उन्हें नहीं आता। वे देखने में तो अति आकर्षक लगती हैं लेकिन उनकी अटपटी चाल उनकी वास्तविकता प्रकट कर देती है। यह तुरंत विदित हो जाता है कि उनका यह रूपांतरण अभी अधूरा ही है।

   यही बात हमारे मसीही जीवन पर भी लागू होती है। जब हम अपने पापों से क्षमा मांगकर प्रभु यीशु को अपना उद्धारकर्ता ग्रहण करते हैं तो परमेश्वर भी हमें पुराने मनुष्यत्व से सुधारने संवारने लगता है, एक नए जीवन का द्वार हमारे लिए खोल देता है। लेकिन इस नए जीवन में चलना और इसे निभाने के लिए समय लगता है, उसके लिए अभ्यास और प्रयास चाहिए होता है। यदि हम एक ही स्थान पर खड़े खड़े मुस्कुराते रहें तो संभवतः लोग हमें देखकर सोच लें कि परिवर्तन आया है। लेकिन हमारे परिवर्तन की सार्थकता और गहराई का सूचक होता है हमारा चाल-चलन। यदि हमारे चाल-चलन में हमारे उद्धार के योग्य परिवर्तन नहीं आया, तो यह दिखाता है कि हमें अभी अपने मसीही चाल-चलन में कितना प्रयास और करना है। जो नई शुरुआत परमेश्वर ने हमें दी है, जो नई सामर्थ परमेश्वर से हमें मिली है, उसको सही रीति से प्रयोग करने के लिए हमें कितने अभ्यास की आवश्यकता है।

   मसीह यीशु में परिवर्तित हो जाने का अर्थ है पुरानी बातों और पुराने जीवन को छोड़कर नए जीवन और नए मार्ग पर चलते रहना, और उसे अपने जीवन से प्रगट करना। - जूली ऐकैरमैन लिंक


परिवर्तित मन से ही परिवर्तित व्यवहार आता है।

और वह इस निमित्त सब के लिये मरा, कि जो जीवित हैं, वे आगे को अपने लिये न जीएं परन्तु उसके लिये जो उन के लिये मरा और फिर जी उठा। सो यदि कोई मसीह में है तो वह नई सृष्‍टि है: पुरानी बातें बीत गई हैं; देखो, वे सब नई हो गईं। - 2 कुरिन्थियों 5:15, 17

बाइबल पाठ: रोमियों 6:2-14
Romans 6:2 कदापि नहीं, हम जब पाप के लिये मर गए तो फिर आगे को उस में क्योंकर जीवन बिताएं? 
Romans 6:3 क्या तुम नहीं जानते, कि हम जितनों ने मसीह यीशु का बपतिस्मा लिया तो उस की मृत्यु का बपतिस्मा लिया 
Romans 6:4 सो उस मृत्यु का बपतिस्मा पाने से हम उसके साथ गाड़े गए, ताकि जैसे मसीह पिता की महिमा के द्वारा मरे हुओं में से जिलाया गया, वैसे ही हम भी नए जीवन की सी चाल चलें। 
Romans 6:5 क्योंकि यदि हम उस की मृत्यु की समानता में उसके साथ जुट गए हैं, तो निश्चय उसके जी उठने की समानता में भी जुट जाएंगे। 
Romans 6:6 क्योंकि हम जानते हैं कि हमारा पुराना मनुष्यत्व उसके साथ क्रूस पर चढ़ाया गया, ताकि पाप का शरीर व्यर्थ हो जाए, ताकि हम आगे को पाप के दासत्व में न रहें। 
Romans 6:7 क्योंकि जो मर गया, वह पाप से छूटकर धर्मी ठहरा। 
Romans 6:8 सो यदि हम मसीह के साथ मर गए, तो हमारा विश्वास यह है, कि उसके साथ जीएंगे भी। 
Romans 6:9 क्योंकि यह जानते हैं, कि मसीह मरे हुओं में से जी उठ कर फिर मरने का नहीं, उस पर फिर मृत्यु की प्रभुता नहीं होने की। 
Romans 6:10 क्योंकि वह जो मर गया तो पाप के लिये एक ही बार मर गया; परन्तु जो जीवित है, तो परमेश्वर के लिये जीवित है। 
Romans 6:11 ऐसे ही तुम भी अपने आप को पाप के लिये तो मरा, परन्तु परमेश्वर के लिये मसीह यीशु में जीवित समझो। 
Romans 6:12 इसलिये पाप तुम्हारे मरनहार शरीर में राज्य न करे, कि तुम उस की लालसाओं के आधीन रहो।
Romans 6:13 और न अपने अंगो को अधर्म के हथियार होने के लिये पाप को सौंपो, पर अपने आप को मरे हुओं में से जी उठा हुआ जानकर परमेश्वर को सौंपो, और अपने अंगो को धर्म के हथियार होने के लिये परमेश्वर को सौंपो। 
Romans 6:14 और तुम पर पाप की प्रभुता न होगी, क्योंकि तुम व्यवस्था के आधीन नहीं वरन अनुग्रह के आधीन हो।

एक साल में बाइबल: 
  • यशायाह 43-44 
  • 1 थिस्सुलुनीकियों 2


रविवार, 13 अक्तूबर 2013

व्यर्थ व्यस्तता

   एक दिन मैं जब यात्रा के लिए वायुयान में चढ़ने की प्रतीक्षा कर रहा था, एक अजनबी मेरे पास आया और मुझ से वार्तालाप करने लगा। उसने मेरा यह कहना सुन लिया था कि मैं एक पास्टर हूँ। वह मुझ से प्रभु यीशु के साथ हुई उसकी मुलाकात तथा उस मुलाकात से पहले और बाद के जीवन के बारे में बताने लगा। उसने बताया कि कैसे उस मुलाकात से पहले का उसका जीवन पाप और स्वार्थ से भरा हुआ था। मैं बड़ी रुची के साथ सुनता रहा कैसे प्रभु यीशु को समर्पण के बाद उसने अपने जीवन में कई परिवर्तन किए और वह अब कैसे भले कार्यों को करता रहता है। लेकिन एक बात मुझे खटक रही थी, उसका सारा वर्णन इस बात पर था कि उसने प्रभु के लिए और प्रभु के नाम में क्या कुछ किया, कहीं भी उस व्यक्ति ने यह नहीं बताया कि वह अब प्रभु के साथ समय कैसे बिताता है, प्रभु यीशु के साथ अब उसकी संगति कैसी है। इसलिए जब उसने कहा कि, "अगर मैं साफ-साफ शब्दों में कहूँ, तो मुझे लगता था कि इन सब के कारण अब तक मैं अपने आप से बहुत प्रसन्न होने पाऊँगा, लेकिन ऐसा हुआ नहीं है" तो मुझे यह सुन कर कोई अचरज नहीं हुआ।

   इस व्यक्ति की बात से मुझे परमेश्वर के वचन बाइबल में उल्लेख किया गया मार्था का चरित्र स्मरण हो आया। मार्था अवश्य इस व्यक्ति के साथ सहानुभुति रखती। मार्था ने भी एक समय प्रभु यीशु को अपने घर निमंत्रण देकर बुलाया था, और प्रभु के आने पर वह उसकी आवभगत में दौड़-धूप करने लगी, अनेक प्रकार कि तैयारियाँ करने लगी। प्रभु को प्रसन्न करने की उसकी इस सारी प्रक्रिया में उसके पास प्रभु के साथ बैठने और उससे वार्तालाप करने का समय ही नहीं था। लेकिन उसकी बहन मरियम प्रभु के चरणों पर बैठकर प्रभु की बातें सुन रही थी, जो व्यस्त मार्था को बहुत नागवार गुज़रा, और मार्था ने प्रभु से उपेक्षित स्वर में मरियम को डाँटने के लिए कहा। लेकिन प्रभु यीशु ने मरियम का पक्ष लेते हुए मार्था को समझाया।

   हम में से बहुतेरे यही गलती करते रहते हैं, जो तब मार्था और उस समय उस व्यक्ति ने करी थी। हम या तो संसारिक उपलब्धियों के लिए या फिर प्रभु के लिए और प्रभु के नाम में इतना कुछ करने में अपने आप को व्यस्त कर लेते हैं कि हमारे पास समय ही नहीं होता कि हम जान सकें कि प्रभु हमसे चाहता क्या है और वह क्या है जिससे प्रभु हमसे वास्तव में प्रसन्न होगा। हम प्रभु को बेहतर जानने, उससे संगति करने में समय ही नहीं लगाते; बस अपनी ही मनसाओं, योजनाओं और कार्यक्रमों के अनुसार चलते रहते हैं और फिर थके हुए तथा कुँठित अनुभव करते हैं, निराश होते हैं कि क्यों हमारे मन प्रभु में प्रफुल्लित नहीं रहते।

   उस व्यक्ति को जो सलाह मैंने तब दी वही मैं आज आप के साथ भी बाँटना चाहता हूँ; मैंने उससे मार्था को कहे प्रभु यीशु के शब्दों को उद्वत किया: "प्रभु ने उसे उत्तर दिया, मार्था, हे मार्था; तू बहुत बातों के लिये चिन्‍ता करती और घबराती है। परन्तु एक बात अवश्य है, और उस उत्तम भाग को मरियम ने चुन लिया है: जो उस से छीना न जाएगा" (लूका 10:41-42)। यदि आप प्रभु के साथ संगति करने उसके वचन को पढ़ने और उस पर मनन करने के लिए समय नहीं निकाल पाते, तो प्रभु के नाम में या प्रभु के लिए, या फिर सांसारिक उपलब्धियों के लिए आप जो कुछ भी कर रहे हैं वह व्यर्थ व्यस्तता है, अन्ततः उसका फल निराशा और कुँठा ही है, प्रभु यीशु में मिलने वाली शान्ति और आनन्द नहीं। अपनी प्राथमिकताओं पर विचार कीजिए तथा सही प्राथमिकताओं को निर्धारित कीजिए। - रैण्डी किल्गोर


हमारा स्वर्गीय परमेश्वर पिता अपने बच्चों से संगति करने और उनसे वार्तालाप करने को लालायित रहता है।

और मरियम नाम उस की एक बहिन थी; वह प्रभु के पांवों के पास बैठकर उसका वचन सुनती थी। - लूका 10:39

बाइबल पाठ: लूका 10:38-42
Luke 10:38 फिर जब वे जा रहे थे, तो वह एक गांव में गया, और मार्था नाम एक स्त्री ने उसे अपने घर में उतारा। 
Luke 10:39 और मरियम नाम उस की एक बहिन थी; वह प्रभु के पांवों के पास बैठकर उसका वचन सुनती थी। 
Luke 10:40 पर मार्था सेवा करते करते घबरा गई और उसके पास आकर कहने लगी; हे प्रभु, क्या तुझे कुछ भी सोच नहीं कि मेरी बहिन ने मुझे सेवा करने के लिये अकेली ही छोड़ दिया है? सो उस से कह, कि मेरी सहायता करे। 
Luke 10:41 प्रभु ने उसे उत्तर दिया, मार्था, हे मार्था; तू बहुत बातों के लिये चिन्‍ता करती और घबराती है। 
Luke 10:42 परन्तु एक बात अवश्य है, और उस उत्तम भाग को मरियम ने चुन लिया है: जो उस से छीना न जाएगा।

एक साल में बाइबल: 
  • यशायाह 41-42 
  • 1 थिस्सुलुनीकियों 1